बंगाल में भयंकर अकाल कब पड़ा था? - bangaal mein bhayankar akaal kab pada tha?

अकाल के कारणों की जांच के लिए बने आयोग ने खाद्यान्न की किल्लत को सबसे अहम कारण बताया था. आयोग की रिपोर्ट में लिखा गया कि 1942 में तूफ़ान, भारी बारिश और फसलों में कीट लगने की वजह से पैदावार कम हुई.  दूसरा, द्वितीय विश्व युद्ध में जापान ने रंगून को अपने कब्ज़े में ले लिया था और वहां से धान का आयात रुक गया. इससे, खपत और आपूर्ति में संतुलन तो बिगड़ा ही, साथ-साथ धान बिक्री के दाम बढ़ गए. पर 1981 में अमर्त्य सेन के लेख ‘पावर्टी एंड फैमिन’(ग़रीबी और अकाल) में इस कारणों को खारिज कर दिया.

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आपने पूछा है कि 1707 इसी में बंगाल में अकाल पड़ा था या नहीं नहीं जी यह गलत है बंगाल में अकाल पड़ा था वह पड़ा था 1943 में हो रही है बहुत ही भयानक अकाल पड़ा था जिसमें लगभग 3000000 लोग भूख से तड़पकर अपनी जान दे दी है कि धन्यवाद

aapne poocha hai ki 1707 isi mein bengal mein akaal pada tha ya nahi nahi ji yah galat hai bengal mein akaal pada tha vaah pada tha 1943 mein ho rahi hai bahut hi bhayanak akaal pada tha jisme lagbhag 3000000 log bhukh se tadapakar apni jaan de di hai ki dhanyavad

आपने पूछा है कि 1707 इसी में बंगाल में अकाल पड़ा था या नहीं नहीं जी यह गलत है बंगाल में अक

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बंगाल में भयंकर अकाल कब पड़ा था? - bangaal mein bhayankar akaal kab pada tha?
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एक विनाशकारी अकाल ने सन 1769 और सन 1773 के बीच बंगाल और बिहार के तमाम क्षेत्रों सहित भारत के निचले गंगा के मैदानी इलाकों को भी बुरी तरह प्रभावित किया था, जिससे तब एक तिहाई आबादी की मृत्यु हो गई थी. भुखमरी और अकाल से उत्पन्न महामारियों से लगभग 10 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गयी थी. इस अकाल ने असम, ओडिशा, झारखंड और बांग्लादेश के क्षेत्रों को भी प्रभावित किया था. इन क्षेत्रों पर तब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
यह अकाल उन कई अकालों और अकाल से उत्पन्न महामारियों में से एक है जिसने 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप को बिलकुल तबाह कर दिया था.

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बंगाल में भयंकर अकाल कब पड़ा था? - bangaal mein bhayankar akaal kab pada tha?

Source: Safalta

इस अकाल का जिम्मेदार मौसम के साथ साथ ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के संयोजन को भी ठहराया जाता है. अकाल की शुरुआत सन 1769 में एक असफल मानसून से हुयी, जिसके कारण व्यापक सूखा और लगातार दो चावल की फसलों की खेती असफल हो गई . 1765 के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी की शोषणकारी कर राजस्व नीतियों के साथ हीं युद्ध की तबाही ने ग्रामीण आबादी के आर्थिक संसाधनों को पंगु बना दिया.

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Bengal Famine of 1770 के कारण -

  • प्लासी और बक्सर की लड़ाई के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल पर दीवानी अधिकार हासिल कर लिया था .
  • नवाब केवल नाममात्र का प्रमुख था जबकि वास्तविक शक्ति कंपनी के प्रमुख के पास थी.
  • कंपनी केवल अपने लिए राजस्व और मुनाफे में अधिक से अधिक वृद्धि करने में रुचि रखती थी, जबकि स्थानीय किसानों और अन्य लोगों की दुर्दशा पूरी तरह से अनभिज्ञ थी.
  • कंपनी के शासन से पहले, भू-राजस्व पर कर की दर कृषि उपज का केवल 1/10वां हिस्सा थी. लेकिन कंपनी ने इसे रातों रात बढ़ाकर 50% उत्पाद कर दिया.
  • जिन किसानों ने अपनी पिछली उपज से अतिरिक्त उपज का भंडारण किया था, उन्हें उपज का भण्डारण करने की अनुमति नहीं दी गयी.
  • अंग्रेजों ने किसानों को धान जैसी खाद्य फसलों के बजाय निर्यात के लिए नकदी फसलों जैसे कि खसखस और नील उगाने के लिए मजबूर कर दिया था. इससे आम लोगों के लिए खाद्य अनाज की भारी कमी हो गई.
  • सन 1768 में फसलों की मामूली कमी हुई थी जो एक खतरनाक स्थिति नहीं थी.
  • लेकिन सन 1769 में जब मानसून में पहले तो बारिश हीं नहीं हुयी और फिर उसके बाद भयंकर सूखा पड़ा. सन 1769 में भुखमरी से लोगों की मौतें होनी शुरू हुईं, लेकिन कंपनी के अधिकारियों ने इस स्थिति को नजरअंदाज कर दिया.
  • सन 1770 तक, मृत्यु संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी और लगभग 10 मिलियन लोग इस मानव निर्मित तबाही के शिकार हो गए .
  • इस सब के बाद भी कंपनी ने उन किसानों से कर एकत्र करना जारी रखा जो अकाल के कारण कृषि राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कर की दर में और वृद्धि करके भुगतान कर सकते थे.
  • यह अकाल काफी हद तक कंपनी की कर और राजस्व नीतियों और बढ़ती भुखमरी के प्रति कंपनी के अधिकारियों की उदासीनता के कारण उत्पन्न हुआ था. 
जाने क्या था बंगाल का अकाल, ब्रिटिश नीतियों की विफलता

Bengal Famine of 1770 के अकाल के परिणाम -

  • इस अकाल के दूरगामी परिणाम हुए जिसने न केवल भारतीय उपमहाद्वीप को बल्कि दुनिया को भी हमेशा के लिए बदल दिया:
  • अकाल की स्थिति सन 1770 तक अच्छी वर्षा होने के कारण शांत हो गई लेकिन स्थानीय आबादी के 1/3% पर दावा करने से पहले नहीं.
  • अकाल के परिणामस्वरूप भूमि का एक बड़ा हिस्सा बंजर हो गया था.
  • इस अकाल के परिणामस्वरूप बहुत सारी कृषि भूमि दशकों तक जंगल बनी रही.
  • इसके परिणामस्वरूप बंगाल में ठगों और डकैतों के बैंड का खतरा बहुत बढ़ गया था.
  • विश्व स्तर पर, 1765 में ईस्ट इंडिया कंपनी का लाभ पंद्रह मिलियन रुपये से बढ़कर 1777 में तीस मिलियन हो गया.
  • मुनाफे में भारी उछाल के बावजूद, कंपनी को आर्थिक रूप से नुकसान होता रहा और 1773 में चाय अधिनियम पारित करने के लिए संसद को प्रभावित किया गया.
  • अधिनियम ने करों के भुगतान के बिना, अमेरिकी उपनिवेशों को चाय के सीधे शिपमेंट की अनुमति दे दी. इससे स्थानीय व्यापारी इस कदर नाराज हो गए कि उन्होंने इस कदम का विरोध करना शुरू कर दिया.

    बंगाल में भयंकर अकाल कब पड़ा था? - bangaal mein bhayankar akaal kab pada tha?

    ऐसा ही एक विरोध सन 1773 की बोस्टन टी पार्टी का विरोध था.
  • विरोध के परिणाम स्वरुप अंततः सन 1776 में अमेरिकी क्रांति में परिणत होने वाली घटनाओं की एक लम्बी श्रृंखला ने जन्म लिया.
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बंगाल का सबसे भयानक अकाल कब पड़ा था?

वर्ष 1943 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध अपने चरम पर था, तब बंगाल में भारी अकाल पड़ा था जिसमें लाखों लोग मारे गए थे.

बंगाल में भयंकर अकाल कब पड़ा * 1 Point 1768 1770 1775?

१७७० का बांगाल का भीषण अकाल (बांग्ला : ৭৬-এর মন্বন্তর, छिअत्तरेर मन्वन्तर = छिहत्तर का अकाल) एक भीषण अकाल था जिससे गंगा के मैदान का निचला भाग (वर्तमान समय का बिहार और बंगाल) बुरी तरह प्रभावित हुआ था। यह अकाल १७६९ से १७७३ (बांग्ला पंचांग के अनुसार ११७८ से ११८०) तक रहा।

अकाल कब और कहां पड़ा था?

1860 के बाद 25 बड़े अकाल आए। इन अकालों की चपेट में तमिलनाडु, बिहार और बंगाल आए। 1876, 1899, 1943-44, 1957, 1966 में भी अकाल ने तबाही मचाई थी। उड़ीसा, बंगाल, बिहार आदि पिछड़े राज्यों में लोग कई-कई दिनों तक भूखे रहते थे।

वह कौन सा स्थान है जहां 12 वर्ष तक अकाल पड़ा था?

मगध में 12 वर्षों का भीषण अकाल कब पड़ा? - Quora.