भारतीयों को एकता के सूत्र बांधने का मूल क्या है? - bhaarateeyon ko ekata ke sootr baandhane ka mool kya hai?

हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए हम सबों को घर से लेकर दफ्तर तक अधिक से अधिक इसका प्रयोग करना होगा। देश को एक सूत्र में बांधने के लिए हिंदी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ये बातें बीसीसीएल के सीएमडी अजय कुमार सिंह ने शनिवार को कोयला भवन में आयोजित हिंदी पखवारा 2018 के उद्घाटन समारोह में कही। उन्होंने कहा, हिंदी में कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि हम मूल रूप से कार्यक्रम में इसका प्रयोग करें। देश को एक सूत्र में बांधने के लिए हिंदी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हमारा यह दायित्व बनता है कि हम घर बाहर सब जगह हिंदी का ही अधिक से अधिक प्रयोग करें। भारत में प्राचीन काल से ही बहुत समृद्ध ज्ञान अपनी भाषाओं में रहा है। ज्ञान बढ़ाने के लिए चाहे जितनी भाषाएं सीख ली जाएं, लेकिन हमें गर्व अपनी भाषा पर ही होनी चाहिए। निदेशक वित्त के एस राजशेखर ने कहा कि राजभाषा पखवाड़ा के अवसर पर आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिताओं में सभी अधिकारी, कर्मचारी बड़ी संख्या में भागीदारी निभाएं। निदेशक तकनीकी (योजना व परियोजना) एन के त्रिपाठी ने कहा कि कार्यालय में हिंदी का राजभाषा के रूप में प्रयोग करना हम सबका संवैधानिक दायित्व है । मुख्य सतर्कता अधिकारी कुमार अनिमेष ने कहा कि हिंदी देश की एकता बनाए रखने में महत्वपूर्ण कड़ी है। हिंदी में काम करने पर हमें गर्व का प्रतीक होना चाहिए। इसमें किसी के मन में कोई हीन भावना नहीं आनी चाहिए। जीएम राजभाषा राजपाल यादव ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके जीवन वृत्त व कविताओं से संबंधित वीडियो का प्रदर्शन किया गया।

वर्ष 1947 के पहले छह महीने भारत के इतिहास में अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण रहे थे। साम्राज्‍यवादी शासन के साथ-साथ भारत का विभाजन भी अपने अंतिम चरण में पहुंच गया था। हालांकि,  उस समय यह तस्‍वीर पूरी तरह से साफ नहीं थी कि क्‍या देश का एक से अधिक बार विभाजन होगा। कीमतें आसमान पर पहुंच गई थीं, खाद्य पदार्थों की कमी आम बात हो गई थी, लेकिन इन बातों से परे सबसे बड़ी चिंता भारत की एकता को लेकर नजर आ रही थी, जो खतरे में थी।

इस पृष्‍ठभूमि में ‘गृह विभाग’ का बहुप्रतीक्षित गठन वर्ष 1947 के जून महीने में किया गया। इस विभाग का एक प्रमुख लक्ष्‍य उन 550 से भी अधिक रियासतों से भारत के साथ उनके रिश्‍तों के बारे में बातचीत करना था जिनके आकार, आबादी, भू-भाग अथवा आर्थिक स्थितियों में काफी भिन्‍नताएं थीं। उस समय महात्‍मा गांधी ने कहा था कि, ‘‘राज्‍यों की समस्‍या इतनी ज्‍यादा विकट है कि सिर्फ ‘आप’ ही इसे सुलझा सकते हैं।’’ यहां पर ‘आप’ से आशय किसी और से नहीं, बल्कि सरदार वल्‍लभभाई पटेल से है जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं और जिन्‍हें हम भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

अपनी विशिष्‍ट सरदार पटेल शैली में उन्‍होंने सटीक तौर पर सुदृढ़ता और प्रशासनिक दक्षता के साथ इस चुनौती को पूरा किया। समय कम था और जवाबदेही बहुत बड़ी थी। लेकिन, इसे अंजाम देने वाली शख्सियत कोई साधारण व्‍यक्ति नहीं, बल्कि सरदार पटेल ही थे, जो इस बात के लिए दृढ़प्रति‍ज्ञ थे कि वह किसी भी सूरत में अपने राष्‍ट्र को झुकने नहीं देंगे। उन्‍होंने और उनकी टीम ने एक-एक करके सभी रियासतों से बातचीत की और इन सभी रियासतों को ‘आजाद भारत’ का अभिन्‍न हिस्‍सा बनाना सुनिश्चित किया।

सरदार पटेल ने पूरी तन्‍मयता और लगन से दिन-रात एक करते हुए इस कार्य को पूरा किया और इसी शैली की बदौलत ही आधुनिक भारत का वर्तमान एकीकृत मानचित्र हम देख रहे हैं।

भारतीयों को एकता के सूत्र बांधने का मूल क्या है? - bhaarateeyon ko ekata ke sootr baandhane ka mool kya hai?

कहा जाता है कि वी. पी. मेनन ने स्वतंत्रता मिलने पर सरकारी सेवा से अवकाश लेने की इच्छा व्यक्त की। इस पर सरदार पटेल ने उनसे कहा कि समय आराम करने या सेवा निवृत्त होने का नहीं है। सरदार पटेल का ऐसा दृढ़ संकल्प था। वी. पी. मेनन विदेश विभाग के सचिव बनाए गए। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘द स्टोरी ऑफ द इंटीग्रेशन ऑफ इंडियन स्टेट्स’ में लिखा है कि किस तरह सरदार पटेल ने इस मुहिम में अग्रणी भूमिका निभाई और अपने नेतृत्‍व में किस प्रकार पूरी टीम को परिश्रम से काम करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लिखा है कि सरदार पटेल के लिए सबसे पहले भारत की जनता के हित थे, जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

हमने 15 अगस्त, 1947 को नए भारत के उदय का उत्सव मनाया। लेकिन राष्ट्र निर्माण का कार्य अधूरा था। स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री के रूप में उन्होंने प्रशासनिक ढांचा बनाने का काम प्रारंभ किया जो आज भी जारी है- चाहे यह दैनिक शासन संचालन का मामला हो तथा लोगों विशेषकर, गरीब और वंचित लोगों के हितों की रक्षा का मामला हो।

सरदार पटेल अनुभवी प्रशासक थे। प्रशासन में उनका अनुभव विशेषकर 1920 के दशक में अहमदाबाद नगरपालिका में उनकी सेवा का अनुभव, स्वतंत्र भारत के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने में सहायक साबित हुआ। उन्होंने अहमदाबाद में स्वच्छता कार्य को आगे बढ़ाने में सराहनीय कार्य किए। उन्होंने पूरे शहर में स्वच्छता और जल निकासी प्रणाली सुनिश्चित की। उन्होंने सड़क, बिजली तथा शिक्षा जैसी शहरी अवसंरचना के अन्य पहलुओं पर भी जोर दिया।

आज यदि भारत जीवंत सहकारिता क्षेत्र के लिए जाना जाता है तो इसका श्रेय सरदार पटेल को जाता है। ग्रामीण समुदायों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने का उनका विजन अमूल परियोजना में दिखता है। यह सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने सहकारी आवास सोसाइटी के विचार को लोकप्रिय बनाया और इस प्रकार अनेक लोगों के लिए सम्मान और आश्रय सुनिश्चित किया।

सरदार पटेल निष्ठा और ईमानदारी के पर्याय रहे। भारत के किसानों की उनमें प्रगाढ़ आस्था थी। वह किसान पुत्र थे, जिन्होंने बारदोली सत्याग्रह के दौरान अगली कतार से नेतृत्व किया। श्रमिक वर्ग उनमें आशा की किरण देखता था, एक ऐसा नेता देखता था जो उनके लिए बोलेगा। व्यापारी और उद्योगपतियों ने उनके साथ इसलिए काम करना पसंद किया, क्योंकि वे समझते थे कि सरदार पटेल भारत के आर्थिक और औद्योगिक विकास के विजन वाले दिग्गज नेता हैं।

भारतीयों को एकता के सूत्र बांधने का मूल क्या है? - bhaarateeyon ko ekata ke sootr baandhane ka mool kya hai?

 

उनके राजनैतिक मित्र भी उन पर भरोसा करते थे। आचार्य कृपलानी का कहना था कि जब कभी वह किसी दुविधा में होते थे और यदि बापू का मार्गदर्शन नहीं मिल पाता था तो वह सरदार पटेल का रूख करते थे। 1947 में जब राजनैतिक समझौते के बारे में विचार-विमर्श अपने चरम पर था, तब सरोजिनी नायडू ने उन्‍हें ‘‘संकल्‍प शक्ति वाले गतिशील व्‍यक्ति’’ की संज्ञा दी।

उनके शब्‍दों और उनकी कार्य प्रणाली पर सभी को पूरा विश्वास था। जाति, धर्म, आयु से ऊपर उठकर सभी लोग सरदार पटेल का सम्‍मान करते थे।

इस वर्ष सरदार की जयंती और अधिक विशेष है। 130 करोड़ भारतीयों के आशीर्वाद से आज ‘स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन किया जा रहा है। नर्मदा के तट पर स्थित ‘स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी’ दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक है। धरती पुत्र सरदार पटेल हमारा सिर गर्व से ऊंचा करने के साथ हमें दृढ़ता प्रदान करेंगे, हमारा मार्गदर्शन करेंगे और हमें प्रेरणा देते रहेंगे।

मैं उन सभी को बधाई देना चाहता हूं जिन्‍होंने सरदार पटेल की इस विशाल प्रतिमा को हकीकत में बदलने के लिए दिन-रात काम किया। मैं 31 अक्‍टूबर, 2013 के उस दिन को याद करता हूं जब हमने इस महत्‍वाकांक्षी परियोजना की आधारशिला रखी थी। रिकॉर्ड समय में, इतनी बड़ी एक परियोजना तैयार हो गई और प्रत्‍येक भारतीय को इससे गौरवान्वित होना चाहिए। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आने वाले समय में ‘स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी’ को देखने आएं।

भारतीयों को एकता के सूत्र बांधने का मूल क्या है? - bhaarateeyon ko ekata ke sootr baandhane ka mool kya hai?

‘स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी’ दिलों की एकता और हमारी मातृभूमि की भौगोलिक एकजुटता का प्रतीक है। यह याद दिलाता है कि आपस में बंटकर शायद हम डटकर मुकाबला नहीं कर पाएं। एकजुट रहकर, हम दुनिया का सामना कर सकते हैं और विकास तथा गौरव की नई ऊंचाइयों को छू सकते हैं।

देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन।

We bow to the great Sardar Patel, the stalwart who unified India and served the nation tirelessly, on his Jayanti.

— Narendra Modi (@narendramodi) October 31, 2018

सरदार पटेल ने उपनिवेशवाद के इतिहास को ढहाने के लिए अभूतपूर्व गति से काम किया और राष्‍ट्रवाद की भावना के साथ एकता के भूगोल की रचना की। उन्‍होंने भारत को छोटे क्षेत्रों अथवा राज्‍यों में विभाजित होने से बचाया और राष्‍ट्रीय ढांचे में सबसे कमजोर हिस्‍सों को जोड़ा। आज, हम, 130 करोड़ भारतीय नये भारत का निर्माण करने के लिए कंधे के कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं जो मजबूत, समृद्ध और समग्र होगा। प्रत्‍येक फैसला यह सुनिश्चित करके किया जा रहा है कि विकास का लाभ भ्रष्‍टाचार अथवा पक्षपात के बिना समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक पहुंचे जैसा कि सरदार पटेल चाहते थे।

भारतीयों को एकता सूत्र में बांधने का मूल क्या है?

राष्ट्रीय भाषा का विकास – प्रत्येक राष्ट्र अपने नागरिकों को किसी अमुख भाषा के द्वारा राष्ट्र की सम्पूर्ण विचारधारा तथा साहित्य की शिक्षा प्रदान करके समाज की विभिन्न इकाईयों, राज्यों तथा जातियों एवं प्रजातियों को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास करता है। इससे राष्ट्रीय भाषा का विकास हो जाता है।

भारतीयों की एकता के मूल में मुख्य क्या है?

आज भी भारत में एक भौगोलिक एकता की प्राप्ति शामिल है। सबसे पहले, विभिन्न धार्मिक समूहों, जैसे कि हिंदू, मुस्लिम, ईसाई आदि के बीच एकता। इन सभी धर्मों में कुछ सामान्य सिद्धांत हैं जैसे परोपकार के सिद्धांत, ईमानदारी, एक अदृश्य शक्ति में विश्वास, जीवन का मूल्य आदि। दूसरे, हिंदू धर्म के विभिन्न संप्रदायों के बीच एकता

एकता का सूत्र क्या है?

हिंदीराष्ट्र भाषा ही नहीं, राजभाषा भी है और इसमें शत प्रतिशत कार्यालयीन काम करना हमारा संवैधानिक दायित्व है। देश की संपर्क भाषा के साथ-साथ पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोती है।

हिंदी भारत को एकता के सूत्र में बांधने में क्या योगदान कर सकती है?

आंदोलन के दौरान संपूर्ण देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम भी हिंदी भाषा ने किया। 20 वीं शताब्दी के पहले दशक में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देश के सभी नेता एक ऐसी भाषा की तीब्र आवश्यकता का अनुभव कर रहे थे, जिससे वे अपनी बात पूरे देश तक सीधे-सीधे पहुंचा सकें। इसमें हिंदी और अहिंदी भाषी क्षेत्र के सभी नेता शामिल थे।