शिक्षण अधिगम के मनोविज्ञान से आप क्या समझते हैं अधिगम के क्षेत्र में इसके योगदान की चर्चा कीजिए? - shikshan adhigam ke manovigyaan se aap kya samajhate hain adhigam ke kshetr mein isake yogadaan kee charcha keejie?

अधिगम ( Learning ) का अर्थ : अधिगम को शिक्षा मनोविज्ञान का दिल कहा गया है। अधिगम का शिक्षा के क्षेत्र में विशेष स्थान बताया गया है। क्योंकि शिक्षा का सर्व प्रथम उद्देश्य ही सीखना है। हम सभी जानते है मनुष्य का जीवन जन्म से लेकर मृत्यु तक सीखना ही है। घर, स्कूल एवं अपने आस – पास के वातावरण से मनुष्य कुछ ना कुछ सीखता ही रहता है और अपना सर्वपक्षीय विकास करता है।

आज हम देखते है सीखने की प्रक्रिया द्वारा दुनिया बहुत छोटी हो गई है। विभिन्न प्रकार के अनुभवों की वजह से मनुष्य के स्वाभाविक व्यवहार में जो परिवर्तन होता है उस प्रक्रिया अधिगम या सीखना कहते है।

इस उदाहरण द्वारा समझते है – जब कोई छोटा बच्चा जलती हुई दियासलाई को हाथ लगाता है तो उस का हाथ जल जाता है ( उसे कड़वा अनुभव होता है। ) दूसरी बार वह जलती हुई किसी भी वस्तु की तरफ़ हाथ बढ़ाने का साहस नही करेगा ।

अधिगम को अधिक विस्तार से समझने के लिए नीचे दिये परिभाषाएं को देखे –

  1. गेट्स व अन्य – ‘ अनुभव के द्वारा व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को सीखना या अधिगम कहते है। “
  2. क्रो एण्ड क्रो के अनुसार – ” सीखने के अंतर्गत आदतें , ज्ञान तथा व्यवहार को ग्रहण करना शामिल है। “
  3. पाल के अनुसार – ” अधिगम, व्यक्ति में एक परिवर्तन है जो उसके वातावरण के परिवर्तनों के अनुसार होता है। “

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि –

  1. अधिगम द्वारा मनुष्य के व्यवहार में परिवर्तन होता है।
  2. सीखना नए अनुभव ग्रहण करता है।
  3. यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है।
  4. यह एक सृजनात्मक पद्धति है।
  5. यह स्थानान्तरित होता है।
  6. सीखना सार्वभौमिक है।
  7. सीखना एक प्रक्रिया है न कि परिणाम ।
  8. यह एक मानासिक प्रक्रिया है।
  9. यह प्रगति और विकास है।
सीखने का स्वरूप अथवा प्रकृति

अधिगम के स्वरूप के बारे में द्वाष्टिकोण –

  1. व्यवहारवादी द्वाष्टिकोण – व्यवहारवादियों का विचार है कि अधिगम अनुभव के परिणाम के तौर पर व्यवहार में परिवर्तन का नाम है। मनुष्य तथा दूसरें प्राणी वातावरण में प्रतिक्रिया करते हैं। बच्चा जन्म से ही अपने वातावरण से कुछ सीखने का प्रयत्न करता है।
  2. गैस्टालट दृष्टिकोण – इस दृष्टिकोश के अनुसार अधिगम का आधार गिस्टालट ढ़ांचे पर निर्भर है। अधिगम सम्पूर्ण स्थिति की सम्पूर्ण प्रतिक्रिया है।
  3. होरमिक  दृष्टिकोण – यह दृष्टिकोण मैक्डूगल की देन है। यह अधिगम के लक्ष्य – केन्दित स्वरूप पर जोर देता है। अधिगम लक्ष्य को सामने रखकर किया जाता है।
  4. प्रयत्न तथा भूल दृष्टिकोण – यह दृष्टिकोण  थार्नडाइक की देन है। उसने बिल्लियों, कुत्तों तथा मछलियों पर बहुत से प्रयोग करके या निष्कर्ष निकाला कि वे प्रयत्न तथा भूल से बहुत कुध सीखते हैं।
  5. अधिगम का क्षेत्रीय द्वाष्टिकोण –  कर्ट लीविन ने इस द्वाष्टिकोण को प्रिपादित किया है। उसने लिखा है कि अधिगम परिस्थिति का प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक संगठन है  और सीखने में प्रेरणा का महत्वपूर्ण हाथ है।

See also  समाजीकरण एवं शिक्षा Socialization and Education:

  अधिगम की विशेषताएं

  1. अधिगम लगातार चलने वाली प्रक्रिया है – मनुष्य जीवन भर अधिगम करता है जब तक उसकी मृत्यु नही हो जाती वह कुछ ना कुध सिखाता ही रहता है। यह प्रक्रिया  प्रत्यक्ष और अत्यक्ष रूप से जीवन भर चलता रहता है। इसमें व्यक्ति के ज्ञान, अनुभव, आदतें, रुचियां का विकास होता रहता है ।
  2. अधिगम अनुकूलन प्रक्रिया है – अधिगम का अनुकूलन में विशेष योगदान होता है। जन्म के बाद कुछ देर तक बच्चा दूसरों पर निर्भर रहता है बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार उसे ढलना पड़ता है। वह वातावरण के साथ अधिगम के आधार पर ही अनुकूलन करता है ।
  3. अधिगम सार्वभौमिक प्रक्रिया है – सीखना किसी एक मनुष्य या देश का अधिकार नही यह दुनिया के हर एक कोने में रहने वाले हर एक व्यक्ति के लिए है।
  4. अधिगम व्यवहार में परिवर्तन है – सीखना किसी भी तरह का हो उसके व्यवहार में आवश्यक ही परिवर्तन होगा। यह साकारात्मक या नाकारात्मक किसी भी रूप में हो सकता है।
  5. अधिगम उद्देश्यपूर्ण  एवं लक्ष्य केन्द्रित है – अगर हमारे पास कोई उद्देश्य नहीं है तो हमारे अधिगम का प्रभाव परिणाम के रूप में दिखाई नहीं देगा। जैसे जैसे विद्यार्थी सीखता है वैसे वैसे वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता जाता है।
  6. अधिगम पुराने और नए अनुभवों का योग – पुराने अनुभवों के आधार पर ही नए अनुभव ग्रहण होते है और एक नई व्यवस्था बनती है और यही सीखने का आधार है।
  7. अधिगम, शिक्षण अधिगम उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक – शिक्षण अधिगम उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अधिगम का सहरा लेना पड़ता है। इस साधन के द्वारा ही प्रभावशाली ज्ञान, सूझबूझ , रूचियां , द्वाष्टिकोण विकासित होता है।
  8. अधिगम का स्थानान्तरण – एक स्थिति में या किसी एक साधन द्वारा प्राप्त किया गया ज्ञान दूसरी अन्य परिस्थितियों में ज्ञान की प्राप्ति के लिए सहायक सिद्ध होता है, इसको अधिगम का स्थानान्तरण कहते हैं।
  9. अधिगम विवेकपूर्ण है – अधिगम कोई तकनीकी क्रिया नही है बाल्कि विवेकपूर्ण कार्य है जिसे बिना दिमाग के नहीं सीखा जा सकता । इस में बुद्धि का प्रयोग आति आवश्यक है।

See also  मन्द बुद्धि बालक (Mentally Retarded Children)

10.अधिगम जीवन की मूलभूत प्रक्रिया –  अधिगम के बिना जीवन सफलतापूर्वक जीना और इसकी प्राति होना असम्भव है।

11.अधिगम व्यक्ति के सर्वागीण  विकास में सहायक – व्यक्ति का संतुलित और सर्वागीण विकास अधिगम के आधार पर हो सकता है।

12.अधिगम सक्रिय तथा सुजात्मक – अधिगम की प्रक्रिया में सीखने वाला सदा सक्रिय रहता है और सृजनात्मक कार्य करता है। इसी से उसे नए अनुभव होते हैं।

13.अधिगम चेतन और अचेतन अनुभव – अनुभव अधिगम सीखने वाले व्यक्ति के द्वारा जानबूझ कर अनजाने में अर्जित किया जा सकता है।

14.अधिगम विकास की प्रक्रिया – अधिगम किसी भी दिशा में हो सकता है लेकिन समाज में इच्छित दिशा में किया गया अधिगम ही स्वीकृत होता है और इसे ही हमेंशा विकास के द्वाष्टिकोण से देखा जाता है।

15.अधिगम द्वारा व्यवहार के सभी पक्ष प्रभावित – अधिगम द्वारा व्यक्ति के व्यवहारों के सभी पक्ष जैसे कौशल ज्ञान दृष्टिकोण, व्यक्तित्व शिष्टाचार, भय और रूचियां प्रभावित होती हैं।

शिक्षण अधिगम मनोविज्ञान से आप क्या समझते हैं?

शिक्षा मनोविज्ञान सीखने के नियमों, सिद्धान्तों तथा विधियों का ज्ञान प्रदान करता है। प्रभावशाली शिक्षण के लिए यह आवश्यक है कि अध्यापक सीखने की प्रकृति, सिद्धान्त, विधियों के ज्ञान के साथ-साथ सीखने में आने वाली कठिनाइयों को समझे तथा उनको दूर करने के विभिन्न उपायों से भी भलीभांति परिचित हो।

शिक्षा मनोविज्ञान से आप क्या समझते हैं शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र का वर्णन कीजिए?

शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसका ध्येय शिक्षण की प्रभावशाली तकनीकों को विकसित करना तथा अधिगमकर्ता की योग्यताओं एवं अभिरूचियों का आंकलन करना है। यह व्यवहारिक मनोविज्ञान की शाखा है जो शिक्षण एवं सीखने की प्रकिया को सुधारने में प्रयासरत है।

अधिगम से आप क्या समझते हैं अधिगम के विभिन्न स्तरों की उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए?

अधिगम का सामान्य अर्थ सीखना है। अधिगम एक निरंतर चलने वाली सार्वभौमिक प्रक्रिया है। अधिगम का अर्थ सीखना अथवा व्यवहार म परिवर्तन है यह परिवर्तन अनुभव के द्वारा प्राप्त होते है। उदाहरण:- छोटा बच्चा एक भाप निकलती दूध की गिलास को स्पर्श करता है जैसे ही उसका हाथ जलने लगता है वह अपने हाथ को तुरंत हटा लेता है।

शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा मनोविज्ञान का क्या योगदान है?

शिक्षा मनोविज्ञान- शिक्षा को सर्वप्रथम वैज्ञानिक रूप देने का श्रेय शिक्षा मनोविज्ञान को ही जाता है। मनोविज्ञान की इस शाखा में मनोविज्ञान की विषय-वस्तु का उपयोग शैक्षणिक समस्याओं के समाधान करने हेतु किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान विशेष तौर से विद्यार्थियों के व्यवहार परिवर्तनों का अध्ययन करता है ।