राजस्थान में सबसे अधिक क्या पाया जाता है? - raajasthaan mein sabase adhik kya paaya jaata hai?

  1. कच्चा लोहा
  2. मैग्नीशियम
  3. एस्बेस्टस
  4. चूनापत्थर

Answer (Detailed Solution Below)

राजस्थान में सबसे अधिक क्या पाया जाता है? - raajasthaan mein sabase adhik kya paaya jaata hai?

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राजस्थान में सबसे अधिक क्या पाया जाता है? - raajasthaan mein sabase adhik kya paaya jaata hai?

सही उत्तर विकल्प (3) अर्थात एस्बेस्टस है।

Key Points

  • राजस्थान और आंध्र प्रदेश लगभग पूरे भारत के एस्बेस्टस का उत्पादन करते हैं।
  • एस्बेस्टस का उत्पादन बड़े पैमाने पर राजस्थान राज्य के उदयपुर, डूंगरपुर, अलवर, अजमेर और पाली जिलों में किया जाता है।
  • एस्बेस्टस एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल छह प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सिलिकेट खनिजों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
  • इसका उपयोग विद्युत इन्सुलेशन और बिल्डिंग इन्सुलेशन जैसे अनुप्रयोगों में किया जाता है। यह बिल्डिंग, बंधनकारी, और वस्तुओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण है।
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देश में राजस्थान खनिज संसाधन की दृष्टि से एक सम्पन्न राज्य है। इसलिए राजस्थान को “खनिजों का अजायबघर” कहा जाता है। राज्य में खनिजों की खोज व उनके दोहन हेतु खान एवं भू-विज्ञान विभाग की स्थापना 1949 ई. में की गई। देश के कुल खनिज उत्पादन में राजस्थान का योगदान 22 प्रतिशत है।

खनिज भण्डारों की दृष्टि से झारखण्ड के बाद राजस्थान का दूसरा स्थान तथा खनिज उत्पादन की दृष्टि से तीसरा स्थान है। देश में सर्वाधिक खानें राजस्थान में है। भारत में  सीसा-जस्ता, जास्पर, वोलेस्टोनाइट केल्साइट, सेलेनाइट व गार्नेट का समस्त उत्पादन राजस्थान में ही होता है।

टंगस्टन, जिप्सम, फ्लोराइट, मार्बल, एस्बेस्टोस, राकफास्फेट, फेल्सपार,फास्फोराइट, ऑकर, फायर क्ले, बाल क्ले, टेल्क-सोपस्टोन-स्टेटाईट एवं चाँदी के उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है।

राजस्थान में पाये जाने वाले प्रमुख खनिज संसाधन-

कर्म संबंधों ...

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कर्म संबंधों का ज्योतिष।

  1. धात्विक खनिज- लोहा, चाँदी, टंगस्टन, मैंगनीज, सीसा, जस्ता, ताँबा।
  2. अधात्विक खनिज- एस्बेस्टॉक, वोलस्टोनाईट, वरमीक्यूलाइट, फेल्सपार, सिलिका रेत, क्वार्टज, मैग्नेसाइट, डोलोमाइट, चायना क्ले, बालक्ले, फायरक्ले, पन्ना, गार्नेट, जिप्सम, राकफ़ॉस्फेट, पाइराइटस, चूना पत्थर, फ्लोर्सपार, बेराइटस, बेन्टोनाइट, मुल्तानी मिट्टी, संगमरमर, ग्रेनाइट, इमारती पत्थर, सोपस्टोन, कैल्साइट, गेरू, नमक, अभ्रक, केओलिन, स्लेट पत्थर।
  3. ईंधन खनिज- लिग्नाइट, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस।
  4. आणविक खनिज- लिथियम, युरेनियम, बेरिलियम, थोरियम, ग्रेफाइट।

राजस्थान में खनिज संसाधन

लौह अयस्क

प्राप्ति स्थल- मोजिला बानोला (जयपुर-सर्वाधिक भंडार), नीमला राइसेला (दौसा), डाबला-सिंघाना (झुंझुनूं), नाथरा की पाल, थूर हुंडेर (उदयपुर), राजगढ़, पुरवा (अलवर), सीकर, भीलवाड़ा। यह अयस्क जलज एवं आग्नेय चट्टानों से प्राप्त होता है।

हेमेटाइट, मैग्नेटाइट, लिमोनाइट, लैटेराइट मुख्य अयस्क हैं। राजस्थान में मुख्य रूप से हैमेटाइट व लिमोनाइट किस्म का लौह अयस्क प्राप्त होता है। राज्य में उच्च किस्म का हैमेटाइट लोहा अलवर, दौसा, जयपुर, झुंझुनूं, सीकर व उदयपुर में तथा मैग्नेटाइट किस्म का लोहा भीलवाड़ा, झुंझुनूं व सीकर जिले में पाया जाता है।

विश्व में लौह अयस्क भंडारों की दृष्टि से भारत का छठा स्थान है। भारत स्पंज आयरन का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

सीसा-जस्ता

प्राप्ति स्थल- जावर, मोचिया-मगरा, बल्लारिया, देबारी (उदयपुर), राजपुरा-दरीबा  (राजसमन्द), रामपुरा-आगूचा (भीलवाड़ा), चौथ का बरवाड़ा (सवाई माधोपुर), गुढ़ा-किशोरीदास (अलवर)। सीसा-जस्ता मिश्रित अयस्क गैलेना से निकलता है।

इसके अलावा कैलेमीन, जिंकाइट, विलेमाइट, पाइरोटाइट मुख्य अयस्क है। सीसा-जस्ता सामान्यतः चाँदी के साथ मिलता है। भारत की सबसे बड़ी जिंक निकालने वाली कम्पनी हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की राजस्थान में सीसा-जस्ता का खनन करती है।

रामपुरा-आगूचा (भीलवाड़ा) विश्व की सबसे बड़ी सीसे व जस्ते की सिंगल ओपन कास्ट खान है। सीसा जस्ता का सर्वाधिक जमाव-जावर क्षेत्र(उदयपुर) में है। चितौड़गढ़ में स्थित चंदेरिया जिंक स्मेल्टर का उद्घाटन 25 जून, 2005 में किया गया।

जस्ता गलाने पर उपोत्त्पति के रूप में सुपर फ़ॉस्फेत एसिड व कैडमियम प्राप्त होते हैं।

चाँदी-

चाँदी विद्युत की सर्वाधिक सुचालक होती है। इसके प्रमुख अयस्क आर्गेनाटाइट, पाइराजाइराइट व हॉर्न सिल्वर है। चाँदी के भंडार एवं उत्पादन की दृष्टि से भारत में राजस्थान का प्रथम स्थान है। चंदेरिया प्लांट (चितौड़गढ़) से भारत में चाँदी सर्वाधिक उत्पादन होता है।

भारत विश्व में चाँदी का सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं आयातक देश है।

तांबा-

प्राप्ति स्थल- खेतड़ी-सिंघाना क्षेत्र (झुंझुनूं), खो-दरीबा (अलवर), देलवाड़ा-किरोवली (सिरोही), अंजनी, सलुम्बर (उदयपुर), रेलमगरा (राजसमन्द), रघुनाथपुरा (सीकर), बीदासर (चुरू), देवतलाई, पुर दरीबा (भीलवाड़ा), अजमेर, भरतपुर, चितौड़गढ़, दौसा, डूंगरपुर आदि। तांबा आग्नेय, अवसादी व कायांतरित चट्टानों से प्राप्त होता है।

यह बहुत ही लचीला व विद्युत का सुचालक होने के कारण विद्युत उपकरणों में उपयोगी है। राजस्थान में तांबा शोधन हेतु खेतड़ी तांबा स्मेल्टर संयत्र की स्थापना खेतड़ी (झुंझुनूं) में 1974 में की गई तथा 5 फरवरी, 1975 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया।

झुंझुनूं को राजस्थान का ‘तांबा जिला (ताम्र नगरी)’ कहा जाता है। तांबे के उत्पादन में झारखण्ड के बाद राजस्थान का दुसरा स्थान है। सिंघाना क्षेत्र देश की सबसे बड़ी खान। यहां पर भारत सरकार का उपक्रम हिन्दुस्तान कोपर लि. स्थित है। जो फ्रांस के सहयोग से स्थापित किया गया।

तांबे को गलाने पर उत्पाद के रूप में सल्फ्युरिक एसिड प्राप्त होता है। जो सुपर-फास्फेट के निर्माण में प्रयुक्त होता है।

टंगस्टन-

प्राप्ति स्थल- डेगाना (नागौर), नाना कराब (पाली), आबू रेवदर, बाल्दा क्षेत्र (सिरोही) । इसके प्रमुख अयस्क वोल्प्रोमाइट, वूलफ्राम या शीलाइट है। यह अत्यधिक लचीली, भंगुर व उच्च गलनांक वाली धातु है। देश में राजस्थान टंगस्टन का प्रमुख उत्पादक राज्य है लेकिन वर्त्तमान में उत्पादन बंद है।

मैंगनीज-

प्राप्ति स्थल- लिलवाना, तलवाड़ा, तामेसरा, कालसा (बाँसवाड़ा), देबारी, नैगाडिया (उदयपुर), नाथद्वारा (राजसमन्द), रेवसा (सवाईमाधोपुर) । यह अवसादी चट्टानों से प्राप्त होता है। इसके प्रमुख अयस्क साइलोमैलीन, ब्रोनाइट, पाइरोलुसाइट है।

राजस्थान में मैंगनीज के सर्वाधिक भंडार बाँसवाड़ा जिले में है। इसका उपयोग इस्पात निर्माण, रासायनिक उद्योग व सूखे सेल में होता है।

वोलेस्टोनाइट-

प्राप्ति स्थल- बेल का भगरा (सिरोही), उदयपुर, पाली, रूपनगढ़ (अजमेर), डूंगरपुर। रासायनिक नाम कैल्शियम मेटा सिलिकेट है। इसका खनन केवल राजस्थान में होता है। यह पेंट, कागज व सिरेमिक उद्योग में काम आता है।

राक-फास्फेट-

प्राप्ति स्थल- झामरकोटड़ा, माटोन,  कानपुरा, सीसारमा, बेलागढ़, भींडर (उदयपुर), बिरमानिया व लाठी क्षेत्र (उदयपुर), करपुरा (सीकर), सालोपत (बाँसवाड़ा)। यह रासायनिक खाद (सुपर फास्फेट) के निर्माण व लवणीय भूमि के उपचार में काम आता है।

झामरकोटड़ा की खान से RSMML द्वारा राक-फास्फेट निकाला जाता है। हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की माटोन (उदयपुर) में राक-फास्फेट की खान है।

जिप्सम (हरसौंठ)-

प्राप्ति स्थल- भदवासी, फलसुंड, मद्दाना, गोठ-मांगलोद, फिलनवासी (नागौर), बिसरासर, जामसर, कायमवाला ढेर, हरकासर, कानोई, जगासरी, कोलायत, पूगल, साथूं (बीकानेर), उत्तरलाई व कवास (बाड़मेर), गंगानगर, जैसलमेर, हनुमानगढ़। यह एक परतदार खनिज है। सैलेनाइट, अलाबास्टर व स्टेन स्पर जिप्सम की प्रमुख किस्में हैं।

उर्वरक, प्लास्टर ऑफ पेरिस, गंधक के अम्ल, सीमेंट व रासायनिक पदार्थों के निर्माण तथा क्षारीय भूमि के उपचार हेतु जिप्सम का प्रयोग किया जाता है। राजस्थान में जिप्सम उत्पादन सर्वाधिक क्रमशः बीकानेर, जैसलमेर व गंगानगर में होता है।

 एस्बेस्टॉस-

प्राप्ति स्थल- ऋषभदेव, खेरवाड़ा, सलुम्बर (उदयपुर), राजसमन्द, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, पाली व अजमेर। यह सीमेंट, छत की चादरें, पाइप, भवन निर्माण सामग्री व रासायनिक उद्योगों में प्रयुक्त होता है। एस्बेस्टॉस एक रेशेदार सिलिकेट खनिज है जो अग्नि एवं विद्युत का कुचालक होता है।

फेल्सपार-

प्राप्ति स्थल- दादलिया, सांदेर, सरि, लोहारवाडा, तारागढ़ (अजमेर), मांडल व आसींद (भीलवाड़ा), चानोदिया (पाली), तालारपुर व खैरथल (अलवर)। इसका उपयोग सिरेमिक उद्योग, काँच उद्योग व टाइल अपघर्षक में होता है। देश में फेल्सपार के सर्वाधिक भंडार राजस्थान में पाए जाते हैं।

फ्लोर्सपार या फ्लोराइट-

प्राप्ति स्थल- मांडो की पाल (डूंगरपुर), जालौर, सीकर व सिरोही। इसका उपयोग सीमेंट, एसिड, लोहा व इस्पात तथा रासायनिक उद्योग में होता है। इसका बैंगनी रंग सर्वाधिक लोकप्रिय है।

केल्साइट-

प्राप्ति स्थल- सिरोही, उदयपुर, सीकर व पाली। इसका उपयोग कागज, वस्त्र, चीनी मिट्टी व पेंट निर्माण में होता है। केल्साइट का सर्वाधिक भंडार व उत्पादन राजस्थान में होता है।

अभ्रक-

प्राप्ति स्थल- दांता, भूणास, बनेडी, फूलिया (भीलवाड़ा), अजमेर, राजसमन्द व टोंक। यह आग्नेय व कायांतरित चट्टानों में प्राप्त होती है। गैग्नेटाइट, पैग्मेटाइट इसके दो मुख्य अयस्क है। सफेद अभ्रक को रूबी अभ्रक, गुलाबी अभ्रक को बायोटाइट कहते है।

अभ्रक के चूरे से चादरें बनाना माइकेनाइट कहलाता है। अभ्रक की ईंट भीलवाड़ा में बनती है।

डोलोमाईट-

प्राप्ति स्थल- राजसमन्द, उदयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा व अलवर। लोहा व इस्पात उद्योग इसका सबसे बड़ा उपभोक्ता है। राजस्थान में डोलोमाईट का सर्वाधिक उत्पादन क्रमशः उदयपुर व राजसमन्द में होता है।

वर्मिक्यूलाइट-

प्राप्ति स्थल- अजमेर व बाड़मेर। यह ताप अप्रभावी एवं ध्वनि रोधी है। इसका उपयोग बागवानी क्षेत्र में होता है।

मैग्नेसाइट-

प्राप्ति स्थल- डूंगरपुर, अजमेर, पाली व उदयपुर। यह ताप अवरोधी ईंटों व काँच उद्योग में प्रयुक्त होता है।

बेन्टोनाइट-

प्राप्ति स्थल- बाड़मेर, बीकानेर व सवाईमाधोपुर। इसका उपयोग चीनी मिट्टी के बर्तनों पर पोलिस करने, कोस्मेटिक्स, वनस्पति तेलों को साफ करने में होता है। उत्पादन में गुजरात के बाद राजस्थान का दूसरा स्थान है।

पाइराइटस-

प्राप्ति स्थल- सलादिपुरा (सीकर)। इसका उपयोग गंधक, अम्ल, तेजाब व उर्वरक उद्योग में होता है।

बेराइटस-

प्राप्ति स्थल- अलवर, उदयपुर, भरतपुर, राजसमन्द, भीलवाड़ा, जालौर व पाली। इसका उपयोग पेट्रोलियम उद्योग, तेल कुओं की ड्रिलिंग मड बनाने, पेंट व लिथोपेन उद्योग, रसायनों व कागज उद्योगों में होता है।

सोपस्टोन-

प्राप्ति स्थल- देवपुरा-साजोल क्षेत्र (उदयपुर), भीलवाड़ा, राजसमन्द व डूंगरपुर। उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है और राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन भीलवाड़ा में होता है।

गार्नेट (तामडा या रक्तमणि)-

प्राप्ति स्थल- टोंक, अजमेर, उदयपुर, भीलवाड़ा व जयपुर। यह दो किस्म का होता है- अब्रेसिव और जैम। जैम गार्नेट टोंक जिले में सर्वाधिक मिलता है।

चूना पत्थर(लाइमस्टोन)-

प्राप्ति स्थल- केमिकल ग्रेड: जोधपुर, नागौर। सीमेंट ग्रेड: अंजनिखेडा (चितौड़गढ़), नागौर, बूंदी, बाँसवाड़ा, समक्षेत्र (जैसलमेर), आसपुर (डूंगरपुर), कोटा। स्टील ग्रेड: सानू (जैसलमेर), उदयपुर।

इसके आलावा पाली, अजमेर, सिरोही, रघुनाथगढ़, जयपुर, सीकर जिलों में भी चूना पत्थर पाया जाता है। इसका उपयोग सीमेंट निर्माण, इस्पात उद्योग, चीनी परिशोधन में होता है। यह पत्थर अवसादी शैलों में पाया जाता है। चितौड़गढ़ सीमेंट हब के रूप में प्रसिद्ध है।

संगमरमर-

प्राप्ति स्थल-

क्र.सं.मार्बल की किस्मराजस्थान में प्राप्ति स्थल1.सफेद मार्बलमकराना (नागौर)2.सफेद व स्लेटीमोरवड (राजसमन्द)3.हरा मार्बलऋषभदेव-केसरियाजी व गोगुंदा (उदयपुर)4.गुलाबी (पिंक) मार्बलजालौर5.पिस्ता मार्बलआँधी (जयपुर) व झीरी (अलवर)6.काला मार्बलभैंसलाना (जयपुर)7.पीला मार्बलजैसलमेर8.बैंगनी मार्बलत्रिपुरा सुंदरी (बाँसवाड़ा)9.नीला मार्बलदेसुरी (पाली)10.पेरेट ग्रीन मार्बलझीलो (सीकर)11.चोकलेटी-भूरा मार्बलमांडलदेह (चितौड़गढ़)12.इंग्लिश टीक वुड मार्बलजोधपुर13.भूरा हरा व सुनहरा मार्बलडूनकर (चुरू)

किशनगढ़ देश की प्रसिद्ध मार्बल मंडी है। राजस्थान में सबसे अच्छी किस्म का मार्बल (खनिज संसाधन) पाया जाता है। राजस्थान में कैल्साइटिक व डोलामाइटिक दो किस्में मिलती है। मार्बल के खनन में राजसमन्द का प्रथम स्थान है।

ग्रेनाइट-

प्राप्ति स्थल- जालौर, पाली, सिरोही, बाड़मेर, अजमेर, जैसलमेर, झुंझुनूं व जोधपुर। उत्तरी राजस्थान में राजस्थान एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ अलग-अलग रंगों व डिजाईन में ग्रेनाइट के विशाल भंडार हैं।

हरा, गुलाबी व मरकरी लाल ग्रेनाइट सिवाना क्षेत्र व मुंगेरिया (बाड़मेर), काला ग्रेनाइट कालाडेरा (जयपुर), पीला ग्रेनाइट पीन्थला (जैसलमेर) में नए भंडार मिले हैं। जालौर में सर्वाधिक ग्रेनाइट मिलता है।

बालक्ले-

प्राप्ति स्थल- बीकानेर, नागौर व पाली। इसे बीकानेर क्ले भी कहा जाता है।

मुल्तानी मिट्टी-

प्राप्ति स्थल- बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, ऊनी कपड़ों की धुलाई में व तेलों को फ़िल्टर करने में किया जाता है। भारत में सर्वाधिक मुल्तानी मिट्टी राजस्थान में मिलती है।

नमक-

प्राप्ति स्थल- सांभर, डीडवाना, पचभद्रा, कुचामन, लुनकरनसर, फलौदी। नमक संघ सूचि का विषय है। सांभर झील में देश का 8.7 प्रतिशत नमक उत्पादित होता है।

सोना-

प्राप्ति स्थल- आन्नदपुर भूकिया, जगपुरा, घाटोल,संजेला व तिमारन माता (बाँसवाड़ा), रायपुर, खेड़ा व लई (उदयपुर)। आंनदपुर भुकिया और जगपुरा में सोने का खनन हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। हाल ही में अजमेर, अलवर, दौसा, सवाईमाधोपुर में स्वर्ण के नये भण्डार मिले हैं।

यूरेनियम-

प्राप्ति स्थल- ऊमरा(उदयपुर), देवली (टोंक), खंडेला, रोहिल (सीकर), हिंडोली (बूंदी), भीलवाड़ा, डूंगरपुर व बाँसवाड़ा। यूरेनियम एक आण्विक खनिज है। पैगमेटाइट्स, मोनोजाइट और चैरेलाइट इसके मुख्य अयस्क है।

ग्रेफाइट-

प्राप्ति स्थल- अजमेर, अलवर, बाँसवाड़ा व जोधपुर। इसका उपयोग अणुशक्ति गृह में मंदक व भारी मशीनों में स्नेहक के रूप में होता है।

पन्ना-

प्राप्ति स्थल- टिखी, कालागुमान, कंज का खेड़ा,देवगढ से आमेट के बीच एक संकरी पट्टी व अजमेर में गुडास व बुबानी। बहुमूल्य पन्ना मखमली हरे रंग का होता है। जयपुर पन्ने की अंतरराष्ट्रीय मंडी है। यहाँ पन्ने की पॉलिशिंग व प्रोसेसिंग का कार्य होता है।

पोटाश-

प्राप्ति स्थल- जैसलमेर, चितौड़गढ़ व कोटा। देश में पोटाश का वाणिज्यिक उत्पादन नहीं होता है।

कोयला-

प्राप्ति स्थल- कपूरडी, जालिपा, बोथिया, गिरल, सोनाडी व कवास (बाड़मेर), पलाना, बरसिंहसर, चानेरी, बीठनोक, हादला, नापासर व भोलासर (बीकानेर), रामगढ़, खुईयाला व खुरी (जैसलमेर), कसनाऊ, इग्यार, मातासुख, मोकला, मेड़तारोड़ व कुचेरा (नागौर)।

राजस्थान में टर्शरी युग का लिग्नइट किस्म का कोयला मिलता है। राजस्थान में कोयले का सर्वाधिक भण्डार व उत्पादन में बाड़मेर का प्रथम स्थान है।

प्राकृतिक गैस-

प्राप्ति स्थल- घोटारू, लंगतला, शाहगढ़, तनोट, डंडेवाला, रामगढ़, मनहर टिब्बा, सादेवाला व कमलीवाला। राजस्थान में प्राकृतिक गैस (खनिज संसाधन) का सबसे पहला भण्डार जैसलमेर के घोटारू में मिला ।

जैसलमेर के रामगढ़ में गैंस आधारित बिजलीघर स्थापित किया गया है। राजस्थान में विभिान्न कंपनियां प्राकृतिक गैंस की खोज कर रही है- 1. SHELL INTERNATIONAL – बाड़मेर-सांचोर, 2. PHOENIX OVERSEAS – शाहगढ़, 3. ERROR OIL – बीकानेर-नागौर, 4. RELIANCE PERTOLIUM – बाघेवाला।

खनिज तेल-

प्राप्ति स्थल- गुढ़ामालानी, मंगला, कोसलू, सिनधरी, कवास, बायतु व बोथिया (बाड़मेर), साधेवाला, तनोट, मनिहारी टिब्बा (जैसलमेर), बाघेवाला, तुवरीवाला (बीकानेर), नानुवाला (हनुमानगढ़)। खनिज तेल अवसादी शैलों में मिलता है।

राजस्थान में सर्वाधिक तेल भण्डार बाड़मेर में है। बाड़मेर के जोगसरिया गांव में ब्रिटने की केयर्न एनर्जी कंपनी द्वारा खोजे गये तेल कूप को केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने मंगला प्रथम नाम दिया। मंगला प्रथम से 1.5 कि.मी. की दुरी पर खोदे गये दुसरे कुएं को 26 जनवरी 2004 को मंगला-2 नाम दिया गया।

मंगला, एंश्वर्या, सरस्वती, विजया, भाग्यम, राजेश्वरी,कामेश्वरी,गुढा, बाड़मेर-सांचोर बेसिन के तेल क्षेत्र है। गुढामलानी तहसील के पास नागर गांव और मामियों की ढाणी में केयर्न एनर्जी कंपनी को तेल के भण्डार मिले है। नागर गांव के निकट खोदे गये कूप को राजेश्वरी नाम दिया गया है। यह मंगला प्रथम से 75 कि.मी. दुर है।

मंगला के बाद बाड़मेर में मिले तेल भण्डारों को विजया व भाग्यन के रूप में 4 अप्रैल 2005 को लोकार्पण किया गया। गंगानगर के बींझबायला और हनुमानगढ़ के नानुवाला में फरवरी 2004 को एस्सार ऑयल ने पेट्रोलियम भण्डार की पुष्टि की। बीकानेर के बाघेवाला ब्लाक में भी ऑयल के भण्डार मिले हैं।

प्रदेश के बाड़मेर जिले में देश की सबसे बड़ी 9 एम.एम.टी.पी.ए. क्षमता की रिफाइनरी कम पेट्रोकेमिकल परियोजना की स्थापना व संचालन हेतु राज्य सरकार एवं एच.पी.सी.एल. तथा संयुक्त उपक्रम राजस्थान रिफाइनरी कम्पनी के मध्य महत्वपूर्ण स्टेट सपोर्ट एग्रीमेंट ( एस.एस.ए.) पर हस्ताक्षर हुए।

राजस्थान में सबसे ज्यादा क्या पाया जाता है?

राजस्थान में सर्वाधिक उपलब्ध खनिज राॅक फास्फेट है। राजस्थान जास्पर,बुलस्टोनाइट व गार्नेट का समस्त उत्पादन का एक मात्र राज्य है। सीसा जस्ता, जिप्सम, चांदी,संगमरमर,एस्बेसटाॅस,राॅकफास्फेट,तामड़ा, पन्ना, जास्पर, फायरक्ले,कैडमियम में राजस्थान का एकाधिकार है।

राजस्थान में सबसे महंगी फसल कौन सी है?

मियाज़ाकी, आम की एक विशेष किस्म है, जिसे दुनिया के सबसे महंगे आम के रूप में जाना जाता है. यह 2.7 लाख रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं.

राजस्थान में सर्वाधिक कौन सा फल होता है?

राज्य में सर्वाधिक फल गंगानगर और सर्वाधिक मसाले बारां में उत्पादित होते हैं। जालौर जिले में विश्व का 40% इसबगोल उत्पादित होता है। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान केंद्र काजरी जोधपुर में स्थित है शुष्क वन अनुसंधान संस्थान जोधपुर में स्थित है । राज्य में बायो डीजल के लिए जेट्रोफा रतनजोत पौधे की कृषि की जाती है।

राजस्थान का दूसरा नाम क्या है?

राजस्थान का पुराना नाम राजपुताना था। जयपुर राज्य की राजधानी है।