अनामिका उंगली से तिलक क्यों किया जाता है? - anaamika ungalee se tilak kyon kiya jaata hai?

हिन्दी की एक बेहद ही प्रसिद्ध कहावत है कि पांचों उंगलियां एक समान नहीं होती है। वैसे तो यह कहावत अपने अंदर कई अर्थ समेटे हुए है लेकिन सनातन धर्म में तिलक लगाने की परंपरा के अंदर यह कहावत बिल्कुल फिट बैठता है।

देखिये इसे ऐसे समझिए कि सनातन धर्म में तिलक लगाने की परंपरा बहुत पुरानी है। आपने देखा होगा कि जब सनातन धर्म से जुड़े राजा-महराजा युद्ध लड़ने जाते थे उनकी रानियाँ उनके माथे पर तिलक करती थीं। घर में पूजा पाठ का आयोजन होने पर पंडित जी जजमान के माथे पर तिलक करते हैं। इसी तरह से अलग-अलग परिस्थितियों में सनातन धर्म में तिलक करने की परंपरा बहुत लंबे समय से चली आ रही है। 

जीवन की दुविधा दूर करने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट

गौर करेंगे तो पाएंगे कि हर अलग परिस्थिति में तिलक करते वक़्त हाथों की अलग उँगलियों का इस्तेमाल होता है। ये तिलक करते वक़्त अलग-अलग उँगलियों का इस्तेमाल यूं ही नहीं होता बल्कि सनातन धर्म में हर अलग उंगली से किए जाने वाले तिलक का अलग महत्व होता है। बिना किसी जानकारी के किसी भी उंगली से तिलक करना आपको अनजाने में ही अशुभ फल देने वाला साबित हो सकता है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में तिलक करते वक़्त किन उँगलियों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, इसकी जानकारी देंगे।

सनातन धर्म में हाथों की तीन उंगलियों का ही इस्तेमाल तिलक करने के लिए किया जाता है। ये तीन उँगलियाँ हैं अंगूठा, अनामिका और तर्जनी उंगली। तिलक करते वक़्त इन तीनों उंगलियों का अलग परिस्थितियों और अलग प्रयोजन से इस्तेमाल किया जाता है।

अंगूठा

हमारे हाथ के अंगूठे का संबंध शुक्र से है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अंगूठे के नीचे वाला पर्वत भी शुक्र का ही होता है। शुक्र देवता मनुष्य को मिलने वाले भौतिक सुखों के कारक हैं। यही वजह है कि अंगूठे से तिलक का प्रयोजन भी इसी से संबंधित है। सनातन धर्म में यह मान्यता है कि अंगूठे से तिलक करने से जातक के जीवन में धन और संपदा की वृद्धि होती है। अंगूठे से किया गया तिलक स्वास्थ्य में भी वृद्धि का कारक है। मान्यता है कि किसी रोगी का अगर अंगूठे से तिलक किया जाये तो वह जल्द ही स्वस्थ हो जाता है। 

अंगूठे से माथे पर रोली कुमकुम का तिलक और अक्षत लगाया जाये तो यह विजय का सूचक भी है। यही वजह है कि दशहरा जिसे हम विजय पर्व भी कहते हैं, उस दौरान माथे पर अंगूठे से तिलक लगाया जाता है। रक्षाबंधन के पर्व में बहनों को अपने भाइयों के मस्तक पर अंगूठे से ही तिलक करना चाहिए, यह भाइयों के विजय होने की कामना होती है।

अनामिका

अनामिका उंगली का संबंध भगवान सूर्य से है। जैसे अंगूठे के नीचे का पर्वत शुक्र का माना जाता है वैसे ही अनामिका उंगली के नीचे का पर्वत भगवान सूर्य का स्थान माना जाता है। भगवान सूर्य यश और वैभव के देवता हैं। ऐसे में अनामिका उंगली से किसी जातक के मस्तक पर तिलक करना उस जातक के नाम, यश और सम्मान में वृद्धि करता है।

मान्यता है कि मनुष्य के शरीर में सात चक्र होते हैं। इसमें से छठा चक्र आज्ञा चक्र कहलाता है जो कि हमारे दोनों भौहों के बीच में मौजूद है। इस आज्ञा चक्र को जागृत करने के लिए भी अनामिका उंगली से तिलक किया जाता है। अनामिका उंगली से तिलक करने पर मनुष्य को मानसिक शांति की भी प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी मान्यता है कि अनामिका उंगली से तिलक से जातक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है।

यह भी पढ़ें: जानिए व्रत के दौरान लहसुन-प्याज खाना क्यों निषेध है और क्या है इससे जुड़ी पौराणिक कथा

तर्जनी

तर्जनी उंगली से तिलक का इस्तेमाल सिर्फ मृत व्यक्तियों के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इससे मृत आत्मा को शांति मिलती है और वह मोक्ष की ओर अग्रसर होती है। किसी भी जीवित व्यक्ति का तिलक तर्जनी उंगली से नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इससे वह व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है। जाहीर है यही वजह है कि सनातन धर्म में अनजाने में किसी भी उंगली का प्रयोग कर तिलक करना निषेध क्यों है।

हमें उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद!

Tilak : हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-पाठ का अत्यंत महत्व होता है। पूजा-अर्चना के दौरान भगवान को भक्तों द्वारा तिलक लगाने का विधान है। साथ ही आरती होने के बाद भक्तों के माथे पर भी तिलक लगाया जाता है। मान्यता है कि तिलक के लगाने और लगवाने से यश में वृद्धि, संतान सुख, ज्ञान में वृद्धि और मनोबल बढ़ता है। साथ ही तिलक लगवाने से मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। बिना तिलक के कोई भी पूजा या अनुष्ठान अधूरा माना जाता है।

तिलक लगाने का महत्व

मान्यताओं के अनुसार माथे पर तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जागृत होता है। तिलक लगाने से भाग्य खुलता है। मानसिक एकाग्रता को बढ़ाने के लिए कुमकुम-अक्षत के अलावा चंदन का प्रयोग तिलक लगाने में किया जाता है। चंदन दो प्रकार के होते हैं। पहला लाल चंदन औऱ दूसरा सफेद चंदन। दोनों का ही प्रयोग तिलक लगाने में किया जाता है।

अनामिका उंगली से तिलक क्यों किया जाता है? - anaamika ungalee se tilak kyon kiya jaata hai?
अनामिका उंगली से तिलक क्यों किया जाता है? - anaamika ungalee se tilak kyon kiya jaata hai?

तिलक लगाने की सही विधि

हिंदू धर्म में ईश्वर की पूजा में प्रयोग किये जाने वाले तिलक का बहुत महत्व है। देवी-देवताओं से लेकर आम आदमी को लगाए जाने वाले तिलक को अत्यंत ही शुभ माना गया है। यही कारण है कि लोग देवताओं को तिलक लगाने के बाद, इसे ईश्वर का प्रसाद मानकर अपने माथे पर लगाते हैं। हिंदू धर्म में लगाया जाने वाला वाला तिलक न सिर्फ एक मांगलिक प्रतीक है, बल्कि यह किसी भी परंपरा को पूरी तरह से प्रदर्शित करता है। विभिन्न प्रकार के तिलक जहां अलग-अलग मान्यताओं और कामनाओं से जुड़े होते हैं, वहीं इस तिलक को स्वयं और दूसरे को लगाने का भी एक नियम होता है।

किस चीज का लगाएं तिलक

कुंडली में गुरु की दशा चल रही है तो आप रोजाना स्नान के बाद केसर या हल्दी का तिलक लगाएं। इससे गुरु के दोष खत्म होते हैं। लाल चंदन का तिलक लगाने से सूर्य और बुध ग्रह मजबूत होते हैं। सिंदूर का तिलक लगाने से देवी मां की कृपा प्राप्त होती है। शुक्रवार के दिन सिंदूर का तिलक लगाने से सुख समृद्धि आती है।

माथे के बीच में ही क्यों लगता है तिलक

मनुष्य के शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं जिन्हें आपार शक्ति का भंडार कहा जाता है। माथे के बीच में तिलक लगाने का कारण यही है कि क्योंकि यहां आज्ञाचक्र होता है। शरीर में मौजूद सभी 7 चक्रों में से ये चक्र सबसे महत्वपूर्ण होता है। आज्ञा चक्र बुद्धि का केन्द्र है। यहां पर शरीर की 3 प्रमुख नाड़ियां आकर मिलती हैं साथ ही आज्ञाचक्र से ही पूरे शरीर का संचालन होता है। शरीर का केंद्र स्थान होने की वजह से माथे के बीच में तिलक लगाया जाता है।

तिलक लगाने में कौन सी ऊंगली का उपयोग करें

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-पाठ में तिलक यानी टीके का बहुत महत्व होता है। मान्यता है कि बिना तिलक के कोई भी पूजा या अनुष्ठान अधूरा माना जाता है। इसलिए पूजा के दौरान माथे पर तिलक जरूर लगाया जाता है। ऐसा करने से ईश्वर की कृपा हम पर बनी रहती है। कहा जाता है कि माथे पर अलग-अलग उंगलियों से तिलक लगाने का असर भी अलग अलग होता है। तो चलिए जानते हैं कि कौन सी उंगली से तिलक लगाने पर क्या होता है –

अनामिका उंगली से तिलक क्यों किया जाता है? - anaamika ungalee se tilak kyon kiya jaata hai?
अनामिका उंगली से तिलक क्यों किया जाता है? - anaamika ungalee se tilak kyon kiya jaata hai?

कनिष्ठा उंगली : शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि कनिष्ठा यानी सबसे छोटी उंगली का प्रयोग तिलक लगाने में नहीं किया जाता है।

अनामिका उंगुली का महत्व : रिंग फिंगर जिसे हिंदी में अनामिका उंगली कहा जाता है यह हाथ की तीसरी उंगली होती है जो मध्यमा के बाद और कनिष्ठा के पहले आती है। इस उंगली से तिलक लगाना मानसिक शक्ति को प्रबल बनाता है, क्योंकि इस उंगली का संबंध सीधा सूर्य से होता है। इसलिए इस उंगली से तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जागृत होता है। इंसान को अपना मान सम्मान बढ़ाने के लिए अनामिका उंगली से तिलक लगाना चाहिए। शास्त्रों में उल्लेख है कि अनामिका उंगली से चंदन लगाना अति शुभ फलदायी होता है।धर्मशास्त्र के अनुसार यदि आपको अपने आराध्य को तिलक लगाना हो तो हमेशा अनामिका उंगली से ही लगाना चाहिए। अनामिका उंगली से तिलक लगाना अत्यंत ही शुभ माना गया है।यदि स्वयं को तिलक लगाना हो तो अपने लिए भी अनामिका उंगली का आप प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि इस उंगुली का संबंध सूर्य से है, इसलिए इस उंगली से तिलक लगानाव्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है और आत्मबल बढ़ता है।

अंगूठे से तिलक लगाना : मान्यता के अनुसार अंगूठे का संबंध शुक्र ग्रह से होता है, और शुक्र ग्रह यश, धन-वैभव का कारक ग्रह माना जाता है। कहा जाता है कि अंगूठे से तिलक लगाने से धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। यह भी मान्यता है कि अगर किसी रोगी को नियमित रूप से अंगूठे से चंदन का तिलक लगाया जाए तो उसके स्वास्थ्य में दिनों दिन लाभ होने लगता है।ज्योतिष के अनुसार अंगूठे से लगाया गया तिलक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय और सफलता दिलाता है। यही कारण है कि विजयादशमी, रक्षा बंधन आदि पर बहनें अपने भाईयों को अंगूठे से तिलक लगाती हैं।

तर्जनी अंगुली से तिलक लगाना : इंडेक्स फिंगर यानी तर्जनी उंगली यह अंगूठे और मध्यमा उंगली के बीच की उंगली होती है। कहा जाता है कि इस उंगली का प्रयोग केवल मृत व्यक्ति को तिलक लगाने के लिए किया जाता है। ताकि मृतक की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ती हो। कहा जाता है कि तर्जनी उंगली का प्रयोग करना असमय मृत्यु की तरफ ले जाता है। इसलिए आगे से जब भी किसी को तिलक लगाना हो तो सही उंगली का प्रयोग करना बेहद जरूरी है।कभी भूलकर भी किसी भी व्यक्ति को तर्जनी यानी अंगूठे और मध्यमा अंगुली के बीच वाली अंगुली से तिलक नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि हिंदू धर्म में इस उंगली का प्रयोग केवल मृत व्यक्ति या फिर उससे संबंधित पितृ पूजन के दौरान किया जाता है।

तिलक से जुड़े कुछ नियम और खास बातें

सनातन परंपरा के अनुसार किसी भी व्यक्ति को तिलक हमेशा स्नान करने के बाद अपने आराध्य को लगाने के बाद स्वयं को लगाना या फिर लगवाना चाहिए।किसी भी व्यक्ति या देवी-देवता को हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही तिलक लगाना चाहिए।तिलक हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुख करके लगाना चाहिए।तिलक हमेशा ललाट बिंदु यानि बिल्कुल भौहों के मध्य भाग में ही लगाना चाहिए।शास्त्रों के अनुसार कनिष्ठा यानी सबसे छोटी उंगली का प्रयोग तिलक लगाने में नहीं करना चाहिए।कुंडली में गुरु की दशा चल रही है तो आप रोजाना स्नान के बाद केसर या हल्दी का तिलक लगाएं।

कौन सी उंगली से तिलक लगाना चाहिए?

हमेशा अनामिका उंगली से तिलक लगाना चाहिए. इससे मानसिक शक्ति प्रबल बनती है. हिंदू धर्म मान्‍यता के अनुसार बीच वाली उंगली में शनि ग्रह होता है और शनि ग्रह सफलता का प्रतीक माना जाता है इसलिए इस उंगली से तिलक करने पर व्‍यक्ति को कार्य में सफलता मिलती है.

अनामिका से तिलक क्यों लगाते हैं?

अनामिका उंगुली का महत्व इस उंगली से तिलक लगाना मानसिक शक्ति को प्रबल बनाता है, क्योंकि इस उंगली का संबंध सीधा सूर्य से होता है. इसलिए इस उंगली से तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जागृत होता है. इंसान को अपना मान सम्मान बढ़ाने के लिए अनामिका उंगली से तिलक लगाना चाहिए.

मध्यमा उंगली से तिलक लगाने से क्या होता है?

तिलक लगाने के लिए तर्जनी यानी अंगूठे और मध्यमा अंगुली के बीच की अंगुली का प्रयोग केवल मृत व्यक्ति के लिए किया जाता है ताकि मृतक की आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो जाए. तर्जनी का प्रयोग करना असमय मृत्यु की ओर ले जाता है. अत: किसी को भी तिलक लगाते समय उचित अंगुली का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.

तिलक लगाते समय सिर के पीछे हाथ क्यों रखते हैं?

तिलक लगवाते समय सिर पर हाथ इसलिए रखते हैं ताकि सकारात्मक उर्जा हमारे शीर्ष चक्र पर एकत्र हो तथा हमारे विचार सकारात्मक हों। अक्सर मन में प्रश्न उठता है कि पूजा करते समय,या कोई धार्मिक कार्य करते समय तिलक क्यों लगाते है।