शनि का जाप कितना होता है? - shani ka jaap kitana hota hai?

ShaniDev Mantra इन मंत्रों से केवल ढैय्या और साढ़ेसाती का प्रभाव ही नहीं बल्कि व्यक्ति के कष्टों का निवारण हो जाता है।

ShaniDev Mantra: आज शनिवार है शनि देव का दिन। कहते हैं कि जिस पर शनि की शुभ दृष्टि होती है तो वो रंक को राजा बना सकती है। वहीं, अगर किसी पर शनि महाराज की बुरी दृष्टि होती है तो राजा को रंक बना देती है। शनि की शांति के लिए शनि महाराज की पूजा करनी आवश्यक होती है। लोगों पर शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती का प्रभाव कम करने के लिए शनि के विभिन्न मंत्रो का जाप करना भी फलदायक माना गया है। इन मंत्रों से केवल ढैय्या और साढ़ेसाती का प्रभाव ही नहीं बल्कि व्यक्ति के कष्टों का निवारण हो जाता है।

श्री शनि वैदिक मंत्र:

ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः।

इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति पर से शनि की साढ़ेसाती का बुरा प्रभाव खत्म हो जाता है। इसे श्री शनि वैदिक मंत्र कहा जाता है। कहा जाता है कि अगर इस मंत्र का जाप किया जाए तो इससे शनिदेव प्रसन्न हो जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि अगर इस मंत्र का जाप 23000 हजार बार किया जाए तो इससे साढे़साती का प्रभाव कम हो जाता है।

श्री शनि पौराणिक मंत्र:

श्री नीलान्जन समाभासं ,रवि पुत्रं यमाग्रजम।

छाया मार्तण्ड सम्भूतं, तं नमामि शनैश्चरम ।।

सूर्यदेव के पुत्र हैं शनिदेव। शनिदेव को नौ ग्रहों का राजा कहा जाता है। शनिदेव ही हैं जो व्यक्ति को उनके कर्मों का फल देते हैं। शनिवार को शनिदेव पर तेल चढ़ाना बेहद शुभ होता है।

श्री शनि बीज मंत्र:

ॐ शं शनैश्चरायै नम:

ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:

शनिवार, शनिदेव का दिन है और इस दिन स्‍नान के बाद काले वस्‍त्र धारण करें। शनिदेव की मूर्ति के साने जाकर इस मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप घर या मंदिर में कहीं भी किया जा सकता है।

शनि पत्नी मंत्र:

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।

कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनेर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखम।।

ऐसा माना जाता है कि अगर इस मंत्र का जाप प्रतिदिन किया जाए तो व्यक्ति के कष्टों का निवारण हो जाता है।

शनि गायत्री मंत्र:

ऊं कृष्णांगाय विद्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात

पीपल के पेड़ पर हर शनिवार की शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं। यही आप शमी के पेड़ के नीचे भी करें। इसने शनिदशा का प्रभाव कम हो जाता है।  

डिस्क्लेमर-

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Edited By: Shilpa Srivastava

विस्तार

Mantra Jaap: शनि को ज्योतिष शास्त्र में एक प्रभावशाली ग्रह माना गया है।  नव ग्रहों में शनि को न्यायाधीश बताया गया है।  इसके साथ ही शनि को कर्मफलदाता भी कहा जाता है। मान्यता है कि शनि ग्रह व्यक्ति को उसके अच्छे बुरे कामों का फल प्रदान करते हैं।  शनि की जब साढ़े साती और ढैय्या आरंभ होती है तो शनि देव व्यक्ति के जीवन में काफी उथल-पुथल लाते हैं।  ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं। मंत्र जाप भी इनमें से एक है। शनिदेव के मंत्रों का जाप विधि-विधान से किया जाए तो परेशानियां कुछ कम हो सकती हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वो मंत्र जाप और इनका जाप कैसे किया जाना चाहिए।

यूं तो शनि दोष निवारण के लिए नित्य भगवान् शिव के पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' का जप करना चाहिए तथा महामृत्युंजय मंत्र- 'ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्' का जप भी शुभ होता है। यहां प्रस्तुत है शनिदेव के 5 चमत्कारी मंत्र जिन्हें शनिवार के दिन या शनि जयंती पर पढ़ने से हर कष्टों का अंत होता है।


ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।


ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:


मंत्र- ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।


कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।

सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।


किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23,000 जाप करें या करवाएं।

शनि का तंत्रोक्त मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:

प्रति शनिवार श्री शनि देव के इन विशेष मंत्रों के जाप से यश, सुख, समृद्धि, कीर्ति, पराक्रम, वैभव, सफलता और अपार धन-धान्य के साथ प्रगति के द्वार खुलते हैं। यहां दिए गए किसी भी मंत्र की कम से कम 1 माला (108) बार इसका जाप करें। किसी एक मंत्र का चयन करें और अवश्य जपें....


1. बीज मंत्र-

ॐ शं शनैश्चराय नम:

ॐ शमाग्निभि: करच्छन्न: स्तपंत सूर्य शंवातोवा त्वरपा अपास्निधा:

3. श्री शनि व्यासवि‍रचित मंत्र-

ॐ नीलांजन समाभासम्। रविपुत्रम यमाग्रजम्।

छाया मार्तण्डसंभूतम। तम् नमामि शनैश्चरम्।।

4. शनिचर पुराणोक्त मंत्र-

सूर्यपुत्रो दीर्घेदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय: द

मंदचार प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:

5. शनि स्तोत्र-

नमस्ते कोणसंस्‍थाचं पिंगलाय नमो एक स्तुते

नमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमो ए स्तुत

नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च

नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो

नमस्ते मंदसज्ञाय शनैश्चर नमो ए स्तुते

प्रसाद कुरू देवेश दिनस्य प्रणतस्य च

कोषस्थह्म पिंगलो बभ्रूकृष्णौ रौदोए न्तको यम:

सौरी शनैश्चरो मंद: पिप्लदेन संस्तुत:

एतानि दश नामामी प्रातरुत्थाय ए पठेत्

शनैश्चरकृता पीडा न कदचित् भविष्यति

6.
तंत्रोक्त मंत्र-

ॐ प्रां. प्रीं. प्रौ. स: शनैश्चराय नम:।

शनि का जाप कितना करना चाहिए?

किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23,000 जाप करें या करवाएं।

शनि देव का जाप कैसे करते हैं?

ऐसे करें मंत्र जाप.
शनिवार की शाम को स्नान आदि करें।.
इसके उपरांत घर के किसी साफ स्थान पर शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।.
इसके उपरांत शनिदेव को नीले फूल, काला कपड़ा, काली उड़द और काले तिल अर्पित करें।.
भोग स्वरूप मीठी पूरी का भोग लगाएं।.
इसके बाद काली तुलसी की माला से ॐ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।.

कौन सा शनि मंत्र शक्तिशाली है?

शनि देव के मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। ॐ शं शनैश्चराय नमः। ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

किस ग्रह का कितना जाप होता है?

ग्रह, उनके मंत्र और जाप संख्या.