Show क्या है आयुर्वेद? आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। संस्कृत में आयुर्वेद का मतलब होता है- जिंदगी का विज्ञान। भारत में इस विद्या का जन्म 5000 साल पहले हुआ था। इसे “Mother of All Healing” भी कहा जाता है। इसकी जड़ें प्राचीन वैदिक संस्कृति से हैं। इस विद्या को कई वर्षों पहले गुरुओं द्वारा शिक्षा में अपने शिष्यों को सिखाया जाता था। इसे मौखिक रूप से सिखाया जाता है, जिस कारण इसका लिखित ज्ञान दुर्गम है। पश्चिम में कई प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों के सिद्धांतों की जड़ें आयुर्वेद में हैं, जिनमें होम्योपैथी और पोलारिटी थेरेपी शामिल हैं। क्या आज भी है यह पर्वत क्या है संजीवनी बूटी? वाल्मीकि रामायण में यह है लिखा सबसे अच्छी बात यह है कि कथा अनुसार यह कहा गया है कि लक्ष्मण के होश में आने के बाद हनुमान जी ने पर्वत को वापस अपनी जगह पर जाकर रख दिया था। यह औषधीय पौधों के संरक्षण का सबसे अच्छा उदाहरण है। संजीवनी बूटी को लेकर विज्ञान में अभी भी अधिक खोज की जा रही है। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें रामायण में संजीवनी बूटी लक्ष्मण के प्राण वापस लाने और हनुमान के संजीवनी पर्वत को पूरा उठा लाने वाला प्रसंग सभी जानते हैं. वैध सुषेण ने संजीवनी को चमकीली आभा और विचित्र गंध वाली बूटी बताया है. संजीवनी पर्वत आज भी श्रीलंका में मौजूद है. माना जाता है कि हनुमानजी ने इस पहाड़ को टुकडे़ करके इस क्षेत्र विशेष में डाल दिया था. हनुमानजी की पूजा से शांत रहते हैं शनिदेव... रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है ये जानें, अंजनी पुत्र हनुमानजी की जन्मकथा के बारे में... यहां के पेड़-पौधे हैं खास जब हनुमान पूरा पर्वत उठा लाए संजीवनी बूटी वाले पर्वत का नाम क्या है?इस गांव में द्रोणागिरी पर्वत है। इस पर्वत का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। मान्यता है कि श्रीराम-रावण युद्ध में मेघनाद के दिव्यास्त्र से लक्ष्मण मुर्छित हो गए थे। तब हनुमानजी द्रोणागिरी पर्वत संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे।
हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने कौन से पर्वत पर गए थे?तब कैसे हनुमान जी ( Hanuman Ji ) उनके लिए संजीवनी बूटी ( Sanjeevani Booti ) लेकर आये थे. रामायण ( Ramayan ) की मान्यता ऐसा अनुसार माना जाता है कि लक्ष्मण ( Laxman ) के प्राण वापस लाने के लिए हनुमान जी ( Hanuman Ji ) हिमालय ( Himalaya ) से संजीवनी पर्वत को ही उठा के ले आये थे.
संजीवनी पर्वत कहाँ है?श्रीलंका में इस पर्वत को रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि आज भी इस पर्वत पर संजीवनी बूटी पाई जाती है। इसी के साथ श्री लंका में दक्षिणी समुद्री किनारे पर कई स्थानों पर हनुमान जी द्वारा लाए गए पहाड़ के टुकड़े पड़े हैं।
हनुमान ने कौन से पहाड़ से छलांग लगाई थी?सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है। इसी नाम से एक और पर्वत रामेश्वरम के पास भी स्थित है, जहां से हनुमान जी ने समुद्र पार करने के लिए छलांग लगाई थी।
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