संजीवनी बूटी कौन से पर्वत पर है? - sanjeevanee bootee kaun se parvat par hai?

नई दिल्ली:रामायण में लक्ष्मण जी के जीवन को बचाने के लिए हनुमान जी पूरा का पूरा पर्वत उठाकर ले आते हैं। पूरा पर्वत उठाने के पीछे कारण यह था कि हनुमान यह नहीं जान पा रहे थे कि आखिर में वो संजीवनी बूटी कौन-सी है, जिससे लक्ष्मण जी की जान बचेगी। यह पोस्ट हम आपको रामायण का ज्ञान देने के लिए नहीं लिख रहे हैं बल्कि भारत की प्राचीन पद्धति, इसकी महत्ता और इस जड़ी बूटी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने के लिए लिख रहे हैं।

संजीवनी बूटी कौन से पर्वत पर है? - sanjeevanee bootee kaun se parvat par hai?



क्या है आयुर्वेद?
आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। संस्कृत में आयुर्वेद का मतलब होता है- जिंदगी का विज्ञान। भारत में इस विद्या का जन्म 5000 साल पहले हुआ था। इसे “Mother of All Healing” भी कहा जाता है। इसकी जड़ें प्राचीन वैदिक संस्कृति से हैं। इस विद्या को कई वर्षों पहले गुरुओं द्वारा शिक्षा में अपने शिष्यों को सिखाया जाता था। इसे मौखिक रूप से सिखाया जाता है, जिस कारण इसका लिखित ज्ञान दुर्गम है। पश्चिम में कई प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों के सिद्धांतों की जड़ें आयुर्वेद में हैं, जिनमें होम्योपैथी और पोलारिटी थेरेपी शामिल हैं।

क्या आज भी है यह पर्वत
हनुमान जी जिस पर्वत को उठाकर ले आए थे, वो आज भी चर्चित है। श्रीलंका में इस पर्वत को रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि आज भी इस पर्वत पर संजीवनी बूटी पाई जाती है। इसी के साथ श्री लंका में दक्षिणी समुद्री किनारे पर कई स्थानों पर हनुमान जी द्वारा लाए गए पहाड़ के टुकड़े पड़े हैं। इतना ही नहीं, यह भी कहा जाता है कि जब हनुमान जी पहाड़ उठाकर ले जा रहे थे तो उसका एक टुकड़ा रीतिगाला में गिरा। इसकी खासियत यह है कि यहां आज भी ऐसी जड़ी बूटियां उगती हैं, जो उस इलाके से बहुत अलग हैं। वहीं, श्रीलंका में हाकागाला गार्डन में पहाड़ का दूसरा हिस्सा गिरा। इस जगह के पेड़-पौधे भी उस इलाके की मिट्टी और पेड़-पौधों से बिलकुल अलग हैं।

संजीवनी बूटी कौन से पर्वत पर है? - sanjeevanee bootee kaun se parvat par hai?

क्या है संजीवनी बूटी?
हिन्दू मान्यता के अनुसार, संजीवी एक चमत्कारी बूटी है। इसमें किसी भी तरह की परेशानी के निवारण की शक्ति है। ऐसा माना गया है कि यह बूटी मृत शरीर में जान डाल सकती है। वैज्ञानिक साहित्य की सूची में कहीं-कहीं संजीवनी का उल्लेख सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस के रूप में किया गया है। प्राचीन ग्रंथों की खोज में अब तक किसी भी पौधे का खुलासा निश्चित रूप से संजीवनी के रूप में नहीं हुआ है। कुछ ग्रंथों में लिखा है कि संजीवनी अंधेरे में चमकती है।

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वाल्मीकि रामायण में यह है लिखा
लंका के वैद्य ने हनुमान जी से कहा था - हिमालय पर कैलाश और ऋषभ पर्वत के बीच एक ऐसा पर्वत है जिस पर जीवन देने वाली बूटियां पाई जाती हैं। यह बूटियां 4 प्रकार की हैं: मृतसंजीवनी, विशल्यकरणी , सुवर्णकर्णी और संधानि। इन सभी जड़ी-बूटियों में से सदैव प्रकाश निकलता है। इन जड़ी-बूटियों के साथ आपको जल्द से जल्द आना है।

सबसे अच्छी बात यह है कि कथा अनुसार यह कहा गया है कि लक्ष्मण के होश में आने के बाद हनुमान जी ने पर्वत को वापस अपनी जगह पर जाकर रख दिया था। यह औषधीय पौधों के संरक्षण का सबसे अच्छा उदाहरण है। संजीवनी बूटी को लेकर विज्ञान में अभी भी अधिक खोज की जा रही है।

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रामायण में संजीवनी बूटी लक्ष्मण के प्राण वापस लाने और हनुमान के संजीवनी पर्वत को पूरा उठा लाने वाला प्रसंग सभी जानते हैं. वैध सुषेण ने संजीवनी को चमकीली आभा और विचित्र गंध वाली बूटी बताया है. संजीवनी पर्वत आज भी श्रीलंका में मौजूद है. माना जाता है कि हनुमानजी ने इस पहाड़ को टुकडे़ करके इस क्षेत्र विशेष में डाल दिया था.

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रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है ये
यह चर्चित पहाड़ श्रीलंका के पास रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है. श्रीलंका की खूबसूरत जगहों में से एक उनावटाना बीच इसी पर्वत के पास है. श्रीलंका के दक्षिण समुद्री किनारे पर कई ऐसी जगहें हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वहां हनुमान के लाए पहाड़ के गिरे टुकड़े हैं.

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यहां के पेड़-पौधे हैं खास
इस जगह की खास बात ये कि जहां-जहां ये टुकड़े गिरे, वहां-वहां की जलवायु और मिट्टी बदल गई. इन जगहों पर मिलने वाले पेड़-पौधे श्रीलंका के बाकी इलाकों में मिलने वाले पेड़-पौधों से काफी अलग हैं. रूमास्सला के बाद जो जगह सबसे अहम है वो है रीतिगाला.

जब हनुमान पूरा पर्वत उठा लाए
हनुमान जब संजीवनी का पहाड़ उठाकर श्रीलंका पहुंचे तो उसका एक टुकड़ा रीतिगाला में गिरा. रीतिगाला की खासियत है कि आज भी जो जड़ी-बूटियां उगती हैं, वो आसपास के इलाके से बिल्कुल अलग हैं. श्रीलंका के नुवारा एलिया शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर हाकागाला गार्डन में हनुमान के लाए पहाड़ का दूसरा बडा़ हिस्सा गिरा. इस जगह की भी मिट्टी और पेड़ पौधे अपने आसपास के इलाके से बिल्कुल अलग हैं.

संजीवनी बूटी वाले पर्वत का नाम क्या है?

इस गांव में द्रोणागिरी पर्वत है। इस पर्वत का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। मान्यता है कि श्रीराम-रावण युद्ध में मेघनाद के दिव्यास्त्र से लक्ष्मण मुर्छित हो गए थे। तब हनुमानजी द्रोणागिरी पर्वत संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे।

हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने कौन से पर्वत पर गए थे?

तब कैसे हनुमान जी ( Hanuman Ji ) उनके लिए संजीवनी बूटी ( Sanjeevani Booti ) लेकर आये थे. रामायण ( Ramayan ) की मान्यता ऐसा अनुसार माना जाता है कि लक्ष्मण ( Laxman ) के प्राण वापस लाने के लिए हनुमान जी ( Hanuman Ji ) हिमालय ( Himalaya ) से संजीवनी पर्वत को ही उठा के ले आये थे.

संजीवनी पर्वत कहाँ है?

श्रीलंका में इस पर्वत को रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि आज भी इस पर्वत पर संजीवनी बूटी पाई जाती है। इसी के साथ श्री लंका में दक्षिणी समुद्री किनारे पर कई स्थानों पर हनुमान जी द्वारा लाए गए पहाड़ के टुकड़े पड़े हैं।

हनुमान ने कौन से पहाड़ से छलांग लगाई थी?

सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है। इसी नाम से एक और पर्वत रामेश्वरम के पास भी स्थित है, जहां से हनुमान जी ने समुद्र पार करने के लिए छलांग लगाई थी