साइकिल चलाने से महिलाओं को कौन कौन से लाभ हुए? - saikil chalaane se mahilaon ko kaun kaun se laabh hue?

Cycling Benefits for Women: साइकिलिंग करना एक बेहद ही आसान जरिया है शारीरिक रूप से फिट और हेल्दी बने रहने के लिए. साइकिल चलाना हर कोई पसंद करता है, फिर चाहे बच्चे हों या बड़े. यदि आप घंटों बैठकर काम करते रहते हैं, तो फिजिकल एक्सरसाइज करने के लिए 15 मिनट साइकिल ज़रूर चलाएं. साइकिल चलाने से कई तरह के रोगों से बचाव होता है. इससे वजन कम होता है, स्ट्रेस दूर होता है, साथ ही संपूर्ण फिटनेस में सुधार होता है. इससे हार्ट, फेफड़े, ब्लड वेसल्स, नर्व्स सभी दुरुस्त रहते हैं और अपना काम सुचारू रूप से करते हैं.

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अक्सर महिलाएं सारा दिन घर के काम में लगी रहती हैं. अपने फिटनेस, हेल्थ को नज़रअंदाज़ करती हैं. ऐसे में पुरुषों, बच्चों की तरह महिलाओं को भी नियमित रूप से साइकिल चलाना चाहिए. खासकर, जिनका वजन बढ़ रहा है, उन्हें साइकिल प्रतिदिन चलाना चाहिए. इसके अलावा, महिलाओं की सेहत पर कई अन्य कमाल करती है साइकिलिंग, जानें यहां.

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महिलाओं के लिए साइकिल चलाने के फायदे

एनर्जी करे बूस्ट
मेडइंडिया डॉट नेट में छपी एक खबर के अनुसार, महिलाओं को साइकिल इसलिए चलाना चाहिए, क्योंकि यह एनर्जी बूस्टर का काम करता है. साइकिलिंग करने से शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है. इससे आप दिन भर के कार्यों को बिना थके कर सकती हैं. फिट और एक्टिव बनी रह सकती हैं. साइकिल चलाने से मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन का उत्पादन होता है, जो ऊर्जा से जुड़ा होता है. साइकिल चलाने के लंबे समय बाद भी मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ावा देने में मददगार होता है.

जोड़ों के दर्द से बचाए
अक्सर बढ़ती उम्र में हड्डियों से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को विटामिन डी की और कैल्शियम की कमी अधिक होती है, जिससे जोड़ों में दर्द रहने लगता है. साइकिल चलाना, टहलने या फिर दौड़ने से कहीं ज्यादा टखनों, घुटनों और रीढ़ पर तनाव को कम कर सकती है.

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मांसपेशियों को दे मजबूती
साइकिल चलाने से पैरों की मांसपेशियां मजबूत बनी रहती हैं. कूल्हे और घुटने के जोड़ों की गतिशीलता के लिए भी साइकिल चलाना अच्छा होता है. नियमित रूप से इस फिजिकल एक्टिविटी को करने से पैरों, जांघों और कूल्हों की मांसपेशियों की टोन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी.

कैलोरी करे बर्न
शरीर में अतिरिक्त चर्बी को कम करने के लिए साइकिल चलाना एक अच्छा तरीका है. अक्सर महिलाएं बढ़ते वजन, निकला हुआ पेट, चौड़ी कमर से परेशान रहती हैं. धीरे-धीरे साइकिल चलाने से प्रति घंटे लगभग 300 कैलोरी बर्न होती है. अगर आप रोजाना 30 मिनट साइकिल चलाती हैं, तो आप एक साल में 11 पाउंड फैट बर्न कर सकती हैं.

दिल को रखे हेल्दी
दिल की बीमारियों से ग्रस्त महिलाओं से जुड़े एक अध्ययन में पाया गया है कि सप्ताह में तीन बार लगभग आधे घंटे तक साइकिल चलाने से एक साल के बाद इनके मेडिकल टेस्ट के दौरान रक्तचाप और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल काफी हद तक कम पाया गया.

प्रेग्नेंसी में साइकिल चलाने के लाभ
गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से साइकिल चलाना एक बेहतरीन व्यायाम है, क्योंकि इससे हृदय की सेहत दुरुस्त बनी रहती है. यह प्रसव को आसान बनाने में भी मदद कर सकता है. हालांकि, गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के बाद ही साइकिलिंग करनी चाहिए.

Tags: Health, Lifestyle, Women Health

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: साइकिल आंदोलन ने पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। महिलाएँ अब पहले से अधिक स्वतंत्र हो गई हैं। कहीं आने जाने के लिए अब वे घर के पुरुषों की मोहताज नहीं हैं। अब उनके पास खाली समय भी बच पाता है क्योंकि साइकिल के इस्तेमाल से कहीं आने जाने में समय की बचत होती है।

पुडुकोट्टई मे कौन सा आंदोलन चलाया गया 1 Point रेलगाड़ी साइकिल मोटर जहाज?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : ”जहाँ पहिया है” लेखक ने तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव के ‘साइकिल आंदोलन’ के कारण ही इसका नाम रखा है। यह नाम इस आंदोलन को अपना समर्थन देने हेतु ही रखा गया है। वहाँ की महिलाओं द्वारा अपने अधिकारों व स्वतंत्रता हेतु साइकिल आंदोलन का आरम्भ, पुडुकोट्ठई की औरतों को जागृत करने का प्रयास था। वह बहुत उत्तम था।

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साइकिल आंदोलन से पुडुकोट्टई की महिलाओं में कौन सी भावना जागृत हुई?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: (i) ‘साइकिल आंदोलन’ से महिलाएँ अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के प्रति जागृत हुई हैं।

साइकिल चलाना सामाजिक आंदोलन क्यों बन गया?

इसे सुनेंरोकेंऐसा हुआ तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले में जिसमें महिलाओं ने ऐसा आदोलन चलाया कि साइकिल चलाने की होड़ ही हो गई। लगभग सभी महिलाएँ रूढ़िवादी विचारधाराएँ व पिछड़ेपन को छोड़कर साइकिल चलाना सीखकर स्वच्छंदता व गतिशीलता की ओर बढ़ना चाहती थी इसीलिए इसे सामाजिक आंदोलन का नाम दिया गया।

साइकिल चलाने को सामाजिक आंदोलन क्यों कहा गया है?

साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को आज़ादी का अनुभव क्यों होता होगा?

इसे सुनेंरोकेंसाइकिल चलाने से पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव इसलिए होता होगा क्योंकि साइकिल पर सवार होकर वे घर की चारदीवारी से बाहर निकलती हैं और अपनी आज़ादी का अनुभव करती हैं। इससे उनके आत्मविश्वास में वृधि होती है। साइकिल सवार इन महिलाओं के साथ कोई रोक-टोक न होने से उनकी आज़ादी सचमुच ही बढ़ जाती है।

फातिमा कौन थी वह साइकिल क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: फ़ातिमा माध्यमिक स्कूल में पढ़ाने वाली अध्यापिका थी। वह प्रतिदिन किराये पर साइकिल लेकर शाम को चलाती थी। वह साइकिल चलाना इसलिए नहीं छोड़ना चाहती, क्योंकि इससे उसे आज़ादी का अनुभव होता है।

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डीलर ने लेखक को क्या समझ जानकारी दी?

इसे सुनेंरोकेंदूसरे, उस डीलर ने बड़ी सतर्कता के साथ यह जानकारी मुझे दी थी – उसे लगा कि मैं बिक्री कर विभाग का कोई आदमी हूँ। लेखक आगे कहता है कि इस सारे मामले पर पुरुषों की क्या राय थी? लेखक ने यह प्रश्न किया और इसके पक्ष में ‘आर- साइकिल्स’ के मालिक को तो रहना ही था।

पुडुकोट्टई में लगभग कितनी महिलाओं ने साइकिल चलाना सीखा?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न-4 ‘पुडुकोट्टई’ की लगभग कितनी महिलाओं ने साइकिल चलाना सीख लिया है? उत्तर – अगर दस वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को अलग कर दें तो यहाँ ग्रामीण महिलाओं के एक चौथाई हिस्से ने साइकिल चलाना सीख लिया है।

जहां पहिया है पाठ में फातिमा क्या कार्य करती है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – फातिमा माध्यमिक स्कूल में पढ़ानेवाली अध्यापिका थी वह प्रतिदिन किराये पर साइकिल लेकर शाम को चलाती थी।

फातिमा कौन से स्कूल में पढ़ती थी?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: माध्यमिक स्कूल की अध्यापिका है.

साइकिल चलाने से महिलाओं को कौन कौन से लाभ हुए हैं?

इसे सुनेंरोकेंसाइकिल चलाने से किसी भी व्यक्ति को आज़ादी और खुशहाली का अनुभव होता है और आनंद महसूस होता है। आत्मसम्मान प्राप्त होता है और आत्मनिर्भरता आती है। महिलाएँ भी साइकिल चलाना सीखकर अपनी स्वाधीनता के प्रति, अपने अधिकारों के प्रति जाग्रत हुई हैं। वे आत्मनिर्भर हो गईं हैं।

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साइकिल चलाने से मह लाओिं क कौन कौन से लाभ हुए ैं?

इसे सुनेंरोकें(i) ‘साइकिल आंदोलन’ से महिलाएँ अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के प्रति जागृत हुई हैं। (ii) ‘साइकिल आंदोलन’ ने उन्हें नवसाक्षर किया है, आर्थिक स्थिति सुधरी है। (iii) ‘साइकिल आंदोलन’ ने उन्हें अधिकारों के प्रति जागृत किया है।

पुदुक्कोट्टई की महिलाओं ने साइकिल चलाना सीखने को किस रूप में लिया और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंभारत के सर्वाधिक गरीब ज़िलों में से एक है पुडुकोट्टई। पिछले दिनों यहाँ की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता, आज़ादी और गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रूप में साइकिल को चुना है।

साइकिल चलाने वाली महिलाओं ने साइकिल चलाने को क्या बताया class 8?

इसे सुनेंरोकेंसाइकिल प्रशिक्षण से महिलाओं के अंदर आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई है, यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। फातिमा का कहना है-“बेशक, यह मामला केवल आर्थिक नहीं है।” फातिमा ने यह बात इस तरह कही जिससे मुझे लगा कि मैं कितनी मूर्खतापूर्ण ढंग से सोच रहा था। उसने आगे कहा-“साइकिल चलाने से मेरी कौन सी कमाई होती है। मैं तो पैसे ही गँवाती हूँ।

साईकिल चलाने से महिलाओं को कौन कौन से लाभ हुए?

साइकिल चलाने से किसी भी व्यक्ति को आज़ादी और खुशहाली का अनुभव होता है और आनंद महसूस होता है। आत्मसम्मान प्राप्त होता है और आत्मनिर्भरता आती है। महिलाएँ भी साइकिल चलाना सीखकर अपनी स्वाधीनता के प्रति, अपने अधिकारों के प्रति जाग्रत हुई हैं। वे आत्मनिर्भर हो गईं हैं।

साइकिल चलाने से क्या लाभ है?

साइकिल चलाने के फायदे – Benefits of Cycling in Hindi.
हृदय स्वास्थ को बेहतर बनाए ... .
वजन प्रबंधन में मदद करे ... .
टाइप 2 मधुमेह के जोखिम कम करे ... .
मांसपेशियों को मजबूत करे ... .
कैंसर के जोखिम कम करे ... .
गठिया की रोकथाम में मदद करे ... .
तनाव कम करे.

साइकिल चलाने से महिलाओं में किस गुण का विकास हुआ और कैसे?

महिलाओं का मानना है कि साइकिल चलाने से उनमें आत्मनिर्भरता का विकास हुआ है। अब उन्हें अपने कार्यों हेतु पुरुषों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना, पानी भरना, सामान ढोना ये सारे कार्य वे आसानी से साइकिल द्वारा कर लेती हैं। कई बार तो बच्चे भी उनके साथ होते हैं।

साइकिल चलाने से महिलाओं में क्या बदलाव आया?

Answer: (i) 'साइकिल आंदोलन' से महिलाएँ अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के प्रति जागृत हुई हैं। (ii) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें नवसाक्षर किया है, आर्थिक स्थिति सुधरी है। (iii) 'साइकिल आंदोलन' ने उन्हें अधिकारों के प्रति जागृत किया है।