राधा कृष्ण की बांसुरी को क्यों छुपा देती है? - raadha krshn kee baansuree ko kyon chhupa detee hai?

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं। 


गोपियाँ श्रीकृष्ण से बातें करना चाहती हैं। वे कृष्ण को रिझाना चाहती हैं। परन्तु कृष्ण जी को अपनी बाँसुरी बेहद प्रिय है वे सदैव उसे ही बजाते रहते हैं। गोपियाँ जानती हैं कि श्रीकृष्ण का अपनी मुरली से बहुत प्रेम हैं और इसलिए कृष्ण उनसे नोंक-झोंक अवश्य करेंगे। इसलिए उनका ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए बाँसुरी छिपा देती हैं।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
सच्चे मन में राम बसते हैं − दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए। 


बिहारी जी ईश्वर प्राप्ति के लिए धर्म कर्मकांड को दिखावा समझते हैं। माला जपने, छापे लगवाना, माथे पर तिलक लगवाने से प्रभु नहीं मिलते। भगवान राम तो सच्चे मन की भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं। कुछ लोग आडम्बर और प्रपंच हैं। ईश्वर का निवास स्थान सच्चा और मन पवित्र होता हैं। कच्चा मन तो काँच के सामान नाजुक होता हैं। वह टूट भी सकता हैं।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
छाया भी कब छाया ढूँढ़ने लगती है? 


कवी ने ग्रीष्म ऋतु का वर्णन करते हुए जेठ महीने की प्रचंड गर्मी की भीषणता को स्पष्ठ करते हुए कहा हैं की जो छाया दूसरों को शीतलता देती हैं, उससे भी गर्मी के इस महीने में छावँ की आवश्यकता पड़ती हैं, अर्थात् जेठ के महीने में छाया ढूँढना लगती हैं               

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।   


बिहारी कवि का यह दोहा वास्तव में 'गागर में सागर' उक्ति को सिद्ध करता हैं। बिहारी ने बताया है कि नायक और नायिका सबकी उपस्थिति में इशारों में अपने मन की बात करते हैं। नायक ने सबकी उपस्थिति में नायिका को इशारा किया। नायिका ने इशारे से मना किया। इस पर नायक रीझ गया। इस रीझ पर नायिका खीज उठी। दोनों के नेत्र मिले, नायक प्रसन्न था और नायिका की आँखों में लज्जा थी।

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -
बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है 'कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात' - स्पष्ट कीजिए।
 


बिहारी ने नायिका की व्याकुलता को इन पंक्तियों के माध्यम से प्रकट किया हैं। वह अपने प्रिय को संदेश देना चाहती है पर कागज पर लिखते समय कँपकपी और आँसू आ जाते हैं। किसी के साथ संदेश भेजेगी तो कहते लज्जा आएगी। इसलिए वह सोचती है कि जो विरह अवस्था उसकी हैवही उसके प्रिय की भी होगी। अतवह कहती है कि अपने हृदय की वेदना से मेरी वेदना को समझ जाएँगे। नायिका चतुरता से अपने हृदय को नायक के ह्रदय में स्थित बता रही हैं।

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श्रीकृष्ण के जाने के बाद राधा का क्या हुआ, कन्हैया ने क्यों तोड़ी थी बांसुरी?

राधा कृष्ण की बांसुरी को क्यों छुपा देती है? - raadha krshn kee baansuree ko kyon chhupa detee hai?

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जब कभी प्रेम और त्याग की बात की जाती है तो कृष्ण और राधा का नाम सबसे पहले आता है. लेकिन क्या कृष्ण भक्त जानते हैं कि उनकी प्रिय राधा की मत्यु कैसे हुई थी और आखिर क्यों श्री कृष्ण को अपनी बांसुरी तोड़नी पड़ी थी. राधा श्रीकृष्ण के बचपन का प्यार थीं. श्रीकृष्ण जब 8 साल के थे तब से दोनों के बीच प्रेम था. राधा श्रीकृष्ण के दैवीय गुणों से परिचित थीं. उन्होंने जिंदगी भर अपने मन में प्रेम की स्मृतियों को बनाए रखा. यही दोनों के रिश्ते की सबसे बड़ी खूबसूरती है.

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श्रीकृष्ण को केवल दो ही चीजें सबसे ज्यादा प्रिय थीं. ये दोनों चीजें भी आपस में एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई थीं- एक बांसुरी और दूसरी राधा. कृष्ण की बांसुरी की धुन ही थी जिससे राधा श्रीकृष्ण की तरफ खिंची चली गईं. राधा की वजह से श्रीकृष्ण बांसुरी को हमेशा अपने पास ही रखते थे. भले ही श्रीकृष्ण और राधा का मिलन ना हो सका, लेकिन उनकी बांसुरी उन्हें हमेशा एक सूत्र में बांधे रखा.

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श्रीकृष्ण के जितने भी चित्रण मिलते हैं, उनमें बांसुरी जरूर रहती है. बांसुरी श्रीकृष्ण के राधा के प्रति प्रेम का प्रतीक है. वैसे तो राधा से जुड़े कई अलग-अलग विवरण मौजूद हैं, लेकिन एक प्रचलित कहानी नीचे दी गई है. भगवान श्रीकृष्ण से राधा पहली बार तब अलग हुईं, जब मामा कंस ने बलराम और कृष्ण को आमंत्रित किया. वृंदावन के लोग यह खबर सुनकर दुखी हो गए थे.

राधा कृष्ण की बांसुरी को क्यों छुपा देती है? - raadha krshn kee baansuree ko kyon chhupa detee hai?

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मथुरा जाने से पहले श्रीकृष्ण राधा से मिले थे. राधा, कृष्ण के मन में चल रही हर गतिविधि को जानती थीं. राधा को अलविदा कह कृष्ण उनसे दूर चले गए. कृष्ण राधा से ये वादा करके गए थे कि वो वापस आएंगे. लेकिन कृष्ण राधा के पास वापस नहीं आए. उनकी शादी भी रुक्मिनी से हो गई. रुक्मिनी ने भी श्रीकृष्ण को पाने के लिए बहुत जतन किए थे. श्रीकृष्ण से विवाह के लिए वह अपने भाई रुकमी के खिलाफ चली गईं. रुक्मिनी ने श्रीकृष्ण को एक प्रेम पत्र भी भेजा था कि वह आकर उन्हें अपने साथ ले जाएं. इसके बाद ही कृष्ण रुक्मिनी के पास गए और उनसे शादी की.

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कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद से ही राधा का वर्णन बहुत कम हो गया. राधा और कृष्ण जब आखिरी बार मिले थे तो राधा ने कृष्ण से कहा था कि भले ही वो उनसे दूर जा रहे हैं, लेकिन मन से कृष्ण हमेशा उनके साथ ही रहेंगे. इसके बाद कृष्ण मथुरा गए और कंस और बाकी राक्षसों का वध किया. इसके बाद प्रजा की रक्षा के लिए कृष्ण द्वारका चले गए और द्वारकाधीश के नाम से लोकप्रिय हुए.

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जब कृष्ण वृंदावन से निकल गए, तब राधा की जिंदगी ने अलग ही मोड़ ले लिया था. राधा की शादी एक यादव से हो गई. राधा ने अपने दांपत्य जीवन की सारी रस्में निभाईं और बूढ़ी हुईं, लेकिन उनका मन तब भी कृष्ण के लिए समर्पित था. राधा ने पत्नी के तौर पर अपने सारे कर्तव्य पूरे किए. दूसरी तरफ श्रीकृष्ण ने अपने दैवीय कर्तव्य निभाए.

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सारे कर्तव्यों से मुक्त होने के बाद राधा आखिरी बार अपने प्रियतम कृष्ण से मिलने गईं. जब वह द्वारका पहुंचीं तो उन्होंने कृष्ण की रुक्मिनी और सत्यभामा से विवाह के बारे में सुना लेकिन वह दुखी नहीं हुईं. जब कृष्ण ने राधा को देखा तो बहुत प्रसन्न हुए. दोनों संकेतों की भाषा में एक दूसरे से काफी देर तक बातें करते रहे. राधा को कान्हा की नगरी द्वारिका में कोई नहीं पहचानता था. राधा के अनुरोध पर कृष्ण ने उन्हें महल में एक देविका के रूप में नियुक्त किया.

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राधा दिन भर महल में रहती थीं और महल से जुड़े कार्य देखती थीं. मौका मिलते ही वह कृष्ण के दर्शन कर लेती थीं. लेकिन महल में राधा ने श्रीकृष्ण के साथ पहले की तरह का आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रही थीं, इसलिए राधा ने महल से दूर जाना तय किया. उन्होंने सोचा कि वह दूर जाकर दोबारा श्रीकृष्ण के साथ गहरा आत्मीय संबंध स्थापित कर पाएंगी.

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उन्हें नहीं पता था कि वह कहां जा रही हैं, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण जानते थे. धीरे-धीरे समय बीता और राधा बिल्कुल अकेली और कमजोर हो गईं. उस वक्त उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की आवश्यकता पड़ी. आखिरी समय में भगवान श्रीकृष्ण उनके सामने आ गए. कृष्ण ने राधा से कहा कि वह उनसे कुछ मांगें, लेकिन राधा ने मना कर दिया. कृष्ण के दोबारा अनुरोध करने पर राधा ने कहा कि वह आखिरी बार उन्हें बांसुरी बजाते देखना चाहती हैं.

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श्रीकृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद सुरीली धुन में बजाने लगे. श्रीकृष्ण ने दिन-रात बांसुरी बजाई, जब तक राधा आध्यात्मिक रूप से कृष्ण में विलीन नहीं हो गईं. बांसुरी की धुन सुनते-सुनते राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया. कृष्ण जानते थे कि उनका प्रेम अमर है, बावजूद वे राधा की मृत्यु को बर्दाश्त नहीं कर सके. कृष्ण ने प्रेम के प्रतीकात्मक अंत के रूप में बांसुरी तोड़कर झाड़ी में फेंक दी. उसके बाद से श्री कृष्ण ने जीवन भर बांसुरी या कोई अन्य वादक यंत्र नहीं बजाया.

गोपियों ने श्री कृष्ण की बांसुरी क्यों छिपा ली थी?

वे कृष्ण को रिझाना चाहती हैं। परन्तु कृष्ण जी को अपनी बाँसुरी बेहद प्रिय है वे सदैव उसे ही बजाते रहते हैंगोपियाँ जानती हैं कि श्रीकृष्ण का अपनी मुरली से बहुत प्रेम हैं और इसलिए कृष्ण उनसे नोंक-झोंक अवश्य करेंगे। इसलिए उनका ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए बाँसुरी छिपा देती हैं

बांसुरी पूर्व जन्म में कौन थी?

ऋषि दधीचि वही महान ऋषि है जिन्होंने धर्म के लिए अपने शरीर को त्याग दिया था व अपनी शक्तिशाली शरीर की सभी हड्डियां दान कर दी थी। उन हड्डियों की सहायता से विश्कर्मा ने तीन धनुष पिनाक, गांडीव, शारंग तथा इंद्र के लिए व्रज का निर्माण किया था। शिव जी​ ने उस हड्डी को घिसकर एक सुंदर एवं मनोहर बांसुरी का निर्माण किया।

कृष्ण भगवान ने बांसुरी क्यों तोड़ी थी?

कृष्ण जानते थे कि उनका प्रेम अमर है, बावजूद वे राधा की मृत्यु को बर्दाश्त नहीं कर सके. कृष्ण ने प्रेम के प्रतीकात्मक अंत के रूप में बांसुरी तोड़कर झाड़ी में फेंक दी. उसके बाद से श्री कृष्ण ने जीवन भर बांसुरी या कोई अन्य वादक यंत्र नहीं बजाया.

राधा की उम्र कितनी थी?

श्रीकृष्ण उस वक्त 8 साल के और राधा 12 साल की थीं।