राष्ट्रीय बाघ क्यों बनाए जाते हैं? - raashtreey baagh kyon banae jaate hain?

अगर हमें एक हेल्दी Environment में रहना हैं तो हर चीज़ के बीच संतुलन बनाना ज़रूरी है ।बाघ उन प्रजातियों में से है जो खत्म होने की कगार पर हैं । इसी कारण से 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस के रूप ,में मनाते है।इसी कारण से  बाघों की घटती आबादी पर विराम लगाने के लिए और संरक्षण के प्रति विश्व भाग दिवस मनाया जाता है ।जिससे लोगो जानवरों का महत्व समझे । बाघ के लुप्त होने की वजह से प्राकृतिक अस्थिरता बदती जा रही है । बाघ का वैज्ञानिक नाम Panthera Tigris ये बिल्ली की सबसे बड़ी प्रजाति हैं । आज हम इस ब्लॉग में विश्व बाघ दिवस कैसे शुरू हुआ , इसकी थीम क्या है , भारत में बाघ की विभिन्न प्रजातियां, भारत में चलाए  गए बाघ संरक्षण प्रोग्राम आदि पर जानकारी देंगे।

Check Out: विश्व पर्यावरण दिवस

विश्व बाघ दिवस का इतिहास 

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बाघ संरक्षण दिवास को बढ़ावा देना के लिए और बाघों की घटती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए 2010 रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित शिखर सम्मलेन में विश्व बाघ दिवस मानाने का ऐलान किया गया। इसमें देशों द्वारा 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य हैं ।

बाघ दिवस का महत्व

बाघों की सुरक्षा और परिस्थितियों में बदलाव लाने के लिए मनाया जाता हैं ।विश्व दिवस के दिन कई देश साथ में मिलकर बाघ संरक्षण से सम्बंधित मुद्दों पर चर्चा और वन्यजीवन संरक्षण के लिए फण्ड इकठ्ठा करना। विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund)के मुताबिक पूरे विश्व में लगभग 3900 बाघ है । अवैध शिकार की वजह से बाघों की लगभग 95%  आबादी खत्म हो चुकी है। 1970 में बाघों के संरक्षण के बावजूद बाघों की संख्या में तेज़ी से गिरावट आई है । इसलिए सेंट पीटर्सबर्ग  में बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य हैं । बाघों को “Umbrella Species “ के नाम से भी जानते हैं क्योंकि इनका  संरक्षण  आस पास में रह रही कई और प्रजातियों का भी संरक्षण होगा। 

जंगलों में वन्यजीव कम हो रहे हैं, लेकिन शहरों में बढ़ रहे हैं।

महात्मा गाँधी 

विश्व बाघ दिवस 2021 Theme

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विश्व बाघ दिवस -2021 की Theme -”Their Survival is in our hands” हैं ।बाघ संरक्षण  के लिए काम करते हुए एमपी टाइगर फाउंडेशन सोसाइटी ने “सखा” अभियान शुरूकिया है। इसमें मध्य प्रदेश में और जंगल के आसपास रह रह लोगों को प्रिंटेड -टी-शर्ट  जाएगी और प्रतियोगिता में भेजा जाएगा। प्रदेश में 17 से ज्यादा जगहों पर आयोजित होगा ।

भारत में बाघ संरक्षण

बाघ का  वैज्ञानिक नाम Panthera Tigris एक अल्फा  शिकारी है जानवर है जो हिरण और जंगली सूअर जैसे जानवरों का शिकार करता है। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। भारत हमेशा अपने राष्ट्रीय पशु के संरक्षण में आगे रहा है।

प्रोजेक्ट टाइगर

बाघों की घटती संख्या को ध्यान रखते हुए 1973 मे प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया इसका उदेश्य देश में बाघ का संरक्षण को बढावा देना । रॉयल बंगाल टाइगर को उसका नेचुरल आवास उपलब्ध कराना हैं । इसके तहत बाघों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया।8 राज्यों में अभ्यारण बनाया गए । काजीरंगा नेशनल पार्क ,सरिस्का नेशनल पार्क , सेंट्रल इंडिया , शिवालिक -तिराई , ईस्टर्न घाट , वेस्टर्न घाट , नार्थ ईस्ट , सुंदरबन । यहाँ बाघों को सुरक्षा प्रदान हेतु रखा गया । जंगल में फ़ूड चैन  बनाए रखने में हिरण , चीतल अन्य जानवरों को रखा गया ।वर्तमान में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के तहत संरक्षित टाइगर रिज़र्व की संख्या 50 हो गई है।

भारत में बाघों की दशा 

2018 में प्रकाशित अखिल भारतीय बाघ अनुमान के अनुसार भारत में बाघों की संख्या  2,967 हो गयी हैं ये भारत के लिए गर्व की बात है की भारत ने 4 चार साल पहले ही सेंट पीट्सबर्ग में दिए लक्ष्य को हासिल कर लिया। सबसे ज़्यादा बाघों की संख्या मध्य प्रदेश में 526 , कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में 442 थी ।तीन टाइगर रिज़र्व बक्सा (पश्चिम बंगाल), डंपा (मिज़ोरम) और पलामू (झारखंड) में बाघों के अनुपस्थिति दर्ज की गई।

वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय  के अनुसार दी गई जानकारी में साल 2019 में देश में बाघों की मृत्यों 85  मामले आए है ,11 मामलों में मरने की पुष्टि उनके अंगों के मिलने के आधार पर की गई। 2018 में बाघों की मृत्यु के 100 मामले और 2017 में 115 मामले थे ।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण 

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भारत में बाघों कीजनगणना का आयोजन सर्वप्रथम वर्ष 2006 में किया गया था।प्रत्येक 4 वर्ष में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा पूरे भारत में बाघों की जनगणना की जाती है। ये एक संविधान इकाई है  जो वन, पर्यावरण एवं जलवायु के अन्दर आता है ।

भारत में राष्ट्र बाघ संरक्षण प्राधिकार ने अवैध शिकार से बचाने के लिए इंटेलिजेंट, इन्फ्रारेड और 24*7थर्मल कैमरे का इस्तेमाल किया जा रहा हैं । बाघ  संरक्षण के बजट को बड़ा कर 150 करोड़ से 350करोड़ कर दिया है । सरकार ने जानवरों को जल और चारा उपलब्ध करने का प्रयास किया है जिसके लिए LiDAR टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा ।

बाघों की आबादी में कमी के कारण

  • अवैध शिकार और अवैध व्यापार – बाघ का अवैध शिकार इसलिए होता है क्योंकि बाघ के शरीर के प्रत्येक अंग की मूंछ से लेकर उसकी पूंछ तक की भारी मांग होती है। 1930 के बाद से बाघों की आबादी में अत्यधिक गिरावट आई है. अवैध शिकार बचे हुए बाघों की आबादी के लिए अगला खतरा है।
  • हैबिटैट लोस – बाघों के आवास पर बड़े पैमाने पर कब्ज़ा किया गया और रहने इ जगह बनाने के लिए वनों को काटा जा रहा है जंगल काटने से बाघों के आवास को 93%  नुकसान हमने इस ब्लॉग के माध्यम से जाना की बालश्रम क्या है , बाल श्रम के कारण, उपाय, सरकारी योजनाएं आदि | आज बालश्रम निषेध दिवस के दिन हम सबको ये शपथ लेनी चाहिए की अगर किसी बालक पर अत्याचार या उसके साथ दुर्व्यवाहर होते देखे तो तुरंत उसे मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाये। ऊपर दी गई जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं इसी तरह की और जानकारी के लिए हमारी साइट Leverage Edu पर बने रहे ।पंहुचा है।
  • जलवायु परिवर्तन- समुद्र का बढ़ता स्तर सुंदरवन खत्म होने की कगार पर है , जो रॉयल बंगाल टाइगर्स का सबसे बड़ा बाघ निवास स्थान है।

“बाघ संरक्षण कोई विकल्प नहीं है, यह एक अनिवार्यता है”

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी

बाघों की विभिन्न प्रजातियां

  • साइबेरियन टाइगर – बाघ जो बर्फीले परिस्थितियों में ही रहते हैं।
  • बंगाल टाइगर – ये बाघ एशिया में पाए जाते हैं। एशिया में बंगाल टाइगर बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल में पाए जाते हैं।
  • इंडोचाइनीज टाइगर – इन बाघों को कई एशियाई देशों में देखा जा सकता है। इंडोचाइनीज टाइगर बर्मा, कंबोडिया, लाओस, चीन, वियतनाम और थाईलैंड में पाए जाते हैं।
  • मलेशियाई बाघ – ये बाघ केवल मलय प्रायद्वीप के दक्षिण में पाए जा सकते हैं।
  • साउथ चाइना टाइगर्स – ये सबसे लुप्तप्राय बाघ उप-प्रजातियों में से एक हैं। वे सुमात्राण बाघों की तुलना में अधिक संकटग्रस्त हैं।
  • सुमात्रा टाइगर्स – ये बाघ बिल्ली परिवार के सबसे बड़े सदस्य हैं और ग्रह पर सबसे करिश्माई लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक हैं।

विलुप्त बाघ प्रजाति

  • बाली टाइगर
  • कैस्पियन टाइगर
  • जावन टाइगर
  • टाइगर हाइब्रिड

विश्व बाघ दिवस  पर निबंध  

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Source: Wikipedia

बाघ भारत का राष्ट्र पशु है। ये बिल्ली की प्रजाति कास सबसे बड़ा जानवर है ।ये एक क्रूर जानवर माना जाता है । बाघ की लगभग आठ नस्ले है, रॉयल बंगाल प्रजाति लगभग पूरे देश (उत्तर-पश्चिमी राज्य को छोड़कर) में पाई जाती है। क बाघ की लंबाई 8 से 10 फीट और ऊंचाई र 3 से 4 फीट हो सकती है।इसके ऊपरी दो दांत और दो निचले जबड़ेके दो दांत  बहुत भारी और मजबूत होते हैं ताकि एक भारी शिकार को अपनी भारी जरूरत को पूरा करने के लिए हड़प सकें। एक बाघ की लंबाई और ऊंचाई क्रमशः 8 से 10 फीट और 3 से 4 फीट हो सकती है।भारत में  बाघ सबसे ज्यादा  पर सुंदरवन (असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मध्य भारत, आदि) में पाए जाते हैं। बड़े आकार के बाघ अफ्रीकी जंगलों में पाए जाते हैं। साइबेरियन टाइगर्स ठंडी जगहों पर रहने के लिए होते हैं, लेकिन रॉयल बंगाल टाइगर्स जंगल में नदी के पास है, इसलिए वे अच्छे तैराक होते हैं ।

बाघ बांग्लादेश, कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस, चीन, इंडोनेशिया, म्यांमार, नेपाल, मलेशिया, रूस, वियतनाम, भूटान, आदि में भी पाए जाते हैं।तेजी से बाघों की घटती संख्या को रोकने और उन्हें संरक्षण देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने  उतराखंड के जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना कर 1 अप्रैल, 1973 से बाघ परियोजना आरम्भ की थी ।

विश्व बाघ दिवस पर अनमोल विचार 

जब कोई आदमी बाघ की हत्या करना चाहता है तो वह उसे खेल कहता है, जब बाघ उसकी हत्या करना चाहता है तो वह इसे क्रूरता कहता है। -जॉर्ज बर्नार्ड शॉ

बाघों की एक स्वस्थ आबादी 13 बाघ रेंज वाले देशों में सतत विकास का सूचक है।” – मिडोरी पैक्सटन

बाघों को हमेशा के लिए खामोश करने से पहले उन्हें बचाएं। बाघों को मारना लालच है, जरूरत नहीं। बाघ बचाओ! प्रकृति बचाओ!” – सनाय

किसी राष्ट्र की महानता और उसकी नैतिक प्रगति का अंदाजा उसके जानवरों के साथ व्यवहार के तरीके से लगाया जा सकता है।’- महात्मा गाँधी

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बाघ राष्ट्रीय क्यों है?

बाघ को विलुप्त होने से बचाने के लिए भी राष्ट्रीय पशु चुना गया। 2018 कि एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बाघों की संख्या 2967 हो गई है। यह संख्या 2014 में 2226 थी, इसमें लगभग 33 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि जिस साल बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था उस समय बाघ की संख्या केवल 9 थी।

भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ को ही क्यों बनाया गया?

शालीनता, दृढ़ता, फुर्ती और अपार शक्ति के कारण 'रॉयल बंगाल टाइगर' को भारत का राष्ट्रीय पशु माना जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम 'पैंथेरा टिगरिस -लिन्नायस' है. बाघ की आठ प्रजातियों में से भारत में पायी जाने वाली बाघ प्रजाति को 'रॉयल बंगाल टाइगर' के नाम से जाना जाता है. बाघ को 1973 में भारत का राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था.

भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ से पहले क्या था?

बाघ से पहले भारत का राष्ट्रीय पशु शेर था लेकिन भारतीय वन्यजीवन बोर्ड द्वारा 1972 में शेर के स्थान पर बाघ को भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में अपनाया गया।

बाघ की विशेषता क्या है?

बाघ एक जंगली जानवर है और भारत के राष्ट्रीय पशु के रुप में जाना जात है। यह लगभग बिल्ली की तरह होता है क्योंकि यह बिल्ली के परिवार के अन्तर्गत आता है। यह बड़े दाँत और लम्बी पूँछ रखता है। यह विभिन्न रंगों का होता है (जैसे – सफेद, नीला, और नारंगी) हालांकि, सभी के शरीर पर काली धारियाँ होती हैं।