Hits: 2095 Show अस्सलामो अलैकुम भाइयो और बहनो ! कोई भी भाई या बहन अगर किसी भी तरह की परेशानी में मुब्तिला है ! और उसे राहे हल नहीं मिल रहा ! तो आप परेशानी दुर करने की दुआ ( Pareshani Ki Dua ) का अमल एक बार जरुर करे ! इन्शाह अल्लाह तआला आपकी हर दुःख तक़लीफ़ , हर परेशानी दूर हो जायेगी ! यह एक छोटा सा अमल है ! और इस अमल की मुद्दत 21 दिन है ! 21 दिन तक यह एक मुक़र्रर वक़्त यानी अगर आप ये दुआ ईशा की नमाज़ के बाद पढ़ते है ! तो रोज़ एक ही वक़्त पढ़े ! यानी रोज़ ईशा की नमाज़ के बाद ही पढ़े ! और ये दुआ पढ़ने के बाद अल्लाह से अपनी परेशानी से निज़ात के लिए दुआ करे ! सच्चे दिल से मांगी हुई दुआ अल्लाह रब्बुल इज़्जत कभी रद्द नहीं करता ! इन्शाह अल्लाह ! याद रखे कोई भी दुआ पढ़े अव्वल आखिर दरूद शरीफ़ जरूर पढ़ लिया करे !
तर्जुमा – pareshani Dur Karne ki dua या मु-फत्ति-हल् अब्वाबि वया मुसब्बि-बल् अस्बाबि “ऐ दरवाजों को खोलने वाले और ऐ जरीआ (साधन) पैदा करने वाले अस्बाब के” वया मु-क़ल्लि-बल् कुलूबि वल् अबसारिं और ऐ दिलों और निगाहों के फेरने वाले। ” वया ग़या-सल् मुस्तग़ीसी-न “और ऐ -फ़रियाद करने वालो की फ़रियाद को सुनने वाले। ” वया दली-लल् म-त-हय्यिरी -न वया मु-फ़र्रि-हल् महज़ूनी-न “और ऐ राह बताने वाले हैरानो (भूलेमटकों) के, और ऐ खुशी देने वाले ग़म वालों के” अग़िस्नी , अग़िस्नी , अग़िस्नी “ मेरी फ़रियाद सुनले, मेरी फ़रियाद सुनले, मेरी फ़रियाद सुनले” त-वक्कलतु अलै-क या रब्बी व-फव्वज़तु इलै-क अम्री “ऐ रब मैँ ने तुझ पर भरोसा किया और अपना काम तेरे हवाले किया । ” या रब्बु , या रब्बु , या रब्बु “ऐ परवरदिगार, ऐ परवरदिगार, ऐ परवरदिगार ” या अल्लाहु, या बासितु, या रज़्ज़ाकु, या फ़त्ताहु, या करीमु “ऐ अल्लाह, ऐ खुशहाली देने वाले, ऐ रोजी देने वाले, ऐ रहमत के दरवाजे खोलने वाले, ऐ सख़ावत करने वाले” नोट – ऊपर की दुआएँ तमाम परेशानियों के लिये फायदेमंद है (लाभदायक हैँ) ! कोई उचित समय मुकर्रर करके रोजाना 21 मर्तबा पढा जाये। परेशानी दूर करने का वजीफापरेशानी दूर करने का वजीफा, जीवन की राह में पग-पग पर परेशानियां आती रहती हैं। इनसे कोई भी इंसान खुद को पूरी तरह से मुक्त नहीं हो सकता है। सभी परेशानियों से बचना आसान नहीं होता है। छोटी-मोटी समस्याओं को तो सूझबूझ, ईमानदारी और परिश्रम से दूर कर लिया जाता है, लेकिन कुछ परेशानियों की ताकत का अंदाजा नहीं लग पाता है। नतीजा वैसी विकट मुसीबतों को जड़ समेत हटाने के लिए वजीफे या दुआ की अमल करनी चाहिए। परेशानी दूर करने का वजीफा यह नहीं भूलना चाहिए कि मुसीबतें इम्तहान की तरह होती हैं। यदि किसी शख्स को कैसी भी परेशानी क्यों न हो उसे दुरूद शरीफ के अमल से दूर करने की पहल करनी चाहिए। अल्लाह से अपने मसला बताकर दूर करने की मन्नत मांगनी चाहिए। इसके लिए दुरूदे-ए-पाक का वजीफा इस्तेमाल करना चाहिए। इसे निम्न तरह से पढ़ने के तरीके बताए गए हैं-
जिस्मानी परेशानी अगर किसी व्यक्ति को जिस्मानी परेशानी हो। किसी भी तरह का दुख, दर्द या कोई तकलीफ हो तो उसे अपना दायां हाथ तकलीफ की जगह पर रखकर दिए गए दुआ को तीन बार विस्मिल्लाह पढ़ने के बाद सात बार पढ़े। इसका अमल किसी भी समय में नमाज पढ़़ने और ताजा वजु करने के बाद करना चाहिए। दुआ इस प्रकार हैः- आअुजु बिल्न्लहि व कुदरतिही भिन शर्रे मा अजिदु व ओहजिरू। हर परेशानी से निजात हर तरह की परेशानी से निजात पाने के लिए नीचे दिए गए दुआ को रात मंे 101 बार पढ़ना चाहिए। और इसे प्रातः उठकर पांच लोगों को इसे पढ़कर सुनाना चाहिए। ऐसा तबतक करना चाहिए जबतक की परिशानी खत्म नहीं हो जाए। इसे पढ़ने से पहले किसी मौलवी से सही तरीके के बारे में मालुमात कर लेना चहिए। दुआ इस प्रकार हैः- ला इलाहा इल्ला अंता सुभानका इन्नी कुन्तु मिनज्जलिमीन। मुसीबत के वक्त कई बार कुछ मुसीबतें अचानक आ धमकती हैं। उसक वक्त इंसान का दिमाग ठीक से काम नहीं करता है। वह इतना परेशान हो जाता है कि कई दूसरी गलतियां कर बैठता है। ऐसे वक्त के लिए रसूल अल्लाह ने फरमाया है कि किलमान पढ़ा करो। इससे अल्लाह की दुआ मिलती है और मुसीबत जैसे आती हैं, वैसे ही दूर भी हो जाती हैं। दुआ इस प्रकार हैः- अल्लाहु, अल्लसहु रबी ला युश्रीका बही शय्या। इसके लिए इस तरह का क्रम से तरीका अपनाएं।
बनी हुई परेशानी भागदौड़ की जिंदगी में हर इंसान कई तरह की मुसीबतों का सामना करता है। कई बार ये मुसीबतें वक्त के साथ खत्म हो जाती हैं, कुछ मुसीबतें अर्से से बनी रहती हैं। यानी कि वक्त बीतता जाता है, लेकिन मुसीबतें हटने का नाम ही नहीं लेती हैं। यदि आपकी कोई ऐसी ही मुसीबत लगातार बनी हुई है। खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है, तो मुसीबत से निजात पाने की दुआ का अमल कर सकते हैं। इसका अचूक असर होता है। यह नहीं भूलंे कि आपके लिए अल्लाह ने मुसीबतों और तकलीफ से छुटकारा दिलाने के लिए कुरआन पाक में फरमाया है कि जब आप मुसीबत से निजात का वजीफा पढ़़़ते हैं तब अल्लाह आपके हाल पर रहम फरमाते हैं और आपको आपकी परेशानी से आजाद कर देते हैं। कहते हैं कि दिल से निकली यह दुआ सीधे अल्लाह ताला तक पहुंचती है। इसलिए इसे पूरी ईमानदारी से साफ नीयत से पढ़ें। इसमें इतनी ताकत है कि इससे कुछ ही वक्त में मुसीबत को खत्म हो जाती है। इसी तरह से यदि आपको लगता है कि आप किसी की बुरी नजर के शिकार हो गए हैं। उसी की वजह से परेशानी में हैं तो उदास या निरशा होने की जरूरत नहीं है। इस हाल में भी अल्ला आपको परेशानी से बाहर निकला देगा। दुआ के लिए सिलसिलेवार ढंग से तरीका इस प्रकार अपनाएं।
दुश्मन की जुबान बंद करने का वजीफा Related posts:Related postsघर में परेशानी हो तो कौन सी दुआ पढ़े?Musibat ki Dua (मुसीबत की दुआ)
अब्दुल्लाह बिन कुयब रजी अल्लाह अन्हो एक अल्लाह के रसूल सल्लाह अलैहे वसल्लम से अर्ज़ की हुज़ूर मै क्या पढू परेशानी को दूर करने के लिए, मुसीबत को टालने के लिए. तो अल्लाह के रसूल फरमाते है के तुम हर सुबह और शाम तिन तिन बार के अज्कार करो जो निचे बताया गए है.
रोजी में बरकत के लिए क्या पढ़ना चाहिए?एक बार दुरुद पाक पढ़ना है उसके बाद 21 बार या रज्जाकु पड़ना है फिर एक बार वही दुरुद पाक पड़ना है जो आपने शुरू में पड़ी थी ! उसके बाद अल्लाह से रिज्क में बरकत के लिए दुआ कीजिये ! और फिर बिस्मिल्लाह पढ़कर नाश्ता शुरू कीजिये !
कोई चीज गुम जाए तो कौन सी दुआ पढ़े?Inna Lil Lahi Wa Inna Ilaihi Raajioon | कुछ खो जाये तो क्या पढ़ें ?
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