नेता जी की मूर्ति को देखकर क्या याद आने लगता था? Show नगरपालिका ने कस्बे के चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। लोग जब भी नेताजी की मूर्ति को देखते तो उन्हें नेता जी का आजादी के दिनों वाला जोश याद आने लगता था। उन्हें नेता जी के वे नारे याद आते थे जो लोगों में उत्साह भर देते थे जैसे ‘दिल्ली चलो’ और ‘तुम मुझे खून दो’। उनकी मूर्ति देखकर लोगों को प्रतीत होता था कि कोई उन्हें देश के नवनिर्माण में पुकार रहा है। 649 Views हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा- हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे क्योंकि हालदार साहब चौराहे पर लगी नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को बिना चश्मे के देख नहीं सकते थे। जब से कैप्टन मरा था किसी ने भी नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगाया था। इसीलिए जब हालदार साहब कस्ये से गुजरने लगे तो उन्होंने ड्राइवर से चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मनाकर दिया था । 893 Views हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा- चौराहे पर नेता जी की मूर्ति पर बच्चे के हाथ से बना सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब भावुक हो गए। पहले उन्हें ऐसा लग रहा था कि अब नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कोई नहीं रहा था। इसलिए उन्होंने ड्राइवर को वहाँ रुकने से मना कर दिया था। परंतु जब उन्होंने नेता जी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखा तो उनका मन भावुक हो गया। उन्होंने नम आँखों से नेता जी की मूर्ति को प्रणाम किया। 786 Views हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को
कहा- हालदार साहब जब चौराहे से गुजरे तो न चाहते हुए भी उनकी नज़र नेता जी की मूर्ति पर चली गई। मूर्ति देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ था। सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब को यह उम्मीद हुई कि आज के बच्चे कल को देश के निर्माण में सहायक होंगे और अब उन्हें कभी भी चौराहे पर नेता जी की बिना चश्मे की मूर्ति नहीं देखनी पड़ेगी। 976 Views आशय स्पष्ट कीजिए- लेखक का उपरोक्त वाक्य से यह आशय है कि लेखक बार-बार यही सोचता है कि उस देश के लोगों का क्या होगा जो अपने देश के लिए सब न्योछावर करने वालों पर हँसते है। देश के लिए अपना घर-परिवार, जवानी, यहाँ तक कि अपने प्राण भी देने वालों पर लोग हँसते हैं। उनका मजाक उड़ाते हैं। दूसरों का मजाक उड़ाने वालों के पास लोग जल्दी इकट्ठे हो जाते हैं जिससे उन्हें अपना सामान बेचने का अवसर मिल जाता है। 1207 Views सेनानी न होते हुए भी चश्मे बाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? चश्मे वाला कोई सेनानी नहीं था और न ही वे देश की फौज में था। फिर भी लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। इसका कारण यह रहा होगा कि चश्मे वाले में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह अपनी शक्ति के अनुसार देश के निर्माण में अपना पूरा योगदान देता था। कैप्टन के कस्वे में चौराहे पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगी हुई थी। मूर्तिकार उस मूर्ति का चश्मा बनाना भूल गया। कैप्टन ने जब यह देखा तो उसे बड़ा दुःख हुआ। उसके मन में देश के नेताओं के प्रति सम्मान और आदर था। इसीलिए वह जब तक जीवित रहा उसने नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर रखा था। उसकी इसी भावना के कारण लोग उसे कैप्टन कहकर बुलाते थे। 2550 Views नेता जी की मूर्ति को देखकर क्या याद आने लगता था? नगरपालिका ने कस्बे के चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित करवाई थी। लोग जब भी नेताजी की मूर्ति को देखते तो उन्हें नेता जी का आजादी के दिनों वाला जोश याद आने लगता था। उन्हें नेता जी के वे नारे याद आते थे जो लोगों में उत्साह भर देते थे जैसे ‘दिल्ली चलो’ और ‘तुम मुझे खून दो’। उनकी मूर्ति देखकर लोगों को प्रतीत होता था कि कोई उन्हें देश के नवनिर्माण में पुकार रहा है। 649 Views निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
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A. अच्छे मूर्तिकार की जानकारी नहीं थी 126 Views निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
B. व्यर्थ की ऊहापोह और चिट्ठी-पत्री में 166 Views निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
127 Views ‘नेता जी का चश्मा’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। ‘नेता जी का चश्मा’ पाठ के लेखक स्वयंप्रकाश हैं। इस पाठ का उद्देश्य देश-प्रेम का वर्णन करना है। 8750 Views नेता जी की मूर्ति को देखकर क्या याद आने लगता है?लोग जब भी नेताजी की मूर्ति को देखते तो उन्हें नेता जी का आजादी के दिनों वाला जोश याद आने लगता था। उन्हें नेता जी के वे नारे याद आते थे जो लोगों में उत्साह भर देते थे जैसे 'दिल्ली चलो' और 'तुम मुझे खून दो'। उनकी मूर्ति देखकर लोगों को प्रतीत होता था कि कोई उन्हें देश के नवनिर्माण में पुकार रहा है।
मूर्ति का उद्देश्य क्या है?वे प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे अतीत में लोगों ने मनाने और यादगार बनाने के लिए चुना था, वे इतिहास का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। वास्तव में, इतिहास पढ़ाना लगभग कभी भी यही कारण नहीं है कि उन्हें क्यों खड़ा किया जाता है। इसके बजाय, पुरातनता के बाद से सार्वजनिक स्थानों में मूर्तियों का उपयोग आमतौर पर शक्ति और अधिकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता रहा है।
नेता जी की मूर्ति बनाने में देरी के क्या कारण है?हालदार साहब के मन में नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाले के प्रति आदर था। जब उन्हें पता चला कि चश्मा लगाने वाला कोई कैप्टन था तो उन्हें लगा कि वह नेता जी का कोई साथी होगा। परंतु पानवाला उसका मजाक उड़ाते हुए बोला कि वह एक लँगड़ा व्यक्ति है इसलिए वह फौज में कैसे जा सकता है।
नेता जी की मूर्ति पर चश्मा कौन लगाता था और क्यों?(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला- साहब! कैप्टन मर गया । (ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
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