Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 सुभद्रा कुमारी चौहानRBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तरRBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न Show प्रश्न 1. प्रश्न 2. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 निबन्धात्मक प्रश्न प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरRBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी पद्य Chapter 10 निबन्धात्मक प्रश्न प्रश्न: -मेरा जीवन पाठ-परिचय मेरा जीवन-‘मेरा जीवन’ कविता में सुभद्रा कुमारी चौहान के आशावादी विचारों की झलक मिलती है। वह रोना नहीं, सदा हँसना जानती हैं। दु:ख उनके पास फटकता भी नहीं। लोग संसार को असार कहते हैं, परन्तु कवयित्री को उसमें सुख का सार दिखाई देता है। उसके मन में उत्साह, उमंग, उल्लास और प्रसन्नता सदा रहते हैं। असफलता से दूर उसका जीवन भव्य आशा से भरा है। विश्वास, प्रेम, साहस उसके जीवन के साथी हैं। प्रश्न 1. पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ प्रश्न 2. मैंने हँसना सीखा है, शब्दार्थ-पल-पल = हर समय, प्रत्येक क्षण। सोना = स्वर्ण, आनन्द। पीड़ा = कष्ट, दर्द। क्रीड़ा = खेल। संदर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ में संकलित सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘मेरा जीवन’ से ली गई हैं। कवयित्री ने कहा है कि वह सदा आशावादी बनी रहती हैं और निराशा तथा दुःख से दूर रहती हैं। व्याख्या-कवयित्री कहती हैं कि उसका जीवन प्रसन्नता से भरा है। उसने कभी रोना सीखा ही नहीं। वह तो केवल हँसना जानती है। उसके जीवन में हर क्षण आनन्द के सोने की बरसात होती रहती है। उसने कभी यह जाना ही नहीं कि दुःख-दर्द क्या होता है। दु:ख हँसकर उसके जीवन से कैसे खिलवाड़ करता है, वह उसे नहीं पता।। विशेष-(1) सरल खड़ी बोली है। (2) पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग हुआ है। जग है असार सुनती हूँ, मुझको सुख-सार दिखाता; मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता। उत्साह, उमंग निरन्तर रहते मेरे जीवन में, उल्लास विजय का हँसती शब्दार्थ-जग = संसार। असार = तत्वहीन, नश्वर। सुख-सार = सुख से भरा हुआ। उमंग = उल्लास। मतवाले = मस्त। संदर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ में संकलित कविता ‘मेरा जीवन’ से लिया गया है। इसकी रचना सुभद्रा कुमारी चौहान ने की है। कवयित्री ने कभी निराश न होने तथा उत्साह-उमंग से भरा जीवन जीने की प्रेरणा दी है। व्याख्या-कवयित्री कहती है कि उसने लोगों को इस संसार को सारहीन कहते सुना है। उसको उनकी बात सही नहीं लगती। उसको तो संसार सारपूर्ण तथा सुख से भरा दिखाई देता है। उसकी आँखों के सामने हमेशा सुख का समुद्र लहराता रहता है। उसका जीवन हमेशा उत्साह और उल्लास की भावना से भरा रहता है। उसके मस्ती भरे जीवन में विजय की प्रसन्नता हँसती है अर्थात् उसने कभी जीवन की परिस्थितियों से हारना तथा निराश होना नहीं सीखा है। विशेष- 3. आशा आलोकित करती शब्दार्थ-आलोकित = प्रकाशित। स्वर्ण-सूत्र = सोने का धागा। वलयित = घिरा हुआ। घन = बादल। संदर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ की ‘मेरा जीवन’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं। इनकी रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं। कवयित्री अपने जीवन में कभी निराश होना नहीं जानती। विश्वास, प्रेम और साहस के साथ वह निरन्तर सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ती है। व्याख्या-कवयित्री कहती है कि उसके जीवन का प्रत्येक क्षण आशा की भावना से भरा रहता है। उसकी असफलता के बादल सदा सोने के धागे से चारों ओर से घिरे रहते हैं। विशेष- RBSE Solutions for Class 9 Hindi |