Solution : मानसून के आगमन की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं- मानसून की शुरुआत जून माह में होती है। जून के प्रारंभ में उत्तरी मैदानों में निम्न दाब की अवस्था तीव्र हो जाती है। यह दक्षिणी गोलार्द्ध की व्यापारिक हवाओं को आकर्षित करता है। ये अपने साथ इस महाद्वीप में बहुत अधिक मात्रा में नमी लाती है। मानसून से संबंधित एक अन्य परिघटना है, ‘वर्षा में विराम’। वर्षा में विराम का अर्थ है कि मानसूनी वर्षा एक समय में कुछ दिनों तक ही होती हैं। मानसून में आने वाले ये विराम मानसूनी गर्त की गति से संबंधित होते हैं। मानसून को इसकी अनिश्चितता के कारण जाना जाता है। जब यह एक हिस्से में बाढ़ का कारण बनता है, उसी समय यह किसी दूसरे भाग में अकाल का कारण बन सकता है। मौसम के प्रारंभ में पश्चिम घाट के पवनमुखी भागों में भारी वर्षा लगभग 250 सेमी से अधिक होती है। दक्कन का पठार एवं मध्य प्रदेश के कुछ भागों में भी वर्षा होती है, यद्यपि ये क्षेत्र वृष्टि छाया क्षेत्र में आते हैं। इस मौसम की अधिकतर वर्षा खासी पहाड़ी के दक्षिणी श्रृंखलाओं में स्थित मॉसिनराम विश्व में सबसे अधिक औसत वर्षा प्राप्त करता है। Show मानसून का आगमन और गमन भारत में मानसून का काफी महत्व है, क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत के अधिकतर किसान सिंचाई के लिए मानसून के बारिश पर निर्भर करते हैं। मानसून अगर सही समय पर ना हो तो नहर, नदी ,तालाब आदि के पानी भी सूख जाएंगे। मार्च में उत्तर भारत के और पूर्वी समुद्र तट के मई में मध्य भारत के और जनवरी से अप्रैल तक उत्तरी गोलार्ध की सतह के अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान नोट किए जाते हैं इसके साथ ही मानसून की भविष्यवाणी की जाती है। मानसून की भविष्यवाणी में जनवरी से मार्च तक हिमालय के खास बागों में बर्फ का स्तर, क्षेत्र और दिसंबर में यूरेशियन भाग में बर्फबारी की भी अहम भूमिका होती है।
मानसून के वापसी का क्या अर्थ है?मानसून की वापसी :
मानसून के पीछे हटने के क्रम में सर्वाधिक वर्षा पूर्वी तट पर होती है। लौटता हुआ मानसून बंगाल की खाड़ी से पर्याप्त नमी प्राप्त करता है व उत्तर पूर्वी मानसून के साथ मिलकर अक्टूबर- नवंबर के महीने में आंध्र प्रदेश के रायसीमा तथा तमिलनाडु के कोरोमंडल तट पर वर्षा करता है।
मानसून के आगमन और वापसी से आप क्या समझते हैं?मानसून की वापसी - भारत में मानसून का समय जून के आरंभ से लेकर मध्य सितंबर तक लगभग 100 से 120 दिन तक का होता है। मानसून की वापसी भारत के पश्चिम उत्तर राज्यों से सितंबर में प्रारंभ हो जाती है और 15 अक्टूबर तक मानसून समस्त भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग से पूरी तरह पीछे हट जाता है।
भारत में मानसून वापसी कब होती है?दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी [मध्य सितंबर - नवंबर] में शुरू होती है और जनवरी की शुरुआत तक होती है। यह तीन महीने की प्रक्रिया है जो अक्टूबर में प्रायद्वीप पर शुरू होती है और दिसंबर में चरम दक्षिण-पूर्वी बिंदु पर समाप्त होती है। दिसंबर के मध्य में, दक्षिण-पश्चिम मानसून कोरोमंडल तट को छोड़ देता है।
मानसून का लौटना क्या है?लौटते मानसून की वर्षा
शीतकाल में भारत में हवाएं उत्तर से दक्षिण की ओर एवं ज़मीन से सागर की ओर चलती हैं। इन्हें लौटता मानसून भी कहते हैं और यह लौटता मानसून भारत के पूर्वी तट से तमिलनाडु तट पर सागर से ज़मीन में प्रवेश कर जाता है।
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