मनोरंजन में विज्ञान की भूमिका का सचित्र वर्णन कीजिए - manoranjan mein vigyaan kee bhoomika ka sachitr varnan keejie

कर तो दिया गया प्रश्न है मनोरंजन में विज्ञान की भूमिका का सचित्र अध्ययन करना साधनों का उपयोग करते हैं जिससे क्या होता है आपके मन को प्रसन्नता मिलती है तो अगर हम इसको मनोरंजन को चित्र के माध्यम से एक ब्लॉक आरेख बना लेते हैं तो पुराने जमाने में किस प्रकार से कहां पर ढोल नगाड़े नाटक ठीक है तथा मनोरंजन के यहां पर विज्ञान का बहुत बड़ा हाथ होता है क्योंकि अगर मैं को अलग-अलग भागों में बांट दिया कर बात करते हैं हम लोग सुनाई देने वाले आकाश आकाश में क्या होता है कि आप बहुत सारी चीजों को क्या कर सकते हैं

11 मिनट क्या किया जाता है कि बहुत हाई हम लोग कहते हैं आवृत्ति की जो दोस्तों सिग्नल होता है जो आरती के पास में चित्र सिग्नल होते हैं उनको कहां तक बन जाता है हमारे जो अभी ग्राही है वह होता है ठीक है तो जाता है और वहां पर जो नाटक मृत्यु मौखिक रूप से बोल जाते हैं उनको आप सुन सकते हैं रेडियो के माध्यम से दूसरा दोस्तों टीवी या अधिक उपयोग में लाया जाने वाला मनोरंजन का साधन होता है और एक और हम लोग के लिए उपयोग में लाया जाता है तो यह होते हैं वीडियो में आप क्या कर सकते हैं जो आपके खेल है जो गेम खेलते हैं वह कैसे खेल सकते हैं

वीडियो गेम खेल खेलते आधुनिक समय में होता तो इंटरनेट इंटरनेट जो होता है वह एकदम बिल्कुल आज के जमाने में इंटरनेट पर बहुत सारी बहुत सारी आप मनोरंजन के लिए देख सकते हैं जैसे कि आप गूगल का उपयोग कर सकते हैं आप का उपयोग कर सकते हैं ठीक है आप और भी बहुत सारे प्लेटफार्म है जिनका उपयोग कर सकते आपके मनोरंजन हेतु

मनोरंजन के आधुनिक साधन (manoranjan ke adhunik sadhan)

आज विज्ञान का युग है। मनुष्य ने अपनी बढ़ती हुई इच्छाओं के कारण विज्ञान को प्राप्त कर लिया है। इस विज्ञान द्वारा उसने अपने जीवन की विभिन्न प्रकार की इच्छाओं और आश्वयकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के साधन भी अपनाएँ हैं। मनुष्य इन साधनों के द्वारा अपने दैनिक जीवन का प्रत्येक भाग किसी न किसी से पूरा किया करता है।

मनोरंजन में विज्ञान की भूमिका का सचित्र वर्णन कीजिए - manoranjan mein vigyaan kee bhoomika ka sachitr varnan keejie

मनुष्य जब काम करते करते थक जाता है और उसे अपने बार बार के कामो से अरूचि होने लगती है, तब वह अपने मन और शरीर को सुख और आन्नद देने के लिए कोई न कोई सुविधाजनक या मन को अच्छे लगने वाले साधनों को अपनाने लगता है। इस प्रकार के अपनाए या प्रयोग में किए जाने वाले साधनों से हदय जब खिल उठता है, तब इसे मनोरंजन कहते हैं। मनोरंजन शब्द दो शब्दों को मिलाने से बना है- मन और रंजन। इन दोनों शब्दों से बना हुआ शब्द मनोरंजन का सामान्य अर्थ यही है- मन का रंजन अर्थात् मन का आनन्द। मनोरंजन को मनोविनोद भी कहते हैं।

प्राचीन काल में भी मानव मनोरंजन किया करता था। उस समय उसके मनोरंजन के साधन सीमित और कम थे। प्राचीन काल के मनोरंजन के साधन आखेट, कथा-कहानी, आपबीती, तैराकी, घुड़सवारी, पर्यटन, चौसर, खेल-तमाशे, कला, प्रदर्शन, नृत्य, संगीत, बाजे, गाना आदि थे। मनुष्य इन साधनों के द्वारा मनोरंजन किया करता था। उस समय ये साधन बहुत ही सीमित होने के  साथ साथ कम लागत और खर्च के होते थे। इन साधनों का प्रचार और प्रसार भी बहुत सीमित स्थानों पर होता था। ये साधन प्रत्येक मौसम या समय में बड़े आनन्द के साथ मनुष्य को अपनी और आकर्षित किया करते थे।

धीरे धीरे मनुष्य ने प्राचीन काल से बाहर आना शुरू किया। उसने भविष्य की ओर अपनी दृष्टि लगाई और वर्तमान को इसी के साथ देखा। इसलिए मनुष्य ने प्राचीन काल के झरोखों की ओर देखना बन्द कर दिया, क्योंकि उसका मन इससे भर चुका था। उसने नया और ताजा कुछ पाने का लगातार प्रयास किया। मनुष्य ने इस प्रयास में बहुत कुछ नया प्राप्त किया, जो उसके दैनिक जीवन के लिए आवश्यक है। मनोरंजन के नये साधनों को भी मनुष्य ने प्राचीन काल के साधनों के आधार पर प्राप्त कर लिया। आधुनिक मनोरंजन के साधनों में मनुष्य ने फोटो, कैमरा, टेलीफोन, टेलीविजन, टेपरिकार्डर, वी सी आर, वी डी ओ, गेम, आवागमन के विभिान साधनों को प्राप्त कर लिया है।

आधुनिक मनोरंजन के साधनों में फोटो कैमरा का महत्व अधिक है। यह प्राचीन काल के मनोरंजन के साधन चित्रकारी से मिलता जुलता मनोरंजन का साधन है। इस साधन के द्वारा मनुष्य ने दूर दूर के दृष्यों का ठीक ठीक चित्रण फोटो कैमरा के द्वारा करके अपना मनोरंजन किया करता है। इस यंत्र के द्वारा लिए गए फोटो का महत्व हमारे जीवन के लिए आवश्यक है, क्योंकि इसे बने चित्र यथाशीघ्र खराब नहीं होते हैं। इसके चित्र का आकर्षण बार बार हमारे मन को मोहित करते हुए चलता है। यही नहीं इससे हमारे चित्र बहुत समय तक सुरक्षित रहते हैं। इसे हम जब चाहे तब देखकर उस समय की याद में खो जाते हैं।

‘टेलीविजन’ आज के मनोरंजन के साधनों में बहुत ही महत्वपूर्ण मनोरंजन का साधन है। यों कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ‘टेलीविजन’ का हमारे जीवन के लिए बहुत ही अधिक महत्व है। टेलीविजन का निर्माण या अविष्कार मनुष्य ने महाभारत काल में महाभारत के युद्ध के समय महर्षि वेदव्यास के द्वारा संजय को दी गई दिव्यदृष्टि के आधार पर ही किया है। यह तो स्पष्ट ही है कि संजय महर्षि वेदव्यास की दिव्यदृष्टि से एक सरोवर में महाभारत की युद्ध की झलक या रूपरेखा को देखकर इसकी सूचना या वर्णन महाराज धृतराष्ट्र को सुनाया करता था। ‘टेलीविजन’ के द्वारा आज हम घर बैठे हजारों किलोमीटर दूर देश विदेश के हालात सुना, देखा और समझा करता हैं। टेलीविजन के द्वारा हम मन चाहे कार्यक्रमों को देखते हैं और अनुभव करते हैं। यह हमारे विज्ञान का चमत्कार ही है कि आज टेलीविजन में ठीक वैसे ही चित्र, ध्वनि, संगीत, हाव भाव प्रदर्शन आदि सब कुछ भी दिखाई पड़ते हैं, जिस प्रकार से घटित और आयोजित होते हैं। हमारे मनोरंजन के लिए टेलीविजन ने विभिन्न प्रकार के धारावाहिकों को भी प्रसारित करना आरम्भ कर दिया है। इससे टेलीविजन का महत्व आज प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। टेलीविजन की लोकप्रियता का मुख्य कारण यही है कि आज टेलीविजन के द्वारा हम मनोरंजन करने के साथ साथ अपनी विभिन्न प्रकार की ज्ञान की पिपासा को भी बुझाते हैं। इससे हमारी कार्यक्षमता बढ़ती जाती है।

वी.सी.आर, टेपरिकार्डर, वी.सी.डी आदि आधुनिक मनोरंजन के साधन टेलीविजन से ही सम्बन्धित हैं। वी.सी.आर से फिल्मों को टेप या रिकार्ड किया जाता है और टेलीविजन से जोड़ देने पर यह कार्य करने लगता है। टेपरिकार्डर से किसी ध्वनि या स्वर को बद्ध किया जाता है। इसी तरह से वी.डी.ओ. से भी कोई संगीत, ध्वनि, या स्वर बद्ध करके फिर से सुना जा सकता है। इस प्रकार से हम देखते हैं कि टेलीविजन, वी.सी.आर, वी.डी.ओ., टेपरिकार्डर से एक बार स्वर, चित्र आदि को बद्ध करके इन्हें फिर से सुना और देखा जा सकता है। टेलीफोन, टेलीस्कोप, माइक्रोस्कोप आदि हमारे आधुनिक मनोरंजन के साधन हैं।

इन आधुनिक मनोरंजन के साधनों के साथ साथ हमारे प्राचीन काल के भी मनोरंजन के साधन आज भी कम उपयोगी नहीं हैं। अतएव हम प्राचीन काल के मनोरंजन के साधनों को भी आधुनिक काल के मनोरंजन के साधनों के अन्तर्गत स्वीकारते हैं, क्योंकि इनसे हमारा हमेशा नये प्रकार से मनोरंजन होता है। विज्ञान द्वारा प्रदत्त किए गए मनोरंजनों के साथ प्राचीन काल के मनोरंजनों का लाभ उठाते हुए हमें अपने जीवन को खुशहाल बनाना चाहिए।

(1000 शब्द words)

मनोरंजन में विज्ञान की क्या भूमिका है?

विज्ञान ने ही हमें मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराएं है । आज से कुछ समय पहले लोगों के पास मनोरंजन के साधन बहुत ही सीमित थे लेकिन आजकल विज्ञान की वजह से मनोरंजन के कई साधन हैं । मनोरंजन के साधनों में टीवी , रेडियो , मोबाइल , इंटरनेट , कंप्यूटर , वीडियो गेम आदि हैं जो विज्ञान ने ही हमें दिए हैं ।

मनोरंजन का उद्देश्य क्या है?

मनोरंजन का लक्ष्य है अच्छी और उच्चकोटि की नागरिकता उत्पन्न करना और उस व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखना इसका उद्देश्य है। इसके साथ ही इसमें अच्छी आदतें विकसित करना और उसको चरित्र वाले गुणों से विकसित करना उसके उद्देश्य हैं। एक व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास करना आवश्यक उद्देश्य है ।

मनोरंजन की परिभाषा क्या है?

मनोरंजन एक ऐसी क्रिया है जिसमें सम्मिलित होने वाले को आनन्द आता है एवं मन शान्त होता हैंमनोरंजन सीधे भाग लेकर हो सकता है या कुछ लोगों को कुछ करते हुए देखने से हो सकता है।

मनोरंजन हमारे जीवन में क्यों जरूरी है?

मनोरंजन (Manoranjan) हमारे जीवन में एक बहुत ही अहम् भूमिका निभाता है। जब हम भागदौड़ करके एक दम थक जाते हैं तो हमारे अंदर एक बार फिर से ऊर्जा भरता है। फिर से सोचने और काम करने की शक्ति प्रदान करता है। किसी भी तरह का अच्छा मनोरंजन हमारे अंदर नया उत्साह पैदा करता है।