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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – An Essay on Global Warming in Hindi – Reason, Result and How to Stop Global Warmingभूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग पर निबंध – Essay on Global Warming in Hindi – Important Topic for All Classes
ग्लोबल वॉर्मिंग पर निबंध – इस लेख में हम आज की सबसे जटिल समस्याओं में से एक भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के विषय पर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों को साँझा कर रहे हैं। भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग एक ऐसा विषय है जिस पर आपको किसी भी कक्षा में निबंध लिखने के लिए कहा जा सकता है। अतः आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारियाँ आपके लिए सहायक सिद्ध होगी। सामग्री (Content)
प्रस्तावनाआज के युग में मनुष्य दिनों-दिन कई तरह की नई-नई तकनीकें विकसित करता आ रहा है। विकास के लिए मनुष्य कई तरह से प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है जिसकी वजह से प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में बहुत मुश्किल हो रही है।
इन सब के कारण धरती को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिनमें से ग्लोबल वार्मिंग एक बहुत ही भयंकर समस्या है। और इस समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक देश कुछ ना कुछ उपाय लगातार कर रहा है परंतु यह ग्लोबल वार्मिंग घटने की बजाय निरंतर बढ़ ही रहा है। इस समस्या से निपटने के लिये लोगों को इसका अर्थ, कारण और प्रभाव पता होना चाहिये जिससे जल्द से जल्द इसके समाधान तक पहुँचा जा सके। इससे मुकाबला करने के लिये हम सभी को एक साथ आगे आना चाहिए और धरती पर जीवन को बचाने के लिये इसका समाधान करना चाहिए। ग्लोबल वॉर्मिंग की परिभाषाधरती के वातावरण में तापमान के लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग
कहते हैं। Related – Essays in Hindi भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग का अर्थग्लोबल का अर्थ है ‘पृथ्वी’ और वॉर्मिंग का अर्थ है ‘गर्म’।
भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के कारणग्रीन हाउस गैस ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसें हैं। ग्रीन हाउस गैसें वे गैसें होती हैं, जो सूर्य से मिल रही गर्मी को अपने अंदर सोख लेती हैं। ग्रीन हाउस गैसों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण गैस कार्बन डाइऑक्साइड है, जिसे हम जीवित प्राणी अपनी सांस के साथ उत्सर्जन करते हैं। पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है। दूसरी ग्रीनहाउस गैसें हैं – नाइट्रोजन ऑक्साइड, CFCs क्लोरिन और ब्रोमाईन कम्पाउंड आदि। ये सभी वातावरण में एक साथ मिल जाते हैं और वातावरण के रेडियोएक्टिव संतुलन को बिगाड़ते हैं। उनके पास गर्म विकीकरण को सोखने की क्षमता है जिससे धरती की सतह गर्म होने लगती है। प्रदूषण वायुमंडल के तापमान में होने वाली लगातार वृद्धि के कारणों में प्रदूषण भी एक कारण है। प्रदूषण कई तरह का होता है – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि। प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कई तरह की गैसें बनती जा रही है। ये गैसें ही तापमान वृद्धि का मुख्य कारण है और प्रदुषण इन गैसों को बनने में मदद करता है। जनसंख्या वृद्धि जनसंख्या वृद्धि भी वायुमंडल के तापमान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है क्योंकि एक रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग में 90 प्रतिशत योगदान मानवजनित कार्बन उत्सर्जन का है। औद्योगीकरण शहरीकरण को बढ़ावा देते हुए शहरी इलाकों में कारखाने और कम्पनियाँ लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। जिनसे विषैले पदार्थ, पलास्टिक, रसायन, धुआँ आदि निकलता है। ये सभी पदार्थ वातावरण को गर्म करने का कार्य बखूबी निभाते हैं। जंगलों की कटाई मनुष्य अपनी सुविधाओं के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ करता रहता है। मनुष्य ने धरती के वातावरण को संतुलित बनाए रखने वाले पेड़-पौधों को काट कर वातावरण को अत्याधिक गर्म कर दिया है, जिसके कारण समुद्र का जल-स्तर बढ़ रहा है, समुद्र के इस तरह जल-स्तर बढ़ने से दुनिया के कई हिस्से जल में लीन हो जाएंगे भारी तबाही मचेगी यह किसी विश्व युद्ध या किसी “एस्टेरॉयड” के पृथ्वी से टकराने से होने वाली तबाही से भी ज्यादा भयानक तबाही होगी।यह हमारी पृथ्वी के लिए बहुत ही हानिकारक सिद्ध होगा। ओजोन परत में कमी आना अंर्टाटिका में ओजोन परत में कमी आना भी ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण है। CFC गैस के बढ़ने से ओजोन परत में कमी आ रही है। ये ग्लोबल वार्मिंग का मानव जनित कारण है। CFC गैस का इस्तेमाल कई जगहों पर औद्योगिक तरल सफाई में एरोसॉल प्रणोदक की तरह और फ्रिज में होता है, जिसके नियमित बढ़ने से ओजोन परत में कमी आती है। ओजोन परत का काम धरती को नुकसान दायक किरणों से बचाना है। जबकि, धरती के सतह की ग्लोबल वार्मिंग बढ़ना इस बात का संकेत है कि ओजोन परत में क्षरण हो रहा है। सूरज की हानिकारक अल्ट्रा वॉइलेट किरणें जीवमंडल में प्रवेश कर जाती है और ग्रीनहाउस गैसों के द्वारा उसे सोख लिया जाता है जिससे अंतत: ग्लोबल वार्मिंग में बढ़ौतरी होती है। उर्वरक और कीटनाशक खेतों में फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली उर्वरक और कीटनाशक पर्यावरण के लिए हानिकारक है। ये केवल मिट्टी को ही प्रदूषित नहीं करते बल्कि पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसों को छोड़ते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज़िम्मेवार हैं। Related – Bhumi Pradushan par nibandh in Hindi ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव(i) ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के साधनों के कारण कुछ वर्षों
में इसका प्रभाव बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है। अमेरिका के भूगर्भीय सर्वेक्षणों के अनुसार, मोंटाना ग्लेशियर राष्ट्रीय पार्क में 150 ग्लेशियर हुआ करते थे लेकिन इसके प्रभाव की वजह से अब सिर्फ 25 ही बचे हैं। Related – Vayu pradushan par nibandh in Hindi भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के घातक परिणामग्रीन हाउस गैसें वो गैसें होती हैं, जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहाँ का तापमान बढ़ाने में कारक बनती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इन गैसों का उत्सर्जन अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री
सेल्सियस तक बढ़ सकता है। भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के रोकथाम के उपाय(i) सरकारी एजेंसियों, व्यापारिक नेतृत्व, निजी क्षेत्रों और एनजीओ आदि के द्वारा, जागरुकता अभियान चलाए जाने चाहिए। जागरूकता के अभियान का काम किसी भी एक राष्ट्र के करने से नहीं होगा इस काम को हर राष्ट्र के द्वारा करना जरूरी है। भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रति जागरूकताग्लोबल वार्मिंग की समस्या को गंभीरता से लेते हुए सभी देशों को एक-जुट हो कर कानून पारित करना चाहिए। लोगों को इसके परिणामों से अवगत करवाने के लिए सेमीनार करवाने चाहिए, ताकि सभी व्यक्ति इसके घातक परिणामों को जान सके और जागरूक हो सके। ये समस्या किसी एक
की नहीं है बल्कि उन सभी की हैं जो धरती पर सांस ले रहे हैं। उपसंहारग्लोबल वार्मिंग मानव के द्वारा ही विकसित प्रक्रिया है क्योंकि कोई भी परिवर्तन बिना किसी चीज को छुए अपने आप नहीं होता है। यदि ग्लोबल वार्मिंग को नहीं रोका गया तो इसका भयंकर रूप हमें आगे देखने को मिलेगा, जिसमें शायद पृथ्वी का अस्तित्व ही ना रहे इसलिए हम मानवों को सामंजस्य, बुद्धि और एकता के साथ मिलकर इसके बारे में सोचना चाहिए या फिर कोई उपाय ढूँढना अनिवार्य है, क्योंकि जिस ऑक्सीजन को लेकर हमारी साँसें चलती है, इन खतरनाक गैसों की वजह से कहीं वही साँसें थमने ना लगे। इसलिए तकनीकी और आर्थिक आराम से ज्यादा अच्छा प्राकृतिक सुधार जरूरी है। ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए जितने हो सकें उतने प्रयत्न ज़रूर करने चाहिए। वृक्षारोपण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा कम हो सके और प्रदूषण को कम किया जा सके। Recommended Read –
ग्लोबल वार्मिंग क्या है इसके बचाव के उपाय?ये हैं वे चीजें:. कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट (CFL) बल्ब का उपयोग ... . कचरे का सही निपटारा ... . दान करें ... . इस्तेमाल न होने पर बिजली के उपकरण बंद रखें: ... . अधिक पैदल चलें या साइकिल का उपयोग करें ... . पेड़ लगायें और बचाएं ... . साबुन और डिटर्जेंट का कम प्रयोग करें ... . टपकते नल और पानी का बचाव. ग्लोबल वार्मिंग क्या है इसके 4 मुख्य कारण लिखिए?पृथ्वी की सतह के नजदीक धीरे-धीरे तापमान में वृद्धि होने की घटना को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है. ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण ग्रीनहाउस प्रभाव है जो कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2), क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) और अन्य प्रदूषकों की बढ़ती मात्रा से उत्पन्न होता है. यह घटना पिछली एक या दो शताब्दियों से देखी जा रही है.
ग्लोबल वार्मिंग क्या है इसके प्रभाव क्या हैं और इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?भूमंडलीय ऊष्मीकरण या ग्लोबल वॉर्मिंग का अर्थ
पृथ्वी के तापमान में हो रही इस वृद्धि (जिसे 100 सालों के औसत तापमान पर 10 फारेनहाईट आँका गया है) के परिणाम स्वरूप बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के जल-स्तर में वृद्धि और वनस्पति तथा जन्तु जगत पर प्रभावों के रूप के सामने आ सकते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग क्या है इसके दुष्प्रभाव लिखिए?ग्लोबल वार्मिंग या वैश्विक तापमान बढ़ने का मतलब है कि पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है. विज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में सूखा बढ़ेगा, बाढ़ की घटनाएँ बढ़ेंगी और मौसम का मिज़ाज बुरी तरह बिगड़ा हुआ दिखेगा. इसका असर दिखने भी लगा है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं और रेगिस्तान पसरते जा रहे हैं.
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