भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का क्या उद्देश्य है? - bhaarat kee raashtreey svaasthy neeti ka kya uddeshy hai?

इस पोस्ट में हम मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के सिलेबस की यूनिट 7 के टॉपिक स्वास्थ्य नीति एवं स्वास्थ्य कार्यक्रम से संबंधित सभी पहलुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे जिससे परीक्षा के सभी आयामों को कवर किया जा सके I

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भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का क्या उद्देश्य है? - bhaarat kee raashtreey svaasthy neeti ka kya uddeshy hai?

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति ( National health policy )
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 ( National Health Policy )
  • भारत में स्वास्थ्य योजनाएं
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ( National health mission )
      • 1. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM)
      • 2 राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य स्वास्थ्य मिशन (NUHM)
        • 1 मिशन इंद्रधनुष
        • कायाकल्प
    • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का वितरण
      • 1. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Community Health Centre CHC)
      • 2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre PHC)
      • 3. उप स्वास्थ्य केंद्र (secondary health centres SHC)
    • प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना या PM-JAY
    • जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana-JSY)
    • जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम
    • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना ( PMMVY – Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana )
    • विजयाराजे जननी कल्याण बीमा योजना
    • दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना
    • दीनदयाल चलित अस्पताल योजना
    • राष्ट्रीय संक्रमण रोग नियंत्रण कार्यक्रम
      • मलेरिया
      • फाइलेरिया
      • एड्स
      • क्षय रोग या टीवी
      • कुष्ठ रोग
      • पोलियो
    • संजीवनी 108
    • जिला राज्य बीमारी सहायता निधि
    • सरदार बल्लभ भाई पटेल निशुल्क औषधि वितरण योजना (sardar Vallabhbhai Patel free medicine delivery scheme)
    • मिड डे मील कार्यक्रम ( MDM – MID DAY MEAL)
  • हेल्थ इन इंडिया रिपोर्ट – 2020
  • राज्य स्वास्थ्य सूचकांक 2019

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति ( National health policy )

पहली स्वास्थ्य नीति 1983 ( PM – इंदिरा गांधी )

Note – पहली स्वास्थ्य नीति का मुख्य लक्ष्य वर्ष 2000 तक सभी को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना था

दूसरी स्वास्थ्य नीति 2002 ( PM – अटल बिहारी जी )

तीसरी / वर्तमान स्वास्थ्य नीति 15 मार्च 2017 ( PM – नरेंद्र मोदी )

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 ( National Health Policy )

यह देश की नवीनतम तथा तीसरी स्वास्थ्य नीति है जिसे 15 मार्च 2017 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था.

तत्कालीन स्वास्थ मंत्री – जगत प्रसाद नड्डा (2014-2019)

वर्तमान स्वास्थ मंत्री – मनसुख मंडाविया ( जुलाई 2021 )

उद्देश्य/लक्ष्य

इसका उद्देश्य प्रति हजार व्यक्तियों पर 2 बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करना है

वर्ष 2017 तक कालाजार , हाथी पाद और लिंफेटिक फाइलेरियासिस का उन्मूलन करना

वर्ष 2018 तक कुष्ठ रोग का उन्मूलन करना

2019 तक शिशु मृत्यु दर ( IMR – INFANT MORTALITY RATE ) कम करके 28 तक लाना।

NOTE – वर्ष 2016 में शिशु मृत्यु दर 34 प्रति 1000 जीवित जन्म थी

एचआईवी/एड्स के लिए 2020 के वैश्विक लक्ष्य हासिल करना, जिन्हें 90: 90: 90 भी कहा जाता है अर्थात् एचआईवी के साथ रह रहे 90 प्रतिशत लोगों को उनके एचआईवी स्तर की जानकारी हो, एचआईवी संक्रमण निदान किए गए 90 प्रतिशत लोग निरंतर एंटी रिट्रोवायरल उपचार प्राप्त करें और एंटी रिट्रोवायरल उपचार प्राप्त करने वाले 90 प्रतिशत व्यक्ति वायरल मुक्त रहें।

2020 तक मातृ मृत्यु दर ( MMR – Maternal Mortality Ratio ) को मौजूदा स्तर 167 से घटाकर 100 पर लाना।

वर्ष 2020 तक राज्यों को अपने बजट का 8% स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना होगा

वर्ष 2020 तक व्यवसायिक चोट की घटनाओं में 50% कमी लाना वर्तमान में यह दर कृषि क्षेत्र में 334 प्रति लाख श्रमिक है

स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी खर्च  को 2025 तक GDP के मौजूदा 1.15 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य

5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 2025 तक कम करके 23 पर लाना

नवजात मृत्यु दर में कमी लाते हुए 2025 तक उसे 16 पर लाना और जन्म दर को ‘‘एकल अंक’’ पर लाना।

NOTE – वर्ष 2013 में नवजात मृत्यु दर 28 प्रति 1000 जीवित जन्म थी

क्षय रोग के मामलों में 85% तक कमी लाना और वर्ष 2025 तक क्षय रोग को समाप्त करने का लक्ष्य हासिल करना।

2025 तक हृदय रोग , कैंसर, मधुमेह या सांस की पुरानी बीमारियों के कारण असामयिक मौतों में 25 प्रतिशत की कमी लाना।

2025 तक 90 प्रतिशत से अधिक नवजात शिशुओं को एक वर्ष की आयु तक पूर्ण टीकाकरण कराना

2025 तक 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में बौनेपन की स्थिति में 40 प्रतिशत कमी लाना।

वर्ष 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में 50% वृद्धि करना

वर्ष 2025 तक जीवन प्रत्याशा ( Life expectancy ) को 67.5 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष करने का लक्ष्य प्राप्त करना

कुल प्रजनन दर ( TFR – Total Fertility rate ) 2025 तक 2.1 के स्तर पर लाने का लक्ष्य है

NOTE – वित्त वर्ष 2016 में भारत में प्रति महिला टोटल फर्टिलिटी रेट 2.3 थी

तंबाकू के इस्तेमाल के वर्तमान प्रसार को 2020 तक 15% तक 2025 तक 30% तक कम करना

वर्ष 2025 तक परिवारों के स्वास्थ्य खर्च में वर्तमान स्तर से 25% की कमी लाना

वर्ष 2025 तक दृष्टि हीनता के प्रसार को घटाकर 0.25 प्रति 1000 करना तथा रोगियों की संख्या को वर्तमान स्तर से घटाकर 1/3 करना

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-2017 में ‘स्वस्थ नागरिक अभियान’ चलाने का प्रस्ताव है,  जिसमें  ‘स्वस्थ नागरिक अभियान’ सात बुनियादी क्षेत्रों में समन्वित कार्रवाई पर आधारित होगा। ये सात क्षेत्र इस प्रकार हैं:-
1.स्वच्छ भारत अभियान
2.संतुलित, स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम
3.तंबाकू, शराब और मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या का समाधान
4.यात्री सुरक्षा – रेल और सडक़ यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की रोकथाम
5.निर्भय नारी – महिलाओं के प्रति हिंसा रोकने के उपाय
6.कार्य स्थल पर तनाव कम करना और अधिक सुरक्षा प्रदान करना
7.भीतरी और बाहरी वायु प्रदूषण में कमी लाना।

भारत में स्वास्थ्य योजनाएं

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ( National health mission )

प्रारंभ 12 अप्रैल 2005

उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सुलभ सस्ती और गुणवत्ता स्वस्थ सुविधाएं प्रदान करना तथा स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों पर मुफ्त में आवश्यक दवाई एवं वाहन की उपलब्धता करने हेतु एनएचएम प्रारंभ किया गया।
एनएचएम की प्राथमिकता प्रजनन और बच्चों के स्वास्थ्य पर केंद्रित है

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत दो उप मिशन चलाए गए

1.NRHM (NATIONAL RURAL HEALTH MISSION)

2.NUHM (NATIONAL URBAN HEALTH MISSION)

1. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM)

प्रारंभ – 12 अप्रैल 2005 से

भारत सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा।
आशा कार्यकर्ता इस योजना की देन है।

NOTE- ASHA ( ACCRICITED SOCIAL HEALTH WORKERS)

गांव में रह रहे निवासी को सुलभ, कम खर्च, प्रभावशाली चिकित्सा देना।

आरंभ में यह मिशन 7 सालों के( 2005-2012 ) लिए प्रारंभ किया गया था

भारत में ग्रामीण स्वास्थ्य की दिशा में चलाया जा रहा अब तक का सबसे बड़ा मिशन NHRM है जिसके अंतर्गत ASHA कार्यकर्ता की नियुक्ति की जाती है

राष्ट्रीय स्तर पर चलाई जा रही जननी सुरक्षा योजना से संबंधित आशा कार्यकर्ता को NRHM से जोड़ दिया गया।

2 राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य स्वास्थ्य मिशन (NUHM)

1 मई 2013 को मंजूरी प्रदान (NHM के अंतर्गत)

50 से 60 हजार जनसंख्या पर एक शहरी स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना।

200 से 500 परिवारों के लिए एक आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति ।

इसे मार्च 2020 तक जारी रखने के लिए मार्च 2018 में आगे बढ़ाया गया

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत गतिविधियों में दो नए कार्यक्रम शामिल किए गए हैं


1 मिशन इंद्रधनुष

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दिसंबर 2014 को मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया इसका उद्देश्य 2020 तक टीकाकरण कार्यक्रम से वंचित सभी बच्चों को शामिल करना है

इस कार्यक्रम के अंतर्गत देश भर में 7 खतरनाक बीमारियों से सुरक्षा के लिए टीके लगाने का कार्यक्रम प्रारंभ किया जाना है

इस कार्यक्रम में टिटनेस , पोलियो , टीवी , खसरा , डिप्थीरिया , कुकर खांसी , हेपेटाइटिस बी को शामिल किया गया है इसके अतिरिक्त चुने हुए जिलों में जापानी इंसेफलाइटिस अर्थात दिमागी बुखार के टीके भी लगाए जाते हैं

इस कार्यक्रम के द्वारा भारत के 82 जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जिसमें से 15 जिले मध्य प्रदेश के शामिल है

इस कार्यक्रम में प्रतिवर्ष 5% की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है

कायाकल्प

2016 से शुरू की गई पहल कायाकल्प जिसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में में साफ – सफाई की आदत डालना , स्वच्छता , प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन एवं संक्रमण नियंत्रण है

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का वितरण

• सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आमतौर पर बड़े कस्बों अथवा ब्लॉक स्तर पर स्थापित किए जाते हैं।

• इनमें सुप्रशिक्षित डॉक्टर एवं सहायक मेडिकल कर्मचारी होते हैं।

• इनके केंद्रों के अंदर 30 बिस्तर वाला स्वास्थ्य केंद्र होता है।

2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Centre PHC)

• ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की महत्वपूर्ण इकाई होती है।

• 20-30 हजार की आबादी पर। (20 से 30 गांव)

• आयुष चिकित्सा अधिकारी।

• इन केंद्रों का उद्देश्य ग्रामीणों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना है।


3. उप स्वास्थ्य केंद्र (secondary health centres SHC)

5 से 6 हजार लोगों की आबादी को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करते हैं।

इनमें एक RMP एवं एक महिला स्वास्थ्य कर्ता अनिवार्य रूप से होती है।

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना या PM-JAY

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 23 सितंबर 2018 को झारखंड के रांची जिले से प्रारंभ किया गया और 25 सितंबर 2018 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्म दिवस पर पूरे देश में लागू कर दी गई

इस योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 मे सभी के लिए स्वास्थ्य के लक्ष्य को पूर्ण करने के उद्देश्य से चलाई गई है

इस योजना के द्वारा लगभग 10 करोड़ BPL ( लगभग 50 करोड लोग ) परिवारों के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रुपये प्रति परिवार स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जा रहा है

इस योजना के सफल होने के बाद मध्यम वर्ग के परिवारों को भी इसमें शामिल किया जाएगा

यह योजना सरकारी वित्त से संचालित विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना

इस योजना को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) का नाम दिया गया है

इस योजना का 60% खर्च केंद्र सरकार एवं 40% खर्च राज्य सरकार देती है

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य बीमा योजना को मिलाकर आयुष्मान भारत योजना बनाई गई है

जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana-JSY)

यह योजना 12 अप्रैल, 2005 में गर्भवती महिलाओं के बीच संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये शुरू की गई।

इस योजना के लाभार्थी समस्त गर्भवती महिलाएं होती है

माताओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने तथा सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा चलाया जा रहा है कार्यक्रम है

• महिलाओं को संस्थागत प्रसव हेतु प्रोत्साहित करना।

• महिलाओं को जनन के समय सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त परिवहन , मुफ्त जांच, मुफ्त रक्त, मुक्त पोषण उपलब्ध कराता है

• JSY एक 100% केंद्र प्रायोजित योजना है और प्रसव एवं प्रसव उपरांत देखभाल हेतु नकद सहायता प्रदान करती है।

इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव कराने के पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाली महिलाओं को ₹1000 जबकि ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाली महिलाओं को ₹ 1400 संस्थागत प्रसव के पश्चात दिए जाते हैं

इस योजना में गर्भवती महिला को संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करने वाली महिला को शहरी क्षेत्रों में ₹400 एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ₹600 प्रदान किए जाते हैं

जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम

शुरुआत – 01 जून 2011

मंत्रालय -स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय

उद्देश्य – महिलाओं तथा रूग्ण नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए शुरू किया था

इस योजना के अंतर्गत मुफ्त सेवा प्रदान करने पर बल दिया गया है। इसमें गर्भवती महिलाओं तथा रूग्ण नवजात शिशुओं को खर्चों से मुक्त रखा गया है।

गर्भवती महिलाएं को मुफ्त दवाएं एवं खाद्य, मुफ्त इलाज, जरूरत पड़ने पर मुफ्त खून दिया जाना,

सामान्य प्रजनन के मामले में तीन दिनों एवं सी-सेक्शन के मामले में सात दिनों तक मुफ्त पोषाहार निःशुल्क रेफरल सुविधाएँ / आवश्यक ट्रांसपोर्ट सेवाएँ केंद्र में प्रजनन कराने से माता के साथ-साथ शिशु की भी सुरक्षा उपलब्ध कराना है

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना ( PMMVY – Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana )

इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जनवरी 2017 की गई

मातृत्व सहयोग योजना के नाम को बदलकर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की शुरुआत की गई

यह महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) द्वारा संचालित एक केंद्र प्रायोजित योजना है।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं को पोषण प्रदान करना है

इस योजना को नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट 2013 के अंतर्गत आरंभ किया गया था।

वे महिलाएँ जो केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक उपक्रमों में नियमित रोज़गार में संलग्न हैं तथा किसी भी योजना या कानून के तहत समान लाभ प्राप्त करती  हैं, को छोड़कर शेष सभी गर्भवती महिलाएंँ और स्तनपान कराने वाली माताएंँ इस योजना के लिये पात्र हैं।

ऐसी सभी पात्र गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ जिन्होंने परिवार में पहली संतान के लिये 1 जनवरी, 2017 को या उसके बाद गर्भधारण किया हो ।

इस योजना के तहत पहली बार गर्भवती होने वाली महिला को पोषण के लिए ₹5000 रुपया तीन किस्तों में प्रदान किए जाते हैं।
पहली किस्त ₹1000 रुपए की गर्भधारण का शीघ्र पंजीकरण करने पर।
दूसरी किस्त ₹2000 रुपए की प्रसव-पूर्व जाँच करने पर।
तथा तीसरी किस्त  ₹2000 रुपए की बच्चे के जन्म का पंजीकरण और परिवार के पहले जीवित बच्चे के टीकाकरण का पहला चक्र पूरा करने पर प्राप्त होती है। 

पात्र लाभार्थियों को जननी सुरक्षा योजना (Janani Suraksha Yojana- JSY) के तहत भी नकद प्रोत्साहन राशि  दी जाती है। इस प्रकार पात्र महिला को औसतन 6,000 रुपए की सहायता राशि प्राप्त होती है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा मार्च 2021 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा घोषणा की गई की पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी मध्य प्रदेश प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ प्रदान करने में पहले स्थान में है

विजयाराजे जननी कल्याण बीमा योजना

प्रारंभ 12 मई 2006

मंत्रालय – मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय

उद्देश्य – मध्य प्रदेश की बीपीएल महिलाओं में संस्थागत प्रसव को बढ़ाने तथा मातृत्व मृत्यु दर कम करना

इस योजना में ₹1000 नगद सहायता सरकारी अस्पताल में प्रसव होने पर तथा प्रसव के दौरान या प्रसव के बाद होने वाली परेशानियों के कारण 42 दिन के अंदर मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारी को 50,000 रुपए अनुदान दिया जाता है लेकिन यदि गर्भवती महिला की मृत्यु किसी अन्य बीमारी या किसी दुर्घटना में होती है तो उसे इस योजना के तहत किसी भी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाएगा।

दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना

आरंभ मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 25 सितंबर 2004 में

गरीबी रेखा के नीचे ( BPL ) जीवन यापन करने वाले समस्त वर्ग के परिवारों को बीमारी की अवस्था में निशुल्क गुणवत्तापूर्ण जांच व इलाज।

केवल सरकारी अस्पताल शामिल।

इस योजना में एक परिवार एक वित्तीय वर्ष में 20000 रुपए की सीमा तक निःशुल्क जांच एवं उपचार की पात्रता होती है

पात्रता – आवेदक के पास मध्यप्रदेश का मूल निवासी तथा गरीबी रेखा का कार्ड होना अनिवार्य है

दीनदयाल चलित अस्पताल योजना

शुरुआत 29 मई 2006

यह योजना मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही है

इस योजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश के सुदूर आदिवासी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना , दूर दराज के इलाकों में जहाँ अस्पताल नहीं हैं वहां प्रारंभिक जाँच, उपचार और इलाज की सुविधा प्रदान करना तथा महिलाओं की प्रसव संबधी जाँच करना और उन्हें अन्य जानकारी प्रदान करना.

इसमें एक चलित वाहन का निर्माण कराया गया है, जिसमें डॉक्टर, स्टाफ, जरूरी उपकरण तथा दवाएं उपलब्घ हैं। यह वाहन आदिवासी क्षेत्रों के गांवों तथा हाट बाजारों में सभी वर्गों के लोगों को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराता है

राष्ट्रीय संक्रमण रोग नियंत्रण कार्यक्रम

केंद्र सरकार द्वारा मलेरिया डेंगू रेबीज पीलिय हेपेटाइटिस टीवी एड्स जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं

मलेरिया

1997 में विश्व बैंक की सहायता से मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया

इस कार्यक्रम के तहत मलेरिया उपचार हेतु कुनैन की गोली का वितरण करना सामान्य मलेरिया को गंभीर मलेरिया बनने से रोकना जैसे देश शामिल हैं

फाइलेरिया

फाइलेरिया के नियंत्रण के लिए 1955 में फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया

इस कार्यक्रम के तहत दक्षिण और उत्तरी पूर्वी राज्यों पर विशेष जोर दिया गया

एड्स

भारत में एड्स का पहला मामला 1986 में चेन्नई में आया

देखते ही देखते 1990 तक महानगरों में एड्स का प्रकोप बढ़ने लगा

इसे देखते हुए भारत सरकार ने 1992 में राष्ट्रीय राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम राष्ट्रीय राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन का एक कार्यक्रम है

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना वर्ष 1992 में की गई थी

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक विभाग है

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा चलाया जाता है

प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करना है

वर्तमान में 2007 में इस कार्यक्रम का तीसरे चरण प्रारंभ किया गया है

इस कार्यक्रम के तहत नागरिकों को जागरूक करने एड्स के प्रति लोगों में समझ विकसित करने संक्रमित सुई और उपकरणों के प्रयोग पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है

क्षय रोग या टीवी

क्षय रोग विश्व में प्रसिद्ध सबसे अधिक जानलेवा रोग है

विश्व के 21% रोगी भारत में पाए जाते हैं लगभग भारत में प्रतिदिन 1000 लोगों की मृत्यु टीवी से होती है

टीवी का विकराल रूप को देखते हुए 1962 में राष्ट्रीय क्षयरोग कार्यक्रम प्रारंभ किया गया

1997 में इस कार्यक्रम के तहत डाट्स प्रणाली को अपनाया गया

2017 की स्वास्थ्य नीति में टीवी को 2025 तक उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा है

कुष्ठ रोग

विश्व में सर्वाधिक कुष्ठ रोगी भारत में पाए जाते हैं

भारत सरकार द्वारा 1955 मे राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियंत्रण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया

राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की एक केंद्रीय प्रायोजित स्वास्थ्य योजना हैं

इसे 1983 में कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम में परिवर्तित कर दिया गया

2007 में WHO द्वारा भारत को कुष्ठ मुक्त घोषित कर दिया गया

पोलियो

5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को में पोलियो के उन्मूलन हेतु 2 अक्टूबर 1994 को दिल्ली में पल्स पोलियो कार्यक्रम अभियान की शुरुआत की गई

1995 – 96 में इसे राष्ट्रीय पल्स पोलियो कार्यक्रम का रूप प्रदान किया गया इस कार्यक्रम के तहत 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में को पोलियो की ओरल दवा दी जाती है

इसी कार्यक्रम की बदौलत WHO ने 2014 में भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया

संजीवनी 108

जन सामान्य को घर से अस्पताल व अस्पताल से घर लाने 2009 से संचालित।

केंद्रीय कॉल सेंटर द्वारा संचालित ।

108 टोल फ्री नंबर।

जिला राज्य बीमारी सहायता निधि

यह केवल बीपीएल धारक परिवार को दी जाती है जो केवल मध्य प्रदेश के निवासी हो ।

घातक बीमारी होने की दशा में 25000 से 2 लाख रुपए तक की निशुल्क चिकित्सा सेवा शासकीय अस्पताल एवं शासन द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में प्रदान की जाती है

सरदार बल्लभ भाई पटेल निशुल्क औषधि वितरण योजना (sardar Vallabhbhai Patel free medicine delivery scheme)

आरंभ 17 नवंबर 2012 से

यह मध्य प्रदेश सरकार की योजना

सभी चिकित्सा संस्थाओं में निशुल्क औषधि।

जेनेरिक दवा मुफ्त दी जाती हैं।

मिड डे मील कार्यक्रम ( MDM – MID DAY MEAL)

मिड-डे मील कार्यक्रम एक केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में 15 अगस्त, 1995 को पूरे देश में लागू किया गया था।

यह योजना केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती हैं और इसका बजट और क्रियान्व भी यही मंत्रालय करता हैं

केंद्र से वित्तीय सहायता प्रदान करता है जबकि योजना का संचालन राज्य सरकारों द्वारा किया जा रहा है।

इसमें बच्चों को 8 से 12 ग्राम प्रोटीन युक्त पूरक आहार प्रति दिवस उपलब्ध कराना है।

हेल्थ इन इंडिया रिपोर्ट – 2020

सितंबर 2020 में राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा हेल्थ इन इंडिया रिपोर्ट का प्रकाशन किया गया

देश भर में लगभग 97% बच्चों का कम से कम एक टीकाकरण हो पाता है जिसमें अधिकतर बीसीजी और जन्म के समय OPV की पहली खुराक सम्मिलित होती है

मात्र 67% बच्चे ही खतरे से सुरक्षित हैं 58% को पोलियो बूस्टर खुराक दी गई है जबकि 54% बच्चों को डीपीटी बूस्टर खुराक दी गई है

राज्यों में मणिपुर 75% आंध्र प्रदेश( 73.6% ) और मिजोरम ( 73.4 %) मे पूर्ण टीकाकरण की उच्चतम दर दर्ज की गई है

नागालैंड में केवल 12% बच्चों का पूर्ण टीकाकरण किया गया है इसके बाद पुदुचेरी में 34% और त्रिपुरा में 39% स्थान रहा है

पूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत एक शिशु को जन्म के पहले वर्ष में 8 टीको की खुराक दी जाती

राज्य स्वास्थ्य सूचकांक 2019

नीति आयोग ने यह इंडेक्स विश्व बैंक और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर जारी किया है

इस रिपोर्ट में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के साल भर के प्रदर्शन को मापा जाता है

यह इंडेक्स कुल 23 संकेत को पर आधारित है

इस इंडेक्स में राज्यों को तीन श्रेणी में रखा गया है
बड़े राज्य – 21
छोटे राज्य – 7
और केंद्र शासित प्रदेश – 8

इसमें केरल सर्वाधिक स्वस्थ राज्य के रूप में शीर्ष स्थान पर काबिज़ है जबकि उत्तरप्रदेश इस सूचकांक में सबसे निचले पायदान पर है।

यह चिंता की बात है कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखा है। हालाँकि राजस्थान जैसे कुछ राज्यों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार देखने को मिला है।

भारत की स्वास्थ्य नीति का उद्देश्य क्या है?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 का प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य प्रणाली के सभी आयामों - स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश, स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं के व्यवस्थापन और वित्त पोषण, रोगों की रोकथाम, प्रौद्योगिकियों तक पहुँच, मानव संसाधन विकास, विभिन्न चिकित्सीय प्रणाली को प्रोत्साहन, बेहतर स्वास्थ्य हेतु आपेक्षित ज्ञान आधार तैयार करना ...

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति कब लागू?

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 को 15 मार्च, 2017 को “स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय” द्वारा शुरू किया गया था. इस नीति में सरकार का ध्यान “बीमार की देखभाल” से शिफ्ट होकर “बीमार के कल्याण” पर होगा.

भारत की पहली राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का निर्माण कब हुआ?

भारत में स्वास्थ्य भारत में आज़ादी के 30 साल बाद पहली बार 1983 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पेश की गई। इसके बाद साल 2002 में दूसरी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति की शुरुआत की गई। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 के क़रीब 15 साल बीत जाने के बाद साल 2017 में तीसरी स्वास्थ्य नीति लाई गई।