Jaipur: शुक्र को विलासता और धन का प्रतीक कहा जाता है. ये कुंडली के किस भाव में बैठता है और क्या असर करता है, यहां जानिए Show पहले भाव पर शुक्र का प्रभाव सातवें भाव पर शुक्र का प्रभाव Jaipur: शुक्र को विलासता और धन का प्रतीक कहा जाता है. ये कुंडली के किस भाव में बैठता है और क्या असर करता है, यहां जानिए पहले भाव पर शुक्र का प्रभाव सातवें भाव पर शुक्र का प्रभाव बारहवें भाव में शुक्र क्या फल देता है?यानि, इस भाव से जातक को विषयक बातों का लाभ होगा, जिस भाव का कारक लग्न से द्वादश भाव में स्थित हो शुक्र जाया (पत्नी) भाव का कारक ग्रह है, अत: जिन जातकों के बारहवें भाव में शुक्र रहता है, उन्हें स्त्री सुख में कभी कमी नहीं होगी, प्राय: ऐसे व्यक्तियों की पत्नी दीर्घजीवी हुआ करती है।
शुक्र उच्च का कब होता है?2, 3, 4, 7 एवं 12 वें खाने में शुक्र श्रेष्ठ होता है जबकि 1, 6, 9 वें खाने में मंदा। मीन राशि में यह उच्च होता है और कन्या में नीच, मिथुन राशि में यह योग कारक होता है।
उच्च का शुक्र क्या फल देता है?कुंडली में अगर शुक्र अगर उच्च स्थान पर हैं तो सुख-समृद्धि, मनोवांछित फल की प्राप्ति, मान-सम्मान आदि शौहरत की प्राप्ति होती है और अगर वह निम्न स्थान पर हैं तो पति-पत्नी के बीच मतभेद, झूठे आरोप, कोर्ट-कचहरी के चक्कर और हर क्षेत्र में समस्याएं, किडनी संबंधित कई रोगों से सामना करना पड़ता है।
शुक्र कमजोर होने के क्या लक्षण है?कुंडली में कमजोर शुक्र का जातकों पर प्रभाव
- अगर किसी जातक की कुंडली में शु्क्र ग्रह कमजोर हो तो जातक भौतिक सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है। - कमजोर शुक्र होने पर व्यक्ति धर्म और अध्यात्म की तरफ जाता है। भोग विलासिता में उसका मन नहीं लगता। - कुंडली में शु्क्र ग्रह के कमजोर होने पर यौन सुख नहीं प्राप्त होता है।
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