Surpanakha(शूर्पनखा) रामायण का एक पात्र हैं. आज हम आप को शूर्पनखा के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं. शूर्पनखा पिछले जनम में क्या थी और कैसे वह भगवान राम के दर्शन पा सकी और किस तरह से वह प्रभु के काम आई. Show
लोगों को आधी अधूरी जानकारी होने के कारण शूर्पनखा के बारे में पूरी और सही जानकारी नहीं हैं. आज के लेख के माध्यम से आप को पूरी जानकारी उपलब्ध करवा रहें हैं. Table of Contents
Surpanakha(शूर्पनखा)शूर्पनखा एक राक्षसी होने के साथ-साथ लंका के राजा रावण की बहन भी थी. Surpanakha(शूर्पनखा) के पति का नाम विद्युत्जिव्हा था. वह कालकेय नाम के राजा का सेनापति था. एक बार रावण के साथ कालकेय का युद्ध हुआ जिसमे शूर्पनखा का पति भी मारा गया था. शूर्पनखा का बदलाअपने पति की मृत्यु का पता चलते ही शूर्पनखा( Surpanakha) बहुत दुखी हुई थी और फूट-फूट कर अपने पति के लिए रोई थी. उसने अपनी पति की देह के सामने ही प्रण भी लिया था की वह लंकापति रावण का सर्वनाश करेगी और अपने पति की मृत्यु का बदला लेगी. शूर्पनखा का राम के पास जानाएक बार शूर्पनखा( Surpanakha) राम के पास जा पहुंची. दरअसल वह श्रीराम पर मोहित हो गयी थी क्योंकि श्रीराम दिखने में बहुत ही सुंदर थे तो वह उनसे विवाह करना चाहती थी. जब वह राम से यह बात कहने लगी तो उन्होंने उसे लक्ष्मण के पास भेजा. इस तरह राम से लक्ष्मण और लक्ष्मण से राम के पास चक्कर काटते हुए वह क्रोध में भर आई तो वह सीता के पास जा पहुंची क्योंकि श्रीराम ने उससे कहा था की वह शादीशुदा हैं इसलिए उससे विवाह नहीं कर सकते हैं. वह सीता को मारना चाहती थी इस वजह से लक्ष्मण ने शूर्पनखा की नाक काट दी थी. Surpanakha का खर-दूषण के पास जानाअपने नाक और कान कटने के बाद शूर्पनखा दण्डक वन में रहने वाले अपने भाइयों के पास गयी. खर और दूषण ने कहा की तुमने उन्हें उकसाया होगा लेकिन वह भी उसके बहकावे में आ गए और श्रीराम से लड़ने जा पहुंचे. खर और दूषण का श्रीराम से युद्ध हुआ जिसमे श्रीराम ने अकेले उन दोनों को मार दिया और उनकी सेना का भी संहार कर दिया. यह सब देखकर शूर्पनखा( Surpanakha) को बड़ा आश्चर्य हुआ. अब वह सीधे वहां से लंका जा पहुंची. शूर्पनखा का रावण से मिलनारावण को सारी आप बीती सुनाने के बाद वह उससे कहने लगी की आप श्रीराम को युद्ध में हराएँ और मुझे उनसे विवाह करने का मौका दें. रावण को अपने उपर बड़ा गर्व और घमंड भी थी. वह स्वयं से बड़ा विश्व में किसी को नहीं मानता था. वह भी शूर्पनखा की बातों में आकर सीता को चुपके से उठा लाया और अपने कुल के सहित मृत्यु को प्राप्त हुआ. इस तरह से शूर्पनखा के कारण सम्पूर्ण राक्षस जाति का विनाश हुआ और रावण भी मारा गया. शूर्पनखा का पूर्वजन्मशूर्पनखा( Surpanakha) अपने पिछले जन्म में इन्द्रलोक में नयनतारा नाम की अप्सरा थी. उर्वशी , रम्भा और मेनका जैसी अप्सराओं में उसकी गिनती होती थी. एक बार इन्द्रलोक में इंद्र के सामने नयनतारा का नृत्य चल रहा था जिसमे नृत्य के साथ-साथ वह इंद्र को आँखों से इशारा भी कर रही थी. कामदेव का आश्रम और ताड़का की सम्पूर्ण कहानी यह सब देखकर इंद्र नयनतारा के प्रेमजाल में फंस गए और उस पर बहुत प्रसन्न हुए. इसके बाद नयनतारा इंद्र की प्रेयसी बन गयी. लेकिन एक बार पृथ्वी पर वज्रा नामक ऋषि घोर तपस्या कर रहे थे. उनकी तपस्या से घबरा कर इंद्र ने नयनतारा को ही पृथ्वी पर भेजा और कहा ही ऋषि की तपस्या को भंग करो. वज्रा ऋषि का नयनतारा(शूर्पनखा) को श्रापवज्रा ऋषि को तपस्या करते देखकर वह नृत्य करने लगी. बहुत समय तक नृत्य करते-करते नयनतारा के नृत्य से वज्रा ऋषि की तपस्या भंग हो गई. इसके बाद उन्होंने नयनतारा को राक्षसी होने का श्राप दे डाला. नयनतारा ने ऋषि से क्षमा मांगी लेकिन उसको उसका रूप वापस नहीं मिला और उन्होंने कहा की राक्षसी के रूप में ही तुझे प्रभु के दर्शन होंगे. इसके बाद वह नयनतारा अप्सरा से शूर्पनखा(Surpanakha) नाम की राक्षसी बनी लेकिन उसने ठान लिया था की वह उन्हें पति रूप में प्राप्त करेगी. शूर्पनखा श्रीराम मिलनश्रीराम से दंडक वन में भेंट के दौरान वह उनको पति रूप में पाने की जिद करने लगी. लेकिन वह यह नहीं जानती थी की भगवान को पाने की एक प्रक्रिया होती हैं. उससे बस यही एक भूल हुई थी लेकिन इसके पहले का जो समय उसने राक्षसी के रूप में बिताया था उसके कारण ही उसे श्रीराम के दर्शन हो सकें. रावण के मरने के बाद शूर्पनखा कहाँ गई ?लंकापति रावण और बाकी राक्षसों के मरने के बाद शूर्पनखा पुष्करजी जी में चली गयी. जो की आज के समय में राजस्थान के पुष्कर जिले में स्थित एक जगह हैं. इसके बाद वह वहीँ जल में खड़ी होकर शिव का ध्यान करने लगी. विश्वामित्र अयोध्या आगमन और राम को मांगना दस हजार वर्षों तक ऐसे ही शूर्पनखा तपस्या करती रहीं और उसे शिवजी ने दर्शन दिए और कहाँ की 28वें द्वापर युग में श्रीराम का कृष्णावतार होगा. टैब उस युग में कुब्जा के रूप में तुम्हे श्रीकृष्ण से पतिसुख की प्राप्ति होगी और वह तुम्हारा कूबड़ ठीक करके तुम्हे उस रूप से छुटकारा देंगे. जिसके बाद तुम फिर से नयनतारा अप्सरा के रूप में वापस आ जाओगी. शूर्पनखा के कितने भाई थे ?रावण , कुम्भकरण और विभीषण के अलावा कुबेर भी शूर्पनखा के सौतेले भाई थें. शूर्पनखा के कितने पुत्र थे ?शूर्पनखा को केवल एक पुत्र था. रंगनाथ रामायण के अनुसार शूर्पनखा के पुत्र का नाम जम्बुमाली था. रावण की मृत्यु के बाद शूर्पणखा का क्या हुआ ?रावण की मृत्यु के बाद शूर्पनखा पुष्कर में तपस्या करने चली गयी थी. इसके बाद आगे चलकर श्रीराम के कृष्णावतार लेने पर वह कुब्जा हुई थी. जहाँ उसे श्रीकृष्ण का पतिसुख मिला था और वह वापस अपने वास्तविक अप्सरा ‘नयनतारा’ रूप में आ गयी थी. सूर्पनखा का दूसरा नाम क्या था ?सूर्पनखा अपने पिछले जन्म में स्वर्गलोक में नयनतारा नाम की अप्सरा थी. वज्रा ऋषि की तपस्या भंग करने बाद उसको राक्षसी होने का श्राप मिला था और आगे चलकर वह लंकापति रावण की बहन हुई. खर की माता कौन थीं?खर व दूषण महामहिम रावण की मौसी राका के पुत्र थे जिनका वध श्री राम ने सुपर्णखा के नाक-कान काटने के उपरान्त किया था। सुपर्णखा इन दोनों की सगी बहन थी।
खर दूषण के माता पिता का नाम क्या था?खर और दूषण, लंका के राजा रावण के सौतेले भाई थे। खर, पुष्पोत्कटा से और दूषण, वाका से ऋषि विश्रवा के पुत्र थे। जबकि रावण की माता का नाम कैकसी था।
खर दूषण किसका भाई था?खर-दूषण, लंका के राजा रावण का भाई था। इसी जगह भगवान शिव का एक ऐसा अद्भुत मंदिर भी है, जहां उनकी पूजा 'दूल्हे' के रूप में होती है।
खर दूषण के कितने पुत्र थे?रावण के भानजे तथा खरदूषण के बेटों के नाम 'शंबूक' तथा 'सुंद' थे।
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