भारत के पूर्व थल सेना अध्यक्ष कौन थे? - bhaarat ke poorv thal sena adhyaksh kaun the?

मनोज पांडे देश के सर्वोच्च सैन्य संस्थानों में से एक एनडीए यानी नेशनल डिफेंस अकेडमी के छात्र रहे हैं. दिसंबर 1982 में उन्हें कोर ऑफ इंजीनियर्स में शामिल किया गया था.

New Army Chief: लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे (Manoj Pande) को देश का नया थलसेना प्रमुख बनाया गया है. शनिवार को उन्होंने जनरल एमएम नरवणे (General MM Naravane) की जगह ली और देश के 29वें थल सेना प्रमुख के तौर पर पदभार ग्रहण किया. वह सेना के इंजीनियरिंग विंग से आते हैं और ऐसा पहली बार है, जब सेना की इंजीनियर कोर के किसी अधिकारी ने थलसेना (Army) की कमान संभाली है. इससे पूर्व 28 बार पैदल सेना, तोपखाना और बख्तरबंद रेजिमेंट के अधिकारी ही थलसेना प्रमुख बनाए जाते रहे हैं. तमाम चुनौतियों और जिम्मेदारी के बीच मनोज पांडे के हाथ अब 13 लाख कर्मियों वाली थल सेना की कमान है.

लेफ्टिनेंट जनरल पांडे कौन हैं, अबतक कौन सी जिम्मेदारियां निभा चुके हैं, उनके करियर की उपलब्धियां क्या रही हैं, क्यों वे ही थलसेना प्रमुख पद के लिए सबसे उपयुक्त हैं और संसद पर हुए हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन पराक्रम में उनका क्या रोल रहा है…. ये तमाम बातें जानते हैं विस्तार से.

मां रेडियो में अनाउंसर थीं और पिता प्रोफेसर

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे नागपुर के रहने वाले हैं. उनकी पत्नी डॉक्टर जबकि बेटा और बहु एयरफोर्स में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में उनके बचपन के दोस्त दिलीप अठावले से उनके परिवार के बारे में बताया गया है. मनोज पांडे के पिता चंद्रशेखरजी पांडे नागपुर विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रह चुके हैं, वहीं उनकी मां प्रेमा पांडे ऑल इंडिया रेडियो में अनाउंसर थीं और नियमित रूप से रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम मधु मालती की प्रस्तोता थीं. लेफ्टिनेंट जनरल पांडे की पत्नी अर्चना पांडे डेंटिस्ट हैं. उनके बेटे और बहु दोनों भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) में पायलट हैं.

पूर्वी सेना की कमान संभाल रहे थे मनोज पांडे

मनोज पांडे देश के सर्वोच्च सैन्य संस्थानों में से एक एनडीए यानी नेशनल डिफेंस अकेडमी के छात्र रहे हैं. दिसंबर 1982 में उन्हें कोर ऑफ इंजीनियर्स में शामिल किया गया था. वे अब तक थल सेना प्रमुख एमएम नरवणे के बाद दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी थे. बीते एक फरवरी को लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को थल सेना का उप-प्रमुख बनाया गया था. 1 फरवरी से पहले वह थल सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे, जिसे सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और आसपास के सेक्टरों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की रखवाली का काम सौंपा गया था.

देखें पदभार के दौरान की कुछ तस्वीरें:

संभाल चुके हैं कई अहम जिम्मेदारियां

जनरल पांडे का सैन्य करियर करीब 4 दशक का रहा है. अपने विशिष्ट करियर में जनरल पांडे ने कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं. उन्होंने अंडमान और निकोबार कमांड (CINCAN) के कमांडर-इन-चीफ के रूप में भी काम किया है. बता दें कि CINCAN भारत की एकमात्र त्रि-सेवा कमान है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ पल्लनवाला सेक्टर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान एक इंजीनियर रेजिमेंट के तौर पर कमान संभाली थी.

ऑपरेशन पराक्रम में बड़ी भूमिका

दिसंबर 2001 में संसद पर हुए आतंक हमले के बाद सेना ने ऑपरेशन पराक्रम की शुरुआत हुई थी. इस खास ऑपरेशन के तहत आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान से सटने वाली भारत की पश्चिमी सीमा पर सैन्य हथियारों और सेना के जवानों की बड़े पैमाने पर लामबंदी की गई थी. एक समय तो ऐसा लग रहा था, जैसे भारत और पाकिस्तान युद्ध की कगार पर खड़े हों. ऑपरेशन पराक्रम के दौरान उन्होने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ पल्लनवाला सेक्टर में एक इंजीनियर रेजिमेंट के तौर पर कमान संभाली थी.

पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक दी सेवा

मनोज पांडे ने अपने 39 साल के सैन्य करियर में कई भूमिकाओं में खुद को साबित किया है. वे लद्दाख से लेकर अंडमान और निकोबार तक और पूर्वोत्तर भारत से लेकर पश्चिमी सेक्टर तक सेवा में रहे हैं. उन्होंने वेस्टर्न थिएटर में एक इंजीनियर ब्रिगेड, लद्दाख सेक्टर में एक माउंटेन डिवीजन, एलओसी के साथ एक पैदल सेना ब्रिगेड और उत्तर पूर्व में एक कोर की कमान संभाली है. वह अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ का कार्यभार संभाल चुके हैं. अब देश के थल सेना की कमान उनके हाथ में है.

आगे क्या होंगी चुनौतियां?

जनरल पांडे को ऐसे समय में भारतीय सेना की कमान दी गई है, जब देश कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है. इन चुनौतियों में पाकिस्तान के साथ एलओसी और चीन के साथ एलएसी पर संघर्ष शामिल है. सेना प्रमुख के रूप में, उन्हें थिएटर कमांड को तैयार करने की सरकार की योजना के मुताबिक, नौसेना और वायु सेना के साथ भी समन्वय करना होगा और तमाम चुनौतियों से पार पाना होगा.

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जनरल मनोज पांडे ने आज भारतीय थल सेना की कमान संभाल ली. साउथ ब्लॉक में इन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. पहली बार इस मौक़े पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल वीआर चौधरी और नौसेना प्रमुख एडमिरल हरी कुमार मौजूद रहे. भारतीय थल सेना की कमान संभालने के बाद जनरल मनोज पांडे ने कहा कि देश की रक्षा सबसे ऊपर है. कमान संभालने के बाद मैं हर चुनौती से निपटने को तैयार हूं.

जनरल मनोज पांडे ने आजतक से बातचीत की. उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में हमने चीन से लगने वाली सरहद पर अपनी तैनाती को काफी मजबूत बनाया है. हमने चीन सरहद पर अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है. हमारी पूरी कोशिश है कि लद्दाख में पुरानी स्थिति को कायम किया जाए.

हम कश्मीर में किसी भी तरह के आतंकवाद का मुकाबला करेंगे: पांडे

जनरल मनोज पांडे ने कहा कि हम कश्मीर में किसी भी तरह के आतंकवाद का मुक़ाबला करेंगे. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी कैम्पों की संख्या कम नहीं हुई है, बल्कि बढ़ी है. पाकिस्तान के जरिए हथियार काफी बड़ी संख्या में आने की घटनाएं बढ़ी हैं. 

इससे पहले सेना प्रमुख ने कहा कि मेरे लिए ये बेहद गर्व का पल है और सम्मान की बात है कि मुझे थल सेना का दायित्व सौंपा गया है. सेना ने देश की सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने के लिए बहुत काम किया है. मैं देशवासियों को आश्वासन देने चाहता हूं कि सेना इसे बनाए रखेगी. उन्होंने कहा कि विश्व में जियोपॉलेटिकल स्थिति बदल रही है. हमारे सामने कई तरह की चुनौती है, लेकिन उन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए थल सेना पूरी तरह से तैयार है.

जनरल पांडे ने कहा कि तीनों सेना एक दूसरे के साथ समन्वय बनाकर काम करेगी. उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता ऑप्रेशनल तैयारियों पर रहेगी और आत्मनिर्भर भारत के तहत नई तकनीक पर ज़ोर रहेगा. हम साथ मिलकर काम करेंगे और देश के लिए जो भी अच्छा होगा, वो करेंगे. देश की रक्षा सर्वोपरि है. 

इससे पहले जनरल पांडे पूर्वी सेना कमान का नेतृत्व कर रहे थे, जिसे सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश सेक्टरों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की रखवाली का काम सौंपा गया था. जनरल पांडे ने ऐसे समय में भारतीय सेना की कमान संभाली, जब भारत कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें पाकिस्तान और चीन के साथ LOC और LAC शामिल है. सेना प्रमुख के रूप में उन्हें सरकार की योजना पर भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के साथ समन्वय स्थापित करना होगा.

कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे?

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को दिसंबर 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स में कमीशन दिया गया था. वह स्टाफ कॉलेज, केम्बरली (यूके) से स्नातक हैं और उन्होंने आर्मी वॉर कॉलेज, महू और दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज में हायर कमांड कोर्स में भी भाग लिया था. लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने अपनी 37 साल की सेवा में ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन पराक्रम में सक्रिय भाग लिया है. 

अपने 39 साल के सैन्य करियर में, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने पश्चिमी थिएटर में एक इंजीनियर ब्रिगेड, एलओसी पर पैदल सेना ब्रिगेड, लद्दाख सेक्टर में एक पर्वतीय डिवीजन और उत्तर-पूर्व में एक कोर की कमान संभाली है. पूर्वी कमान का कार्यभार संभालने से पहले वह अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ का कार्यभार संभाल चुके हैं.

भारतीय सेना के पहले सेना अध्यक्ष कौन थे?

सही उत्तर जनरल के. एम. करियप्पा है। फील्ड मार्शल कोदंडेरा मडप्पा करियप्पा 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश जनरल रॉय बुचर से पदभार संभालने वाले भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ थे

भारत के थल सेना अध्यक्ष का क्या नाम है?

भारत के थलसेनाध्यक्ष (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) भारत की थलसेना के सेनापति होते हैं। इस पद पर सामान्यतः जनरल पद के अधिकारी होते हैं। वर्तमान में जनरल मनोज मुकुंद नरवणे इस पद पर आसीन हैं, जिन्होंने 31 दिसंबर 2019 को यह पद संभाला।

थल सेना के प्रमुख कौन है 2022?

थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे दिनांक 05 से 08 सितंबर 2022 तक नेपाल की यात्रा पर जाने वाले हैं। सेना प्रमुख के रूप में यह उनकी पहली नेपाल यात्रा है।

दुनिया की सबसे ताकतवर सेना कौन सी है?

अमेरिका की थल सेना (United States Army) ... .
रूस की थल सेना (Russian Army) ... .
चीन की सेना (Chinese Army) ... .
भारतीय थल सेना (Indian Army) ... .
जापान की सेना (Japanese Army) ... .
दक्षिण कोरिया की सेना (South Korean Army) ... .
फ्रांस की सेना (French Army) ... .
यूनाइटेड किंगडम की सेना (United Kingdom Army).