समाज का मुख्य आधार क्या है? - samaaj ka mukhy aadhaar kya hai?

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एकता एक चीज होती 11 इसकी कोई धार्मिक सामाजिक एकता एकता धार्मिक एकता क्या मतलब होता है रूढ़िवादिता हो गया तो मान लीजिए कि हां सिख धर्म के यह किसी

ekta ek cheez hoti 11 iski koi dharmik samajik ekta ekta dharmik ekta kya matlab hota hai rudhivadita ho gaya toh maan lijiye ki haan sikh dharm ke yah kisi

एकता एक चीज होती 11 इसकी कोई धार्मिक सामाजिक एकता एकता धार्मिक एकता क्या मतलब होता है रू

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समाज का मुख्य आधार क्या है? - samaaj ka mukhy aadhaar kya hai?
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समाज का मुख्य आधार क्या है? - samaaj ka mukhy aadhaar kya hai?

समाज का मुख्य आधार क्या है? - samaaj ka mukhy aadhaar kya hai?

समाज का मुख्य आधार क्या है? - samaaj ka mukhy aadhaar kya hai?

समाज का मुख्य आधार क्या है? - samaaj ka mukhy aadhaar kya hai?

nimn mein se kaun si dasha vartman bhartiya samaj mein dharmik ekta ka vastvik aadhar hai ;

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आज के युग में बालिका शिक्षा की महती आवश्यकता है। बच्चों का पहला विद्यालय घर होता है, मां उसकी पहली शिक्षिका होती है। अध्यक्षता करते हुए न्यायिक सेवा में चयनित बिमला धाकड़ कहा कि समाजबंधुओं को चाहिए की वह बच्चों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करें, अनुशासित संस्कारवान बनाना उनका पहला दायित्व है। विशिष्ट अतिथि धाकड़ समाज के प्रदेश महासभा अध्यक्ष तुलसीराम धाकड़ ने कहा कि समाज को जाग्रति की आवयश्कता है। उन्होंने समाजबंधुओं से सामाजिक बुराइयों को दूर करने, विपरित समय के लिए धन संग्रहण बचत अपनाने पर जोर दिया। महासभा 108 गांंव अध्यक्ष हेमराज नागर ने कहा कि शिक्षित समाज से राष्ट्र निर्माण संभव है। महिला शिक्षा मौजूदा समय की महती आवयश्कता है। संरक्षक पूर्व विधायक प्रभुलाल करसोल्या ने कहा कि प्रतिभा हासिल करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।

धाकड़ महासभा जिलाध्यक्ष राधेश्याम धाकड़, विजयशंकर धाकड़, मेघराज धाकड़, रामदयाल धाकड़, मुकेश धाकड़, मांगीलाल धाकड़, संतोष धाकड़, सीताराम नागर, जग्गा धाकड़ ने भी विचार वक्त किए। संचालन राधेश्याम धाकड़ ने किया। इससे पहले अतिथियों को परिषद के रामस्वरूप धाकड़, शिवनारायण धाकड़, जगदीश धाकड़, डॉ. रामावतार धाकड़, कन्हैयालाल नागर, शांतिलाल धाकड़ समेत कई लोगों ने माला पहनाकर साफा बंधवाकर स्वागत किया। कार्यक्रम में आस-पास के गांवों से बड़ी संख्या में समाज के लोगों ने शिरकत की।

प्रतिभाओंको दी शील्ड

करवरमें आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में करवर सहित आसपास के नागर चाल धाकड़ समाज के बूंदी, टोंक, सवाईमाधोपुर जिले के 108 गांंव की 150 प्रतिभाओं को शील्ड देकर, माला पहनाकर स्वागत किया। जिसमें कक्षा दसवीं, 12वीं, स्नातक, चयनित कर्मचारी, पत्रकार, सेवानिवृत्त समेत कई तरह की प्रतिभाओं का सम्मान किया गया।

प्राचीन काल के चार वर्ण-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ही कालान्तर में जाति के रूप में विकसित हो गए।जाति व्यवस्था भारतीय समाज को अनेक ढंग से प्रभावित करती रही है।

 

कर्म एवं पुनर्जन्म का सिद्धान्त (Doctrine of Karma and Reincarnation)-

 

भारतीय समाज में कर्म को काफी महत्व दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि अच्छे कर्मों का अच्छा जबकि बुरे कर्मों का बुरा फल प्राप्त होता है। मृत्यु के बाद पुनः: वह किस योनि में जन्म लेगा यह उसके पिछले जन्म के कर्म पर निर्भर करता है। अच्छे कर्म करने वाले को उच्च योनि में जबकि बुरे कर्म करने वालों को निम्न योनि में जन्म लेना होता है। उच्च योनि में जन्म लेने वाले सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं जबकि 

सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ 

Samajik starikaran arth paribhasha visheshtayen aadhar;समाज मे सभी व्यक्ति एक से नही होते। उनमे अनेक जैविक और सामाजिक भेद होते है। ये भेद कमोबेश सभी समाजों मे देखने को मिलते है। आदिम समाज सरल होते है। उनमे सामाजिक और सांस्कृतिक भेद कम होते है। ऐसे समाजों मे व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और उसके कार्यों का निर्धारण प्रधानतया जैविक तत्वों जैसे-- आयु, लिंग, शारिरीक एवं मानसिक क्षमता के द्वारा ही होता है। इसके विपरीत आधुनिक समाज जटिल होता है। उसमे श्रम विभाजन विशेषीकरण पर आधारित होता है। व्यक्ति की समाज मे स्थिति जैविक तत्वों पर कम और सामाजिक भेदों पर अधिक निर्भर करती है। तकनीकी ज्ञान, शिक्षा, व्यवसाय, एवं आर्थिक स्थिति आधुनिक समाजों मे सामाजिक भेद के मुख्य आधार है। समाज मे विभेदीकरण की प्रक्रिया निरन्तर क्रियाशील होती है। समाज मे क्रिमिक एवं सतत भिन्नता का मुखर होना ही विकास हैं।
सामाजिक स्तरीकरण समाज का उच्चता व निम्नता पर आधारित क्षैतिज श्रेणियों मे विभाजन को स्पष्ट करता है।
इस लेख मे हम सामाजिक स्तरीकरण क्या हैं? सामाजिक स्तरीकरण किसे कहते है? सामाजिक स्तरीकरण की परिभाषा, विशेषताएं और सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधार जानेंगे।

समाज का मुख्य आधार क्या है? - samaaj ka mukhy aadhaar kya hai?


दूसरे शब्दों मे, सामाजिक स्तरीकरण समाज का बहुत कुछ स्थायी समूहों एवं श्रेणियों, जो उच्चता व निम्नता के बोध से परस्पर आबध्द होते हैं, मे विभाजन है। वास्तव मे सामाजिक स्तरीकरण का आधार सामाजिक विभेदीकरण है। जब भिन्न सामाजिक विशिष्टताओं के साथ भिन्न सामाजिक प्रतिष्ठा जुड़ जाती है जिससे कतिपय सामाजिक विशिष्टताओं को समाज मे ऊँचा स्थान, अच्छी सुविधाएँ और पुरस्कार प्रदान किया जाता है तो समाज न केवल विभेदीकृत होता है, बल्कि स्तरीकृत भी हो जाता है।

पी. गिसबर्ट, " सामाजिक स्तरीकरण समाज का उन स्थायी समूहों अथवा श्रेणियों मे विभाजन है, जो कि उच्चता एवं अधिकता संबंधों मे परस्पर सम्बध्द होते हैं।"
थियोडोर कैपलो, " संस्तरण किसी सामाजिक व्यवस्था के सदस्य को ऊंच-नीच के क्रम मे सजाना है, जिनमें प्रतिष्ठा, सम्पत्ति, प्रभाव तथा सामाजिक स्थिति की अन्य विशेषताओं मे काफी विभिन्नताएं देखने को मिलती है।"
बरट्रेण्ड रसैल, " सामाजिक स्तरीकरण एक प्रकार से किया गया समाज मे व्यक्तियों का विभाजन है--- जैसे कि उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग।"

मेलविन के अनुसार," स्तरीकरण,  विभेदीकरण एवं मूल्य निर्धारण के संयोग का परिणाम है। वास्तव मे स्तरीकरण का किसी भी व्यवस्था के कार्य मे परिणत होने होने के लिए कम से कम चार मुख्य प्रक्रियायें है-- विभेदीकरण, श्रेणीकरण, मूल्यांकन और पुरस्कार।"

शलफाट पारसन स्तरीकरण की व्याख्या करते हुए लिखते है कि ," मानवीय व्यक्तियों के भेदीय-वर्ग जो एक विशेष सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करते है, एक निश्चित महत्वपूर्ण सामाजिक सम्मान के रूप मे उनका व्यवहार उच्च एवं निम्न की भावना से परस्पर संबंधित होता है।" 

सोरोकिन के अनुसार," सामाजिक स्तरीकरण का तात्पर्य है, एक जनसंख्या विशेष को एक दूसरे के ऊपर, ऊँच-नीच स्तरणात्मक वर्गों मे विभेदीकरण। इसकी अभिव्यक्ति उच्चतर एवं निरंतर स्तरों के विद्यमान होने के माध्यम से होती है।

समाज के प्रमुख आधार क्या है?

कई समाजशास्त्रियों ने अलग-अलग सिद्धांत दिए हैं, लेकिन एक सिद्धांत जो दुनिया भर में स्वीकृत है, समाज को तीन भागों में विभाजित करता है, जो विभिन्न समाजों के गठन का आधार है। ये आधार इस प्रकार दिए गए हैं:- जैविक कारक। सामाजिक परिस्थिति। सामाजिक-संस्कृति कारक।

समाज की मुख्य विशेषता क्या है?

समाज का एक प्रमुख विशेषता पारस्परिक निर्भरता हैं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति अकेले नही कर सकता हैं। उसे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता हैं।

समाज का उद्देश्य क्या है?

समाज कार्य के उद्देश्य मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना। सामाजिक सम्बन्धों को सौहादर््रपूर्ण एवं मधुर बनाना। व्यक्तित्व में प्रजातांत्रिक मूल्यों का विकास करना। सामाजिक उन्नति एवं विकास के अवसर उपलब्ध कराना।

समाज क्या है समाज के प्रकार?

समाज एक से अधिक लोगों के समुदायों से मिलकर बने एक वृहद समूह को कहते हैं जिसमें सभी व्यक्ति मानवीय क्रियाकलाप करते हैं। मानवीय क्रियाकलाप में आचरण, सामाजिक सुरक्षा और निर्वाह आदि की क्रियाएं सम्मिलित होती हैं। समाज लोगों का ऐसा समूह होता है जो अपने अंदर के लोगों के मुकाबले अन्य समूहों से काफी कम मेलजोल रखता है।