शनि की अंतर्दशा क्या होती है? - shani kee antardasha kya hotee hai?

ज्योतिष ग्रन्थ सारावली के अनुसार सभी ग्रह अपनी दशा मे अपने गुण-दोष के आधार पर शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं । ऐसे में पापग्रह माने जाने वाले शनि की दशाओं का विवेचन ज्योतिषियों ने गहन शोध एवं अनुभव के आधार पर किया है। एेसा इसलिए कि शनि अनुकूल होने पर सुख की झडी लगा देता है, तो प्रतिकूल होने पर भयंकर कष्ट देता है।

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शनि की साढेसाती, ढैैैैया, कंटक, महादशा, अंतर्दशा और यहां तक कि प्रत्यंतर्दशा भी घातक होती है। शनि के प्रकोप से ही राजा विक्रमादित्य को भयंकर कष्ट भोगने पडे. भगवान राम को वनवास भोगना पडा। वैसे, शनि को न्याय का देवता कहा जाता है. अत: इसकी दशा इत्यादि में अच्छे ज्योतिष से परामर्श लेकर उचित उपाय किए जाएं तो शनिदेव का कोप कुछ शांत भी किया जा सकता है.

शनि की महादशा के अन्तर्गत शनि, बुध, केतु, शुक्र, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, राहु एवं बृहस्पति की अन्तर्दशाएं आती हैं. देखते हैं इन अन्तर्दशाओं के परिणाम-

शनि में शनि की अन्तर्दशा-

शनि महादशा में शनि की अन्तर्दशा में जातक पर दु:खों यानी कष्टों का पहाड टूट पडता है। उसको बार-बार अनादर यानी अपमान का सामना करना पडता है. वह समाज विरोधी और घूमंतु हो जाता है। उसके कारण पत्नी-पुत्र दु:खी होते हैं। जातक लंबी बीमारियों से भी परेशान रहता है।

शनि में बुध की अन्तर्दशा-

शनि महादशा में जब बुध क अन्तर्दशा आती है, तब जातक के भाग्य में वृद्धि होती है. सुख-संपत्ति और सम्मान में बढोतरी होती है. वह आनंद का अनुभव करता है. जातक सदाचार की ओर प्रवृत्त होता है. चित्तवृत्ति कोमल निर्मल हो जाती है।

शनि में केतु की अन्तर्दशा-

शनि महादशा में केतु की अन्तर्दशा में पत्नी और सन्तान से वैचारिक मतभेद उभरते हैं. जातक के मन में भय बढता है. पित्त एवं वातजनित बीमारियों से वह परेशान रहता है. बुरे-बुरे सपने देखता है और अनिद्रा का शिकार होता है. यानी उसे पूरी नींद नहीं आती. रातभर बुरे भाव मन में आते रहते हैं और आशंकाएं उभरती रहती हैं.

शनि में शुक्र की अन्तर्दशा-

शनि महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा में व्यक्ति के दु:खों का अंत होकर सुख मिलने लगता है. उसके संपर्क में उसके हित में सोचने वाले आते हैं. यश और सम्मान की प्राप्ति होती है. शत्रुआें का शमन होता है. पुत्र एवं कार्यक्षेत्र यानी प्रोफेशन एवं नौकरी से सुख प्राप्त होता है।

शनि में सूर्य की अन्तर्दशा-

शनि महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा आने पर जातक को विभिन्न प्रकार के संकटों का सामना करता पडता है. पत्नी, पुत्र, सम्मान, यश, संपत्ति एवं आत्मविश्वास का नाश होता है. नेत्र एवं उदर रोग परेशान करते हैं. दरअसल, शनि और सूर्य घोर शत्रुु माने गए हैं. इसलिए शनि में सूर्य की अंतर्दशा कष्टकारी रहती है.

शनि में चन्द्रमा की अन्तर्दशा-

शनि महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा में सुखों का क्षरण होता है यानी सुख में कमी आती है. जातक को पत्नी वियोग झेलना पड सकता है. आत्मीयजनों से संबंध विच्छेद की स्थितियां बनती हैं. व्यक्ति को वातजन्य बीमारी घेरती है. हालांकि धनागम होता है यानी पैसा आता है।

शनि में मंगल की अन्तर्दशा-

शनि महादशा में ङ्कंगल क अन्तर्दशा जातक को स्थानांतरण करवाती है. दूसरे शब्दों में पत्नी, पुत्र, मित्र इत्यादि से दूर जाना पडता है. जातक भयभीत और आशंकति-सा रहता है. यश में कमी आती है।

शनि में राहु की अन्तर्दशा-

शनि महादशा में राहु की अन्तर्दशा में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होती है यानी यह अंतर्दशा रोग लाती है. सरकार और शत्रु से परेशानी होती है. संपत्ति एवं यश की हानि होती है. हर काम में बाधा आती है।

शनि में बृहस्पति की अन्तर्दशा-

शनि महादशा में बृहस्पति की अन्तर्दशा आमतौर पर श्रेष्ठ फल प्रदान करती है. जातक का गृहस्थी सुख बढता है. स्थाई संपत्ति में वृद्धि होती है. पदोन्नति होती है एवं सम्मानजनक पद की प्राप्ति होती है. इस दशा में जरूरत पडने पर जातक को सत्ता का संरक्षण भी मिलता है. जातक के मन में वरिष्ठजनों एवं धर्म के प्रति आदरभाव बढता है. वैसे, शनि महादशा में विभिन्न ग्रहों की अन्तर्दशाओं के उपरोक्त फल जन्मकुंडली में ग्रहाें के पारस्परिक संबंधों पर निर्भर है। इसलिए जन्मकुंडली में यह देखकर ही फलादेश किया जाना चाहिए।

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यदि उच्च, मित्र व स्वराशि में हो, शुभ ग्रहों द्वारा युत व दृष्ट हो एवं शनि भी शुभ ग्रहों के अभाव में हो एवं उच्च मित्र या स्वराशि में स्थित हो तो शनि की महादशा में शनि की ही अंतर्दशा हो तो जातक को राज्यधिकार दिलाता है। जातक सुख पाता है। व्यवसाय में जातक को लाभ मिलता है।

यदि शनि अशुभ प्रभावयुक्त हो एवं गुरू नीच राशि या शत्रु रामि में हो एवं पाप ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो शनि की महादश व गुरू की अंतर्दशा में जातक भ्रमित होता है। स्त्री व संतान संबंधी चिंता उसे ग्रसित करती है। जातक को पीड़ा मिलती है। संतानबाधा, पत्नी से वियोग, स्थानभ्रष्टता, पदभ्रष्टता आदि फल मिलते हैं। किसी प्रियजन की मृत्यु के समाचार से मन को संताप, कर्म हानि, विदेशवास तथा कोढ़ और चमड़ी के रोगों से देहपीड़ा मिलती है।

वैदिक ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह माना गया है। इसके साथ ही शनि न्याय व कर्म फलदाता भी हैं। ऐसे में कुंडली में इनकी महादशा व अंतर्दशा का चलना अपने आप में ही महत्वपूर्ण बन जाता है। ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि शनि अपने अवधि में अधिक प्रभावि हो जाते हैं। ऐसे में अदर कोई ग्रह उनके साथ अंतर्दशा में चले तो इसका परिणाम बदल जाता है। जिसके बारे में हम इस लेख में बताने जा रहे हैं। इस लेख में हम आपको वैदिक ज्योतिष में शनि की महादशा क्या है?  इस दशा में अन्य ग्रहों के अतंर्दशा का जातक पर कैसा प्रभाव पड़ सकता है? तो आइये जानते हैं शनि महादशा के बारे में -

वैदिक ज्योतिष में शनि की महादशा

शनि की महादशा जीवन में 19 साल तक चलती है। यह वलय ग्रह कर्म, कड़ी मेहनत, सीमाओं, महत्वाकांक्षा, अनुशासन और दीर्घायु से जुड़ा हुआ है। शनि विशेष रूप से श्रमिकों, कर्मचारियों, विकलांगों, वृद्धों, बीमारियों और जोड़ों के दर्द से संबंधित है। आध्यात्मिक यात्रा में अक्सर शनि महादशा का प्रभाव होता है। शनि आपके कर्मों के अनुरूप चुनौतियाँ और परिणाम देता है। यह सफलता देता है लेकिन सफलता की ओर यात्रा सुचारु नहीं है, इसलिए आपको विनम्र और ज़मीनी बने और जो आप प्राप्त करते हैं उसे महत्व दें। स्वाभाविक रूप से, शनि इस प्रकार महादशा के दौरान जीवन में कई बाधाएं खड़ी करता है। यह वह अवधि है जातक विवाद, विलंब, दूरी, टुकड़ी और कभी-कभी इनकार का भी अनुभव करते हैं। इन चुनौतियों को विशेष रूप से करियर और सामाजिक जीवन में महसूस किया जाता है। कुंडली में मजबूत स्थिति वाले जातक के लिए शनि महादशा बहुत सकारात्मक हो सकती है। यह मूल आंतरिक शक्ति, इच्छाशक्ति और चुनौतियों से लड़ने तथा नाम और प्रसिद्धि हासिल करने का साहस भी दे सकता है।

शनि की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा

यहां हम आपको शनि की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा में जातक पर क्या प्रभाव पड़ता है इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए काफी लाभप्रद होगा। तो आइये जानते है शनि की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा क्या परिणाम दे सकती है।

शनि की महादशा में शनि की अंतर्दशा का फल

जन्मकुंडली में एक अप्रभावित शनि आपको दशा के दौरान जीवन में बेहतर स्थिति और स्थिति से प्रभावित करता है। जमीन से जुड़े मामलों में भी लाभ मिलता है। यह अवधि जीवनसाथी और संतान संबंधी मामलों के लिए भी ठीक है। जातक को बहुत अधिक सामाजिक समर्थन भी मिलता है। हालांकि, यदि शनि का नकारात्मक प्रभाव है, तो यह अवधि करियर और पेशेवर जीवन में बहुत बाधाएं हो सकती हैं। परिवार और भाई-बहनों के साथ संबंध में भी समस्याएँ हो सकती हैं। यह अवधि बढ़ी हुई आक्रामकता, ईर्ष्या, विवाद और गैस्ट्रिक मुद्दों के रूप में अच्छी तरह से चिह्नित है।

शनि की महादशा में बुध की अंतर्दशा का फल

दशा में बुध कुछ हद तक कुंडली में शनि के नकारात्मक प्रभाव को संतुलित करता है। जातक समाज में एक बेहतर छवि अर्जित करता है और अच्छी सुख-सुविधाएँ प्राप्त करता है। यह भी व्यापार वृद्धि के लिए एक सकारात्मक चरण है। मूल निवासी अधिक धर्मार्थ, बौद्धिक और बुद्धिमान बन जाता है और सभी चुनौतियों को कुशलता से संभालता है। पेशेवर क्षेत्र में कुछ उपलब्धि इस अवधि के दौरान भी संभव है। ज्योतिष कहते हैं कि जातक भी सामाजिक कार्यों और दान में लिप्त होने के लिए इच्छुक हो सकता है।

शनि की महादशा में केतु की अंतर्दशा का फल

जातक इस दशा के दौरान विदेशी जा सकता है। इस अवधि के दौरान आध्यात्मिक झुकाव को भी बढ़ावा मिलता है। जबकि यह दशा आय बढ़ाता है, 12 वें घर के साथ जुड़ने के कारण खर्च भी बढ़ता है। इस दशा का नकारात्मक प्रभाव जातक को अंदर से कमजोर बनाता है। शांति और असंतोष की कमी जीवन में बनी रहती है और परिवार के भीतर बहुत सारे संघर्ष होते हैं। जातक धर्म और अध्यात्म में अधिक रुचि लेने लगते हैं।

शनि की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का फल

यह दशा मूल रूप से मूल जीवन को वापस ट्रैक पर लाता है और जीवन में एक सकारात्मक दिशा देता है। यदि शनि को सकारात्मक रूप से स्थित है, तो मूल निवासी एक सुखी वैवाहिक जीवन का आनंद लेते हैं और प्रियजनों के साथ बहुत समय बिताते हैं। जातक विलासिता और आराम पर बहुत खर्च करता है। इस दौरान करियर भी बुलंद होता है। हालांकि, नकारात्मक प्रभाव में जातक आंखों से संबंधित मुद्दों और अक्सर बुखार से पीड़ित होता है। यह विवाहित जीवन को भी प्रभावित करता है और जीवनसाथी से अलगाव का कारण बनता है।

शनि की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा का फल

यह बहुत सकारात्मक अवधि नहीं है क्योंकि व्यावसायिक जीवन में कुछ बाधाएं सफलता को रोकती हैं। जातक भी पिता के साथ संघर्ष का अनुभव करता है। अधिकार के साथ कुछ समस्याएं भी इस अवधि के दौरान बनी रहती हैं। परिवार के झूठे आरोपों के लिए जातक कमजोर हो जाता है। दुश्मन जातक को परेशान करने की कोशिश भी करते रहते हैं। यह दशा स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ता है और कुछ मानसिक कष्टों से जातक परेशान करता रहता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे बुखार, सिर दर्द और दिल से जुड़ी समस्याएं भी इस अवधि के दौरान परेशान करती हैं।

शनि की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा का फल

यह दशा जातक के जीवन पर कुछ नकारात्मक प्रभाव डालता है। जातक को इस अवधि के दौरान बेचैनी और तनाव की भावना का अनुभव होता है। जातक अवसाद और मानसिक तनाव से ग्रस्त हो सकता है, इसका मुख्य कारण रिश्तों में बढ़ती दूरी और करियर में समस्याएं हो सकती हैं। जातक कमजोर दिमाग वाला और अकेला महसूस कर सकता है। इस दौरान दुश्मनों की संख्या भी बढ़ जाती है। कुछ वित्तीय उतार-चढ़ाव भी बने रहते हैं। जातक को जीवन में शांति पाने के लिए आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए अपनी ऊर्जा को प्रसारित करना चाहिए।

शनि की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा का फल

ज्योतिष के अनुसार मंगल आक्रामकता और मूल में अधिकार और वर्चस्व की भावना को बढ़ाता है। यह स्वाभाविक रूप से कुछ हद तक रिश्तों को प्रभावित करता है। इस अवधि के दौरान अत्यधिक कठोर और गुस्सा होने से बचने की सलाह दी जाती है। यह दशा जीवन साथी के साथ टकराव और अलगाव का कारण बनता है। कुछ त्वचा संबंधी एलर्जी भी जातक के लिए बनी रहती है। शत्रुओं को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा, करियर में कुछ नुकसान भी जीवन में लक्ष्यों की ओर ओर बढ़ने में बाधा बनती हैं। यदि आप किसी नए कार्यस्थल या नौकरी में शामिल होते हैं, तो आपको इस दशा के दौरान सतर्क रहना चाहिए।

शनि की महादशा में राहु की अन्तर्दशा का फल

इस दौरान कुछ अनावश्यक संघर्ष होते हैं। संदेह और बाधाएं जातक को सफलता की ओर ले जाने वाले रास्ते पर चलने से रोकती हैं। इस अवधि के दौरान जातकों को वास्तव में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है इसलिए स्वाभाविक रूप से कुछ मानसिक संकट और तनाव भी जीवन में प्रबल होते हैं। दूसरों का इतना समर्थन नहीं मिलता है इसलिए यह आत्मनिर्भर होने का समय है। करियर और स्थिति में कुछ गिरावट भी देखी जा सकती है। आपको दुश्मनों के साथ आक्रामक होने से बचना चाहिए। एक सकारात्मक नोट पर, जातक अक्सर इस दशा के दौरान भी विदेश यात्रा पर जा सकते हैं।

शनि की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा का फल

बृहस्पति एक लाभकारी ग्रह है और शनि की तरह, यह भी दृढ़ता से ज्ञान और आध्यात्मिकता के साथ जुड़ा हुआ है। यहाँ बृहस्पति शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है। इस अवधि में दुश्मनों से लड़ने के लिए जातक बहुत इच्छाशक्ति, बुद्धि और साहस हासिल करते हैं। पंडितजी के मुताबिक बृहस्पति की लाभकारी उपस्थिति के परिणामस्वरूप ज्ञान और शिक्षा को भी अच्छा बढ़ावा मिलता है। आपके पारिवारिक जीवन में ख़ुशियाँ भी लौट आती हैं। करियर भी अंततः सही रास्ते पर आने लगता है। जातक महसूस करता है कि मानसिक दबाव आखिरकार अब दूर हो रहा है। इस अवधि को एक बढ़ी हुई रुचि और आध्यात्मिक खोज में भागीदारी द्वारा भी चिह्नित किया जाता है। कुल मिलाकर, यह राहत का दौर है।

शनि की अंतर्दशा कितने दिन की होती है?

शनि की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा 11 महीने एवं 12 दिन की होती है। चूंकि शनि और सूर्य को एक-दूसरे का परम शत्रु माना जाता है इसलिए शनि की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा अशुभ फल ही प्रदान करती है।

शनि की अंतर्दशा में क्या होता है?

शनि की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा एक वर्ष सात महीने की होती है। इस संयोग को जातकों के लिए अशुभ फल देने वाला माना जाता है। इस अवधि में जातक को स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याएं अधिक परेशान करती हैं और वैवाहिक जीवन में भी तनाव रहता है। शारीरिक दुर्बलता के चलते दांपत्‍य सुख की प्राप्ति नहीं होती है।

शनि महादशा में क्या होता है?

ज्योतिषियों के अनुसार, शनि की महादशा 19 वर्ष तक चलती है. इसलिए नकारात्मक प्रभाव होने पर शनि लंबे समय तक आर्थिक कष्ट देने लगते हैं. शनि नकारात्मक हो तो साढ़े साती या ढैया में घोर दरिद्रता देता है. कुंडली में बेहतर योग के बावजूद अगर कर्म शुभ न हों तो शनि धन की खूब हानि करवाता है.

अंतर्दशा का मतलब क्या होता है?

अंतर्दशा का हिंदी अर्थ मानसिक स्थिति; मनोवृत्ति; (मूड)। अंदरूनी हालत।