बचपन से लेखक में कैसे संस्कार थे? - bachapan se lekhak mein kaise sanskaar the?

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-   
मैं असल में था तो इन्हीं मेढक-मंडली वालों की उमर का, पर कुछ तो बचपन के आर्यसमाजी संस्कार थे और एक कुमार-सुधार सभा कायम हुई थी उसका उपमंत्री बना दिया गया था- सो समाज-सुधार का जोश कुछ ज्यादा ही था। अंधविश्वासों के खिलाफ तो तरकस से तीर रखकर घूमता रहता था। मगर मुश्किल यह थी कि मुझे अपने बचपन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार मिला वे थीं जीजी। यूँ मेरी रिश्ते में कोई नहीं थीं। आयु में मेरी माँ से भी बड़ी थीं, पर अपने लड़के-बहू सबको छोड़कर उनके प्राण मुझी में बसते थे और वे थीं उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों की खान जिन्हे कुमार-सुधार सभा का वह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था पर मुश्किल यह थी कि उनका कोई पूजा-विधान, कोई त्योहार अनुष्ठान मेरे बिना पूरा नहीं होता था। दीवाली है तो गोबर और कौड़ियों से गोवर्धन और सतिया बनाने में लगा हूँ, जन्माष्टमी है तो रोज आठ दिन की झाँकी तक की सजाने और पंजीरी बाँटने में लगा हूँ, हर-छठ है तो छोटी रंगीन कुल्हियों में भूजा भर रहा हूँ। किसी में भुना चना, किसी में भुनी मटर, किसी में भुने अरवा चावल, किसी में भुना गेहूँ। जीजी यह सब मेरे हाथों से करातीं, ताकि उनका पुण्य मुझे मिले। केवल मुझे।
1. लेखक बचपन में कैसा था?
2. बचपन में वह क्या काम करता घूमता था?
3. जीजी कौन थी? उसके साथ लेखक के कैसे सबंध थे?
4. जीजी के लिए लेखक को क्या-क्या काम करने पड़ते थे?


1. लेखक बचपन में आर्यसमाजी संस्कारों वाला था। उसे कुमार सभा का उपमंत्री बना दिया गया था।
2. लेखक अंधविश्वासो के खिलाफ प्रचार करता हुआ घूमता था। उस समय उस पर समाज-सुधार का जोश ज्यादा चढ़ा रहता था।
3. वैसे तो लेखक का जीजी से कोई रिश्ता नहीं था, पर वह लेखक को बहुत प्यार करती थी। जीजी के प्राण उसी मे बसते थे। वह उम्र में लेखक की माँ से भी बड़ी थी। उन दोनों के बीच स्नेह का संबंध था।
4. लेखक जिन कामों को अंधविश्वास कहता फिरता था, जीजी की खुशी के लिए उसे वे ही काम करने पड़ते थे। उसे सारे पूजा-पाठ, अनुष्ठान पूरे करने पड़ते थे। वह दीवाली पर कौड़ियों से गोवर्धन और सतिया बनाता था, जन्माष्टमी पर झाँकी सजाता था और पंजीरी बाँटता था। हर-छठ पर कुलियों में भूजा भरता था। वैसे जीजी इन कामों को लेखक से इसलिए करवाती थी ताकि पुण्य का भागी वही बने।

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‘गगरी फूटी बैल पियासा’ इंदर सेना के इस खेल गीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?


इंदर सेना गाती है?

काले मेधा पानी दे

गगरी फूटी बैल पियासा

पानी दे, गुड़धानी दे

काले मेघा पानी दे।

इंदर सेना के इस खेल गीत में इंद्र को यह बताया जाता है कि पानी के अभाव में घरों की गगरियाँ फूटने की स्थिति मैं आ गई हैं और बैल (पशु) प्यासे मर रहे हैं अर्थात् मनुष्यों तथा पशुओं सभी को पानी की आवश्यकता है। वे इंद्र से पानी माँगने का कारण स्पष्ट करते हैं। ग्रामीण जीवन में बैलों का अहम् रोल है। बैल ही कृषि का आधार हैं यदि वे प्यासे हैं तो कृषि-कार्य ठीक ढंग से नहीं हो सकता। यदि कृषि ठीक ढंग से नहीं हुई तो जीवन सुखी कैसे रह मकता है? कृषि प्रधान समाज में बैलों का महत्त्व सर्वोपरि है।

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‘पानी दे, गुड़धानी दे’ मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?


वास्तव में तो पानी की ही माँग की जाती है। ‘गुड़धानी’ शब्द तो इसके साथ जोड़ दिया गया है। पानी बरसेगा तभी खेतों में ईख और धान उत्पन्न होगा। ईख से गुड बनेगा और गड़धानी तैयार हो पाएगी।

‘गुड़धानी’ का अर्थ पाठ के संदर्भ में अनाज से है। बच्चे मेघों से पानी की माँग भी करते हैं। इसका कारण यह है कि बारिश से प्यास तो बुझती है पर पेट भरने के लिए अनाज की आवश्यकता होती है। अत: वे वर्षा के साथ गुड़धानी (अनाज) की भी माँग करते हैं।

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लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?


गाँव के जो लोग उन लडुकों के नंगे शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराबे और उसके कारण गली में होने वाली कीचड़ से चिढ़ते थे, वे इन लड़की की टोली को ‘मेढक मंडली’ कहकर पुकारते थे।

लड़कों की यह टोली अपने आपको ‘इंदर सेना’ कहकर बुलाती थी। इनका कहना था कि वे इंद्र की सेना के सैनिक हैं और उसी के लिए लोगों से पानी माँगते हैं ताकि इंद्र बादलों के रूप में बरस कर हम सब को पानी दे सकें। ये लड़के नंगे बदन (सिर्फ जाँघिया या लंगोटी पहनकर) लोगों से यह कहकर पानी. माँगते-”पानी दे मैया, इंदर सेना आई है।”

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जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?


लेखक की दृष्टि के विपरीत जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को बिल्कुल सही ठहराया। उसका तर्क था:

- किसी से कुछ पाने के लिए पहले उसे चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। हम यह पानी का अअर्घ्यचढ़ाते हैं। जो चीज हम पाना चाहते हैं, उसे पहले देंगे नहीं तो पाएँगे कैसे?

- पहले त्याग करो फिर फल पाने की आशा करो। त्याग उसी वस्तु का मान्य होता है जिसकी तुम्हें भी बहुत अवश्यकता है। पानी की भी यही स्थिति है।

- जीजी ने खेत में गेहूँ की अच्छी फसल पाने के लिए अच्छे बीजों को खेत में डालने का तर्क देकर भी अपनी बात-इंदर सेना पर पानी फेंके जाने-को सही ठहराया।

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इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?


वर्षा के न होने पर गाँव के लड़के इंदर सेना के रूप मे एकत्रित होते हैं और उनका पहला जयकारा लगता है-’बोल गंगा मैया की जय’। यह इदर सेना गंगा मैया की जय दो कारणों ‘से बोलती है-

1. गंगा मैया को हमारे भारतीय जन-जीवन में विशेष आदर-सम्मान प्राप्त है। प्रत्येक शुभ कार्य करने से पहले उसका स्मरण किया जाता है।

2. गंगा पवित्र जल को भंडार है। इंद्र से भी जल बरसाने की प्रार्थना की जाती है-’काले मेघा पानी दे’। अत: दोनों का संबंध जल से है।

- भारतीय सामाजिक सांस्कृतिक जीवन में नदियों को विशेष स्थान दिया गया है। हमारी संस्कृति में नदियों को पूज्य माना है तथा माँ की मान्यता दी गई है। नदियों के तट पर हमारे सांस्कृतिक केंद्र स्थापित हुए। प्रमुख औद्योगिक बस्तियाँ, धार्मिक नगर इन नदियों के तट पर ही बसे हैं। नदियों को भारतीय संस्कृति में मोक्षदायिनी माना गया है। नदियों में गंगा नदी का स्थान सर्वोपरि है।

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