इसे सुनेंरोकेंअध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था का अर्थ (adhyakshatmak shasan arth) अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली वह शासन प्रणाली है जिसमे कार्यपालिका वैधानिक रूप से व्यवस्थापिका से पृथक होती है तथा कार्यपालिका व्यवस्थापिका के सदस्यों से नही बनती। कार्यपालिका अपनी नीतियों तथा कृत्यों के लिए व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी भी नही होती। Show शासन की परिभाषा क्या है? इसे सुनेंरोकेंशासन संचालन की गतिविधि को शासन कहते हैं, या दूसरे शब्दों में कहें तो, राज करने या राज चलाने को शासन कहा जाता है। इसका संबंध उन निर्णयों से है जो उम्मीदों को परिभाषित करते हैं, शक्ति देते हैं, या प्रदर्शन को प्रमाणित करते हैं। सरकार के कितने स्तर हैं?इसे सुनेंरोकेंराज्यों का संघ होने के कारण शासन के दो स्तर हैं। केन्द्र में सरकार को केन्द्रीय सरकार और राज्य स्तर पर सरकार को राज्य सरकार कहते हैं। संघीय (केन्द्रीय) सरकार के तीन अंग हैं- विधायिका (संसद) कार्यपालिका (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद) और न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय)। पढ़ना: भारत के कौन कौन से राज्य में बर्फ गिरती है? अध्यक्षात्मक शासन की क्या विशेषता है? इसे सुनेंरोकेंअध्यक्षात्मक शासन की विशेषताएँ (1) अध्यक्षात्मक शासन में केवल एक ही कार्यपालिका (राष्ट्रपति) होती है। (2) कार्यपालिका का कार्यकाल निश्चित होता है अर्थात् वह विधानमण्डल के ‘ प्रति उत्तरदायी नहीं होती। (3) अध्यक्षात्मक शासन में शक्ति पृथक्करण होता है अर्थात् विधानमण्डल व कार्यपालिका एक-दूसरे को भंग नहीं कर सकते । और अध्यक्षात्मक कार्यपालिका से क्या तात्पर्य है? इसे सुनेंरोकेंअर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली अथवा अर्ध राष्ट्रपति प्रणाली, शासन की वह प्रणाली होती है, जिसमें राज्य के कार्यकारी अधिकार पूर्णतः एक कार्यकारी राष्ट्राध्यक्ष के अंतर्गत ना हो, बल्कि कुछ कार्यकारी शक्तियां अन्य अधिकारीयों व संस्थाओं के अंतर्गत हों, जो स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें। सरकार के प्रमुख अंग। व्यवस्थापिका का अर्थ व्यवस्थापिका का संगठन व्यवस्थापिका के कार्य ⦁ कानून-निर्माण सम्बन्धी कार्य – विधायिका का महत्त्वपूर्ण कार्य विधि-निर्माण करना है। व्यवस्थापिका कानून का प्रारूप तैयार करती है, उस पर वाद-विवाद कराती है, प्रारूप में संशोधन कराती है तथा कानून को अन्तिम रूप देती है। व्यवस्थापिका की महत्ता शक्ति में हास के कारण शासन के विभिन्न अंग कितने हैं?प्रायः इसके तीन अंग होते हैं - विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। सरकार के माध्यम से राज्य में राजशासन नीति लागू होती है। सरकार के तंत्र का अभिप्राय उस राजनितिक व्यवस्था से होता है जिसके द्वारा राज्य की सरकार को जाना जाता है।
शासन के प्रमुख अंग कौन कौन से हैं?इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं: न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका।
लोकतंत्र के कितने अंग होते हैं?इसके तीन मुख्य अंग हैं: कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका।
भारत में कितने स्तर की शासन व्यवस्था है?संविधान ने मौलिक रूप से दो स्तरीय शासन व्यवस्था का प्रावधान किया है संघ सरकार या केंद्र सरकार और प्रान्तीय सरकार या राज्य सरकार केंद्र सरकर को पूरे भारतीय संघ् का प्रतिनिधित्व करना है। बाद में पंचायतों और नगरपालिकाओं को रूप में संघीय शासन का तीसरा स्तर भी जोड़ा गया है।
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