क्या आप प्राकृतिक आपदा और उत्तराखण्ड पर निबंध खोज रहे हैं. तो यह पोस्ट आपके लिए एकदम सही है. उत्तराखंड जोकि सुंदर वादियों का एक प्रदेश है और देवभूमि के नाम से जाना जाता है, के बारे में आपको इस पोस्ट में जानने को मिलेगा Show
इस पोस्ट में आपको उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा पर निबंध कैसे लिखते हैं बताया गया है. विद्यार्थियों के लिए यह काफी उपयोगी पोस्ट है. तो आइए पढ़ते हैं पाठ्यक्रम show प्राकृतिक आपदा और उत्तराखण्ड पर निबंध प्रस्तावना उत्तराखण्ड की प्रमुख प्राकृतिक आपदाएँ भूकम्प बाढ़ बादल फटना भूस्खलन एवं हिमस्खलन प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा की सुरक्षा उपसंहार प्राकृतिक आपदा से आप क्या समझते हैं ? प्राकृतिक आपदाओं के नाम बताओ ? केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा कब आई थी ? प्राकृतिक आपदा और उत्तराखण्ड पर निबंधप्रस्तावनाप्रकृति जब विभिन्न कारणों से अपने मृदु, सौम्य एवं कल्याणकारी रूप को त्यागकर रौद्र रूप धारण कर लेती है जिस कारण भयंकर तबाही होती है. प्रकृति के इसी विनाशकारी रूप को प्राकृतिक आपदा कहा जाता है बाढ़, भूकम्प, भूस्खलन, चक्रवात, सूखा, आंधी-तूफान, सुनामी, आग लगना, बादल फटना आदि मुख्य प्राकृतिक आपदाएं हैं. इन आपदाओं के सामने मनुष्य कुछ नहीं कर पाता. इन आपदाओं के समय वह प्रायः अपने विनाश को चुपचाप देखने के लिए विवश होता है उत्तराखण्ड की प्रमुख प्राकृतिक आपदाएँउत्तराखण्ड प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सम्पदाओं से सम्पन्न पर्वतीय राज्य है. यहाँ पर एक ओर हिमाच्छादित पर्वत-शृंखलाएँ है तो दूसरी ओर सुदूर तक विस्तृत हरी-भरी वनराजियाँ है यहाँ एक ओर जहां सुन्दर फूलों की घाटियाँ हैं. वहीं दूसरी ओर सूखे-नंगे कठोर पहाड़ा नदियों और झरनों का कल-कल निनाद यहाँ सभी के मन को मोह लेता है. यह यहाँ की प्रकृति का सौम्य, मृदु एवं कल्याणकारी रूप है मगर प्रकृति के सन्तुलन को बिगाड़ते मानवीय क्रिया-कलापों से यहाँ प्रकृति का रौद्र रूप भी यदा-कदा देखने को मिलता है. जिससे जन-धन को अपूरणीय क्षति होती है. आपदाओं के रूप में उत्तराखण्ड में हमें प्रकृति के जो अनेक रौद्र रूप दिखाई देते हैं, उनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है भूकम्पयह उत्तराखण्ड राज्य की मुख्य आपदा है. हिमालय पर्वत श्रृंखला क्योंकि भूकम्प संवेदी क्षेत्र है. अत: यहाँ प्रायः निम्न से लेकर उच्च तीव्रता वाले भूकम्प आते रहते हैं. उत्तरकाशी का महाविनाशकारी भूकम्प यह राज्य देख चुका है जिसमें जन-धन की अपार हानि हुई थी बाढ़यह उत्तराखण्ड राज्य की सबसे मुख्य आपदा है. पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यह राज्य यमुना-गंगा, रामगंगा जैसी अनेक प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है. पहाड़ों पर भयंकर वर्षा के कारण प्रतिवर्ष यहाँ की नदियों में भयंकर बाढ़े आती है. अनेक बार ये बाढ़े इतनी विनाशकारी सिद्ध होती है कि गाँव के गाँव और कस्बे एक ही पल में काल के गाल में समा जाते हैं जून वर्ष 2013 में यहां केदारनाथ घाटी में आई बाढ़ इसका सबसे मुख्य उदाहरण है. इस बाढ़ में जहाँ पूरी केदारघाटी विनाश का शिकार हुई वहीं केदारनाथ मन्दिर को भी बड़ी क्षति पहुँची यद्यपि मन्दिर का गर्भगृह और प्राचीन गुम्बद तो सुरक्षित रहे, फिर भी मन्दिर के प्रवेश द्वार और आस-पास के क्षेत्र को बड़ी क्षति पहुंची केदारनाथ, रामबाड़ा, सोनप्रयाग, चन्द्रपुरी और गौरीकुण्ड का तो जैसे अस्तित्व ही समाप्त हो गया. ऋषिकेश, हरिद्वार तक में इस बाढ़ का विनाशकारी रूप देखने को मिला. इस त्रासदी में 5000 से अधिक लोग मारे गए और असंख्य लोग बेघर और लापता हो गए इस आपदा में राहत के लिए दस हजार से अधिक सैनिको और भारतीय वायुसेना के अनेक विमानों को लगाया गया. इस राहत कार्य में भारतीय सेना को भी एक विमान दुर्घटना में अपूरणीय क्षति उठानी पड़ी. उसे अपने अनेक जॉबाज सिपाहियों को गंवाना पड़ा बादल फटनाबादल फटने की घटनाएँ उत्तराखण्ड राज्य में प्रायः होती रहती है. इसमे प्राय: ऊंचाई वाले स्थानों पर बादलों की सघनता बढ़ जाने पर ऐसी भयंकर वर्षा होती है मानो कोई बांध अचानक से टूट गया है यह वर्षा का जल अपने पूर्ण वेग से नीचे आता है तो अपने साथ बड़ी मात्रा में मलबा बहाकर लाता है. इसके मार्ग में जो कुछ भी आता है विनाश को प्राप्त होता है. यहाँ प्रतिवर्ष अनेक गाँव बादल फटने के कारण मलबे के ढेर में बदल जाते हैं, जिससे जन-धन की अत्यधिक हानि होती है भूस्खलन एवं हिमस्खलनपर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन एवं हिमस्खलन की घटनाएँ पर्याप्त मात्रा में होती हैं. भूस्खलन की घटनाएँ प्राय: वर्षा ऋतु में और हिमस्खलन की घटनाएं जाड़ों में अधिक होती है. भूस्खलन तथा हिमस्खलन में बर्फ की चट्टानों के खिसकने की अनेक दुर्घटनाएं होती हैं जिसकी चपेट में आकर जनधन की पर्याप्त हानि होती है प्राकृतिक आपदाओं के कारणउत्तराखंड का अधिकांश क्षेत्र पर्वतीय है जिस कारण यहां भूकंप, बाढ़ जैसी अन्य कई सारी प्राकृतिक घटनाएं होती रहती है. इन घटनाओं का मुख्य कारण वृक्षों का कटाव है. जाहिर सी बात है पर्वतीय क्षेत्रों में विकास के लिए वृक्षों तथा वनों का कटाव संभव है लेकिन मनुष्य को वनों को नष्ट करने से हानि क्या है इसके बारे में पता नहीं है और इसका खामियाजा प्राकृतिक आपदा द्वारा भुगतना पड़ता है उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा की सुरक्षाउत्तराखंड जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए हमें सबसे पहले प्रकृति को खुशहाल रखना होगा कहने का मतलब यह है कि हमें आवश्यकता से अधिक वृक्षों को नहीं काटना चाहिए तथा वनों का संरक्षण करना चाहिए. चट्टानों का खिसकना, पहाड़ों का टूटना मनुष्य का ही करा धरा है विकास के नाम पर मनुष्य उत्तराखंड में विनाश का विकास कर रहा है. उत्तराखंड जैसी देवभूमि में प्रकृति की हर वस्तु उपलब्ध हो सकती है लेकिन फिर भी मनुष्य इसे नष्ट करने पर लगा है. वनों की अंधाधुंध कटाई से मनुष्य ही नहीं बल्कि कई सारे जीव जंतु का घर भी बेघर हो गया है उपसंहारउत्तराखंड को देवों की भूमि की श्रृंगा मिली हुई है. हमें धरती मां का सम्मान करना चाहिए. उत्तराखंड जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में हमें प्रकृति की सुंदरता को सदैव बनाए रखना चाहिए ना कि उसे नष्ट करना चाहिए खैर प्राकृतिक आपदाएं किसी को बताकर नहीं आती वह तो मनुष्य की गलतियों से आती है जिसका खामियाजा कई सारी जान माल की हानि उसे हमें भुगतना पड़ता है. प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए हमें प्रकृति के साथ कभी भी खिलवाड़ नहीं करना चाहिए यह बात उत्तराखंड पर ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में लागू होती है FAQ’s – अक्सर पूछे जाने वाले सवालप्राकृतिक आपदा से आप क्या समझते हैं ?प्रकृति के द्वारा उत्पन्न आपदा को प्राकृतिक आपदा कहा जाता है प्राकृतिक आपदाओं के नाम बताओ ?बाढ़, भूकम्प, भूस्खलन, चक्रवात, सूखा, आंधी-तूफान, सुनामी, आग लगना, बादल फटना आदि प्राकृतिक आपदाएं हैं केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा कब आई थी ?केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा 16 जून 2013 में आई थी Read More :
संक्षेप मेंदोस्तों हमें उम्मीद है आपको बताई गई जानकारी प्राकृतिक आपदा और उत्तराखण्ड पर निबंध जरूर पसंद आया होगा. दोस्तों अगर आपको यह जानकारी कुछ काम की लगी है तो इसे सोशल मीडिया पर जरूर शेयर कीजिएगा. MDS BLOG पर पोस्ट पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! उत्तराखंड में कौन कौन सी आपदा आती है?उत्तराखण्ड़ राज्य अनेकों आपदाओं के प्रतिअत्यन्त संवेदनशील है जिनमें भूकम्प, भूस्ख्ालन, वनाग्नि, बाढ़, त्वरित बाढ़, अतिवृष्टि, अनावृष्टि व बादल फटना प्रमुख है।
आपदाएं कौन कौन सी है?प्राकृतिक आपदा. हिमस्खलन. भूस्खलन एंवं मिटटी का बहाव. ज्वालामुखीय विस्फोट. लिम्निक ईरप्शन. सूनामी. उत्तराखंड में आने वाली दो प्रमुख प्राकृतिक आपदाएं कौन कौन सी है?प्राकृतिक आपदा और उत्तराखण्ड पर निबंध. प्रस्तावना ... . उत्तराखण्ड की प्रमुख प्राकृतिक आपदाएँ ... . भूकम्प ... . बाढ़ ... . बादल फटना ... . भूस्खलन एवं हिमस्खलन ... . प्राकृतिक आपदाओं के कारण ... . उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा की सुरक्षा. उत्तराखंड में आपदाएं क्यों आती हैं?विशेषज्ञों का मानना है कि हिमालय के पर्वत नये होने के कारण बेहद नाजुक हैं, इसलिए ये बाढ़, भूस्खलन और भूकंप के प्रति काफी संवेदनशील हैं, खासतौर पर मानसून के दौरान, जब भारी बारिश के चलते इन प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बढ़ जाती है.
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