प्रव्रजन से आप क्या समझते हैं प्रव्रजन के प्रभाव को समझाइए? - pravrajan se aap kya samajhate hain pravrajan ke prabhaav ko samajhaie?

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  • प्रश्न :

    यद्यपि स्थिर रूप से ग्रामीण-से-ग्रामीण क्षेत्र में प्रवासन किसी अन्य प्रकार के प्रवासन की तुलना में अधिक सामान्य है। भारत में प्रवासन की नई प्रवृत्तियों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।

    10 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • प्रव्रजन को परिभाषित करें, भारतीय प्रव्रजन की मूलभूत विशेषताओं को लिखें तथा अंत में इस रुझान के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव लिखें।
    • जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना प्रव्रजन कहलाता है। प्रव्रजन सामान्यतः दो प्रकार का होता हैः अस्थायी एवं स्थायी। गमन-आगमन के आधार पर प्रव्रजन ग्रामीण से ग्रामीण, ग्रामीण से शहरी, शहरी से ग्रामीण तथा शहरी से शहरी हो सकता है।

    प्रव्रजन की विशेषताएँ:

    • ग्रामीण से ग्रामीण प्रव्रजन का मुख्य कारण विवाह है, जहाँ महिलाएँ एक गाँव से दूसरे गाँव में प्रव्रजन करती हैं। 
    • ग्रामीण क्षेत्रों में अवसर का अभाव तथा कम होते संसाधनों के कारण ग्रामीण से शहरी प्रव्रजन का उद्गम हुआ। 
    • भारत में प्रव्रजन का एक और रुझान सामने आया है और यह है, श्रमशक्ति का उत्तर से दक्षिण की ओर प्रस्थान। वर्तमान आँकड़े दर्शाते हैं कि ग्रामीण से ग्रामीण क्षेत्र में प्रव्रजन लगभग स्थिर है परंतु ग्रामीण से शहरी क्षेत्र में प्रव्रजन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। 
    • ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में प्रव्रजन 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों के बाद और बढ़ गया। 
    • चूँकि दक्षिणी राज्य, उत्तर भारतीय राज्यों की अपेक्षा अधिक विकसित हैं तथा यहाँ अवसर भी अधिक हैं, अतः क्षेत्रीय असमानता इस प्रकार के प्रव्रजन का कारण है। 
    • बड़े शहरी क्षेत्र, जैसे- मुंबई, दिल्ली, कोलकाता इत्यादि अवसरों की प्रचुरता के कारण भारी संख्या में श्रमशक्ति आकर्षित करते हैं। 
    • विगत 5 वर्षों में एक राज्य से दूसरे राज्य तथा एक जिले से दूसरे जिले में प्रव्रजन के मामलों में भी महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 में बताया गया है। 2011-2016 की अवधि के लिये रेलवे के आँकड़ों का उपयोग करते हुए आंतरिक कार्य से संबंधित प्रवास का पहला अनुमान दर्शाता है कि राज्यों के बीच लगभग 9 मिलियन प्रवासी लोगों का वार्षिक औसत प्रवाह है। बिहार तथा उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से शुद्ध बर्हिप्रवास हुआ है, जबकि गोवा, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु तथा केरल जैसे राज्यों में अपेक्षाकृत अधिक शुद्ध अंतःप्रवास हुआ है। 
    • रोजगार तथा शिक्षा राज्यों और जिलों के बीच प्रवासन के लिये दो सबसे प्रमुख कारण हैं। 2001-2011 के मध्य प्रवासी श्रमिकों की वृद्धि दर पिछले दशक की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई है तथा यह प्रतिवर्ष 4-5 की दर से बढ़ रही है। 2000 के दशक में पुरुष प्रवासियों की तुलना में महिलाओं के प्रवासन में लगभग दोगुने दर से वृद्धि हुई है। 20 से 29 वर्ष आयु वर्ग के लोगों में अंतर-राज्यीय बर्हिप्रवास लगभग दोगुना बढ़कर 12 मिलियन हो गया है। जबकि विवाह महिलाओं के प्रव्रजन का प्राथमिक कारण है, जनगणना के आँकड़े बताते हैं कि भारतीय महिलाएँ भी काम और शिक्षा के लिये प्रव्रजन कर रही हैं। भारतीय महिलाएँ जो कि आर्थिक प्रवासी हैं- कार्य, व्यवसाय या शिक्षा के लिये बाहर निकली हैं, उनकी संख्या 129% बढ़ी है। 2001 में यह संख्या 0-51 करोड़ तथा 2011 में 1-17 करोड़ थी।

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प्रव्रजन से आप क्या समझते हैं प्रव्रजन के प्रभाव को समझाइए? - pravrajan se aap kya samajhate hain pravrajan ke prabhaav ko samajhaie?

प्रव्रजन से आप क्या समझते हैं प्रव्रजन के प्रभाव को समझाइए? - pravrajan se aap kya samajhate hain pravrajan ke prabhaav ko samajhaie?

प्रव्रजन या प्रवास गमन (Emigration) जनाधिक्य को सुलझाने के लिए एक बेहतर तरीका है | प्रश्न उठता है-क्या भारत में जनाधिक्य है ? जनाधिक्य का सम्बन्ध आदर्श संख्या से है | आदर्श जनसँख्या वह है जिससे किसी देश के प्राकृतिक साधनों का पूर्ण उपयोग हो सकें और अधिकतम प्रति व्यक्ति आय की प्राप्ति की जा सके | यदि किसी देश की जनसँख्या आदर्श जनसँख्या से अधिक हो तो वह स्थिति जनाधिक्य की स्थिति कहलाती है |

जनाधिक्य की इस समस्या को नियंत्रित में लाने के लिए कई कारगार उपायों को अपनाने की सिफारिश की गई है | इन उपायों में राष्ट्रीय आय एवं उत्पादन में वृद्धि, धन और आय का समान और न्यायपूर्ण वितरण, परिवार नियोजन आदि कई उपाय है | जनाधिक्य को रोकने के तरीकों  अतिरिक्त एक तरीका प्रव्रजन या प्रवास-गमन का भी बतलाया गया है |

प्रवजन दो प्रकार के होते है--एक तो देश के अंदर प्रव्रजन और दूसरा, विदेशों का | देश के अंदर घनी आबादी वाले क्षेत्र से कम घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भेजकर घनी आबादी वाले क्षेत्रों से जनसँख्या के बोझ और दबाब को कम करने की कोशिश की जाती है | लेकिन इन क्रिया में तीन कठिनाइयाँ सामने आती है --

प्रथम देश में कम आबादी वाले क्षेत्र सामान्यतः जंगलों, पहाड़ों और अनुपजाऊ क्षेत्र वाले प्रदेश होते है | अतः ऐसी अनुपजाऊ क्षेत्रों में लोगों का भेजा जाना अधिक लाभप्रद नहीं सिद्ध हो सकता है, क्योंकि इससे प्रव्रजन लेनेवाले लोगों की आय में कमी आ जाएगी |

दूसरी इस योजना में एक भावनात्मक कठिनाई सामने आती है | भारत के लोग रूढ़िवादी प्रकृति के होते है | उनमे अपने प्रदेश और क्षेत्रों के लिए स्वभाविक आकर्षण और मोह का भाव होता है जिस कारण वे अपने पुराने क्षेत्र को छोड़कर नए क्षेत्र में बसने से कतराते है | अतः व्यवहार में इस योजना को व्यावहारिक रूप देना अत्यंत कठिन कार्य है |

तीसरी जनाधिक्य की समस्या के समाधान हेतु यह उपाय कोई प्रभावशाली और कारगर उपाय नहीं है--ऐसा दावा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इस उपाय के द्वारा किसी एक क्षेत्र की समस्या का समाधान अवश्य किया जा सकता है, किन्तु सम्पूर्ण देश का नहीं | इसे बड़े पैमाने पर देश में लागु नहीं किया जा सकता है |

इस उपाय से अधिकतम लाभ तभी प्राप्त किया जा सकता है जब प्रव्रजन करनेवाले लोग बंजर और अनुपजाऊ भूमि को उपजाऊ भूमि के रूप में बदल दें और उत्पादन की दर को बड़ा दें | ऐसी स्थिति में प्रव्रजन से राष्ट्रीय दृष्टिकोण से भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है |

जैसा की पहले बतलाया जा चूका है की प्रव्रजन का एक पहलु स्वदेश चले जाना भी है | लेकिन इस पद्धति का सहर भारत में लेना कठिन कार्य है | इसके पीछे कई कारण है | पहली बात तो यह है की भारतीय त्याग कर विदेशों में बसने के लिए तत्पर नहीं होते है | दूसरी कठिनाई यह है की विदेशों में भारतीय को ग्रहण करने और बसने देने की अनुमति देने में विदेशी सरकारों द्वारा अनेक रुकावटें डाली जाती है | वे भारतीय को बसाना नहीं चाहत्ती | इसका उदहारण इस प्रकार है की पहले की अपेक्षा अब यूरोपीय देशों में, विशेषकर इंग्लैंड में भारतीय का प्रव्रजन एक दुष्कर कार्य हो गया है | 

प्रवजन से आप क्या समझते हैं प्रवजन के प्रभाव को समझाइए?

जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना प्रव्रजन कहलाता है। प्रव्रजन सामान्यतः दो प्रकार का होता हैः अस्थायी एवं स्थायी। गमन-आगमन के आधार पर प्रव्रजन ग्रामीण से ग्रामीण, ग्रामीण से शहरी, शहरी से ग्रामीण तथा शहरी से शहरी हो सकता है।

प्रवास से आप क्या समझते हैं?

व्यक्तियों के एक स्थान से दूसरे स्थान में जाकर बसने की क्रिया को प्रवास कहते हैं। इसके कई प्रकार हो सकते हैं। किसी दूसरे स्थान में आकर बसावट की प्रकृति के आधार पर इस प्रवास को (i) स्थाई अथवा (ii) अस्थाई कह सकते हैं। स्थाई प्रवास मेंं आए हुए व्यक्ति बसावट करने के बाद वापस अपने मूल स्थान नहीं जाते हैं।

ग्रामीण प्रव्रजन क्या है?

" प्रवर्जन का आशय उस प्रक्रिया से है इसके द्वारा कोई व्यक्ति या समूह अपने मूल स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान की ओर जाता है।" भारत में ग्रामीण प्रवर्जन की प्रकृति सामन्य रूप से अस्थायी होती है। गाँव से नगरों की ओर काम की तलाश करने वाले ग्रामवसी उद्योगों में श्रमिकों के रूप में कार्य करने लगते है

प्रवास क्या है ग्रामीण भारत में श्रम प्रवास के कारण एवं प्रभाव की चर्चा कीजिए?

भारत में प्रवास की प्रकृति को अभी तक मूल रूप से प्राकृतिक आपदा, गरीबी और भूखमरी से जोड़कर देखा जाता रहा है। इसका कारण भी वाजिब है, क्योंकि भारत की जनगणना 2001 के अनुसार देष की कुल आबादी का 26 प्रतिषत भाग गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करता है और प्रवास का संबंध इस बड़े भाग से रहा है।