नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत कौन कौन से है? - naveekaraneey oorja ke srot kaun kaun se hai?

सामान्य अर्थ में हम यह कहते हैं कि कोई भी वस्तु जिससे कि उपयोग में लाई जाने वाली ऊर्जा का हम दोहन कर सकते हैं, वह ऊर्जा का स्रोत है। ऐसे विविध स्रोत हैं जो हमें विभिन्न कार्यों के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं। आप कोयला, पेट्रोल, डीजल, केरोसीन और प्राकृतिक गैस से परिचित होंगे। इसी प्रकार आपने जल-विद्युत ऊर्जा, पवन चक्कियों, सौर पेनलों, जैवभार आदि के बारे में भी सुना होगा।


हम देखते हैं कि ऊर्जा के कुछ स्रोतों की एक लघु समय अवधि के बाद पुन: पूर्ति की जा सकती है। इस प्रकार के ऊर्जा के स्रोतों को ‘‘नवीकरणीय’’ ऊर्जा स्रोत ऊर्जा कहते हैं, जबकि ऊर्जा के वे स्रोत लघु समय अवधि के अंदर जिनकी पुन: पूर्ति नहीं की जा सकती है ‘‘अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। 

ऊर्जा के स्रोत

ऊर्जा के स्रोत इस प्रकार ऊर्जा के सभी स्रोतों को हम दो भागों में बाँट सकते हैं- ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत व ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत ।

1. ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत

आप जानते ही हैं कि कच्चे तेल से प्राप्त होने वाले पेट्रोल और डीजल को कार, बस, ट्रक, ट्रेन, विमानों आदि को चलाने में काम में लाया जाता है। इसी प्रकार केरोसीन व प्राकृतिक गैस को लैम्प व स्टोवों आदि में ईधन के रूप में काम में लाया जाता है। आपको जानना चाहिए कि कच्चा तेल, कोयला व प्राकृतिक गैस सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हैं। इनकी पुन: पूर्ति नहीं की जा सकती है या इनका बार-बार प्रयोग नहीं किया जा सकता है। 


अत: ये ऊर्जा के ‘अनवीकरणीय स्रोत’ कहलाते हैं।

यह सच है कि वर्तमान में हम हमारे उपयोग के लिए ऊर्जा का अधिकांश हिस्सा अनवीकरणीय स्रोतों से ही प्राप्त कर रहे हैं जिनमें जीवाश्म ईधन, जैसे कि कोयला, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस शामिल हैं। वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा की हमारी आवश्यकताओं को देखते हुए यह अपेक्षा की जा रही है कि (यदि कोई नए तेलकूप नहीं मिले) तो आगे आने वाले 30-35 सालों में तेल और प्राकृतिक गैस के भण्डार समाप्त हो जाएँगे। इसी प्रकार कोयले के भंडार अधिक से अधिक और 100 वर्षों तक चल पाएँगे। 


अत: हमें ऊर्जा के इन अनवीकरणीय स्रोतों का उपयोग बहुत ही विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए और इनकी बर्बादी को रोकना चाहिए।

प्राकृतिक यूरेनियम जैसे रेडियोधर्मी तत्व भी अनवीकरणीय स्रोतों में से एक है। जब यूरेनियम के परमाणु दो या अधिक खंडों में विभक्त होते हैं तो अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है जो विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में उपयोग में लाई जा सकती है।

कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईधन ऊर्जा के बहुत महत्वपूर्ण अनवीकरणीय स्रोतों में से हैं। मानव सभ्यता के ऊषाकाल से लेकर अब तक हम जीवाश्म ईधन का उपयोग ऊष्मा, प्रकाश व विद्युत आदि के उत्पादन के लिए करते आए हैं। ये प्राथमिक स्रोत हैं जिनसे आज विश्व में विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है। हमारी जरूरत का लगभग 85% भाग जीवाश्म ईधनों के दहन द्वारा पूरा किया जाता है। इन ईधनों का प्रमुख घटक कार्बन होता है। जीवाश्म ईधन हमारे यातायात की आवश्यकताओं के लिए बहुत उपयोगी ऊर्जा के स्रोत हैं। 


आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक साल की विद्युत आपूर्ति के लिए विश्व भर में लगभग 1.9 अरब टन कोयला जलाया जाता है। जीवाश्म ईधनों में बहुत बड़ी मात्रा में रासायनिक ऊर्जा संचित रहती है। यह संचित ऊर्जा अन्य रूपों, जैसे कि ऊष्मा, प्रकाश और यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

अब आपको यह जानने में रुचि बढ़ रही होगी कि जीवाश्म ईधनों का निर्माण कैसे होता है? अरबों खरबों साल पहले पौधों और जीवों के अवशेष भूमि के नीचे दब गए। साल दर साल पृथ्वी के क्रोड के ताप तथा मिट्टी एवं चट्टानों के दाब के कारण यह दबे हुए अपघटित कार्बनिक पदार्थ जीवाश्म ईधन के रूप में परिवर्तित हो गए।

1. कोयला - कोयलों का निर्माण भी अन्य जीवाश्म ईधनों की तरह होता है। परन्तु इसके निर्माण की प्रक्रिया ‘‘कोयलाभवन’’ (कोलिफिकेशन) के द्वारा होती है। उच्च ताप व दाब की स्थिति में अपघटित पादप पदार्थों द्वारा कोयला बनता है, हालाँकि इस प्रक्रिया में दूसरे ईधनों के निर्माण की अपेक्षाकृत कम समय लगता है। कोयला का संघटन एकसार नहीं होता है; यह क्षेत्र के अनुसार बदलता है। 


कोयले के संघटन को प्रभावित करने वाले कारकों में पादप पदार्थ का संघटन और कितने दिनों तक वह अपघटन की प्रक्रिया में रहा, प्रमुख कारक है।

कोयले भी कई प्रकार के होते हैं जैसे कि पीट, लिग्नाइट, उप-बिटुमेनी और बिटुमेनी। पहली प्रकार का कोयला पीट कोयला है जो मृत व अपघटित पादप पदार्थों का संग्रह मात्र है। विगत काल में पीट को लकड़ी के विकल्प के रूप में ईधन की तरह प्रयोग किया जाता था। पीट धीरे-धीरे लिग्नाइट में रूपान्तरित हो जाता है। यह भूरे रंग की चट्टानों के रूप में मिलता है जिसमें कि पादप पदार्थों को भी पहचाना जा सकता है और इसका कैलोरी मान तुलनात्मक रूप से थोड़ा कम होता है। मुख्यतया पीट से कोयला बनने की अवस्था में लिग्नाइट बीच की अवस्था में आता है। 


इसके बाद की अवस्था उप-बिटुमेनी अवस्था है, जो हल्के काले रंग की संरचना होती है और जिसमें बहुत कम दृश्य पादप पदार्थ होता है। इस प्रकार के कोयले का कैलोरी मान आदर्श कैलोरी मान से कम होता है। बिटुमेनी कोयला सर्वोत्तम प्रकार का कोयला है। यह एकदम काला, बहुत सघन और भंगुर होता है। इस प्रकार के कोयला का कैलोरी मान सर्वाधिक होता है।


2. प्राकृतिक गैस - हमारे देश में प्राकृतिक गैसें ऊर्जा का एक अन्य मुख्य स्रोत हैं। अंटार्कटिका द्वीप को छोड़कर पृथ्वी के बाकी कई स्थानों पर तेल व गैस क्षेत्र पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों में कुछ मात्रा में गैस उपस्थित रहती है, परन्तु प्राकृतिक गैस (मीथेन) को बनने में इतना समय नहीं लगता है। भूमि में अन्य स्रोतों की तरह प्राकृतिक गैस के भी भंडार होते हैं। मीथेन मुख्य रूप से दलदली इलाकों में पाई जाती है और यह जानवरों की पाचन प्रणाली का एक उप-उत्पाद भी है।

हालाँकि प्राकृतिक गैस एक जीवाश्म ईधन है, यह गैसोलीन से ज्यादा अच्छा ईधन है। परन्तु यह जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड बनाती है जो मुख्य ग्रीन हाउस गैस है। पेट्रोल और डीजल की तुलना में ज्यादा मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद प्राकृतिक गैस भी सीमित संसाधनों की श्रेणी में ही आती है।


3. नाभिकीय ऊर्जा - कुछ तत्व, जैसे कि रेडियम व यूरेनियम परमाणु ऊर्जा विघटन के प्राकृतिक स्रोतों की तरह काम करते हैं। वास्तव में इन तत्वों के परमाणुओं का स्वत: विघटन होता रहता है जिससे कि परमाणु के नाभिक का विखंडन होता है।

2. ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत

जब इन अनवीकरणीय संसाधनों के भंडार पूरी तरह से समाप्त हो जाएँगे तब क्या होगा? जीवाश्म ईधनों से पर्यावरण को होने वाली क्षति की ओर भी हमें ध्यान देना होगा। इन समस्या का हल ऊर्जा के अन्य वैकल्पिक स्रोतों तथा पर्यावरण-अनुकूल प्राकृतिक ईधनों के प्रयोग से हो सकता है। ऊर्जा के अनेक वैकल्पिक और नवीकरणीय स्रोत उपलब्ध हैं। जो न केवल पर्यावरण-अनुकूल हैं बल्कि प्रचुरता से उपलब्ध भी हैं। जल, पवन, सूर्य का प्रकाश, भूतापीय, समुद्री तरंगें, हाइड्रोजन व जैवभार आदि ऐसे ही कुछ संभावित ऊर्जा के स्रोत हैं। नवीकरणीय होने के अलावा और भी कुछ कारणों से हमें ऊर्जा के ऐसे स्रोतों की ओर जाना होगा।


1. सूर्य - सूर्य हमें लाखों-करोड़ों वर्षों से प्रकाश और ऊष्मा दे रहा है और यह माना जाता है कि आगे आने वाले अरबों साल तक हमें सूर्य से प्रकाश और ऊष्मा मिलती रहेगी। सभी पौधे सूर्य और सभी जन्तु पौधों से ही ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि जन्तुओं के लिए भी ऊर्जा का स्रोत सूर्य ही है। यहाँ तक कि मक्खन, दूध व अंडों में भी जो ऊर्जा होती है वह सूर्य से ही आती है। ऐसा क्यों कहा जाता है? वास्तव में सूर्य सभी जीवों के लिए ऊर्जा का मूल स्रोत है। 


नाभिकीय ऊर्जा को छोड़कर ऊर्जा के अन्य सभी रूप सौर ऊर्जा के ही परिणाम हैं। यह कहा जाता है कि जीवाश्म ईधन, जैव ईधन तथा प्राकृतिक गैसें आदि सौर ऊर्जा के ही संग्रहित रूप हैं। पवन और नदियां, जिनसे नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है, वे भी सौर ऊर्जा के ही परिणाम हैं। क्या आप सोच सकते हैं ऐसा कैसे है?

अनवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत कौन सा है?

Solution : कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे ऊर्जा के स्रोत, जिनका दोबारा से पुनःपूरण नहीं हो सकता है, ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं।

नवीकरणीय और अनवीकरणीय स्रोत क्या है?

हम देखते हैं कि ऊर्जा के कुछ स्रोतों की एक लघु समय अवधि के बाद पुन: पूर्ति की जा सकती है। इस प्रकार के ऊर्जा के स्रोतों को ''नवीकरणीय'' ऊर्जा स्रोत ऊर्जा कहते हैं, जबकि ऊर्जा के वे स्रोत लघु समय अवधि के अंदर जिनकी पुन: पूर्ति नहीं की जा सकती है ''अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं।

निम्न में से कौन ऊर्जा स्रोत अनवीकरणीय है ?`?

28.1 अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत ये ऊर्जा संसाधन सीमित हैं। इसका अर्थ है कि ये अनवीकरणीय संसाधनों और एक बार उपभोग कर लिये जायें तो ये समाप्त हो जायेंगे। प्रमुख प्रकार के तीन जीवाश्म ईंधन हैं- कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस, एवं विश्व भर में इस आधार पर ये लगभग 90% ऊर्जा उपभोग के लिये प्रदान करते हैं।

ऊर्जा के नवीकरणीय और गैर नवीकरणीय स्रोत क्या है?

सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण हैं। जीवाश्म ईंधन और प्राकृतिक गैस ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण हैं।