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देवगढ़ रियासत के दीवान सुजान सिंह वृद्ध हो चले थे। वे अपना पद छोड़ देना चाहते थे। उन्होंने अगले दिन रियासत के प्रमुख समाचार-पत्रों में विज्ञापन निकाला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की आवश्यकता है लेकिन यह शर्त रखी कि दीवान पढ़ा-लिखा हो, स्वस्थ हो और उसके विचार अच्छे हों। इन गुणों से सम्पन्न व्यक्ति ही दीवान पद पर रखा जाएगा। विज्ञापन को पढ़कर दूर-दूर से व्यक्ति अपने भाग्य की परीक्षा देनें आने लगे। सुजान सिंह ने एक माह तक उनकी परीक्षा लेने हेतु उनके ठहरने का बन्दोबस्त करवाया। सभी उम्मीदवार अपने दोषों को छिपाकर गुणों का प्रदर्शन करने की कोशिश में लगे हुए थे। दीवान सुजान सिंह बूढ़े जौहरी के समान गुप्त रूप से सभी उम्मीदवारों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे। अन्त में उन्हें देवगढ़ रियासत के लिए पं. जानकीनाथ के रूप में दयालु, उदार और आत्म-विश्वास से परिपूर्ण दीवान मिल ही गया। <br> 'बन्दोबस्त' का अर्थ होता हैदीवान के पद के लिए किसका चयन?(घ) दीवान के पद के लिए किसका चयन किया गया ? उत्तर : दीवान के पद के लिए पंडित जानकीनाथ को चयन किया गया था । (क) दीवान सुजान सिंह ने महाराज से किया प्रार्थना की ?
दीवान जी से राजा ने क्या शर्त रखी?2. राजा साहब अपने अनुभवशील और नीति- कुशल दीवान का बड़ा आदर करते थे । उन्होंने बहुत समझाया लेकिन जब दीवान साहब ने न माना तो उन्होंने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली; पर शर्त यह लगा दी कि रियासत के लिए नया दीवान उन्हीं को खोजना पड़ेगा।
जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत न दिखा पाना इन दोनों में से लेखक ने किसे श्रेष्ठ माना है और क्यों?उत्तर : जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत न दिखा पाना- इसमें दूसरी कथन पर लेखक दिनकर जी ने अधिक श्रेष्ठ माना है। क्योंकि एक में अर्थात पहले में आदमी यह महसूस करता है कि किसी महान निश्चय के समय वह साहस से काम नहीं कर सका तो जीन्दगी की चुनौती को कबूल नहीं कर सकते । अर्थात सुख प्राप्त नहीं कर सकते ।
कवि ने गोपीनाथ कृष्ण से क्या क्या न गिनने की प्रार्थना की है?(ङ) कवि ने गोपीनाथ कृष्ण से क्या-क्या न गिनने की प्रार्थना की है? उत्तर: कवि ने गोपीनाथ कृष्ण से गुण और अवगुण को न गिनने की प्रार्थना की है।
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