६ मंथ बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे? - 6 manth bebee ko potee na aaye to kya kare?

डॉ. बिरजदार के अनुसार “इन सभी कारणों के अलावा बच्चे की आंत में भी परेशानी हो सकती है, जो इंटेस्टाइन के कार्य में अवरोध पैदा करती है। स्टूल पास करने वाले एरिया में इंजरी या सफाई करते वक्त उसे रगड़ने से उस हिस्से को नुकसान पहुंचता है। इसकी वजह से वहां दर्द पैदा होता है और बच्चा कई दिनों तक स्टूल को रोके रखता है।”

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नवजात बच्चे के कब्ज का निदान कैसे करें?

अगर नवजात बच्चे को कब्ज है, तो उसका निदान कर के इलाज करना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं। ज्यादातर मामलों में डॉक्टर बच्चे को देख कर दवा दे देते हैं, लेकिन जब समस्या का समाधान फिर भी नहीं होता है, तो डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं। नवजात बच्चे को कब्ज होने पर डॉक्टर आपको निम्न जांचें कराने की सलाह दे सकते हैं :

रेक्टम की जांच

जब बच्चा तीन दिन से ज्यादा समय तक अगर पॉटी नहीं करता है तो डॉक्टर रेक्टम की जांच करते हैं। इसके लिए डॉक्टर हाथों में दस्ताने पहन कर बच्चे के एनस में उंगली के द्वारा रेक्टम की जांच करते हैं।

एक्स-रे

कई बार बच्चे को सही से पॉटी ना होने का कारण बड़ी आंत भी बन सकती है, ऐसे में डॉक्टर बच्चे के पेट का एक्स-रे कराते हैं और बड़ी आंत की जांच करते हैं।

बेरियम टेस्ट

बेरियम एक प्रकार का रसायन है, जिसे बच्चे को पिलाया जाता है। इसके बाद बेरियम छोटी आंत, बड़ी आंत और मलाशय को कवर कर लेता है, जिससे एक्स-रे में इन अंगों की स्पष्ट तस्वीर मिलती है। जिससे नवजात बच्चे को कब्ज क्यों है, इस बात का पता लगाया जा सकता है।

नवजात बच्चे को कब्ज होने पर इलाज कैसे करें?

डॉ. सुरेश बिरजदार ने कहा “शिशुओं और बच्चों को कब्ज में लैक्सेटिव नहीं दिया जाना चाहिए। इन्हें देने से बच्चों को डीहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे उन्हें डायरिया होने की संभावना रहती है।’ उन्होंने कहा कि बच्चों की डायट में वैरायटी लाकर कब्ज का इलाज किया जा सकता है। दूध की मात्रा को सीमित करके फाइबर युक्त फल और सब्जियां दी जाएं।”

उनके मुताबिक “बच्चों की एक्टिविटी बढ़ाकर और डायट में मोडिफिकेशन करना जरूरी है। इससे कब्ज का इलाज किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि शिशु के छह महीने की अवधि पूरा करने पर उसे दूध के अलावा दाल का पानी भी पिलाया जाना चाहिए। यदि बच्चे को छह हफ्तों से ज्यादा तक कब्ज रहता है तो इस स्थिति में डॉक्टर की सलाह पर लैक्सेटिव दिया जा सकता है। कब्ज का इलाज करने के लिए एक लिए एक वर्ष से ऊपर की आयु के बच्चों को ही लैक्सेटिव दिया जाता है।”

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एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों में कब्ज की समस्या का इलाज करने के लिए घर में एनिमा देना उचित नहीं होता। इंटेस्टाइन में दिक्कत होने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए। बच्चों की डायट में वैरायटी लाने के लिए दूध के साथ अतिरिक्त अलग-अलग प्रकार की सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी, पराठा और थेपले दिए जा सकते हैं। साथ ही उन्हें फाइबर युक्त डायट देकर कब्ज की समस्या को दूर किया जा सकता है।

नवजात बच्चे को कब्ज से कैसे बचाएं?

नवजात बच्चे को कब्ज ना हो इसके लिए रोकथाम की जा सकती है, जिसके लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना होगा:

  • जैसा कि कब्ज एक पेट संबंधी समस्या है, तो ऐसे में मां और बच्चे के खानपान का ध्यान रखना चाहिए। अगर मां स्तनपान करा रही है, तो उसे ऐसी चीजें खानी चाहिए, जिससे बच्चे को कब्ज ना हो। मां को हरी सब्जियां और रंग बिरंगे फल खिलाना चाहिए।
  • नवजात बच्चे को कब्ज से राहत दिलाने के लिए मां को फाइबर युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए, क्योंकि फाइबर का सेवन करने से पाचन तंत्र अच्छा रहता है।
  • कई बार नवजात बच्चे को कब्ज कम दूध पीने के कारण भी होता है। इसके लिए मां को पूरा प्रयास करना चाहिए कि अगर बच्चा कम दूध पीता है, तो उसे स्तनपान अधिक से अधिक बार कराएं। इससे बच्चे में कब्ज की समस्या बार-बार नहीं बनेगी।
  • बच्चे को पॉटी कराते समय उसके सीटिंग पोजीशन पर भी ध्यान दें, कई बार बच्चों में कब्ज की वजह गलत सीटिंग पोजिशन हो सकती है।

नवजात बच्चे को कब्ज से बचाव के लिए घरेलू उपाय क्या है?

6 महीने तक बच्चे सिर्फ मां का ही दूध पीते हैं। मां के दूध के अलावा उन्हें कुछ भी खिलाने-पिलाने से डॉक्टर सख्त मना करते हैं। ऐसे में मां जो भी खाएगी उसका असर बच्चे पर भी होता है। इसलिए मां को भी अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिएः

  • छोटे शिशु सिर्फ मां का दूध पीते हैं, इसलिए जरूरी है कि मां अपनी डायट मेंहरी सब्जियां, फल और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
  • शिशु के शौच करने का एक निश्चित समय निर्धारित करें।
  • शिशु को कभी भी भूखा न रखें और न ही उसे बहुत ज्यादा दूध पिलाएं। हर दो से तीन घंटे के बीच में बच्चे को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दूध पिलाएं रहें।

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क्या बच्चे को ग्राइप वॉटर देने से कब्ज से राहत मिलती है?

ग्राइप वॉटर को हिंदी में घुट्टी कहा जाता है, जिसे अक्सर मां बच्चे के पेट की समस्या से राहत दिलाने के लिए देती है। हालांकि, ग्राइप वॉटर बच्चे को पेट दर्द से राहत दिलाने के लिए दिया जा सकता है, लेकिन कब्ज में ग्राइप वॉटर आराम देता है या नहीं, इसका अभी तक कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं है।

इस तरह से आपने जाना कि नवजात बच्चे को कब्ज होने पर आप क्या कर सकते हैं? हमेशा याद रखें कि बच्चे नाजुक होते हैं और इसलिए उनका ध्यान बहुत संभाल कर रखना होता है। उम्मीद है कि बच्चे को कब्ज से संबधित यह लेख पसंद आया होगा। कृपया हमें इस बारे में कमेंट कर के बताएं। इसके अलावा इस विषय में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

6 मंथ बेबी को पॉटी न आये तो क्या करे?

बच्‍चों में कब्‍ज दूर करने के घरेलू तरीके.
एक्‍सरसाइज मूवमेंट करने से शिशु की मल त्‍याग की क्रिया वयस्‍कों की तरह ही उत्तेजित होती है। ... .
​सेब का रस बच्‍चों में भी फाइबर की कमी के कारण कब्‍ज हो सकती है। ... .
​गर्म पानी से नहलाना ... .
​ऑर्गेनिक नारियल तेल ... .
​टमाटर ... .
सौंफ ... .
​पपीता ... .
​तरल पदार्थ.

6 महीने के बच्चे को कब्ज?

शरीर में पानी की कमी के कारण भी कब्‍ज होती है. अगर बच्‍चा छह महीने से अधिक उम्र का है तो उसके सूप, फलों का रस, दूध और पानी आदी खूब दें. बच्‍चे के पेट और निचले हिस्‍से की हल्‍की मालिश करें. ऐसा करने से भी कब्‍ज दूर हो सकती है.

छोटे बच्चों का पेट साफ कैसे करें?

बीमारियों की जड़ है कब्ज, जानिए 2 से 3 साल के बच्चों में कब्ज दूर करने के घरेलू नुस्खे.
नींबू का रस नींबू का रस बच्चों में कब्ज को ठीक करने के लिए बेहतरीन काम करता है। ... .
त्रिफला त्रिफला तीन जड़ी-बूटियों का मिश्रण है। ... .
​पानी ... .
​शहद और अलसी के बीज ... .
​फाइबर युक्त आहार ... .
​केला और गर्म पानी.

छोटे बच्चे कितने दिन में पॉटी करते हैं?

नवजात शिशुओं में Potty का कोई विशिष्ट पैटर्न नहीं है। आम तौर पर, वे दिन में एक बार या दिन में 10 बार Potty कर सकते हैं। कुछ बच्चे 5-7 दिनों के लिए भी Potty नहीं कर सकते हैं