भारत का सर्वोच्च पर्वत शिखर कौन सा है K2 – गॉडविन ऑस्टिन या कंचनजंघा (Highest Mountain Peak in India Godwin–Austen or Kangchenjunga)– भारत की सर्वोच्च चोटी कौनसी है या भारत का सर्वोच्च पर्वत शिखर कौन-सा है ? यह सवाल अक्सर परीक्षाओं में पूछ
लिया जाता है। वैसे तो अन्य सवालों की भातिं यह भी एक सामान्य प्रश्न है। परन्तु इसके उत्तर की बात करें तो विभिन्न आयोगों की परीक्षाओं में अलग-अलग उत्तर को माना जाता है। सामान्य तौर पर इस प्रश्न के दो उत्तरों में संदिग्धता रहती है – पहला K2 ( गॉडविन ऑस्टिन ) और दूसरा कंचनजंघा। आइये जानते हैं ऐसा क्यों है। इस सवाल के दो जवाब क्यों हैं और उनमे से सही कौनसा है। K2 ( गॉडविन ऑस्टिन ) विश्व
का दूसरी सर्वोच्च पर्वत शिखर है। इसकी ऊँचाई 8611 मीटर है। यह कश्मीर के काराकोरम पर्वतमाला में स्थित होने के कारण K2 के नाम से जाना जाता है। इसे के-2 का नाम 1852 ईo में टीजी मोंटगोमेर्य ने दिया गया। हेनरी हैवरशम गॉडविन ऑस्टिन के नाम पर इसका नाम गॉडविन ऑस्टिन रखा गया। इसका स्थानीय नाम छोगोरी है। पर्वतारोही इस पर जून से अगस्त के बीच चढ़ाई करते हैं। सर्दी के
मौसम में आज तक इस पर कोई पर्वतारोही चढ़ाई नहीं कर पाया। इस पर चढ़ना तो माउन्ट एवेरेस्ट पर चढ़ने से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसीलिए इसे Killer Peak भी कहा जाता है। यह पर्वत चीन के तकसकोरगां ताजिक और गिलगिल बाल्टिस्तान की सीमा के मध्य अवस्थित है। परन्तु यह जिस क्षेत्र में अवस्थित है वह वर्तमान में भारत के अधिकार में नहीं है। यह POK (Pak Occupied Kashmir) अर्थात पाक अधिकृत भारत में अवस्थित है। यही कारण इस सवाल के जवाब के बीच रोड़ा है। क्योंकि आधिकारिक तौर पर
वह क्षेत्र हमारा है परन्तु इस समय उस पर अधिकार पकिस्तान का है। इस तरह आज K2 जिस जगह अवस्थित है वह विवादित होने के कारण कभी-कभी इस उत्तर को सही नहीं माना जाता है। यह विश्व की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत छोटी है। इसकी ऊँचाई 8586 मीटर है। यह सिक्किम के पश्चिमोत्तर भाग में नेपाल की सीमा पर अवस्थित है। इसका पहला मानचित्र रइन्जीन नांग्याल द्वारा तैयार किया गया था। 1852 ईo तक यह विश्व के सर्वोच्च पर्वत
के रूप में विख्यात था। प्रश्न की बात करें तो K-2 के क्षेत्र के विवादित होने के बाद यही भारत का सर्वोच्च पर्वत शिखर है। यह शिखर भारत में अवस्थित है और हमारे अधिकार क्षेत्र में भी। इस तरह इस उत्तर में (K-2 के अतिरिक्त) किसी भी प्रकार का कोई विवाद नहीं है।
के२ (K2, के-टू) विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिनजिआंग प्रदेश की सीमा पर काराकोरम पर्वतमाला की बाल्तोरो मुज़ताग़ उपशृंखला में स्थित है। 8,611 मीटर (28,251 फ़ुट) की ऊँचाई वाली यह चोटी माउंट एवरेस्ट के बाद पृथ्वी की दूसरी उच्चतम पर्वत चोटी है।[2] इतिहास[संपादित करें]1856 में पहाड़ का पहली बार लडोन धवटिं ने सर्वेक्षण किया। थॉमस माउंट लमरी भी उसके साथ था उसने उसका नाम "टू" (अंग्रेज़ी में "दो" की संख्या) रखा क्योंकि काराकोरम पर्वतमाला में शीर्ष दूसरे नंबर पर थी। के टू पर चढ़ने की पहली अभियान 1902 में हुआ जो विफल रहा। फिर 1909, 1934, 1938, 1939 और 1953 के प्रयास भी विफल रहे। 31 जुलाई 1954 के इतालवी अभियान अंततः सफल हुआ, जिसमें लाचेदेल्ली और कोम्पान्योनी नामक पर्वतारोही इसपर चढ़ने में सफल रहे। 23 साल बाद अगस्त 1977 में एक जापानी पर्वतारोही, इचिरो योशिज़ावा के-टू पर चढ़ने में सफल हुआ। उसके साथ अशरफ अमन पहला पाकिस्तानी था जो इस पर चढ़ा। 1978 में एक अमेरिकी दस्ता के-टू पर चढ़ने में सफल हुई। के टू को माउंट एवरेस्ट की तुलना में अधिक कठिन और खतरनाक माना जाता है। के टू पर केवल 246 लोगों चढ़ चुके हैं जबकि माउंट एवरेस्ट पर 2238। के-टू पर आज तक (सन् २०१६ में सही तथ्य) कोई भी सर्दियों के मौसम में नहीं चढ़ पाया है।[3] पहला प्रयास[संपादित करें]1902 में ब्रिटिश पर्वतारोही एलीस्टर क्रॉले और ऑस्कर एकिनस्टीन समेत 6 पर्वतारोहियों का अभियान दल के-2 पर चढ़ाई का सर्वप्रथम प्रयास करने पहुँचा। इस दल ने पर्वत पर 68 दिन बिताए जिसमें से चढ़ाई के लिए अनुकूल केवल 8 दिन ही मिल पाए। इनमें शिखर पर पहुँचने के 5 प्रयास किए गए। लेकिन ख़राब मौसम और तमाम प्रतिकूलताओं के कारण दल के सभी प्रयास विफल रहे और अंततः उन्हें हार माननी पड़ी। पहली सफलता[संपादित करें]दो इतावली आरोही एचाईल कॉम्पेगनोनी और लिनो लासेडेली के-2 के शिखर तक पहुँचने वाले पहले इंसान हैं। उन्हें यह सफलता 19 जुलाई 1954 को मिली जिसे इटली में काफ़ी गर्व के साथ मनाया गया। लेकिन जब आर्डिटो डेसिओ के नेतृत्व वाली यह टीम स्वदेश लौटी तब टीम के ही वॉल्टर बोनाटी ने दोनों पर इल्ज़ाम लगाते हुए विवाद खड़ा कर दिया। लेकिन बाद में ये इल्ज़ाम झूठे और ग़लतफ़हमीजन्य साबित हुए। [1] के टू पर फ़िल्में[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी जोड़[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
क्यों K2 भारत की सबसे ऊंची चोटी नहीं है?यह 8,849 मीटर ऊँची है। K-2 (Karakoram2) हिमालय के काराकोरम पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊँची चोटी और दुनिया के दूसरी ऊँची चोटी है। यह पाकिस्तान के गिलजित-बाल्टीस्तान में है (अगर गिलजित-बाल्टीस्तान को भारत के अंग न माना जाये तो)। यह 8,611 मीटर ऊँची है।
भारत की सबसे ऊंची चोटी K2 या कंचनजंगा कौन सी है?1. कंचनजंगा - यह भारत की सबसे ऊंची चोटी और विश्व की तीसरी ऊंची चोटी है। इसे बर्फ की पांचवी खाजाना भी कहा जाता है। यह भारत के सिक्किम राज्य में स्थित है, जो भारत और नेपाल की सीमा को बाटने का कार्य करती है।
K2 भारत में कहाँ स्थित है?के२ (K2, के-टू) विश्व का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। यह पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र चीन द्वारा नियंत्रित शिनजिआंग प्रदेश की सीमा पर काराकोरम पर्वतमाला की बाल्तोरो मुज़ताग़ उपशृंखला में स्थित है। 8,611 मीटर (28,251 फ़ुट) की ऊँचाई वाली यह चोटी माउंट एवरेस्ट के बाद पृथ्वी की दूसरी उच्चतम पर्वत चोटी है।
K2 पर्वत चोटी का दूसरा नाम क्या है?K2, चीनी कोगीर फेंग, जिसे माउंट गॉडविन ऑस्टेन भी कहा जाता है, दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी ([8,611 मीटर), माउंट एवरेस्ट के बाद दूसरे स्थान पर है। इस पर्वत की खोज 1856 में कर्नल टीजी मोंटगोमेरी ने की थी।
|