सरसों में सबसे अच्छा बीच कौन सा है? - sarason mein sabase achchha beech kaun sa hai?

सरसों की आरएच-1424 और आरएच 1706 किस्म में 27 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होगा उत्पादन. एक किस्म में 2.0 प्रतिशत से कम है इरूसिक एसिड, इसलिए अच्छी है इसके तेल की गुणवत्ता. हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू के किसान कर सकते हैं इस्तेमाल.

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के वैज्ञानिकों ने सरसों की दो नई किस्में विकसित की हैं. इन किस्मों का हरियाणा के साथ पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू राज्यों के किसानों को भी लाभ होगा. कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने बताया कि विश्वविद्यालय के तिलहन वैज्ञानिकों की टीम ने सरसों की आरएच-1424 व आरएच 1706 दो नई किस्में विकसित की हैं. हरियाणा और राजस्थान प्रमुख सरसों उत्पादक हैं. इसलिए इन दोनों के किसानों को फायदा होगा. इसमें से एक प्रजाति जीरो फैटी एसिड वाली है, जिसे सेहत के लिए अच्छा माना जाता है.

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कुलपति ने बताया कि इन किस्मों में अधिक उपज और बेहतर तेल गुणवत्ता है. इस वजह से राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुर (राजस्थान) में हुई अखिल भारतीय समान्वित अनुसंधान परियोजना (सरसों) की बैठक में इसकी हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और जम्मू में खेती के लिए पहचान की गई है. हरियाणा पिछले कई वर्षों से सरसों फसल की उत्पादकता के मामले में देश में शीर्ष स्थान पर है. यह इस विश्वविद्यालय में सरसों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास और किसानों द्वारा उन्नत तकनीकों को अपनाने के कारण संभव हुआ है.

उत्पादकता बढ़ाएंगी नई किस्में

काम्बोज ने बताया कि आरएच 1424 किस्म इन राज्यों में समय पर बुवाई और बारानी परिस्थितियों में खेती के लिए जबकि आरएच 1706 जोकि एक मूल्य वर्धित किस्म है, इन राज्यों के सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई के लिए बहुत उपयुक्त है. उन्होंने कहा ये किस्में उपरोक्त सरसों उगाने वाले राज्यों की उत्पादकता को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगी.

नई किस्मों की क्या है खासियत?

यूनिवर्सिटी के अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने बताया कि बारानी परीक्षणों में नई विकसित किस्म आरएच 1424 में आरएच 725 की तुलना में 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत बीज उपज दर्ज की गई है. यह किस्म 139 दिनों में पक जाती है और इसके बीजों में तेल की मात्रा 40.5 प्रतिशत होती है.

सरसों की दूसरी किस्म आरएच 1706 में 2.0 प्रतिशत से कम इरूसिक एसिड होने के साथ इसके तेल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. जिसका उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को लाभ होगा. यह किस्म पकने में 140 दिन का समय लेती है और इसकी औसत बीज उपज 27 क्विंटल हेक्टेयर है. इसके बीजों में 38 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है.

अब तक कितनी किस्में विकसित हुईं

आनुवंशिकी व पौध प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय देश में सरसों अनुसंधान में अग्रणी केंद्र है. अब तक यहां अच्छी उपज क्षमता वाली सरसों की कुल 21 किस्मों को विकसित किया गया है. हाल ही में यहां विकसित सरसों की किस्म आरएच 725 कई सरसों उगाने वाले राज्यों के किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है.

किन वैज्ञानिकों का योगदान

सरसों की इन किस्मों को तिलहन वैज्ञानिकों की टीम द्वारा विकसित किया गया है. इस टीम में डॉ. राम अवतार, आरके श्योराण, नीरज कुमार, मनजीत सिंह, विवेक कुमार, अशोक कुमार, सुभाष चंद्र, राकेश पुनिया, निशा कुमारी, विनोद गोयल, दलीप कुमार, श्वेता, कीर्ति पट्टम, महावीर और राजबीर सिंह शामिल हैं.

मौसम ने पीले सोने की फसल को दो बार झटका दिया लेकिन ओलावृष्टि का असर क्षेत्र विशेष में होने के कारण आम किसानों की सरसों की फसल का उत्पादन बंपर रहा। फसल कटकर जब घर पहुंची तो एक हैक्टेयर में 30 से 35 क्विंटल तक सरसों का उत्पादन देख किसानों के चेहरे खिल गए। इस बार मुरैना, भिंड व श्योपुर जिले के किसानों ने तीन लाख तीन हजार हैक्टेयर क्षेत्र में पीले सोने(सरसों) की खेती की। मौसम की युगलबंदी के कारण अधिकांश स्थानों पर फसल का उत्पादन बेहतर रहा। इससे चंबल व ग्वालियर संभाग के सात लाख किसानों को इस बार पीले सोने की खेती से अच्छा मुनाफा हुआ।

आरवीएम-2 से मिला बंपर उत्पादन: किसानों ने इस बार सरसों बीज के रूप में आरवीएम-2 प्रजाति को अपनाया है। इस बीज की विशेषता रही कि किसानों को एक हैक्टेयर में 30 से 35 क्विंटल तक उत्पादन मिला। यानी की पांच बीघा में सरसों उगाने पर किसान को नकद एक लाख रुपए से अधिक धन मिल रहा है।

जिन किसानों ने जेएम-3प्रजाति के सरसों बीज से बोवनी की है उन्हें भी एक हैक्टेयर में 25 से 30 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त हुई है। इस प्रकार पांच बीघा क्षेत्र में सरसों उगाने वाले किसान को एक लाख रुपए से ऊपर की आय हुई है।

पीले सोने में मुनाफा अर्जित करने के लिए किसानों ने इस बार नई तकनीक अपनाई। मुरैना जिले में 300 से अधिक किसान 100 हैक्टेयर से अधिक जमीन पर समी विधि से सरसों की फसल उगायी। इससे किसानों को एक-एक हैक्टेयर में 30 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त हुआ।

उप संचालक कृषि विजय चौरसिया के मुताबिक,खेती को मुनाफे का धंधा बनाने के लिए किसानों ने सरसों की बोवनी समय पर उपचारित बीज से की। मृदा स्वास्थ्य कार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक जमीन में सल्फर तत्व का संतुलित डोज दिया। समय पर सिंचाई से लेकर खरपतवार प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया है।

सरसों हाइब्रिड बीज | सरसों की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है | सरसों की खेती कब और कैसे की जाती है | पायनियर सरसों की पैदावार कितनी होती है? | paynear sarso | sarson ki unnat kheti | पायनियर सरसों की बुवाई का समय | हाइब्रिड सरसों की पैदावार कितनी होती है | पायनियर सरसों की बुवाई कब करनी चाहिए

सरसों की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. और इसके लिए अक्टूबर का महीना सरसों की बुवाई का समय समय बहुत अच्छा माना जाता है. सरसों की फसल से एक साथ कई लाभ होते हैं जसे- सरसों का तेल खाने तथा फलों के परीक्षण, मालिश करने इत्यादि में काम आता है, और सरसों की कटाई के बाद इनके तनो को ईंधन के रूप में तथा झोपड़ी बनाने के काम आता है, इसके साथ हरी सरसों तथा सरसों से तेल निकालने के बाद सरसों की खली का उपयोग पशुओं को चारे के काम आता है.

हमारे देश में सरसों का उत्पादन बहोत ही कम होता है. इसलिए सरसों के तेल का दाम बढ़ता ही चला जा रहा है, ऐसे में किसानों को चाहिए की उन्नत शस्य क्रियाओं को अपनाकर सरसों की उन्नत खेती को बढ़ावा दें. इसके लिए किसान सबसे ज्यादा पैदावार वाली सरसों की उन्नत किश्में लगायें. सरसों की खेती असिंचित क्षेत्रों तथा सिंचित क्षेत्रों दोनों स्थानों पर किया जा सकता है. दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं की सरसों का हाइब्रिड बीज कौन सा अच्छा है, तथा किसानों को सरसों की अच्छी पैदावार के लिए क्या करना चाहिए अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें.

सरसों में सबसे अच्छा बीच कौन सा है? - sarason mein sabase achchha beech kaun sa hai?

Contents hide

1 सरसों की अधिक पैदावार के लिए क्या करें

2 सरसों की हाइब्रिड किस्म | हाइब्रिड सरसों बीज

2.1 पायनियर सरसों की पैदावार

2.2 पायनियर-payoniyar 45s46 price

2.3 हाइब्रिड सरसों की खेती से लाभ

2.3.1 सरसों बीज का उपचार

2.3.2 सरसों की बुवाई कब होती है

2.3.3 कीट व रोग का उपचार

2.3.4 सरसों मे खरपतवार नियंत्रण

2.3.4.1 सरसों के फसल की देखभाल

2.3.4.2 सरसों में कितने पानी देना चाहिए

2.3.4.3 कटाई और गहाई

2.3.4.3.1 भण्डारण

2.3.4.3.2 सरसों के पौधे का चित्र

2.4 Q1. सरसों का वैज्ञानिक नाम?

2.5 Q2. सबसे अच्छी सरसों का बीज कौन सा है?

2.6 Q3. हाइब्रिड सरसों का बीज मूल्य?

2.7 Q4. सरसों कितने दिन में तैयार हो जाती हैं ?

2.8 Q5. 15 किलो सरसों के तेल का दाम क्या है?

2.9 Q6. सरसों में दूसरा पानी कितने दिन बाद लगाना चाहिए

2.10 Related

सरसों की अधिक पैदावार के लिए क्या करें

सरसों की बुवाई का टाइम सितम्बर और अक्तूबर का महिना अच्छा माना जाता है. इसलिए किसानों को बुआई से पहले खेती की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, और खेत की गहरी जुताई करके कुछ दिनों के लिए छोड़ देना चाहिए.

इसके बाद बुवाई से पहले अंतिम जुताई के समय प्रति हैक्टर की दर से 50-60 कुन्तल गोबर की सड़ी हुई खाद या मुर्गियों की 30 कुंतल खाद, 120 किलोग्राम यूरिया की आधी मात्रा तथा 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश की पूरी मात्रा को खेत में मिला देना चाहिए. इसके बाद यूरिया की बची हुई आधी मात्रा को सरसों की बुआई के 30 दिन बाद खड़ी फसल में देना चाहिए. इससे सरसों की फसल अच्छी होती है.

सरसों की हाइब्रिड किस्म | हाइब्रिड सरसों बीज

उन्नत किस्मेंबीज दर/एकड़पौधों की लम्बाईफसल कटाईउपज/एकड़तेल की मात्रापायनियर सरसों बीज 45s351.300 k.g.5 फिट105 दिन में10 से 12 कुंतल40%पायनियर सरसों बीज 45s421 k.g.160 से 180 सेंटीमीटर125 से 130 दिन में12 से 13 कुंतल42%45s46 pioneer production1.300 K.G.190 सेंटीमीटर125 से 130 दिन में12 से 13 कुंतल42%JULIE1.5 K.G.180 सेंटीमीटर130 से 135 दिन में10 से 12 कुंतल42%श्रीराम 1666 सरसों का बीज1.300 K.G.170 सेंटीमीटर125 से 130 दिन में12 से 13 कुंतल40%pa 5210 mustard1.5 K.G.180 सेंटीमीटर130 से 135 दिन में10 से 12 कुंतल41%5222 सरसों का बीज1 k.g.180 सेंटीमीटर125 से 130 दिन में10 से 12 कुंतल42%

पायनियर सरसों की पैदावार

कृषि क्षेत्र मे Pioneer sarso beej उच्च गुणवता तथा बेहतरीन उपज के मामले में विकसित है. पायनियर हाइब्रिड सरसों की फसल बुआई करके किसान अधिक से अधिक पैदावार और बेहतर तेल उत्पादन प्राप्त करते है. बाजार में 3 प्रकार के पायनियर सरसों की वैरायटी अधिक पैदावार के मामले में काफी प्रचलित हैं. Pioneer sarson 45s46 सरसों, पायनियर 45s35 sarson और Pioneer sarson ka bij 45s42. पायनियर सरसों बीज 45s46 की पैदावार एक एकड़ खेत में 12 से 13 कुंतल शुद्ध सरसों प्राप्त होता है. जिसमें तेल की मात्रा 42% तक होती है.

पायनियर-payoniyar 45s46 price

पायनियर सरसों की पैदावार सबसे अधिक होती है. इसलिए इस इस ब्रांड के बीज आपको कहीं भी बहुत आसानी से मिल जायेंगे. 45s42 पायनियर सरसों के बीज मूल्य 550 से 750 रूपये/-kg, 45s35 पायनियर सरसों के बीज मूल्य 550 से 600 रूपये/-kg और 45s46 पायनियर सरसों के बीज मूल्य 880 से 900 रूपये/-kg.

हाइब्रिड सरसों की खेती से लाभ

हाइब्रिड सरसों की खेती से पैदावार तो अधिक होती ही साथ ही इसकी यह खासियत होती है की बुआई के समय बीज की मात्रा कम लगती है और इन किस्मों में रोग नहीं लगते हैं साथ ही इनमें तेल की मात्रा भी अधिक निकलती है. हाइब्रिड एवं उन्नत किश्मों की बुआई से सरसों की खेती से कमाई भी किसानों को अच्छा होता है.

सरसों बीज का उपचार

बुआई के बाद बीजों का अंकुरण अच्छा हो और पौधे स्वस्थ रहे इसके लिए सरसों के बीज को उपचारित करना बहुत ही आवश्यक है. इसके लिए 2 ग्राम बाविस्टीन या थीरम प्रति 200 ग्राम बीज के हिसाब से बीजों को हलके पानी से भिंगोकर दवा में मिला देना चाहिए. इसके बाद सरसों के बीजों को 1 घंटे के लिए किसी छायादार स्थान पर सुखा लेनी चाहिए ताकि दवा बीज में चिपक जाएँ. फिर इन बीजों की खेतों में बुआई कर सकते हैं.

सरसों की बुवाई कब होती है

बहोत से किसान भाइयों को यह जानकारी नहीं होता है की, सरसों कौन से महीने में बोई जाती है. तो आपको बता दें की सरसों की फसल से अच्छी उपज लेने के लिए सरसों की बुवाई का टाइम का खास ध्यान देना चाहिए. और सरसों हाइब्रिड बीज की बुआई करना चाहिए. इसलिए सरसों की बुवाई सितम्बर महीने के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर महीने तक सरसों की बुवाई कर देनी चाहिए.

सरसों की सामान्य प्रजाति की तुलना में हाइब्रिड सरसों के बीज की बुआई करने में उत्पादन काफी ज्यादा होता है. जहाँ प्रति हेक्टेयर खेत में नार्मल प्रजाति की सरसों की पैदावार 10 से 12 क्विंटल की पैदावार होती है, वहीं प्रति हेक्टेअर हाइब्रिड सरसों में 30 से 35 कुंतल उत्पादन होता है. हाइब्रिड सरसों की प्रजाति बुआई के लिए 4 से 5 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है. सरसों की हाइब्रिड प्रजाति में 2 सिंचाई काफी कम (2 या 3 सिंचाई) करनी पड़ती हैं. जिससे पानी की बचत होती है.

कीट व रोग का उपचार

सरसों की फसल को सबसे अधिक नुकसान चेंपा या माहू कीट और सफेद रतुवा या चूर्णिल आसिता रोग से होता है यह दोनों ही रोग और कीट sarso ki kheti में फूल आने के बाद जब फलियाँ बनती हैं तब इनका प्रकोप देखने को मिलता है. अगर सरसो के खेत में चेंपा या माहू कीट दिखाई दे तो इनकी रोकथाम के लिए इमिडाक्लोरोपिड 1ml प्रति 15 लीटर पानी या रोगार(डाईमेथोएट) 1.5ml प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. सफेद रतुवा या चूर्णिल आसिता रोग यह फफूंद के कारण होता है इससे फसलों को बचाने के लिए डाईथेन M-45 30 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी या मिराडोर 15ml प्रति 15 पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए.

सरसों मे खरपतवार नियंत्रण

Sarson ka kheti में खरपतवार पोषक तत्वों को अपनी तरफ खींचकर फसल को कमजोर बना देते हैं. जिससे सरसों की उपज में 40 से 60 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है. आमतौर पर देखा जाय तो सरसों की बुआई अधिकतर छिटकवा विधि द्वारा होता है. ऐसे सरसों की बुआई के 30 से 35 दिन के भीतर खेत से खरपतवारों को खुरपी की सहायता से निकाल देना चाहिए. और बुआई के 50 दिन के बाद Sarson ke paudhe पुरे खेत को कवर कर लेती है. जिससे सरसों की कटाई तक फसल में खरपतवार नहीं लगते हैं.

बहुत से किसान भाई के पास समय नहीं होता है और समय से खेत से खरपतवार निकालने के लिए लेबर भी नहीं मिल पाते हैं. ऐसी परिस्थिति में किसान भाई रसायनिक खरपतवार नियंत्रण का सहारा लेना चाहते हैं. लेकिन आपको बता दें की खड़ी sarso ki fasal में खरपतवार नियंत्रण के लिए अभी तक कोई रसायनिक दवा नहीं आई है.

अगर किसान सरसों को खरपतवार से मुक्त रखना चाहते हैं तो सरसों की बुआई के तुरंत बाद और 2 दिन के भीतर पेन्डीमिथेलीन 30 ईसी रसायन की 40 से 50 ml दवा को 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. लेकिन इस बात का ध्यान रहे की छिड़काव करते समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है.

सरसों के फसल की देखभाल
  • सरसों से अधिक उपज लेने के लिए 25 किलो/एकड़ यूरिया का बुरकाव करना चाहिए.
  • फूल आने की अवस्था में सरसों की खड़ी फसल में सिंचाई अवश्य करें.
  • तना गलन रोग से सरसों की फसल को बचाने के लिए मंकोजेब 2 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें.
  • सरसों की फसल में माहू लगने पर इमिडाक्लोरोपिड 1ml/लीटर पानी घोल बनाकर छिडकाव करें.
  • फसल को खरपतवार से मुक्त रखें.
  • खरपतवारों के कारण सरसों की उपज में 50% प्रतिशत तक की कमी हो जाती है.
  • सरसों की फसल की बुआई बहुत घना न करें नहीं तो पौधे कमजोर हो जाते हैं.
सरसों में कितने पानी देना चाहिए

सरसों की फसल को बुआई से कटाई तक 2 सिंचाई की आवश्यकता होती है. सरसो में पहली पानी/भराई बुआई के 30 से 35 दिनों के बाद फूल आने की स्थिति में और दूसरी पानी भराई 75 से 80 दिन बाद जब पौधे में फलियाँ बनने लगे इस अवस्था में देनी चाहिए. घ्यान रहे अधिक सिंचाई करने से फसलें पीली पस्दने लगती है जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं. अतः सरसों में कितनी सिंचाई करनी चाहिए इसका ध्यान रखना चाहिए.

कटाई और गहाई

sarson ke paudhe की कटाई तब करनी चाहिए जब 75% फलियाँ सुनहरे रंग की हो जाए और सूखने की स्थिति में हों. और बहुत अधिक सूखने भी नहीं चाहिए, सरसो की कटाई हमेशा सुबह तेज धूप होने से पहले कर लेना चाहिए. अधिक घाम होने से सरसों के दाने खेत में ही झरने लगते हैं. कटाई करने के तुरंत बाद इनकी गहाई करके किसी सुरक्षित स्थान पर निकाल देने चाहिए अन्यथा धुप होने से दाने फूटकर गिरने लगते हैं.

भण्डारण

कटाई के बाद जब फलियाँ पूरी तरह सुख जाएँ तब मशीन में मड़ाई करके बीज अलग करके धूप में अच्छी तरह सुखा लेनी चाहिए ताकि इसमे नमी न हो. इसके बाद इन्हें प्लास्टिक की बोरियों में भरकर घर में या गोदाम में इसका भण्डारण करना चाहिए.

सरसों के पौधे का चित्र

सरसों में सबसे अच्छा बीच कौन सा है? - sarason mein sabase achchha beech kaun sa hai?

तो आज की इस पोस्ट में बस इतना ही, आज हमने जाना कि सरसों की खेती कब और कैसे की जाती है तथा सरसों का हाइब्रिड बीज कौन सा अच्छा है. तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में बस इतना ही मिलते हैं आपसे अगली पोस्ट में तब तक के लिए “जय जवान जय किसान”.

FAQ.

Q1. सरसों का वैज्ञानिक नाम?

ANS. ब्रेसिका कम्प्रेसटिस(Brassica juncea).

Q2. सबसे अच्छी सरसों का बीज कौन सा है?

ANS. 45s35 pioneer, pioneer 45s42, pioneer mustard seed 45s46, श्रीराम 1666 सरसों, सी.एस.-56, बायर सरसों 5222, स्टार 1015 सरसों का बीज आदि.

सरसों का सबसे बेस्ट बीज कौन सा है?

पूसा सरसों आर एच 30 – सरसों की ये किस्म हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी राजस्थान क्षेत्रों के लिए सबसे बेहतर है। ये किस्म सिंचित और असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। फसल 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। अगर 15 से 20 अक्टूबर तक इस किस्म की बुवाई कर दी जाए तो उपज 16 से 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर मिल सकती है।

सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली सरसों कौन सी है?

सबसे ज्यादा पैदावार वाली सरसों.
पूसा विजय: पूसा विजय सबसे अच्छी पैदावार वाली सरसों मानी जाती हैं. ... .
पूसा तारक तथा पूसा महक: सरसों की यह दोनों किस्में काफी अच्छी मानी जाती हैं. ... .
पूसा सरसों 27: यह सरसों की किस्म भी काफी अच्छी मानी जाती है. ... .
पीताम्बरी: सरसों की यह किस्म 110 से 115 दिन के भीतर पककर तैयार हो जाती हैं..

सरसों की पछेती वैरायटी कौन सी है?

सरसोंका आरएच 30, स्वर्ण ज्योति-आरएच9801, आशीर्वाद आरके 01-03 और टी 50 वरुणा किस्म की बुआई कर सकते हैं।

पीली सरसों की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

पीली सरसों की प्रमुख उन्नत किस्में.
पीताम्बरी : यह किस्म 2009 में विकसित की गई. जो 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। ... .
नरेन्द्र सरसों-2 : सरसों की यह 1996 में विकसित की गई. जो 125 से 130 दिनों में पक जाती है। ... .
के 88 : यह किस्म 1978 में विकसित की गई. जो 125 से 130 दिनों में पक जाती है।.