मुस्लिम औरतों का हलाला कैसे किया जाता है? - muslim auraton ka halaala kaise kiya jaata hai?

हिंदी न्यूज़ देशजानें, रूह कंपा देने वाली 'निकाह हलाला' प्रथा आखिर है क्या?

जानें, रूह कंपा देने वाली 'निकाह हलाला' प्रथा आखिर है क्या?

तीन तलाक प्रथा को असंवैधानिक घोषित करने के बाद केंद्र सराकर मुस्लिम महिलाओं के हित में एक और कदम उठाने जा रही है। कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में निकाह हलाला...

मुस्लिम औरतों का हलाला कैसे किया जाता है? - muslim auraton ka halaala kaise kiya jaata hai?

Nazneenनई दिल्ली। लाइव हिन्दुस्तानSat, 30 Jun 2018 06:36 AM

तीन तलाक प्रथा को असंवैधानिक घोषित करने के बाद केंद्र सराकर मुस्लिम महिलाओं के हित में एक और कदम उठाने जा रही है। कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में निकाह हलाला की प्रथा का विरोध करेगी। मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि सरकार का मानना है कि यह प्रथा लैंगिक न्याय (जेंडर जस्टिस)  के सिद्धांतों के खिलाफ है और उसने इस मुद्दे पर शीर्ष न्यायालय में अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में जिस प्रथा का विरोध करने जा रही है वो आखिर है क्या जानें : 

क्या है हलाला :

हलाला यानी 'निकाह हलाला' एक ऐसी प्रथा जिसमें अगर मुस्लिम पति अपनी पत्नी को तलाक देता है तो उसे अपनी पत्नी से दोबारा शादी करने के लिए या अगर पत्नी अपने पति से  दोबारा  शादी करना चाहती है तो औरत को 'हलाला' करना होगा। शरिया के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति ने अपनी बीवी को तीन बार तलाक दे दिया और वो दोनों अलग हो गए। बाद में अगर पति को अपने फैसले पर पछतावा होता है और वो अपनी बीवी से दोबारा शादी करना चाहता है तो वो बिना 'हलाला' के शादी नहीं कर सकता।

'हलाला' के लिए पत्नी को पहले किसी दूसरे मर्द से शादी करनी होगी और न सिर्फ शादी करनी होगी बल्कि दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध भी बनाना होंगे उसके बाद जब दूसरा व्यक्ति औरत को तलाक दे देगा उसके बाद ही वो अपने पहले पती से निकाह कर सकती है। 'हलाला' के बाद ही उसके पहले पति से उसका दोबारा निकाह मुकम्मल माना जाएगा। हलाला होने की पूरी प्रक्रिया ‘हुल्ला’कहलाती है।

तीन तलाक के बाद निकाह हलाला खत्म करने की तैयारी में केंद्र सरकार

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नई दिल्ली8 महीने पहलेलेखक: दीप्ति मिश्रा

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मुस्लिम औरतों का हलाला कैसे किया जाता है? - muslim auraton ka halaala kaise kiya jaata hai?

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के मिले थाना क्षेत्र के एक गांव की एक मुस्लिम महिला ने अपने पति पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित महिला का कहना है कि उसके पति ने उसे तीन बार ट्रिपल तलाक दिया और दो बार उसका हलाला कराया। तीसरी बार हलाला के लिए दबाव बनाने पर पीड़िता ने कानून का दरवाजा खटखटाया। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तीन तलाक कानून चारदीवारी (परदे) के अंदर फेल हो रहा है?

क्या है मामला?
यह मामला रायबरेली थाना मिल क्षेत्र के एक गांव का है। पीड़िता के मुताबिक, उसका निकाह 7 अप्रैल, 2015 को टेकारी डांडू गांव के मोहम्मद आरिफ के साथ हुआ था। निकाह के बाद से ही उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। ससुराल वालों के उकसाने पर पति ने तलाक दे दिया, जब महिला ने पुलिस में शिकायत करनी चाही तो घरवालों ने समझा-बुझाकर 21 अक्टूबर, 2016 को देवर जाहिद से निकाह करा दिया। जाहिद के तलाक देने के बाद 23 मार्च, 2017 को दोबारा उसका निकाह आरिफ से हो गया।

कुछ दिनों बाद उसके पति ने फिर तलाक दे दिया और ससुराल वालों ने घर से भगा दिया। पीड़िता के मायके और ससुराल पक्ष के लोगों के बीच किसी तरह समझौता हुआ। पीड़िता का दोबारा जाहिद से निकाह कराया गया और फिर जाहिद के तलाक देने के बाद 21 फरवरी, 2021 को आरिफ से उसका तीसरी बार निकाह हुआ। एक साल बीतते ही 1 मार्च, 2022 को आरिफ ने तीसरी बार तलाक दे दिया और महिला पर अपने बहनोई के साथ हलाला कराने के लिए दबाव बनाया। इसके बाद महिला के सब्र का बांध टूट गया। वह अपने मायके चली गई, जहां से 3 अप्रैल, 2022 को पति और देवर समेत 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया, लेकिन लंबे वक्त तक कोई कार्रवाई नहीं, तब पीड़िता ने केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग में न्याय की गुहार लगाई है। हालांकि, मामले में अभी भी किसी के गिरफ्तारी नहीं हुई।

क्या है हलाला?
मुस्लिम अलीगढ़ यूनिवर्सिटी (एएमयू) के प्रॉक्टर और इस्लाम के जानकार प्रो. मोहम्मद वसीम अली कहते हैं कि तीन तलाक कानून के तहत यह डिवोर्स लीगल नहीं है, लेकिन शरीयत में हनफी स्कूल के तहत यह तलाक जायज है। हनफी के तहत अगर किसी पुरुष ने अपनी पत्नी को तीन तलाक दे दिया और वह उससे फिर से निकाह करना चाहता है तो उसे हलाला कराना होता है। हलाला यानी महिला का किसी दूसरे पुरुष से निकाह होने के बाद तलाक होता है और फिर तीन महीने की इद्दत पूरी करने के बाद वह अपने पहले शौहर से निकाह कर सकती है। हालांकि, इसमें कितना वक्त लगेगा यह दूसरे व्यक्ति की मर्जी पर निर्भर करता है कि वह कब तलाक देगा, उस पर तलाक के लिए दबाव बनाना गलत है।

मुस्लिम औरतों का हलाला कैसे किया जाता है? - muslim auraton ka halaala kaise kiya jaata hai?

आखिर यह बुराई कैसे रुके?
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के इस्लामिक स्टडीज विभाग में वरिष्ठ प्रो. जुनैद हरीश बताते हैं कि दुनिया का कोई भी मौलवी ऐसे किसी निकाह को स्वीकृति नहीं दे सकता है, जिसमें तलाक लेने का पहले ही फैसला कर लिया गया हो। ऐसा कराने वाले लोगों को सजा मिलनी चाहिए। इन लोगों का बॉयकट किया जाना चाहिए। हलाला का जो मौजूदा रूप है, उसकी इस्लाम में कोई गुंजाइश नहीं है।

इस्लाम के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति पहली बार अपनी पत्नी को तलाक देता है तो उसे तीन माह पत्नी के साथ ही रहना होता है। अगर इन तीन महीनों में उनके बीच कोई रिश्ता ना बने। उनकी सुलह न हो तो महिला आजाद होती है। वह अपने शौहर या फिर किसी और व्यक्ति से निकाह कर सकती है। दूसरी बार तलाक देने पर यही नियम है, लेकिन तीसरी बार तलाक देने का मतलब है कि अब महिला किसी भी शर्त पर उसके साथ नहीं रह सकती। ऐसे में वह किसी और के साथ अपना घर बसा सकती है, लेकिन अगर कभी ऐसी स्थिति आई कि दूसरे शौहर से अलग हुई तो महिला चाहे तो पहले शौहर से निकाह कर सकती है, लेकिन उस पर कोई दबाव नहीं है।

क्या इस्लाम में एलिमनी का प्रावधान है?
रायबरेली में महिला को जिस तरीके से तलाक दिया गया है तो क्या अब उसे एलिमनी मिलेगी? इसके जवाब में प्रो. मोहम्मद वसीम अली कहते हैं कि हनफी के मुताबिक, शौहर को इद्दत के दौरान पत्नी को गुजारा भत्ता देना होता है। साथ ही तलाक देने की सजा के तौर पर एकमुश्त धनराशि, जमीन या मकान महिला के नाम किया जा सकता है। हर महीने किस्त के तौर पर मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है।

तीन माह 13 दिन का खाना-पीना देता है पति
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मुस्लिम शादियों में तलाक होने पर अलग से एलिमनी का नियम तो नहीं, लेकिन गुजर-बसर के लिए कुछ भत्ता देने का नियम है। इस बारे में दिल्ली के गरीब नवाज फाउंडेशन के चेयरपर्सन मौलाना अंसार रजा बताते हैं कि मुस्लिम समुदाय में तलाक के बाद महिला को मेहर में तय की गई राशि देनी होती है। अगर निकाह के वक्त मेहर में खास रकम तय नहीं हुई थी तो पति को तीन माह 13 दिन के खाने-पीने का खर्च देना होता है। मेहर किसी भी महिला का हक होता है, लेकिन महिला चाहे तो मेहर की रकम माफ भी कर सकती है।

पति को हो सकती है जेल, जुर्माना भी
कड़कड़डूमा कोर्ट के एडवोकेट मनीष भदौरिया बताते हैं कि तीन तलाक कानून-2019 के मुताबिक, कोई भी मुस्लिम व्यक्ति मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से एक बार में अपनी पत्नी को तीन तलाक नहीं दे सकता है, यह गैरकानूनी है। अगर वह ऐसा करता है तो पुलिस बिना वारंट के तीन तलाक देने वाले आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है। पति के लिए 3 साल की जेल और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है। इसके अलावा, पीड़िता अपने और अपने नाबालिग बच्चे के लिए गुजारा भत्ता भी मांग सकती है। महिला और उसके बच्चे के भरण पोषण का खर्च मजिस्ट्रेट तय करेंगे, जो पति को देना होगा।

मुस्लिम महिलाओं का हलाला कैसे होता है?

निकाह हलाला एक प्रक्रिया है जिसके हिसाब से अगर आपने अपनी पत्नी को तीन बार तीन तलाक दे दिया तो आप उससे तब तक दोबारा विवाह नहीं कर सकते जब तक वो एक बार फिर किसी और से शादी न कर ले। साथ ही वह अपने दूसरे पति के साथ शारीरिक संबंध भी बनाए।

हलाल कैसे किया जाता है?

हलाल प्रक्रिया के अनुसार, खून को तेजी से बहने के लिए जानवर को उसके बायीं तरफ लिटाना चाहिए। यह भी मक्का (क़िबला) की दिशा में होना चाहिए। अलग-अलग जानवरों को अलग-अलग तरीकों से हलाल किया जाता है।

हलाला और हलाला में क्या अंतर है?

हलाल मतलब " वर्जित " का विपरीत शब्द , यानी कि ग्रहन योग्य वस्तु और हलाला मतलब होता है कि किसी लड़की को तलाक हो जाने के बाद उसे नियम रक्षा के तहत किसी मर्द से विवाह करके , उसके साथ शारीरिक संबंध करने के बाद उससे भी तलाक लेकर फिर से किसी दुसरे मर्द के साथ शादी करके शागी शुदा जीवन व्यतीत कर सकती है ।

मुस्लिम लोग खाने में थूक क्यों लगाते हैं?

TNM के मुताबिक, कई मुस्लिम मौलवियों ने इस बारे में बताया है कि धार्मिक अवसरों पर मौलवियों के एक निश्चित वर्ग द्वारा ही भोजन में फूंकने या थूकने की प्रथा का पालन किया गया, लेकिन ये सिर्फ निजी समारोहों के दौरान किया गया.