Show
कानपुर की रहने वाली 63 वर्षीय पामिला ढींगरा को पेट में दर्द और कब्ज की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मरीज का सीटी स्कैन किया गया. जिसमें पेट के अंदर स्थित अपेंडिक्स में कैंसर की गांठ पाई गई जो काफी फैल गई थी. बायोप्सी से पता चला कि महिला को चौथी स्टेज का कैंसर हैलास्ट स्टेज में भी कैंसर का इलाज संभव कैंसर (Cancer) इस दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी है. हर साल लाखों लोगों की इससे मौत हो जाती है. अकसर यही कहा जाता है कि अगर कैंसर पहली या दूसरी स्टेज में पकड़ में आ जाए तो इसका इलाज़ संभव है. इसके बाद मरीज की जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता है. लेकिन दिल्ली के मैक्स अस्पताल (Max hospital) के डॉक्टरों ने चौथी स्टेज (Fourth stage cancer) के कैंसर से पीड़ित एक बुजुर्ग महिला की सर्जरी कर उसकी जान बचाई है. इस सजर्री में काफी एडवांस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया. जिससे चौथी स्टेज में पहुंचने के बावजूद भी महिला अब पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है. कानपुर की रहने वाली 63 वर्षीय पामिला ढींगरा को पेट में दर्द और कब्ज की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मरीज का सीटी स्कैन किया गया. जिसमें पेट के अंदर स्थित अपेंडिक्स में कैंसर की गांठ पाई गई जो काफी फैल गई थी. बायोप्सी से पता चला कि महिला को चौथी स्टेज का कैंसर है. इस तरह के कैंसर में कीमोथेपी से भी मरीज को राहत नहीं मिलती है. महिला की हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने नई तकनीक के माध्यम से उसके कैंसर की सर्जरी (Cancer surgery) की. इसके लिए महिला के पेट में मौजूद पूरी गांठ को ऑपरेशन करके निकाला गया. गांठ इतनी फैल चुकी थी कि आंत (Intestine)का भी कुछ हिस्सा बाहर निकालना पड़ा. इस सर्जरी को करने में डॉक्टरों को 16 घंटे का समय लग गया. अबू महिला पूरी तरह स्वस्थ है औक जल्द ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी. लास्ट स्टेज में भी इलाज़ संभव मैक्स अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर के चेयरमैन डॉ.हरित चतुर्वेदी ने बताया कि अब कैंसर के इलाज के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है. अब इस तकनीकी विकास से लास्ट स्टेज में पहुंच चुके मरीजों का इलाज भी किया जा सकता है. हाल ही में इन्ही एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से कई मरीजों की जान बचाई जा सकी है. कोरोना महामारी के दौर में मरीजों को इलाज के दौरान अब काफी कम समय के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है . इसके लिए रोबोट के जरिए मिनिमली इन्वेसिव सर्जरी और रोबोटिक सर्जरी की भी सहायता ली जाती है. जो मरीज लास्ट स्टेज भी पहुंच चुके थे. उनको इन तकनीकों से ऑपरेशन कर नया जीवन दिया गया है. आसान हो गया है सर्जरी करना अस्पताल के जीआई सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ.असित अरोरा ने बताया कि इस महिला का कैंसर पेट की अंदरूनी सतह तक फैल चुका था. चौथी स्टेज का कैंसर होने के बावजूद भी उसका सफल ऑपरेशन किया गया. डॉ. ने बताया कि सायटोरिडक्टिव सर्जरी और एचआईपीईसी चौथी स्टेज के कैंसर के ट्रीटमेंट में प्रभावी इलाज माना जाता है. पहले चौथी स्टेज के मरीजों के लिए कोई विश्वस्त इलाज मौजूद नहीं था. लेकिन अब कैंसर के इलाज में तकनीक अब बहुत अधिक विकसित हो चुकी है. मिनिमली एक्सेसिव पद्धति (छोटे से छेद से दूरबीन पद्धति से ) जटिल सर्जरी भी आसान हो गई है. विशेषज्ञ सर्जन पेट के कैंसर, लिवर कैंसर, कोलन कैंसर तथा ऐसी ही संकरे स्थानों पर बन चुकी कैंसर की गांठ को आसानी से निकाल सकते हैं. यह भी पढ़े: Omicron variant: लोग लापरवाही बरतते रहे तो हो सकता है ओमीक्रॉन का कम्युनिटी स्प्रेड, अब सतर्क रहने की जरूरत: एक्सपर्ट मुंह की खराब सेहत से बढ़ता है लिवर कैंसर का खतरा, ना करें नजरअंदाज; ये हैं संकेतमसूढ़ों में दर्द व खून आना मुंह में अल्सर बनना और दांतों की कमजोरी को मुंह की खराब सेहत का लक्षण माना गया है। नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। मुंह की खराब सेहत से हेपाटोसेल्युलर कार्सिनोमा (एचसीसी) का खतरा 75 फीसद तक बढ़ जाता है। एचसीसी लिवर कैंसर का सबसे ज्यादा होने वाला प्रकार है। मुंह की सेहत और लिवर व आंतों के कैंसर के बीच संबंध जानने के लिए किए गए हालिया अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। मसूढ़ों में दर्द व खून आना, मुंह में अल्सर बनना और दांतों की कमजोरी को मुंह की खराब सेहत का लक्षण माना गया है। इसका संबंध हार्ट अटैक, स्ट्रोक और डायबिटीज जैसी बीमारियों से भी पाया जा चुका है। शोध के दौरान ब्रिटेन के 4,69,628 लोगों को शामिल किया गया था। मुंह की खराब सेहत वाले ज्यादातर प्रतिभागी युवा थे। ऐसे लोग अपने खानपान में फल-सब्जी का कम इस्तेमाल करते थे। वैज्ञानिक अभी यह नहीं जान पाए हैं कि मुंह की खराब सेहत से पेट और आंत के अन्य कैंसर की तुलना में लिवर के कैंसर का खतरा ज्यादा क्यों बढ़ जाता है। लिवर कैंसर की पहचान आमतौर शुरुआती अवस्था में कम हो पाती है। जब रोगी में लिवर कैंसर बढने लगता है तभी इसके लक्षण महसूस किए जाते हैं। लिवर कैंसर, लिवर में होने वाला घातक ट्यूमर है। यह आमतौर पर एक और कैंसर से मेटास्टेसिस के रूप में प्रकट होता है। भूख न लगना, कमजोरी, सूजन, पीलिया और ऊपरी पेट की परेशानी इसके मुख्य लक्षणों में से एक है। फर्स्ट स्टेज के कई लक्षण लिवर कैंसर के फर्स्ट स्टेज में शरीर के इंसान में कई बदलाव होते हैं जिनके लक्षण सामान्य स्थिती से बहुत अलग होते है। अगर इन सिथ्तियों पर ध्यान दिया जाए तो इस बीमारी का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और समय रहते डॉक्टर के पास ले जाएं तो मरीज को जल्द ही कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। कभी-कभी जिन रोगियों में लिवर कैंसर पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो जाता है उनके इलाज के लिए डॉक्टर उपशामक थेरेपी की मदद लेते हैं। उपमाशक थेरेपी का मुख्य उद्देशय होता है रोगी को दर्द व अन्य समस्याओं से निजात दिलाकर एक आरामदायक जीवन देना। शारीरिक जांच: शारीरिक जांच जैसे वजन में कमी होने, कुपोषण, कमजोरी, लिवर का बढ़ना और इससे जुड़ी बीमारियां जैसे कि हेपैटाईटिस और सिरोसिस।
बॉयोप्सी: कैंसरयुक्त होने की पड़ताल के लिए इसमें पैथॉलाजिस्ट द्वारा परीक्षण हेतु छोटी मात्रा में टिश्यू निकाले जाते हैं। लैपरोस्कोपी: लिवर देखने के लिए इसमें पेट में छोटा चीरा लगाकर एक पतली, हल्कीप लाईटेड ट्यूब अंदर डाली जाती है। लिवर कैंसर लिवर तक सीमित रहने पर ही पुर्वानुमान संभव लिवर कैंसर वाले मरीज के लिए पूर्वानुमान इस पर निर्भर हैं कि क्या लिवर कैंसर लिवर तक सीमित है और क्या इसे सर्जरी से पूरी तरह निकाला जा सकता है। सर्जरी के बावजूद हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा और कोलेनजियोकार्सिनोमा वाले मरीजों में 5 वर्ष के लिए बचने की दर (सर्वाइवल रेट) 20 प्रतिशत से कम है। लिवर के सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण के बाद पूर्वानुमान बेहतर हो सकते हैं। हेपैटोब्लॉस्टोमा वाले बच्चों में 5 वर्षों के लिए सर्वाइवल रेट लगभग 70 प्रतिशत होती है जब कैंसर लिवर तक सीमित हो और पूरी तरह से निकाला जा सकता हो। लिवर के एंजियोसरकोमा वाले अधिकांश मरीजों में बीमारी निदान के समय तक पहले ही काफी फैल चुकी होती है जिससे पूर्वानुमान आमतौर से निराशाजनक हो जाते हैं। ऐसे लगाएं लिवर कैंसर का पुर्वानुमान थकान होना, वजन घटना और उल्टी होना लिवर के खराब होने के संकेत हैं। पीलिया कोई बीमारी नहीं है, यह वास्तव में एक चिन्ह् है कि आपका लिवर सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। जब शरीर में बिल्रूयूबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो पीलिया हो जाती है। यह लिवर कैंसर का पहला लक्षण है। अगर इन सब बीमारियों ने आपको घेर लिया है तो लिवर कैंसर की जांच करा लीजिए। लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप Edited By: Sanjay Pokhriyal लिवर कैंसर लास्ट स्टेज का व्यक्ति कितने दिन तक जीवित रह सकता है?ज्यादातर लोगों में जिन्हें लीवर कैंसर का पता चला है, कैंसर बहुत हद तक ठीक हो चुका है। परिणामस्वरूप, लीवर कैंसर से पीड़ित होने के बाद कम से कम एक वर्ष में 5 में से 1 व्यक्ति ही जीवित रहता है। 20 में से सिर्फ 1 व्यक्ति लगभग पांच साल तक जीवित रहता है।
लिवर कैंसर के लास्ट स्टेज में क्या होता है?लिवर कैंसर के अंतिम स्टेज में मरीज के लिम्फ नोड और अगल - बगल के अंगों में कैंसर फैल चुका होता है।
कैंसर के आखिरी दिनों में क्या होता है?कैंसर की आखिरी स्टेज 4 होती है. यह काफी खतरनाक होती है और जानलेवा साबित हो सकती है. इस स्टेज में कैंसरस ट्यूमर आसपास या दूर के दूसरे शारीरिक अंगों तक फैल जाता है. इसे सेकेंडरी और मेटास्टेटिक कैंसर (Secondary or Metastatic Cancer) भी कहा जाता है.
लिवर का लास्ट स्टेज क्या है?लीवर की यह बीमारी लाइलाज है। हालांकि कुछ उपचार विकल्पों से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। लीवर सिरोसिस के लक्षण आमतौर पर शुरुआती स्तर पर नहीं दिखते हैं जो इसे साइलेंट किलर बनाता है। सिरोसिस (Liver Cirrhosis) लीवर में होने वाली एक जानलेवा बीमारी है।
|