भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (भा॰मौ॰वि॰वि॰) भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम विज्ञान प्रक्षेण, मौसम पूर्वानुमान और भूकम्प विज्ञान का कार्यभार सँभालने वाली सर्वप्रमुख एजेंसी है। मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इस विभाग के द्वारा भारत से लेकर अंटार्कटिका भर में सैकड़ों प्रक्षेण स्टेशन चलाये जाते हैं। वर्तमान में मौसम विभाग के महानिदेशक मृतुन्जय महापात्रा है मौसम विभाग की स्थापना सर्वप्रथम 1844 में पुणे में हुई 1875 में नाम बदलकर मौसम सर्वेक्षण अनुसंधान रखा गया| Show
इतिहास[संपादित करें]भा॰मौ॰वि॰वि॰ मुख्यालय (नई दिल्ली) 1864 में चक्रवात के कारण कलकत्ता में हुई क्षति और 1866 और 1871 के अकाल के बाद, मौसम संबंधी विश्लेषण और संग्रह कार्य एक ढ़ांचे के अंतर्गत आयोजित करने का निर्णय लिया गया। नतीजतन, 1875 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना हुई। हेनरी फ्रांसिस ब्लैनफर्ड विभाग के पहले मौसम विज्ञान संवाददाता नियुक्त किया गए। मई 1889 में, सर जॉन एलियट तत्कालीन राजधानी कलकत्ता में वेधशालाओं के पहले महानिदेशक नियुक्त किया गए। मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय 1905 में शिमला, फिर 1928 में पुणे और अंततः नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया।[2] भारतीय मौसम विज्ञान विभाग स्वतंत्रता के बाद 27 अप्रैल 1949 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य बना। संगठन[संपादित करें]मौसम विभाग का नेतृत्व मौसम विज्ञान के महानिदेशक करते हैं। प्रसिद्ध कृषि मौसम विज्ञानी डॉ॰ लक्ष्मण सिंह राठौड़ विभाग के तत्कालीन महानिदेशक हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग में उप महानिदेशकों द्वारा प्रबंधित कुल 6 क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र आते हैं। यह चेन्नई, गुवाहाटी, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली और हैदराबाद में स्थित हैं। बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सन्दर्भ अब मौसम भिभाग का मुख्यालय New Dellhi[संपादित करें]
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हैं ? (ii) मौसम चार्ट क्या है ? (iii) वर्ग 1 की वेधशालाओं में सामान्यतया कौन-सा यन्त्र मौसम परिघटनाओं के मापने के लिए होता है ?
(iv) समताप रेखाएँ क्या हैं? (v) निम्नलिखित को मौसम मानचित्र
पर चिह्नित करने के लिए किस प्रकार के मौसम प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है ? 3. निम्न प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए। (i) मौसम मानचित्रों एवं चार्टी को किस प्रकार तैयार किया जाता है तथा ये हमारे लिए कैसे उपयोगी हैं ? भारत के विभिन्न स्थानों पर स्थापित मौसम वेधशालाएँ मौसमीय आँकड़ों को पुणे स्थित केन्द्रीय मौसम वेधशाला को दिन में दो बार प्रेषित करती हैं। भारतीय समुद्रों में संचालित कुछ विशिष्ट जलयानों पर भी मौसम सम्बन्धी आँकड़ों का संग्रहण किया जाता है। इसके अलावा भारत सरकार द्वारा अंटार्कटिका में मौसम वेधशाला की स्थापना, भारतीय महासागरीय अभियान एवं संचालन करने तथा रॉकेट व मौसम उपग्रहों के अंतरिक्ष में छोड़े जाने से मौसम पूर्वानुमान एवं प्रेक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। मौसम चार्ट-विभिन्न मौसम वेधशालाओं से प्राप्त आँकड़े पर्याप्त एवं विस्तृत होते हैं। अतः इनको एक चार्ट पर बिना कोडिंग के प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। कोडिंग के द्वारा कम स्थान में सूचनाएँ देकर चार्ट की उपयोगिता बढ़ . जाती है। इन्हें सिनाप्टिक मौसम चार्ट कहते हैं तथा इन चार्टी में जो कोड प्रयोग में लाए जाते हैं, उसे मौसम विज्ञान प्रतीक कहते हैं। मौसम पूर्वानुमान के लिए मौसम चार्ट प्राथमिक यंत्र होते हैं। उपयोग-मौसम मानचित्र एवं चार्ट हमारे लिए उपयोगी हैं क्योंकि इनसे हमें आने वाले मौसम की पूर्व जानकारी मिलती है। ये हवाई जहाज चालक, नाविक एवं किसानों के लिए बहुत लाभदायक है। मानचित्र पठन-चित्र 8.12 एवं 8.13 को पढ़ें व निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें- (i) इन मानचित्रों में किन ऋतुओं को दिखाया गया है ? (ii) चित्र (A) 8.12 में अधिकतम समदाब रेखा का मान क्या है तथा यह देश के किस भाग से गुजर रही है ? (iii) चित्र (B)8.13 में सबसे अधिक एवं सबसे न्यून समदाब रेखाओं का मान क्या है तथा ये कहाँ स्थित हैं ? (iv) दोनों मानचित्रों में तापमान वितरण का प्रतिरूप क्या है
? (v) चित्र (A)8.12 में किस भाग का अधिकतम औसत तापमान तथा न्यूनतम औसत तापमान आप देखते हैं ? (vi) दोनों मानचित्रों में आप तापमान वितरण एवं वायुदाब के बीच क्या सम्बन्ध देखते हैं ? प्रत्येक दिन के लिए भारत में मौसम मानचित्र का निर्माण कौन सा विभाग करता है?ऊपरी वायु प्रेक्षणों को पहाड़ी स्टेशनों, वायुयानों, पायलट - गुब्बारों आदि के द्वारा प्राप्त करके अलग से अंकित किया जाता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना के बाद से ही मौसम मानचित्रों एवं चा को नियमित रूप से तैयार किया जाता है। मौसम वेधशालाएँ आँकड़ों को पुणे स्थित केंद्रीय वेधशाला को दिन में दो बार भेजती हैं।
भारत का मौसम मानचित्र का निर्माण कौन करता है?भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना के बाद से ही मौसम मानचित्रों एवं चार्यों को नियमित रूप में तैयार किया जाता है।
भारतीय मौसम यंत्र को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक कौन कौन से हैं?(i) भारतीय मौसम तंत्र को प्रभावित करने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं :. दाब तथा हवा का धरातलीय वितरण जिसमें मानसून पवनें, कम वायुदाब क्षेत्र तथा उच्च वायुदाब क्षेत्रों की स्थिति महत्वपूर्ण कारक है।. उपरी वायु परिसंचरण में विभिन्न वायु राशियां तथा जेट प्रवाह महत्वपूर्ण तत्व है।. भारतीय दैनिक मौसम मानचित्र पर वर्षा की मात्रा को कैसे प्रदर्शित किया जाता है?तीर की दिशा हमेशा वायु के बहाव की दिशा को दर्शाता है (चित्र 8.6)। वर्षामापी वर्षा की मात्रा को वर्षामापी यंत्र द्वारा मापा जाता है। वर्षामापी यंत्र में धातु का सिलिंडर होता है, जिस पर एक गोलाकार कीप लगा होता है।
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