व्याख्याप्रज्ञप्ति (प्राकृत में : 'विहायापण्णति' या 'विवाहापण्णति' ; "Exposition of Explanations") पाँचवाँ जैन आगम है जिसे भगवतीसूत्र भी कहते हैं। कुल ४५ जैन आगम हैं जो महावीर स्वामी द्वारा प्रख्यापित माने जाते हैं। व्याख्याप्रज्ञप्ति की रचना सुधर्मस्वामी द्वारा प्राकृत में की गयी है। यह सभी आगमों में बससे बड़ा ग्रन्थ है। कहते हैं कि इसमें ६० हजार प्रश्नों का संग्रह था जिनका उत्तर महावीर स्वामी ने दिया था। Show
संरचना[संपादित करें]सभी उपलब्ध जैन आगमों में भगवतीसूत्र सबसे विशाल है। इसमें १३८ 'शतक' (अध्याय) हैं, जो कुल १९२३ उद्देशक (उप-अध्याय) में विभक्त है। इसके कुल श्लोकों की संख्या १५७५१ है। भगवतीसूत्र पर कोई भाष्य या निर्युक्ति नहीं मिलती किन्तु एक छोटी 'चूर्णी' और वृत्ति (अभयदेवसूरि कृत) मिलती है। इसके कुछ हिन्दी एवं गुजराती अनुवाद भी मिलते हैं। भगवतीसूत्र की भाषा अर्धमागधी है। इसकी प्रश्नोत्तर शैली में मनुष्य की गुप्त बौद्धिक जिज्ञासा के दर्शन होते हैं। श्री अमरमुनि ने भगवतीसूत्र की सामग्री को दस भागों में बाँटा है-[1]
भगवतीसूत्र में गणित[संपादित करें]जैन ऋषियों में क्रमचय-संचय (Permutations and combinations) काफी लोकप्रिय था। भगवतीसूत्र में क्रमचय-संचय के सरल प्रश्न चर्चा में आये हैं। जैसे, दिये गये मौलिक दार्शनिक वर्गों को एक, दो, तीन या अधिक एक साथ लेने पर कितने समुच्चय बन सकते हैं। [2] इस ग्रन्थ में १-१ लेकर बने समुच्चयों (कम्बिनेशन्स) को 'अलक संयोग' कहा गया है, २-२ लेकर बने समुच्चयों को 'द्विक संयोग' कहा गया है और द्विक संयोग की संख्या n(n-1)/2 बतायी गयी है।[3] भगवतीसूत्र में दीर्घवृत्त के लिये 'परिमण्डल' शब्द प्रयोग किया गया है और इसके दो भेद बताये गये हैं-[3]
सन्दर्भ[संपादित करें]
Free General Intelligence & Reasoning Practice Set 10 Questions 10 Marks 8 Mins Latest SSC Stenographer Updates Last updated on Nov 23, 2022 SSC Stenographer Answer Key for the Limited Department examination has been released for the exam which was held on 21st October 2022. This is with reference toe 2017 cycle. The 2022 cycle exam was conducted on 17th November and 18th November 2022. The notification for SSC Stenographer Recruitment 2022 was released on 20th August 2022. Candidates could apply for the said post till 5th September 2022. Candidates can check out the SSC Stenographer Exam Analysis to know the difficulty level and good attempts for the exam. Contents
आज हम जैन साहित्य (Jain literature) की चर्चा करेंगे. UPSC Prelims परीक्षा में कई बार ऐसे सवाल आ जाते हैं जिनका हमें तनिक भी आभास नहीं होता और उनके लिए हम prepared नहीं रहते. Jainism और Buddhism से तो कई सवाल आते रहते हैं. कभी साहित्य के, कभी उनके मत, कभी उनके विचार, विचारों में अंतर, मतों में अंतर आदि. जैन धर्म के विषय में हमने पहले भी पोस्ट लिखे हैं जो इस पोस्ट के अंत में आप देख सकोगे. जैन साहित्य के प्रकारजैन साहित्य (Jain literature) को मुख्यतः छः भागों में बाँटा जा सकता है –
द्वादश अंगपहला अंग आचारंग सुत्त (आचारंग सूत्र)इसमें उन नियमों का वर्णन है, जिन्हें जैन भिक्षुओं को अपनाना चाहिए. जैन भिक्षुओं को किस प्रकार तपस्या करनी चाहिए, किस प्रकार जीव रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए, इत्यादि बातों का इसमें विस्तृत वर्णन किया गया है. सूत्र कृदंग (सूत्र कृयाड़्क)इसमें जैन भिन्न मतों की व्याख्या की गई है और जैन धर्म पर जो आक्षेप किए जा सकते हैं उनका उत्थान करके उचित उत्तर दिया गया है, जिससे भिक्षु अपने मत का भली-भांति पक्ष पोषण कर सके. स्थानांगइसमें जैन धर्म के सिद्धांतों का वर्णन किया गया है. समवायांगइसमें भी जैन धर्म के सिद्धांत हैं. भगवती सूत्रयह जैन धर्म का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है. इसमें जैन धर्म के सिद्धांतों के अतिरिक्त स्वर्ग और नरक के विषय में विस्तृत वर्णन किया गया है. ज्ञान धर्म कथाइसमें कथा, आख्यायिका और पहेली आदि द्वारा जैन धर्म के सिद्धांतों का उपदेश दिया गया है. उवासंग दशाएँ (उपासक दशा)इसमें दस समृद्ध व्यापारियों की कथा है जिन्होंने जैन धर्म स्वीकार कर मोक्ष को प्राप्त किया. अंतः कृदृशाःइसमें उन जैन भिक्षुओं का वर्णन है जिन्होंने विविध प्रकार की तपस्याओं द्वारा अपने शरीर का अंत कर दिया और इस प्रकार मोक्ष पद को प्राप्त किया. अनुत्तरोपपादिक दशःइसमें भी तपस्या द्वारा शरीर का अंत करने वाले भिक्षुओं का वर्णन है. प्रश्न व्याकरणइसमें जैन धर्म की दस शिक्षाओं और दस-निषेध आदि का वर्णन है. विपाक श्रुतमइस जन्म में किए गए अच्छे और बुरे कर्मों का मृत्यु के बाद किस प्रकार फल मिलता है, इस बात को इस अंग में कथाओं द्वारा प्रदर्शित किया गया है. दृष्टिवादयह अंग इस समय अप्राप्य है. जैन लोग दृष्टिवाद में चौदह “पूर्वाः” का परिगणन करते हैं. ये संस्कृत के पुरानों की तरह बहुत प्राचीन समय से विकसित हो रहे थे. द्वादश उपांगप्रत्येक अंग का एक-एक उपांग है, इनके नाम इस प्रकार हैं –
दश प्रकीर्ण:इसमें जैन धर्म संबंधी विषयों का वर्णन है, जिनके नाम इस प्रकार हैं –
षट छेद सूत्रइन सूत्रों में जैन भिक्षु आर भिक्षुणियों के लिए विविध नियमों का वर्णन किया गया है. ये निम्नलिखित हैं –
चार मूल सूत्रइनके नाम निम्नलिखित हैं –
विविधनंदि सूत्र (Nandi Sutra)और अनुयोग द्वार सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं. यह विश्वकोष के जैसा है. इन धर्म ग्रन्थों पर अनेक टीकाएँ हुई हैं, जिनमें सबसे प्राचीन टीकाएँ निर्युक्ति कहलाती हैं. जैन टीकाकारों में सबसे प्रसिद्ध हरि-भद्र स्वामी हुआ. इसके अतिरिक्त शान्ति सूरी, देवेन्द्र गणी और अभय देव नाम के टीकाकारों ने भी महत्वपूर्ण भाष्य और टीकाएँ लिखीं. प्रायः सभी जैन धर्म के ग्रन्थ प्राकृत भाषा में हैं. जैन प्राकृत, आर्य अथवा अर्ध मागधी के नाम से प्रसिद्ध है. जैनों के जिस धार्मिक साहित्य (Jain Sahitya) का ऊपर वर्णन किया गया है वह श्वेताम्बर सम्प्रदाय के हैं. दिगंबर सम्प्रदाय के धार्मिक ग्रन्थ अभी बहुत कम संख्या में मुद्रित हुए हैं. इसलिए उनका परिचय दे सकना संभव नहीं है. इन्हें भी पढ़ें>> जैन धर्म का इतिहास, नियम, उपदेश और सिद्धांत जैन धर्म पर सवाल-जवाब भगवती सूत्र का दूसरा नाम क्या है?व्याख्याप्रज्ञप्ति (प्राकृत में : 'विहायापण्णति' या 'विवाहापण्णति' ; "Exposition of Explanations") पाँचवाँ जैन आगम है जिसे भगवतीसूत्र भी कहते हैं।
जैन ग्रंथ के लेखक कौन है?यह दिगम्बर जैन सम्प्रदाय का प्रमुख ग्रंथ है। इसके रचयिता आचार्य वट्टकेर हैं।
जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ कौन सा है?प्रमुख ग्रन्थ. समयसार,. प्रवचनसार,. रत्नकरण्ड श्रावकाचार,. पुरुषार्थ सिद्धयुपाय,. धवला टीका,. मूलाचार,. द्रव्यसंग्रह,. जैन धर्म में कितने ग्रंथ है?जैन धर्म में 46 आगम ग्रंथ है
जैन धर्म साहित्यिक रूप से बहुत धनी था. जैन धर्म ग्रंथ के सबसे पुराने आगम ग्रंथ 46 माने जाते हैं. ये ग्रंथ संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं में लिखे गए थे.
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