जल्दी प्रेग्नेंट कैसे होते हैं video? - jaldee pregnent kaise hote hain vidaio?

Woolen Clothes care: ठंड से बचाने में ऊनी कपड़े हमारी काफी मदद करते हैं, हालांकि गर्म कपड़ों की ठीक तरीके से देखभाल नहीं होने पर यह एक से दो बार उपयोग में लाए जाने के बाद ही इनका आकार छोटा हो सकता है और कभी-कभी रंगों में भी डिफरेंस नजर आने लगते हैं। अगर आप अपने कपड़ों से सालों साल चलने की चाह रखते हैं तो इसके लिए आपको अपने कपड़े की सही देखभाल करनी भी जरूरी है। गर्म कपड़ों को धोने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें जो आपके ऊनी कपड़ों को नए बनाए रखने में आपकी मदद कर सकते हैं।

कपड़े पर लगे लेबल के दिशा निर्देशों का पालन करें-

ऊनी कपड़ों को जब भी आप पहन कर धोने जा रहे हो तो उस पर लगे हुए लेबल पर लिखे हुए दिशा निर्देशों को ध्यान पूर्वक अवश्य पढ़ें। ताकि यह समझ सके कि आपका कपड़ा किस तरीके की धुलाई की मांग करता है। अगर आपने इस बात को अनदेखा करते हुए उसे गलत तरीके से धोते हैं तो इसका नतीजा भी गलत ही निकल कर आएगा क्योंकि हर कपड़े का फैब्रिक अलग होता है और उसके धोने का तरीका भिन्न होता है। इसलिए कपड़े को धोने से पहले उसके लेबल पर लिखे हुए इंस्ट्रक्शन को जरूर पढ़ें।

ऊनी कपड़ों को ज्यादा न रगड़ें-

ऊनी कपड़े काफी सॉफ्ट और नाजुक होते हैं। इसलिए इनको अधिक रगड़ने से बचें कोशिश करें कि हमेशा गर्म कपड़ों को हाथ से ही साफ करें। वहीं, इन कपड़ों को ड्रायर से सुखाने से भी बचना चाहिएं, क्योंकि इलेक्ट्रिक मशीन से ऊनी कपड़ों को सुखाने पर यह ढीले पड़ने लगते हैं।

ऊनी कपड़ों को आयरन करने से बचें या इसके लिए अलग तरीके के आयरन मार्केट में मिलते हैं। आप उनका भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सामान्य आयरन ऊनी कपड़ों के लिए उपयोग में ना लाएं, क्योंकि इससे ऊनी कपड़ों का फैब्रिक कमजोर हो सकता है या इनका आकार भी बिगड़ सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।

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Updated Nov 24, 2022 | 11:53 AM IST

मुंबई: ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेट टीम ने शनिवार को मुंबई के ब्रेबोर्न क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए सीरीज के चौथे टी20 मुकाबले में 7 रन के अंतर से जीत दर्ज करके सीरीज 3-1 से अपने नाम कर ली है। जीत के लिए टीम इंडिया को 189 रन का लक्ष्य मिला था लेकिन हरमनप्रीत कौर की कप्तानी वाली टीम 20 ओवर में केवल 181 रन बना सकी और 7 रन से मुकाबला गंवा दिया।

टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई की महिला टीम ने एलिसा पेरी की 42 गेंद में 72 रन की नाबाद पारी की बदौलत 3 विकेट पर 188 रन का स्कोर खड़ा किया ता। एलिसा हीली ने 30(21), एश्वे गार्डनर ने 42(27) और ग्रेस हैरिस ने 27(12) रन की पारी खेली। दीप्ति शर्मा सबसे सफल भारतीय गेंदबाज रहीं। उन्होंने 2 और राधा यादव ने एक विकेट अपने नाम किया।

खराब रही टीम इंडिया की शुरुआतजीत के लिए 189 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही। 23 के स्कोर पर स्मृति मंघाना 16(10) रन बनाकर पवेलियन लौट गईं। इसके बाद 5.4 ओवर में 43 रन के स्कोर पर भारत को दूसरा झटका शफाली वर्मा के रूप में भी लग गया। शफाली ने 20 रन बनाए। मंघाना एश्ले गार्डनर का शिकार बनीं। उनका कैच बेथ मूनी ने लपका। वहीं शफाली ब्राउन का शिकार बनीं। इसके बाद जल्दी ही जेमिमा रोड्रिग्ज(8) को किंग ने पवेलियन वापस भेज दिया। ऐसे में भारत का स्कोर 7 ओवर में 49 रन पर 3 विकेट हो गया।

हरमनप्रीत ने कराई मैच में वापसी

ऐसे में कप्तान हरमनप्रीत कौर ने मोर्चा संभाला और देविका वैद्य के साथ मिलकर टीम को 100 रन के पार पहुंचा दिया। दोनों के बीच चौथे विकेट के लिए 72 रन की साझेदारी हुई। 30 गेंद में 46 रन बनाने के बाद हरमनप्रीत कौर पवेलियन लौट गईं। हरमनप्रीत ने 30 गेंद में 46 रन बनाए। उनके आउट होते ही स्कोर 14.3 ओवर में 121 रन हो गया।

आखिर तक लड़ीं ऋचा घोषहरमनप्रीत के बाद वैद्या को ऋचा घोष का साथ मिला। दोनों ने टीम को 150 रन के करीब पहुंचाया लेकिन देविका ने गार्डनर को आउट करके अपनी टीम को पांचवीं सफलता दिला दी। देविका ने 26 गेंद में 32 रन बनाए। इसके बाद ऋचा ने मोर्चा संभाला और तेजी से बल्लेबाजी की। उनका साथ दूसरे छोर पर दीप्ति शर्मा ने दिया।

Postpartum Depression:किसी भी महिला के लिए मां बनना सबसे बड़ी खुशी है। एक नन्हीं जिंदगी को इस दुनिया में लाकर हर महिला अपने आप को पूर्ण महसूस करती है। लेकिन इन नई खुशियों के साथ ही ढेर सारी जिम्मेदारियां और बदलाव भी एक महिला की जिंदगी में आते हैं। उसके सोने-जागने के समय के साथ ही खान-पान, रहन-सहन सब बदल जाता है। ऐसे में वह कई सारे शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों का सामना करती है। इनसे जूझते हुए अकसर प्रसूताएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। कई बार महिलाएं इस स्थिति को भांप लेती हैं, लेकिन अक्सर इसे वे नजरअंदाज कर बैठती हैं। दरअसल, इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है। जिसके लिए समय पर सही कदम उठाना बेहद जरूरी है।

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के चलते नई माएं अक्सर परेशान रहती हैं। उनमें चिड़चिड़ापन आने लगता है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि अधिकांश महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार होती हैं, लेकिन भारत में 80 प्रतिशत महिलाएं इस बारे में किसी से कुछ नहीं बोलतीं और खुद ही इस स्थिति से लड़ती रहती हैं। जिससे समस्या हल होने की जगह और विकट हो जाती है।

विश्व स्तर पर पीड़ित हैं महिलाएं

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार दुनियाभर में पोस्टपार्टम डिप्रेशन से महिलाएं पीड़ित हैं और यह आंकड़ा विश्व स्तर पर करीब 60.8% है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रसव के बाद मां के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के साथ ही थायराइड हार्मोन के स्तर में बदलाव आता है। जिससे प्रसुताओं को मूड स्विंग जैसी समस्याएं होती हैं। जो आगे चलकर डिप्रेशन का कारण बनती हैं।

इन लक्षणों से पहचानें पोस्टपार्टम डिप्रेशन

डॉक्टर्स के अनुसार जरूरी नहीं है कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण सभी महिलाओं में एक से हों। हालांकि कुछ कॉमन समस्याएं अधिकांश नई मांओं में पाई जाती हैं। जैसे बच्चे से कम लगाव। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार स्टडी बताती है कि विश्व स्तर पर करीब 34 प्रतिशत मां शुरुआत में बच्चे के साथ इमोशनल रिलेशन नहीं बना पाती हैं। वहीं 36 प्रतिशत मांओं को हमेशा ये डर रहता है कि कहीं उनके बच्चे को कोई नुकसान न हो जाए। इसी के साथ भूख ज्यादा या कम लगना, नींद न आना या ज्यादा आना, हर समय थकान महसूस करना जैसे लक्षण नजर आते हैं।

परिवार बने सहारा, बताए-हम तुम्हारे साथ हैं

मनोचिकित्सक डॉ. अनीता गौतम का कहना है कि भारत में अक्सर महिलाएं अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान नहीं देतीं। अगर वे परेशान भी हों तो किसी को जल्दी से बताती नहीं हैं। ऐसे में परिवार को अहम भूमिका निभानी होती है। नई मां का साथ देना चाहिए। बच्चे की देखभाल से लेकर अन्य कामों में मां की मदद करें। नई मां के साथ परिवार वाले समय बिताएं। उसे ये महसूस करवाएं कि बच्चे को संभालने के लिए वह अकेली नहीं है, सब उसके साथ है। अपने डेली रूटीन में चेंज करें, जिससे मां को सोने का भरपूर समय मिल सके। जरूरत महसूस होने पर काउंसलिंग करवाएं।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

लड़कियां प्रेग्नेंट कब हो सकती है?

आमतौर पर महिलाओं का मेन्स्टुअ्ल साइकल 28 दिन का होता है और ऑव्यूलेशन यानी एग रिलीज होने की प्रक्रिया 12, 13, 14 दिन के आसपास होती है। इस दौरान अगर एग, स्पर्म से मिलता है तो गर्भधारण हो जाता है।

पति पत्नी को बच्चा पैदा करने के लिए क्या करना चाहिए?

मां बनने के लिए पति-पत्नी दोनों का तन और मन तैयार होना जरूरी है, इसके बिना औलाद का सुख नहीं मिल सकता। पुरुषों के लिए फाइनेंशियली स्टेबल होना बहुत मायने रखता है। जब तक वो खुद को फाइनेंशियली सिक्योर नहीं कर लेते, उनका मन पिता बनने के लिए तैयार नहीं होता, जिसके कारण शरीर से सक्षम होने के बावजूद उन्हें बच्चा नहीं हो पाता।

बच्चा पैदा करने के लिए कौन सी पोजीशन?

मिशनरी सेक्स पोजिशन (Missionary sex position) मिशनरी सेक्स पोजिशन में बिस्तर पर महिला नीचे की तरफ रहती है और पुरुष महिला के ऊपर की तरफ रहता है। मिशनरी पोजिशन में इस पोज को 'मैन ऑन टॉप' कहा जाता है। यह प्रेग्नेंट होने या कंसीव करने के लिए बेस्ट माना जाता है।

पीरियड के कितने दिन बाद महिला गर्भवती हो सकती है?

पीरियड्स के कितने दिन बाद प्रेग्नेंसी होती है (Periods Ke Kitne Din Baad Pregnancy Hoti Hai) पीरियड्स के बाद प्रेग्नेंसी अगले मासिक धर्म चक्र के पहले ओव्यूलेशन में हो सकती है। अगर मासिक चक्र 28 दिन का है तो पीरियड्स खत्म होने के 10 वें दिन से लेकर 17 वें दिन तक प्रेग्नेंसी के लिए सही समय माना जाता है।