हिंदी में वर्ण विचार के महत्व को स्पष्ट कीजिए - hindee mein varn vichaar ke mahatv ko spasht keejie

Varn Vichar in Hindi Grammar Class 7 – वर्ण विचार, वर्ण, वर्णमाला, स्वर – स्वर के भेद, व्यंजन – व्यंजन के भेद, अयोगवाह – अयोगवाह के भेद, अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर और उच्चारण के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण के बारे में पड़ेगे |

‘ध्वनि’ का सामान्य अर्थ है – “आवाज”

जैसे →    

  1. पंखा चलने की ध्वनि
  2. पक्षीयों के चहकने की ध्वनि
  3. साइकिल की घंटी की ध्वनि

व्याकरण में ध्वनि का अर्थ है – “वर्ण”

जैसे → “हमारे यहाँ गणेश – उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है |”

गणेश = ग् + अ + ण् + ए + श् + अ
उत्सव =   उ +  त् + स् + अ + व् + अ

“वह सबसे छोटी ध्वनि जिसके और टुकड़े नहीं किए जा सकते, वर्ण कहलाती है |”

वर्णमाला

किसी भाषा में प्रयोग होने वाले वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं |

जैसे → अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:, क, ख, ग, घ, ङ्

→   आगत ध्वनियाँ = ऑ, ज़, फ़
→   हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण हैं |




वर्ण के भेद

  1. स्वर
  2. व्यंजन

स्वर – स्वर के भेद

जिन वर्णों का उच्चारण करते समय हवा मुँह में बिना रुके बाहर निकलती, उन्हें स्वर कहते हैं |

→   स्वरों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता के किया जाता है |

→   हिंदी में 11 स्वर होते हैं |

→   अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ

स्वर के भेद

  1. ह्रस्व स्वर
  2. दीर्घ स्वर
  3. प्लुत स्वर

(1) ह्रस्व स्वर→

जिन स्वरों के उच्चारण में बहुत कम समय लगता है, उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं |
ह्रस्व स्वर चार होते हैं – अ, इ, उ, ऋ

(2) दीर्घ स्वर→

जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से लगभग दोगुना समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं |
दीर्घ स्वर सात होते हैं → आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ |

(3) प्लुत स्वर →

जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से तीन गुना अधिक समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं |
जिस स्वर का उच्चारण प्लुत के रूप में किया जाता है उसके आगे हिंदी की गिनती का अंक ३ (तीन) लिखा जाता है |
जैसे → ओ३म्, भैया३, काका३

स्वरों की मात्राएँ

मात्र → स्वरों के निश्चित चिह्नों को मात्र कहते हैं |

व्यंजन – व्यंजन के भेद

जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाए तथा हवा कंठ से निकल कर, मुँह में रुककर बाहर आए, उन्हें व्यंजन कहते हैं | हिंदी में मूल व्यंजन 33 है |

व्यंजन के भेद

  1. स्पर्श व्यंजन
  2. अंतस्थ व्यंजन
  3. ऊष्म व्यंजन

1. स्पर्श व्यंजन→

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या ओठो का स्पर्श करके मुख से बाहर आती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं |
→ स्पर्श व्यंजन 25 होते हैं (क् से म्) तक
→ स्पर्श व्यंजन को पाँच भागों में बाँटा जा सकता है –

स्पर्श व्यंजन हैं –

हिंदी में वर्ण विचार के महत्व को स्पष्ट कीजिए - hindee mein varn vichaar ke mahatv ko spasht keejie




2. अंतस्थ व्यंजन → जिन व्यंजनों का उच्चारण स्वरों और व्यंजनों के मध्य का होता है, उन्हें अंतःस्थ व्यंजन कहते हैं |
अंतस्थ व्यंजन चार हैं – य र ल व

3. ऊष्म व्यंजन → जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा मुँह में टकराकर ऊष्म (गर्मी) पैदा करती है, उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं |
ऊष्म व्यंजन भी चार हैं – श ष स ह

अयोगवाह – अयोगवाह के भेद

‘अयोगवाह’ का अर्थ है → ‘अ’ के योग से जो अर्थ वहन करे

किसी स्वर के योग से जो सार्थक शब्द बनते हैं, वे अयोगवाह होते हैं |

जैसे → अंगार → में  ( )
प्रात: → में ( : )
अँधेरा → में ( )

→ अयोगवाह स्वर तथा व्यंजन के साथ लगते हैं |

अयोगवाह के भेद

  1. अनुस्वार
  2. विसर्ग
  3. अनुनासिक

(1) अनुस्वार ( ) → अनुस्वार का चिह्न बिंदु ( ) होता है |
जैसे → हंस, अंश, कंस आदि
→   अनुस्वार का उच्चारण नाक से किया जाता है

(2) विसर्ग ( : ) → विसर्ग का चिह्न ( : ) है|
जैसे → प्रात:, नम: अंत:, करण
→      विसर्ग का उच्चारण ‘ह’ के समान होता है |

(3) अनुनासिक ( ) → अनुनासिक का चिह्न ( ) है |
→      इसे चंद्रबिंदु भी कहते है |
जैसे → आँख, गाँव, साँप आदि |
अनुनासिक का अर्थ है – नाक के पीछे से आने वाली ध्वनि
जैसे → माँ
→ अनुनासिक का उच्चारण नाक और मुँह से किया जाता है |
→ शिरो रेखा के ऊपर चंद्रबिंदु ( ) का प्रयोग किया जाता है |
जैसे → चाँद, गाँव, आँख
→      जब शिरोरेखा पर मात्रा लगी होती है, तो चंद्रबिंदु की जगह मात्र बिंदु ( ) लगा दिया जाता है |
जैसे → हैं, मैं, कहीं आदि

अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर

अनुस्वार और अनुनासिक के उच्चारण में भिन्नता है | अनुस्वार के उच्चारण में वायु नाक से निकलती है, जबकि अनुनासिक  के उच्चारण के समय वायु नाक और मुँह दोनों से निकलती है |  जैसे – हंस और हँसना | हंस, अंश, कंस आदि का उच्चारण करते समय वायु नाक से निकल रही है, जबकि आँख, पाँव, हँसना आदि का उच्चारण करते समय वायु नाक तथा मुख दोनों से निकल रही है |

संयुक्त व्यंजन

दो अलग – अलग व्यंजनों के योग से बने व्यंजनों को संयुक्त व्यंजन कहते हैं | हिंदी वर्णमाला में कुल चार संयुक्त व्यंजन है; जैसे –
क् + ष = क्ष
त् + र = त्र
ज् + ञ = ज्ञ
श् + र  = श्र




द्वित्व व्यंजन

एक ही प्रकार के स्वर रहित व स्वर युक्त व्यंजन जब एक साथ उच्चारित किए जाएँ या बोले जाएँ, तब उन्हें द्वित्व व्यंजन कहते हैं ; जैसे –

न् + न = न्न (गन्ना)
त् + त = त्ता  (पत्ता)
ल् + ल = ल्ल (दिल्ली)
क् + क = क्का (छक्का)
च् + च = च्चा   (बच्चा)

‘र’ के रूप

  1. जब स्वर रहित ‘र्’ के बाद स्वर सहित व्यंजन हो तो ‘र्’ उस व्यंजन के ऊपर रेफ़( ) के रूप में लिखा जाता है |
    जैसे →
    र्  + व = र्व = पर्व, गर्व
    र्  + क = र्क = तर्क
    र्  + म = र्म = कर्म, धर्म
  2. स्वर सहित ‘र्’ का संयोग जब उससे पूर्व आए किसी स्वर रहित व्यंजन से होता है, तो ‘र’ पदेन के रूप में ( / ) उस व्यंजन के जुड़ जाता है |
    जैसे →
    ग + र = ग्र = ग्रह, ग्राम
    प् + र = प्र = प्रेम, प्रकाश
    म् + र = म्र = आम्र, नम्र
  3. स्वर रहित ट्, ठ्, ड्, ढ् के बाद स्वर सहित “र” जुड़ने पर “र” पदेन के इस रूप में ( ) उनके नीचे लगता है |
    जैसे =  ट् + र = ट्र = ट्रेन, ट्रक
    ड् + र = ड्र = ड्रामा, ड्रम

नोट → “र” का यह रूप ( ) भी पदेन कहलाता है |

जैसे = त् + र = त्र
श् + र = श्र

उच्चारण के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण

  1. स्पर्शी व्यंजन → क, ख, ग, घ, ङ्, ट ठ, ड, ढ ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म
  2. संघर्षी व्यंजन → श, ष, स, ह, ख़, फ़, ज़
  3. स्पर्श – संघर्षी व्यंजन → च, छ, ज, झ
  4. नासिक्य व्यंजन → ङ्, ञ्, ण्, न्, म्
  5. पार्श्विक व्यंजन → ‘ल्’
  6. प्रकंपी व्यंजन → ‘र’
  7. उत्क्षिप्त व्यंजन → ड़, ढ़
  8. अर्धस्वर व्यंजन → य, व

उच्चारण में श्वास की मात्रा के आधार पर व्यंजन के प्रकार

(1)  अल्पप्राण
(2)  महाप्राण

(1)  अल्पप्राण→

जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु की मात्रा कम होती है उन्हें अल्पप्राण कहते हैं |
→   प्रत्येक वर्ग के पहले, तीसरे, पाँचवें व्यंजन आते हैं |
ये है – क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म
→   अंत:स्थ य, र, ल, व, भी अल्पप्राण व्यंजन है |
→   “ड़” उक्षिप्त व्यंजन

(2)  महाप्राण →

जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु की मात्रा अधिक होती है उन्हें महाप्राण कहते हैं |
→   प्रत्येक वर्ग का ‘दूसरा’ तथा चौथा व्यंजन महाप्राण व्यंजन होते है |
→   ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ
→   ऊष्म व्यंजन (श, ष, स, ह) भी महाप्राण व्यंजन होते है |

उच्चारण के आधार पर वर्णों का वर्गीकरण

हिंदी में वर्ण विचार के महत्व को स्पष्ट कीजिए - hindee mein varn vichaar ke mahatv ko spasht keejie




FAQs on Varn Vichar in Hindi Grammar Class 7 (वर्ण विचार)

प्र.1. वर्णमाला किसे कहते हैं ?    

उत्तर = वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं |

प्र.2.  वर्ण किसे कहते हैं ?    

उत्तर = किसी भाषा की छोटी – से छोटी ध्वनि जिसके टुकड़े नहीं हो सकते वर्ण कहलाती है |

प्र.3.  हिंदी वर्णमाला में कुल कितने वर्ण होते है ?     

उत्तर = 52 वर्ण

प्र.4.  हिंदी में स्वर कितने होते हैं ?        

उत्तर = 11 स्वर

प्र.5.  स्वर के कितने प्रकार होते हैं ? 

उत्तर = तीन प्रकार

प्र.6.  अयोगवाह किसे कहते हैं ?     

उत्तर = ऐसे वर्ण जिनकी गणना न तो स्वरों में और न ही व्यंजन में की जाती है, उन्हें अयोगवाह कहते हैं |

प्र.7.  हिंदी में व्यंजनों की संख्या कितनी है ?  

उत्तर = 39

प्र.8.  ऊष्म व्यंजन बताइये ?    

उत्तर = श्, ष्, स्, ह्

प्र.9.  संयुक्त व्यंजन बताइये –      

उत्तर = क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

प्र.10. द्वित्व व्यंजन किसे कहते हैं ?     

उत्तर = एक ही प्रकार के स्वर रहित व स्वर युक्त व्यंजन जब एक साथ उच्चारित किए जाते हैं तब उन्हें द्वित्व व्यंजन कहते हैं |

Hindi Vyakaran Class 7 Notes

  • Chapter 1 – भाषा, लिपि और व्याकरण
  • Chapter 2 – वर्ण विचार
  • Chapter 3 – शब्द निर्माण – उपसर्ग, प्रत्यय
  • Chapter 4 – कारक – कारक के भेद
  • Chapter 5 – विशेषण – विशेषण के भेद
  • Chapter 6 – शब्द विचार
  • Chapter 7 – क्रिया ( सकर्मक क्रिया, अकर्मक क्रिया )
  • Chapter 8 – सर्वनाम – सर्वनाम के भेद
  • Chapter 9 – लिंग – लिंग के भेद
  • Chapter 10 – मुहावरे और लोकोक्तियां
  • Chapter 11 – विराम- चिह्न
  • Chapter 12 – वाच्य – वाच्य के भेद
  • Chapter 13 – वचन – वचन के भेद
  • Chapter 14 – संधि – संधि के भेद
  • Chapter 15 – समास – समास के भेद
  • Chapter 16 – काल – काल के भेद
  • Chapter 17 – वर्तनी तथा वाक्य संबंधी अशुद्धि – शोधन
  • Chapter 18 – अव्यय – अव्यय के भेद
  • Chapter 19 – पद परिचय
  • Chapter 20 – संज्ञा – संज्ञा के भेद

 

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10 thoughts on “वर्ण विचार”

  1. Vidisha

    April 19, 2019 at 5:45 pm

    This was very helpful. Thanks

    Reply

  2. Ramkesh gurjar

    August 29, 2019 at 11:08 pm

    Thanks sir

    Reply

  3. Kanhiya

    September 5, 2019 at 9:13 pm

    This is very important

    Reply

    • ANUSHKA

      June 28, 2021 at 10:54 am

      YES

      Reply

  4. Gamer

    September 24, 2019 at 4:35 pm

    I cannot find what I want to

    Reply

    • lakshmi

      March 13, 2020 at 6:18 am

      are you sure read properly. first of all, what are you looking for??make sure you search for the right grade and subject

      वर्ण क्या है इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए?

      वर्ण की परिभाषा (Varn ki Paribhasha) ध्वनियों के वे मौलिक और सूक्ष्मतम रूप जिन्हें और विभाजित नहीं किया जा सकता है, उन्हें वर्ण कहा जाता है। वर्ण के मौखिक रूप को ध्वनि एवं लिखित रूप को अक्षर कहते हैं। जैसे – क् , ख्, ग् , अ, ए इत्यादि।

      वर्ण विचार का क्या अर्थ है?

      वर्ण विचार (varn vichar ki paribhasha) वर्ण विचार के अंतर्गत वर्णों के ध्वनि चिन्ह, उनके भेद तथा उच्चारण आदि पर विचार किया जाता है। यह हिन्दी व्याकरण का पहला भाग है जिसमे भाषा की मूल इकाई ध्वनि ,वर्ण तथा वर्णमाला इत्यादि आते हैं ।

      वर्ण विचार कितने प्रकार के होते हैं?

      Byविकास सिंह.
      वर्ण विचार की परिभाषा.
      वर्णमाला.
      वर्ण के भेद :.
      स्वर (vowel).
      स्वर के भेद : हृस्व स्वर : दीर्घ स्वर : प्लुत स्वर :.
      व्यंजन (consonant).
      व्यंजन के भेद स्पर्श व्यंजन : अंतःस्थ व्यंजन : ऊष्म व्यंजन :.

      वर्ण विचार में क्या क्या आता है?

      इसमें सभी स्वर अ से औ तक, प्रत्येक वर्ग के अंतिम तीन व्यंजन यानी ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, और अन्तःस्थ व्यंजन – य, र, ल, व तथा उष्म व्यंजन का ह आते हैं। अघोष : जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास वायु स्वर – तंत्रियों में कम्पन नहीं करती, उन्हे अघोष वर्ण कहते हैं।