विषयसूची गैस के अणुओं की गति क्या होती है?इसे सुनेंरोकेंसार रूप में यह सिद्धान्त कहता है कि गैसों का दाब उनके अणुओं के बीच के स्थैतिक प्रतिकर्षण (static repulsion) के कारण नहीं है (जैसा कि न्यूटन का विचार था), बल्कि गतिशील अणुओं के आपसी टकराव (collision) का परिणाम है। किसी आदर्श एक-परमाणवीय गैस का ताप उसके परमाणुओं की औसत गतिज उर्जा का परोक्ष मापन है। गैस का दाम क्या होगा यदि संगठन प्रत्यास्थ नहीं होते?इसे सुनेंरोकेंवास्तव में गैस के अणुओं द्वारा कब्जा कर लिया गया आयतन नगण्य रूप से छोटा होता है; गैस के आयतन का अधिकांश भाग खाली स्थान है जिसके माध्यम से गैस के अणु गतिमान होते हैं। यदि टक्कर लोचदार नहीं होगी तो प्रत्येक टक्कर के दौरान ऊर्जा की हानि होगी। नतीजतन, अणुओं की गति कम हो जाती है, और जिसके कारण ये अणु बर्तन में बस जाते हैं। एक मोनोएटोमिक गैस अणु में कितने डिग्री स्वतंत्रता होती है? इसे सुनेंरोकेंएक परमाणुक गैस (Monoatomic GAS) : किसी एक परमाणुक गैस के कण स्वतंत्र आकाश में किसी एक दिशा में या एक अक्ष पर गति कर सकता है , अत: इस गैस के कण तीन संभव दिशाओ में गति कर सकते है (x,y,z अक्ष ) में। इसलिए एक परमाणुक गैस की स्वतंत्रता की कोटि तीन होती है। किसी गैस की एक मोल की गतिज ऊर्जा कितनी होती है? इसे सुनेंरोकेंचूंकि गैस अणुओं की गतिज ऊर्जा है= 3 2 n R T , गतिज ऊर्जा और आंतरिक ऊर्जा (U), T के समान आनुपातिक है । गैस के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल का मान कितना होता है?इसे सुनेंरोकेंअणुओं का औसत वेग एक मोल गैस के लिये (गैस के अणुओं का ‘डिग्री ऑफ फ्रीडम’ ३ होता है।) गैस बर्तन को पूर्णता क्यों भर देती है?इसे सुनेंरोकेंउत्तर: गैस के कणों के बीच अत्यधिक रिक्त स्थान होता है और कणों की गतिज ऊर्जा भी अत्यधिक होती है। इसलिए गैस को जिस बर्तन में रखते हैं गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है। गैस के कोनों के बीच आकर्षण बल क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंआकर्षण बल का अन्तरा- अणुक आकर्षण या संसंजक बल कहते हैं। यह बल. द्रव्य की भौतिक अवस्था में परिवर्तन के साथ परिवर्तित होता है। ठोस तथा द्रव्य अवस्था में अणुओं के बीच पर्याप्त अन्तरा-अणुक बल कार्य करता है, जबकि गैस अवस्था में अणुओं के बीच दूरी बहुत अधिक होती है, अतः अन्तरा-अणुक बल बहुत कम होता है। सब्सक्राइब करे youtube चैनल (kinetic theory of gases in hindi) गैस का अणुगति सिद्धांत , गैसों का अणुगति सिद्धान्त : क्या आप बता सकते है कि पानी अधिक ऊंचाई पर और अधिक तेजी से उबलता है तथा घर के किसी कमरे में जल रही मोमबत्ती की खुशबु , पूरे मकान के कैसे फ़ैल जाती है ? कुछ ऐसे ही दिनचरिया वाले सवालों का जवाब हमें गैस के अणुगति सिद्धांत से
प्राप्त होता है। इस सिद्धांत को गतिशील-आणविक सिद्धांत भी कहते है जो हमें आदर्श गैस के व्यवहार को विस्तार से बताता है अर्थात आदर्श गैस के व्यवहार की विस्तार से व्याख्या करता है। गैसों का अणुगति सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक गैस अनेक प्रकार के सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी होती है और इन कणों को अणु कहते है , गैस के कणों के मध्य लगने वाला बल अन्तराण्विक बल होते है , ये अन्तराण्विक बल प्रकृति में बहुत कमजोर होते है और चूँकि कणों के मध्य लगने वाला यह अन्तराण्विक बल बहुत दुर्बल
होता है अत: ये कण सभी दिशाओं में स्वतंत्र रूप से गति करते है और कणों की इस स्वतंत्र गति के कारण ये कण कभी आपस में टकराते है और कभी दीवारों से टकराते है और इस प्रकार इन कणों की गति चलती रहती है। इसी सिद्धांत के आधार पर गैस के दाब को , कणों द्वारा कंटेनर की दीवारों पर टकराव द्वारा समझाया गया और गैस के अणुगति सिद्धांत के आधार पर ही यह बताया गया कि अलग अलग आकार वाले कणों की गति अलग अलग होती है और ऐसा क्यों होता है। इस सिद्धांत में गैसों से सम्बंधित
कुछ परिकल्पनाएं दी गयी जो निम्न प्रकार है – 1. प्रत्येक गैस बहुत ही सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी होती है और इन कणों को अणु कहते है , गैस के कण अनियमित गति करते रहते है। 2. गैस के कण तब तक सीधी रेखा में गति करते रहते है जब तक कि ये कण किसी अन्य कणों से या दिवार से न टकरा जाए , क्यूंकि टकराने के बाद ये अपनी दिशा बदल लेते है। 3. आदर्श गैस के कण आकार में एक समान होते है , तथा आकृति में गोलाकार होते है जिनका आकर बहुत ही सूक्ष्म होता है। 4. इन कणों को बिंदु द्रव्यमान के समान और आयतन हिन माना जाता है , इनका आकार , कणों के मध्य दूरी की तुलना में नगण्य होता है और यही कारण होता है कि हम आदर्श गैस में कणों के आकार को नजरअंदाज करते है। 5. गैस के अणुओं के मध्य किसी भी प्रकार का आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल नही पाया जाता है , कहने का अभिप्राय है कि गैस के कणों के मध्य किसी प्रकार की कोई क्रिया नहीं होती है अर्थात सम्पूर्ण गतिज उर्जा का मान आंतरिक ऊर्जा के रूप में होती है। 6. गैस दाब का कारण , गैस के कणों का दिवार से टकराव होता है और ये टक्कर पूर्ण रूप से प्रत्यास्थ टक्कर होती है अर्थात इन टक्करों के दौरान किसी भी प्रकार की ऊर्जा ही हानी नहीं होती है और न ही ऊर्जा ग्रहण की जाती है। 7. टक्कर का समय , दो टक्करों के मध्य लगे समय की तुलना में बहुत कम होता है अर्थात टक्कर बहुत कम समय के लिए होती है। 8. किसी गैस की गतिज ऊर्जा का मापन , ताप को केल्विन के रूप में मापकर किया जाता है। हर गैस के कणों की गति अलग अलग हो सकती है लेकिन इन कणों की गति और ताप के आधार पर ऊर्जा का मापन औसत मान को बताता है। 9. किसी गैस की औसत गति का मान ताप पर निर्भर करता है , ताप का मान जितना अधिक बढाया जाता है गैस के कणों की गतिज ऊर्जा का मान बढ़ता है और गैस के कणों की गति का मान भी बढ़ता है। 10. सभी गैसें एक निश्चित ताप पर समान औसत गतिज ऊर्जा रखती है। 11. गैस के कण जितने हल्के होते है वो उतनी ही अधिक तेजी से गति कर सकते है और भारी गैस के कण धीरे गति करते है। 12. इस नियम में न्यूटन के गति के नियमों (न्यूटन का नियम) की पालना होती है। गैस के कणों के बीच आकर्षण बल कितना होता है?उपरोक्त तीनों क्रियाकलाप सुझाते हैं कि पदार्थ के कणों के बीच एक बल कार्य करता है। यह बल कणों को एक साथ रखता है। इस आकर्षण बल का सामर्थ्य प्रत्येक पदार्थ में अलग-अलग होता है।
एक ही पदार्थ के अणुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल को क्या कहा जाता है?सही उत्तर ससंजक बल है। एक ही प्रकार के अणुओं के बीच लगने वाले आकर्षण बल को संसजन बल कहते हैं।
गैस के अणुओं की गति कौनसी होती है?किसी आदर्श एक-परमाणवीय गैस का ताप उसके परमाणुओं की औसत गतिज उर्जा का परोक्ष मापन है। इस एनिमेशन में गैस के परमाणुओ, उनके बीच की दूरी एवं परमाणुओं के चाल को वास्तविक मान से कम या ज्यादा रखा गया है ताकि देखकर समझने में सुविधा हो।
गैसों के गतिज सिद्धांत की मान्यताएं क्या हैं?" गैस के अणु की माध्य गतिज ऊर्जा",(e) (1)/(2)mv^(2)):}. `
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