बड़े भाई कौन सी कक्षा में पढ़ते थे? - bade bhaee kaun see kaksha mein padhate the?

इसे सुनेंरोकेंभाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती।

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बड़े भाई साहब पढ़ते पढ़ते कैसे चित्रकारी करते थे?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कापी, किताब के हाशियों पर जानवरों-पक्षियों के चित्र बनाया करते थे। प्रश्न 3.

बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वह कौन सी कक्षा में पढ़ते थे?

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इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 4: बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे? उत्तर: बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में पाँच साल बड़े थे परन्तु केवल तीन कक्षा आगे थे। लेखक पाँचवी कक्षा में और बड़े भाई साहब नवीं कक्षा में थे।

लेखक बड़े भाई साहब के सामने चुप क्यों रह जाता था?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर : लेखक बड़े भाई साहब के सामने इसलिए रह जाते थे , क्योंकि वह उनसे डरते थे | लेखक पढ़ाई की और कम ध्यान देते थे | सारा दिन खेलने में व्यतीत करते थे | जैसे ही वह खेलकर अंदर आते थे , वैसे ही बड़े भाई साहब , लेखक से उनका पहला सवाल यह होता -‘कहाँ थे’?

घड़ीसाज़ी का इम्तहान पास करने से लेखक का क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंजो व्यक्ति घड़ी के विषय में हर प्रकार की जानकारी प्राप्त कर चुका होता है। उसे बड़ी सरलतापूर्वक खोल तथा वापस जोड़ सकता है, वही घड़ीसाज़ी का इम्तहान पास करता है। इस इम्तहान को पास करने के बाद वह घड़ीसाज़ कहलाता है। ऐसे मनुष्य को यदि घड़ी ठीक करने को दी जाए, तो वह उसे ठीक करने का समार्थ्य रखता है।

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िेिक बडे भाई साहब के सामिे चुप क्यों रह जाता था?

इसे सुनेंरोकेंमेरा मौन कह देता था कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है और भाई साहब के लिए इसके सिवा और कोई इलाज न था कि स्नेह और रोष से मिले हुए शब्दों में मेरा सत्कार करें। ‘इस तरह अंग्रेजी पढ़ोगे, तो जिंदगी-भर पढ़ते रहोगे और एक हर्फ़ न आयेगा।

इसे सुनेंरोकेंबड़े भाई ने छोटे भाई को प्रभावित करने के लिए अनुभव और बड़प्पन का महत्त्व समझाया। उसने बताया कि आदमी को तजुर्बे से समझ आती है, पढ़ने-लिखने से नहीं। इसके लिए उसने अपनी अम्माँ और दादा का उदाहरण दिया। वे कम पढ़-लिखकर भी उम्र के कारण अधिक समझदार हैं।

बड़े भाई छोटे भाई पर शासन करने के लिए कौन कौन से युक्तियां अपनाता है?

इसे सुनेंरोकें►बड़े भाई साहब छोटे भाई पर अपना दबदबा बनाए रखने के लिए तरह-तरह की युक्तियां अपनाते थे। वे अपने बड़े भाई का बड़प्पन दिखाते थे। वह छोटे भाई को तरह-तरह के उदाहरण देकर परिश्रम करने की सीख दिया करते थे। वह अनेक तरह के उदाहरणों द्वारा छोटे भाई को को जीवन की व्यवहारिकता समझाया करते थे।

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- भाई साहब पढ़ाई के प्रति घोर परिश्रम करते थे, परंतु एक-एक कक्षा में दो-दो या तीन-तीन साल लगाते थे। इसके बाद भी उनकी सहज बुद्धि बड़ी तेज़ थी। भाई साहब के फेल होने और छोटे भाई के पास होने से उसमें अभिमान की भावना बलवती हो गई। वह आज़ादी से खेलकूद में शामिल होने लगा।

छोटे भाई को क्या शौक था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: छोटे भाई को खेलना बहुत पसंद था। वह हर समय खेलता रहता था। बड़े भाई साहब इस बात पर उसे बहुत डांटते रहते थे।

बड़े भाई साहब छोटे भाई से कितने दरजे आगे थे?

इसे सुनेंरोकेंबड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे? बड़े भाई साहब लेखक से उम्र में 5 साल बड़े थे। वे नवीं कक्षा में पढ़ते थे। प्रश्न 5.

बड़े भाई के फेल होने का क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंबड़े भाई साहब ने देखा कि उनके फेल होने और खुद के पास होने से लेखक के मन में घमंड हो गया है। उसका घमंड दूर करने के लिए उसने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण चक्रवर्ती राजा था, जिसे संसार के अन्य राजा कर देते थे। बड़े-बड़े देवता भी उसकी गुलामी करते थे।

इसे सुनेंरोकेंभाई साहब पढ़ाई के प्रति घोर परिश्रम करते थे, परंतु एक-एक कक्षा में दो-दो या तीन-तीन साल लगाते थे।

बड़े भाई साहब पाठ में अंग्रेज़ी के बारे में क्या बताया गया है?

इसे सुनेंरोकेंSolution. बड़े भाई साहब लेखक के सामने अंग्रेजी की कठिनता का भयावह चित्र खींचते हुए कहते, ”इस तरह अंग्रेज़ी पढ़ोगे तो जिंदगी भर पढ़ते रहोगे और एक हर्फ़ न आएगा। अंग्रेजी पढ़ना कोई हँसी-खेल नहीं है, जिसे हर कोई पढ़ ले। इसके लिए दिन-रात एक करना पड़ता है।

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अपनी बहन को तंग कैसे करें?

इसे सुनेंरोकेंआपके सहोदर से नजरें बचा कर उसकी प्लेट से खाना उठा लें: खाना खाते समय आप उसकी प्लेट से चुपचाप से खाने की कोई चीज उठा लें और जब तक उसे पता न चल जाये आप शांत बैठे रहें | जब वह बोले कि कहाँ है मेरा खाना, तो आप ऐसे नाटक करें कि आपको कुछ पता ही नहीं वह क्या बोल रहा है | यदि उसे पता नहीं चल पाता है, तो आप कहें “अरे जरा धीरे …

बड़े भाई साहब ने निबंध का क्या विषय बताया?

इसे सुनेंरोकेंबड़े भाई साहब ने समूची शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि ये शिक्षा अंग्रेजी बोलने, लिखने, पढ़ने पर ज़ोर देती है। आए या न आए पर उस पर बल दिया जाता है। रटने की प्रणाली पर भी ज़ोर है। अर्थ समझ में आए न आए पर रटकर बच्चा विषय में पास हो जाता है।

लेखक की उम्र कितनी थी?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: समृति पाठ में घटना के समय लेखक की उम्र 14 वर्ष थी।

हेड मास्टर साहब को कितनी तनख्वाह मिलती थी?

इसे सुनेंरोकेंउन्होंने हेड मास्टर की माँ का उदाहरण देकर कहा कि हेड मास्टर के पास इतनी बड़ी डिग्री थी। ₹1000 महीना कमाते भी थे, लेकिन वह अपने घर का खर्चा भली-भांति नहीं चला पाते और हमेशा कर्ज में डूबे रहते।

बड़े भाई साहब को अध्ययनशील कहना कहाँ तक उचित है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: बड़े भाईसाहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य किया है उनके अनुसार वर्तमान शिक्षा प्रणाली में रटंत विद्या पर बल दिया जाता है, व्यावहारिक ज्ञान पर नहीं । अंग्रेजी भाषा पढ़ने पर बहुत अधिक बल दिया जाता है जबकि मातृभाषा हिंदी है । इसके अतिरिक्त अलजबरा और ज्योमेट्री के तर्क उनकी समझ से परे थे ।

बड़े भाई साहब कौन सी कक्षा में थे?

Answer: बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में पाँच साल बड़े थे परन्तु केवल तीन कक्षा आगे थे। लेखक पाँचवी कक्षा में और बड़े भाई साहब नवीं कक्षा में थे

बड़े भाई साहब को एक कक्षा उत्तीर्ण करने में कितने वर्ष लगते थे?

पाठ के कथानक के अनुसार बड़े भाई साहब छोटे भाई से पाँच साल उम्र में बड़े थे, वे केवल तीन दरजे आगे थे। वे पढ़ाई के विषय को महत्त्वपूर्ण मानते थे और उसमें जल्दबाजी से काम लेना पसंद नहीं करते थे। शिक्षा रूपी भवन की नींव पक्की करने के इरादे से एक साल का काम दो साल में करते थे अर्थात् एक कक्षा दो साल में उत्तीर्ण करते थे

बड़े भाई साहब कहानी का नायक कौन है क्यों?

पूरी कथा दोनो भाइयों के इर्द -गिर्द घूमती है। मेरे अनुसार कथा के नायक बड़े भाई साहब है क्योंकि पाठ का नाम ही उनके नाम पर रख गया है। पाठ के अंतर्गत उन पर अपने छोटे भाई की जिम्मेदारी और उसके रख-रखाव का बोझ है। भाईसाहब पूरी कथा में चुंनोतियों से जूझते रहते ह और हर कक्षा में दो से तीन साल बीत देते है।

बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन सौ कक्षा में पढ़ते थे?

एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था। भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती । पर नंगी तलवार लटकना, आड़े हाथों लेना, अंधे के हाथ बटेर लगना, लोहे के चने चबाना, दाँतों पसीना आना, ऐरा - गैरा नत्थू खैरा।