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भारत में ग्रामीण विकास क्यों आवश्यक है?इसे सुनेंरोकेंविभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का उद्देश्य गरीबी दूर करना है। इसके लिए कोष को अधिक से अधिक बढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है। बेहतर परिणामों के लिए बुनियादी स्तर पर कुछ परिवर्तन लाना आवश्यक है। ग्रामीण विकास की क्या आवश्यकता है?इसे सुनेंरोकेंग्रामीण विकास का अर्थ लोगों का आर्थिक सुधार और बड़ा समाजिक बदलाव दोनों ही है। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लोगों का बढ़ी हुई भागीदारी, योजनाओं का विकेन्द्रीकरण, भूमि सुधारों को बेहतर तरीके से लागू करना और ऋण की आसान उपलब्धि करवाकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य होता है। ग्रामीण समाज का क्या महत्व है? इसे सुनेंरोकेंग्रामीण समाज की प्रथाएं, रूढ़ियां एवं नियम सभी इसके अंतर्गत आते हैं। ग्रामीण समाज का ढांचा अपनी मौलिकता पर आधारित है इसलिए इस मौलिकता के अध्ययन का विशेष महत्व है। इसमें कुटुंबिक जीवन का अध्यय,न वैवाहिक प्रथा तथा सामाजिक असंतोष का अध्ययन सम्मिलित है। नगरीय जीवन की तुलना में ग्रामीण जीवन की विशेषताओं का अध्ययन करना। ग्रामीण विकास से संबंधित प्रमुख मुद्दा क्या है? इसे सुनेंरोकेंग्रामीण विकास से सम्बद्ध मुद्दे ग्रामीण विकास एक बहुआयामी प्रक्रिया है। भारत में ग्रामीण विकास केअबतक के प्रयास के बावजूद कुछ समस्यायें बनी हुर्इ हैं, जैसे- पर्यावरण का क्षरण,अशिक्षा/ निरक्षरता, निर्धनता, ऋणग्रस्तता, उभरती असमानता, इत्यादि। गांव के विकास के लिए क्या करे?इसे सुनेंरोकेंभारत देश की आजादी के बाद से कृषि के विकास के साथ-साथ ग्राम-विकास की गति भी बढ़ी. आज भारत के अधिकांश गांवों में पक्के मकान पाए जाते है. लगभग सभी किसानों के पास खेती के साधन है. बहुत से किसानों ने नई तकनीकि को अपनाया और आज उनके पास कृषि में उपयोग किये जाने वाले यंत्र भी पाए जाते है. ग्रामीण समाज क्या है इसकी विशेषता लिखिए?इसे सुनेंरोकेंग्रामीण लोग जीवन यापन के लिए प्रकृति पर निर्भर होते हैं। इनके प्रमुख कार्य कृषि आधारित व्यवसाय, पशुपालन, शिकार, मछली मारना और भोजन की व्यवस्था करना आदि होते हैं। भूमि जंगल, मौसम आदि प्रकृति के अंग होते हैं और वे दशाएँ ग्रामीण जीवन को प्रभावित करती है। ग्रामीण समाज से आप क्या समझते हैं? इसे सुनेंरोकेंसेंडरसन एक ग्रामीण समुदाय में स्थानीय क्षेत्र के लोगों की सामाजिक अंतःक्रिया और उनकी संस्थाएं शामिल होती है जिसमें वह खेतों के चारों ओर व बिखरी झोपड़ियाँ तथा पुरवा अथवा ग्रामों में रहती है और जो उनके सामान्य क्रियाकलापों का केंद्र है। ग्रामीण ऋणग्रस्तता से आप क्या समझते है? इसे सुनेंरोकेंआय व निर्धनता ग्रामीण ऋणग्रस्तता का सबसे प्रमुख व महत्वपूर्ण कारण ग्रामीण क्षेत्रों में आय का कम होना एवं उनके पास विपदा के लिए कोई कोष न होना हैं। इसका परिणाम यह होता है कि असाधारण विपदा में ऋण लेना पड़ता है, जिसकों वे अपनी कम आय होने के कारण लौटा नहीं पाते हैं और सदा ऋणग्रस्त बने रहते हैं । ग्रामीण विकास क्यों जरूरी है?इसे सुनेंरोकेंग्रामीण आय के वितरण की असमानता को कम करना व ग्रामीण और शहरी आय और आर्थिक अवसरों मे असमानता को दूर करना। ग्रामीण विकास से तात्पर्य बुनियादी सुविधाएं जैसे– भोजन, आवास, वस्त्र, पेयजल, चिकित्सा, शिक्षा, सिंचाई के साधन, पक्की सड़क इत्यादि मुहैया कराकर उनके जीवन स्तर को सुधारना है। ग्रामीण विकास की मुख्य योजनाओं के ग्रामीण समाज पर क्या प्रभाव दिखाई दे रहे है?इसे सुनेंरोकेंग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लोगों का बढ़ी हुई भागीदारी, योजनाओं का विकेन्द्रीकरण, भूमि सुधारों को बेहतर तरीके से लागू करना और ऋण की आसान उपलब्धि करवाकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य होता है। प्रारंभ में, विकास के लिए मुख्य जोर कृषि, उद्योग, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और संबंधित क्षेत्रों पर दिया गया था। ग्रामीण केंद्रित विकास अवधारणा की आवश्यकता
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में ग्रामीण केंद्रित विकास अवधारणा की आवश्यकता व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। संदर्भपिछले एक दशक में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवासन तेज़ी से हुआ है। इस तथ्य में किसी भी प्रकार की शंका नहीं है, परंतु एक सत्य यह भी है कि वैश्विक महामारी COVID-19 के दौरान भारत में रिवर्स माइग्रेशन (महानगरों और शहरों से कस्बों तथा गाँवों की ओर होने वाला प्रवासन) भी व्यापक पैमाने पर हुआ है। भारत में चार श्रमिकों में से अनिवार्य रूप से एक प्रवासी है। प्रवासी श्रमिकों की संख्या में प्रमाणिक आँकड़ों की कमी, उनके रहने और काम करने की स्थिति और आजीविका की संभावनाओं में स्थाई अनिश्चितता को इस महामारी ने विमर्श के केंद्र में ला दिया है। ग्रामीण विकास को गति देने के लिये बेहतर बुनियादी ढाँचे के विकास की आवश्यकता है। बुनियादी ढाँचा किसी भी देश की प्रगति और आर्थिक विकास के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है और किसी राष्ट्र की प्रगति की परख उसके बुनियादी ढाँचे की गुणवत्ता से होती है। बुनियादी ढाँचा निजी और सार्वजनिक, भौतिक और सेवाओं संबंधी और सामाजिक व आर्थिक किसी भी तरह का हो सकता है। आर्थिक बुनियादी ढाँचे के अंतर्गत परिवहन, संचार, बिजली, सिंचाई और इसी तरह की अन्य सुविधाएँ शामिल हैं। जबकि सामाजिक अवसंरचना के अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वच्छता, आवास आदि आते हैं। इन क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ बुनियादी ढाँचे के विकास से निवेश दक्षता में वृद्धि होती है, विनिर्माण में प्रतिस्पर्धात्मकता आती है और निर्यात, रोज़गार, शहरी व ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिलता है तथा ग्रामीण विकास व जीवन की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ देश को अनेक लाभ मिलते हैं। पृष्ठभूमि
आत्मनिर्भर ग्राम की संकल्पना
आत्मनिर्भर ग्राम की संकल्पना में गिरावट के कारण
ग्रामीण केंद्रित विकास के मानक
ग्रामीण विकास में ‘पुरा’ की अवधारणा
श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन
निष्कर्षभारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति काफी चिंताजनक है। ऐसे में सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का महत्त्व काफी बढ़ जाता है। अभी भी स्वच्छ प्रकृति, सामाजिक सदभाव, कम व्यय क्षमता के कारण गाँवों की प्रासंगिकता बरकरार है। यदि सरकार द्वारा मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति की जाए तो ग्रामसभाएँ आज शहरों की अपेक्षा अधिक प्रासंगिक होंगी। प्रश्न- आत्मनिर्भर ग्राम की संकल्पना क्या है? इस संकल्पना में गिरावट के कारणों का उल्लेख करते हुए ग्रामीण केंद्रित विकास के मानकों पर चर्चा कीजिये। भारत में ग्रामीण विकास क्यों आवश्यक है?ग्रामीण विकास का अर्थ लोगों का आर्थिक सुधार और बड़ा समाजिक बदलाव दोनों ही है। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लोगों का बढ़ी हुई भागीदारी, योजनाओं का विकेन्द्रीकरण, भूमि सुधारों को बेहतर तरीके से लागू करना और ऋण की आसान उपलब्धि करवाकर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का लक्ष्य होता है।
ग्रामीण विकास के मुख्य मुद्दे क्या है?ग्रामीण विकास से सम्बद्ध मुद्दे ग्रामीण विकास एक बहुआयामी प्रक्रिया है। भारत में ग्रामीण विकास केअबतक के प्रयास के बावजूद कुछ समस्यायें बनी हुर्इ हैं, जैसे- पर्यावरण का क्षरण,अशिक्षा/ निरक्षरता, निर्धनता, ऋणग्रस्तता, उभरती असमानता, इत्यादि।
भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रामीण विकास का क्या महत्व है?ग्रामीण विकास ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन और आर्थिक कल्याण की गुणवत्ता में सुधार करने की प्रक्रिया है,खासकर अपेक्षाकृत पृथक और कम आबादी वाले क्षेत्र। ग्रामीण विकास कार्यों का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाना है।
भारत में ग्रामीण विकास कब शुरू हुआ?सामुदायिक विकास कार्यक्रम ग्रामीण लोगों के समग्र विकास के उद्देश्य से शुरू किया गया एक बहु-परियोजना कार्यक्रम था। इसे 2 अक्टूबर 1952 को शुरू किया गया था। इसे भारत में पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान लागू किया गया था।
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