अपनी किसी एक यात्रा से प्राप्त अनुभव के अनुसार एक यात्रा वृत्तांत लिखें। - apanee kisee ek yaatra se praapt anubhav ke anusaar ek yaatra vrttaant likhen.

(1) प्रस्तावना, (2) यात्रा की तैयारी और प्रस्थान, (3) मार्ग के दृश्य, (4) वांछित स्थान पर पहुँचना और वहाँ के दर्शनीय स्थलों का वर्णन, (5) वापसी, (6) उपसंहार ।


प्रस्तावना- प्रायः हर व्यक्ति के जीवन में एक निश्चित दिनचर्या बन जाया करती है। वह एक बँधी बँधाई दिनचर्या के अनुसार कार्य करते रहने पर कभी-कभी ऊब जाता है और अपने जीवन-चक्र में बदलाव चाहता है। हर प्रकार के परिवर्तन के लिए यात्रा का अत्यधिक महत्त्व है। यात्रा अथवा नये स्थानों पर भ्रमण से व्यक्ति के जीवन में आयी नीरसता समाप्त हो जाती है और वह अपने अन्दर एक नया उत्साह पाता है। इतना ही नहीं, इन यात्राओं से व्यक्ति के अन्दर आत्मविश्वास और साहस उत्पन्न होता है। इससे विभिन्न व्यक्तियों के बीच आत्मीयता भी बढ़ती है और हमारे व्यावहारिक ज्ञान की वृद्धि होती है।


यात्रा की तैयारी और प्रस्थान- मई का महीना था। हमारी परीक्षाएँ अप्रैल में ही समाप्त हो चुकी थीं। मेरे कुछ साथियों ने आगरा घूमने का कार्यक्रम बनाया। मैंने अपने पिताजी और माताजी से इसके लिए स्वीकृति ले ली और विद्यालय के माध्यम से रियायत प्राप्त करके रेलवे के आरक्षित टिकट बनवा लिये थे। सभी साथी अपना-अपना सामान लेकर मेरे यहाँ एकत्रित हो गये। घर से सभी छात्र एक थ्री-व्हीलर द्वारा स्टेशन पहुँचे। प्लेटफॉर्म पर बहुत भीड़ थी। कुछ समय के पश्चात् गाड़ी आयी। हमने अपना सामान गाड़ी में चढ़ाया। प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने वालों की आवाजों से बहुत शोर हो रहा था, तभी गाड़ी ने सीटी दे दी। गाड़ी के चलने पर ठण्डी हवा लगी तो सभी को राहत मिली।


मार्ग के दृश्य- हम सभी अपनी-अपनी सीटों पर बैठ चुके थे। डिब्बे में इधर-उधर निगाह घुमायी तो देखा कि कुछ लोग बैठे हुए ताश खेल रहे हैं, तो कोई उपन्यास पढ़कर मन बहला रहा है। कुछ लोग बैठे हुए ऊँघ रहे थे। मैं भी अपने साथियों के साथ गपशप कर रहा था। खिड़की से बाहर झाँकने पर मुझे पेड़-पौधे तथा खेत-खलिहान पीछे की ओर दौड़ते नजर आ रहे थे। सभी दृश्य बड़ी तेजी से पीछे छूटते जा रहे थे। गाड़ी छोटे-बड़े स्टेशनों पर रुकती हुई अपने गन्तव्य की ओर निरन्तर बढ़ती ही जा रही थी। हमने कुछ समय ताश खेलकर बिताया। साथ लाये भोजन और फल मिल-बाँटकर खाते-पीते हम सब यात्रा का पूरा आनन्द ले रहे थे।


एक स्टेशन पर गाड़ी रुकते ही अचानक कानों में आवाज पड़ी कि 'पेठा, आगरे का मशहूर पेठा'। हम सब अपना-अपना सामान सँभालते हुए नीचे उतरे।


वांछित स्थान पर पहुँचना और वहाँ के दर्शनीय स्थलों का वर्णन-हम सभी साथी एक धर्मशाला में जाकर ठहर गये। धर्मशाला में पहुँचकर हमने मुँह-हाथ धोकर अपने को तरोताजा किया। शाम के सात बज चुके थे। इसलिए हम लोग शीघ्र ही भोजन करके धर्मशाला के आस-पास ही घूमने के लिए निकल गये। दिन 11.00 बजे दिन में हम लोग सिटी बस द्वारा ताज देखने के लिए चल दिये। भारत के गौरव और संसार के गिने-चुने आश्चयों में से एक ताजमहल के अनूठे को देखकर हम सभी स्तम्भित रह गये। श्वेत संगमरमर पत्थरों से निर्मित ताज दिन में भी शीतल की वर्षा करता प्रतीत हो रहा था। ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट् ने अपनी बेगम महल की स्मृति में कराया था। यह एक सफेद संगमरमर के ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है। 


इस चबूतरे के चारों कोनों पर चार मीनारें बनी हुई हैं। मुख्य इमारत इस चबूतरे के बीचों-बीच बनी हुई है। इमारत के ऊपरी भाग में चारों ओर कुरान की आयतें खुदी हुई हैं। इस इमारत के चारों ओर सुन्दर बगीचे बने हुए हैं, जो इसके सौन्दर्य में चार चाँद लगा रहे हैं। वास्तव में यह भारतीय और यूनानी शैली में बनी अद्वितीय और अनुपम इमारत है, जिसे देखने के लिए दुनिया के विभिन्न भागों से प्रति वर्ष लाखों व्यक्ति आते हैं।


दूसरे दिन हमने आगरे का लाल किला तथा दयाल बाग देखने का कार्यक्रम बनाया। इन भवनों के अपूर्व सौन्दर्य ने हम सबका मन मोह लिया। आगरे का लाल किला सम्राट् अकबर द्वारा बनवाया गया है। इस विशाल किले को देखने के लिए वैसे तो कई दिन भी कम हैं, किन्तु हम लोगों ने जल्दी-जल्दी इसके तमाम महत्त्वपूर्ण स्थलों को देखा। यहीं से हम लोग बस द्वारा दयाल बाग पहुँच गये। यहाँ पर राधास्वामी मत वाले एक इमारत का निर्माण पिछले कई वर्षों से करवा रहे हैं, पर अभी भी यह अधूरी ही है। इस इमारत की भव्यता और सौन्दर्य को देखकर यह कहा जा सकता है कि जिस समय यह पूर्ण होगी, निश्चित ही स्थापत्य कला का एक अनुपम उदाहरण होगी।


वापसी—आगरा की आकर्षक और सजीव स्मृतियों को मन में सँजोये, पेठे और नमकीन की खरीदारी कर तथा काँच के चौकोर बक्से में बन्द ताज की अनुकृति लिये हुए हम लोग वापस लौटे। इस प्रकार हमारी यह रोचक यात्रा सम्पन्न हुई।


उपसंहार—घर लौट आने पर मैं प्रायः सोचता कि कूप-मण्डूकता के विनाश के लिए समय-समय पर प्रत्येक व्यक्ति को विविध स्थलों की यात्रा अवश्य करनी चाहिए; क्योंकि इससे कल्पना और यथार्थ का भेद समाप्त होता है और जीवन की वास्तविकता से साक्षात्कार भी होता है। आगरा की यात्रा ने मुझे ढेर सारे नवीन अनुभवों तथा प्रत्यक्ष ज्ञान से साक्षात्कार कराया है।

Travelogue Yatra Vritant In Hindi यात्रा वृतांत का परिचय क्या है तत्व विशेषताएँ अर्थ स्वरूप: पिछले कई लेखों में हमने फीचर, डायरी, निबंध लेखन के बारे में जाना हैं. आज हम हिंदी के यात्रा वृतांत के सम्बन्ध में जानकारी देते हैं ये क्या होता है किसे कहते  हैं अर्थ मीनिंग परिभाषा आदि को समझेगे.

यात्रा वृतांत का परिचय विशेषताएँ अर्थ Travelogue Yatra Vritant In Hindi

Contents show

1 यात्रा वृतांत का परिचय विशेषताएँ अर्थ Travelogue Yatra Vritant In Hindi

1.1 क्या है यात्रा वृतांत का परिचय (travelogue meaning in hindi)

1.2 यात्रा वृतांत का परिचय (What is the introduction of the travel story)

1.3 हिंदी का यात्रा वृतांत साहित्य (Hindi travel memoirs literature)

1.4 Read More

क्या है यात्रा वृतांत का परिचय (travelogue meaning in hindi)

यात्रा करना मानव की मूल प्रवृत्ति हैं. हम अगर मानव इतिहास पर नजर डाले तो पाएगे कि मनुष्य के विकास की यात्रा में यात्रा का महत्वपूर्ण योगदान हैं. वह अपने जीवन काल मे मानव कोई न कोई यात्रा के लिए कहीं न कहीं अवश्य जाया करता हैं.

मगर कुछ साहित्य पसंद व्यक्ति अपनी यात्रा के अनुभव व ज्ञान को पाठकों के लिए कलमबद्ध कर यात्रा साहित्य में अपना योग दान देते हैं. यात्रा वृतांतों के लेखन का मूल उद्देश्य लेखक द्वारा यात्रा किये गये स्थल के सम्बन्ध में जानकारी देकर उन्हें भी ट्रेवल के लिए आकर्षित करना होता हैं.

लेखक अपने यात्रा वर्णन में अमुक स्थान की प्राकृतिक विशिष्ठता, सामाजिक संरचना, समाज, लोगों के रहन सहन संस्कृति, स्थानीय भाषा, आगंतुकों के प्रति उनकी सोच व विचारों को अपने साहित्य में स्थान देता हैं. एक सच्चे यात्री के सम्बन्ध में कहा गया हैं कि उस यायावर की कोई मंजिल नहीं होती हैं.

वह मन की तरंगों के कथनानुसार आगे बढ़ता जाता हैं तथा राह की कठिनाइयों में आनन्द की अनुभूति को खोजता हैं. हिंदी के विद्वान् यायावर लेखक राकेश मोहन यात्रा के सम्बन्ध में कहते हैं कि यात्रा व्यक्ति को तटस्थ नजरियाँ देती हैं. जो हमें दैनिक जीवन में देखने को नहीं मिलती हैं. एक नयें वातावरण में जाकर व्यक्ति कुंठा मुक्त हो जाता हैं अपने निकट वातावरण के दवाब से मुक्त होकर, नयें स्थानों, नयें लोगों से सम्बन्ध स्थापित करता हैं.

यात्रा वृतांत का परिचय (What is the introduction of the travel story)

यात्रावृत लेखन की दिशा में भी भारतेंदु युग के अनेक लेखकों ने योग दिया. भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने यात्रावृत विषयक अनेक रचनाएं रखी, जो कविवचनसुधा के अंकों में प्रकाशित हुई. इनमें सरयू पार की यात्रा, लखनऊ की यात्रा और हरिद्वार की यात्रा उल्लेखनीय हैं.

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इन यात्रा वृतांतों की भाषा व्यंग्य पूर्ण हैं और शैली बड़ी रोचक और सजीव हैं. बालकृष्ण भट्ट ने गया यात्रा और प्रताप नारायण मिश्र ने विलायत यात्रा नामक रचनाएँ लिखी. श्रीमती हरदेवी ने बम्बई से लंदन तक की जहाजी यात्रा का विस्तृत विवरण दिया हैं. भगवानदास वर्मा ने तुलनात्मक शैली का आश्रय लेते हुए लखनऊ और लन्दन की समानताएं प्रकट की हैं.

भारतेंदु युग में विदेश यात्रा सम्बंधी वर्णनों में लन्दन को प्रमुखता मिली है तो स्वदेश यात्रा सम्बन्धी वर्णनों में तीर्थ स्थानों को. यात्रा वृतांत हिंदी साहित्य के हर युग में लिखे गये. द्वेदी युग में भी लिखे गये. स्वामी मंगलानन्द ने मारीशस यात्रा और श्रीधर पाठक ने देहरादून शिमला यात्रा, उमा नेहरु ने युद्ध क्षेत्र की सैर और लोचनप्रसाद पाण्डेय  हमारी यात्रा नामक यात्रा वृतांत लिखे.

इस युग के अन्य साहित्यकारों में देवीप्रसाद खत्री, गोपालराम, गहमरी, गदाधर सिंह, स्वामी सत्यदेव प्रिवार्जक आदि कवियों की रचनाएं भी महत्वपूर्ण हैं, पारिवार्जक द्वारा 1915 में रचित मेरी कैलाश यात्रा तथा 1911 की अमेरिका दर्शन को सुंदर ढंग से लिखा गया था.

यात्रा साहित्य के महत्व को प्रदर्शित करने वाली सत्यदेव की रचना यात्रा मित्र वर्ष 1936 में प्रकाशित हुई थी. इस पुस्तक के कैलास यात्रा के भाग में लेखक ने काठगोदाम से तिब्बत तक की यात्रा का सर्वाधिक विस्तृत विवरण दिया हैं. साथ ही कैलाश व हिमालय के अद्वितीय सौन्दर्य का चित्रण अपनी पुस्तक में प्रभावी ढंग से किया हैं.

हिंदी का यात्रा वृतांत साहित्य (Hindi travel memoirs literature)

यदि हिंदी के सबसे बड़े यात्रा वृतांत लेखक की बात करे तो राहुल सांस्कृत्यायन का नाम निश्चय ही सबसे ऊपर होगा, भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति से इन्होने लम्बे समय तक यायावर का जीवन बिताया. अपने जीवन के बहुत बड़े पडाव को इन्होने देश विदेश की यात्राओं में ही व्यतीत कर दिया.

अज्ञेय जी की मुख्य यात्रा वृतांत रचनाओं में 1953 में प्रकाशित अरे यायावर रहेगा याद और एक बूंद सहसा उछली 1960 में प्रकाशित हुई थी. राहुल जी की पहली किताब भारत के पर्यटन स्थलों के भ्रमण का वृतांत बताती हैं तो इनकी दूसरी पुस्तक में विदेशी यात्रा का विस्तृत वर्णन हैं.

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आशा करता हूँ दोस्तों Travelogue Yatra Vritant In Hindi में दी गई जानकारी आपकों पसंद आई होगी. यहाँ What is Travelogue Meaning Of Yatra Vritant Essay पसंद आए तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करे.

यात्रा वृत्तांत कैसे लिखे?

स्थानीय सांस्कृतिक उत्सवों, खाद्यों, खरीदारी के आलों और अपने नगर की विशिष्टताओं के संबंध में बातें करें। सप्ताहांतों में किलों, पर्वतीय स्थलों और पड़ोस के शहरों का भ्रमण करें तथा उनके संबंध में लिखें। मंथर गति से और निरंतर, आप एक बड़े यात्रा संविभाग का निर्माण कर लेंगे।

यात्रा वृत्तांत किसे कहते हैं तथा यह कैसे लिखा जाता है?

यात्रावृत्तान्त (travelogue) किसी स्थान में बाहर से आये व्यक्ति या व्यक्तियों के अनुभवों के बारे में लिखे वृतान्त को कहते हैं। इसका प्रयोग पाठक मनोरंजन के लिए या फिर उसी स्थान में स्वयं यात्रा के लिए जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं

यात्रा का वर्णन कैसे करें?

ग्रीष्मकालीन यात्रा का वर्णन - 200 शब्दों में पिताजी ने हमें बताया कि इस बार की छुट्टियों में हम गांव जा रहे हैं। अतः सुनकर हम सभी बहुत ही खुश हुए क्योंकि कई वर्षों के बाद हम सभी गांव जाने वाले थे। हम सभी उत्साहित थे और हमने तैयारियां कर ली। तीसरे दिन हमने सुबह 6 बजे की ट्रेन पकड़ी और गांव की ओर का सफर शुरू हो गया।

यात्रा वृतांत से क्या लाभ होता है 80 से 100 शब्दों में लिखिए?

Answer. Answer: यात्रा यानि की अपनी जगह से कई दूर घुमने फिरने के लिए जाना ताकि हम अपनी रोज की भाग दौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय के लिए निजात पा सके और अपने परिवार और दोस्तों को समय दे सके। यात्रा से व्यक्ति को बहुत अच्छा महसूस होता है और सभी के साथ मिल जुलकर रहने का अच्छा समय भी मिलता है।