अमृतसर का पुराना नाम क्या था? - amrtasar ka puraana naam kya tha?

अमृतसर स्थित सेंट्रल सिख म्यूजियम में धर्म के विरोध में किए गए सिखों के त्याग और बलिदान को पेंटिंगों के जरिए दर्शाया गया है। इसके साथ ही कुछ प्राचीन सिक्कों, शस्त्रों और हस्तनिर्मित पुस्तकों का भी संकलन इस म्यूजियम में है।

अमृतसर पूरे विश्व में स्वर्ण मंदिर के कारण अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। यह सिखों के इतिहास व संस्कृति की वर्षों पुरानी यादों को आज भी तरोताजा किए हुए है। अमृतसर पाकिस्तान से आने वाले यात्रियों के लिए भारत का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। इतिहास में उल्लेख मिलता है कि अमृतसर की स्थापना सन् 1579 में हुई थी। आज भी यह पुराना शहर चारों ओर से एक दीवार से घिरा हुआ है जिसमें 20 प्रवेशद्वार हैं।

अमृतसर की स्थापना

स्वर्ण मंदिर के लिए देश-दुनिया में प्रसिद्ध अमृतसर शहर की स्थापना सिखों के चौथे गुरु रामदास द्वारा की गई थी। उन्होंने यहां तालाब का निर्माण कराया जिसकी भूमि भेंट में मुगल शासक अकबर द्वारा दी गई थी। इसी तालाब को अमृत का तालाब भी कहा जाता है। जिसके आधार पर इस शहर को अमृतसर कहा जाता है। तालाब के बीच में बना भव्य मंदिर गुरु रामदास के पुत्र अर्जुनदेव ने बनवाया था। इस मंदिर में सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहब को रखा गया है।

गुरु अर्जुनदेव द्वारा बनाए गए तालाब के मध्य में बने मंदिर को सन् 1803 में पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह ने संगमरमर, तांबे व सोने से मढ़वाया। एक अनुमान के अनुसार इस मंदिर में लगा सोना लगभग 400 किलो तक है जिसके कारण इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर नाम दिया गया है। इसे हरि मंदिर व दरबार साहब के नाम से भी पुकारा जाता है। यह मंदिर अपने चार प्रवेशद्वारों से आने−जाने वालों का स्वागत करता हुआ लगता है।

अमृतसर की खासियतें

सेंट्रल सिख म्यूजियम में धर्म के विरोध में किए गए सिखों के त्याग और बलिदान को पेंटिंगों के जरिए दर्शाया गया है। इसके साथ ही कुछ प्राचीन सिक्कों, शस्त्रों और हस्तनिर्मित पुस्तकों का भी संकलन इस म्यूजियम में है। अमृतसर के लोहागढ़ प्रवेशद्वार के बाहरी ओर स्थित दुर्गा मंदिर भी देखने योग्य है। दुर्गा मंदिर की शिल्पकला स्वर्ण मंदिर के समान लगती है।

अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में किए गए आंदोलन में एकत्रित लोगों को एक ब्रिटिश जनरल के आदेश पर बेदर्दी के साथ गोलियों से भून कर मौत के घाट उतार दिया गया था। 13 अप्रैल 1919 की यह घिनौनी याद आज भी जलियांवाला बाग की दीवारों पर गोलियों के निशान बनकर अंग्रेज शासकों की क्रूरता का परिचय देती है। इस हत्याकांड में करीबन 2000 मासूम लोगों की जानें चली गई थीं। स्वतंत्रता आंदोलन के इन शहीदों की याद में जलियांवाला बाग को बेहद खूबसूरत उद्यान बना दिया गया है तथा इसके अंदर एक अमर ज्योति प्रज्जवलित की गई है जो हर समय जल कर उन शहीदों के त्याग और बलिदान की यादों को तरोताजा रखती है तथा उनके प्रति श्रद्धांजलि भी अर्पित करती है।

अमृतसर का प्रसिद्ध मेला

अमृतसर के पश्चिम में लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित राम तीर्थ पर एक बड़ा तालाब और कई मंदिर हैं। इस जगह पर हर वर्ष कार्तिक की पूर्णिमा पर चार दिवसीय मेला लगता है। देश के विभिन्न भागों से हजारों लोग इस पवित्र स्थान के दर्शन के लिए आते हैं।

अमृतसर का हस्तशिल्प

अमृतसर हस्तनिर्मित वस्तुओं के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। विभिन्न प्रकार के पारम्परिक डिजाइन, फुलकारी के वस्त्र यहां की खास विशेषता हैं। इसके अतिरिक्त पंजाबी जूते, आभूषण तथा सजावट की वस्तुएं भी आप यहां से खरीद सकते हैं। अमृतसर देश के विभिन्न भागों से रेल तथा सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है। आप चाहे देश के किसी भाग में हों, आपको यहां तक आने के लिए कोई खास दिक्कत नहीं होगी।

Amritsar in Hindi/ अमृतसर भारत के पंजाब राज्य का एक शहर है। यह पाकिस्तानी सीमा पर, पंजाब का सबसे बड़ा नगर है। अमृतसर गुरु रामदास का डेरा हुआ करता था। इसलिए यह पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है। सिक्खों का सबसे बडा गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ही है। ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। स्वर्ण मंदिर अमृतसर का दिल माना जाता है।

अमृतसर की जानकारी – Amritsar Information in Hindi

Contents

  • 1 अमृतसर की जानकारी – Amritsar Information in Hindi
  • 2 अमृतसर का इतिहास – History of Amritsar in Hindi
  • 3 अन्य दर्शनीय स्थल – Famous Tourist Places of Amritsar in Hindi
    • 3.1 श्री हरमिंदर साहिब / गोल्डन टेंपल – Golden Temple
    • 3.2 गुरुद्वारे – Amritsar Gurudwara
    • 3.3 दुर्ग्याणा मंदिर – Durgiana Temple Amritsar
    • 3.4 खरउद्दीन मस्जिद – Khairuddin Masjid Amritsar
    • 3.5 जलियांवाला बाग – Jallianwala Bagh
    • 3.6 वाघा बॉर्डर – Wagah Border
  • 4 FAQ –

अमृतसर अनेक त्रासदियों और दर्दनाक घटनाओं का गवाह रहा है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा नरसंहार अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में ही हुआ था। इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच जो बंटवारा हुआ उस समय भी अमृतसर में बड़ा हत्याकांड हुआ। जलियांवाला बाग़, अमृतसर यहीं नहीं अफ़ग़ान और मुग़ल शासकों ने इसके ऊपर अनेक आक्रमण किए और इसको बर्बाद कर दिया। इसके बावजूद सिक्खों ने अपने दृढ संकल्प और मज़बूत इच्छाशक्ति से दोबारा इसको बसाया। हालांकि अमृतसर में समय के साथ काफ़ी बदलाव आए हैं लेकिन आज भी अमृसतर की गरिमा बरकरार है।

अमृतसर लगभग साढ़े चार सौ वर्ष से अस्तित्व में है। सबसे पहले गुरू रामदास ने 1577 में 500 बीघा में गुरूद्वारे की नींव रखी थी। यह गुरूद्वारा एक सरोवर के बीच में बना हुआ है। इस तालाब के ठीक मध्य में टापू पर एक मंदिर बनाया गया था, जिसके तांबे के गुंबद को बाद में स्वर्ण-पतरों से मढ़ दिया गया, इस मंदिर का नाम हरमंदिर साहब या स्वर्ण मंदिर रखा गया। अब अमृतसर सिक्ख धर्म का केंद्र बन गया है। उभरती हुई सिक्ख शक्ति के केंद्र के साथ-साथ यह शहर व्यापार के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण बनता गया।

अमृतसर अपने व्यंजन के लिए भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहां पर ज्यादातर सिक्ख जाति के लोग बसे हुए हैं। जो खाने-पीने के मामले में हमेशा से ही आगे रहे है। वैसे पंजाब के अमृतसर के व्यंजनों पर तो कई पंजाबी गीत भी बने हुए है। जैसे कि, अमृतसर दे पापड़ वे मैं खांदी ना, अमृतसरी नॉन जो पूरे भारत में सबसे ज्यादा फेमस है। इसके अलावा अमृतसर का बना चिकन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। साथ ही यहां घूमने के लिए भी कई प्रसिद्ध जगहे हैं।

अमृतसर का इतिहास – History of Amritsar in Hindi

किंवदन्ती है, कि रामायण काल में अमृतसर के स्थान पर एक घना वन था, जहाँ एक सरोवर भी स्थित था। श्रीरामचन्द्र के पुत्र लव और कुश आखेट के लिए एक बार यहाँ पर आकर सरोवर के तीर पर कुछ समय के लिए ठहरे थे। ऐतिहासिक समय में सिक्खों के आदिगुरु नानक ने भी इस स्थान के प्राकृतिक सौंन्दर्य से आकृष्ट होकर यहाँ कुछ देर के लिए एक वृक्ष के नीचे विश्राम तथा ध्यान किया था। यह वृक्ष वर्तमान सरोवर के निकट आज भी दिखाया जाता है। तीसरे गुरु रामदास ने नानकदेव का इस स्थान से सम्बन्ध होने के कारण यहाँ एक मन्दिर बनवाने का विचार किया।

1564 ई. में चौथे गुरु रामदास ने वर्तमान अमृतसर नगर की नींव डाली और स्वयं भी यहाँ पर आकर रहने लगे। इस समय इस नगर को रामदासपुर या चक-रामदास कहते थे। 1577 में मुग़ल सम्राट अकबर ने रामदास को 500 बीघा भूमि नगर को बसाने के लिए दी, जो उन्होंने तुंग के ज़मीदारों को 700 रुपये अकबरी देकर ख़रीदी। कहा जाता है, कि सरोवर के पवित्र जल में स्नान करने से एक कौवे के पर श्वेत हो गए थे और कोढ़ी का रोग जाता रहा था। इस दन्तकथा से आकृष्ट होकर सहस्रों लोग यहाँ आने-जाने लगे और नगर की आबादी भी बढ़ने लगी।

1849 में अमृतसर को ब्रिटिश भारत में मिला दिया गया। 13 अप्रैल 1919 को शहर के जिस जलियांवाला बाग़ में एक राजनीतिक सभा पर ब्रिटिश सेना ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर 379 लोगों की हत्या कर दी थी तथा इससे भी अधिक लोगों को घायल कर दिया था, उसे अब राष्ट्रीय स्मारक बना दिया गया है। 1984 में अमृतसर में एक और हिंसक राजनीतिक संघर्ष हुआ, जब स्वर्ण मंदिर में मोर्चाबंद सैकड़ों सिक्ख अलगाववादियों पर भारतीय सेना ने हमला किया। परस्पर विरोधी सूत्रों के अनुसार, इस संघर्ष में 450 से 1,200 लोग मारे गये थे।

5,088 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले अमृतसर ज़िले की भूमि लगभग समतलीय है, जो रावी व व्यास नदियों द्वारा अपवाहित होती है। पूरी तरह से शुष्क जलवायु होने के कारण इस शहर की खेती सिंचाई पर निर्भर है, जो मुख्यत: अपरी बारी दोआब नहर प्रणाली से की जाती है। गेहूँ, कपास, दलहन व मक्का यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। अमृतसर के व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यहाँ का बना चिकन, मक्के की रोटी, सरसों का साग और लस्सी बहुत प्रसिद्ध है।

अन्य दर्शनीय स्थल – Famous Tourist Places of Amritsar in Hindi

श्री हरमिंदर साहिब / गोल्डन टेंपल – Golden Temple

अमृतसर का पुराना नाम क्या था? - amrtasar ka puraana naam kya tha?

श्री हरिमन्दिर साहिब, सिख धर्मावलंबियों का सबसे पावन धार्मिक स्थल या सबसे प्रमुख गुरुद्वारा है जिसे दरबार साहिब या स्वर्ण मन्दिर भी कहा जाता है। यह अमृतसर शहर में स्थित है और यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण भी है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। श्री हरमंदिर साहिब को अमृतसर का दिल माना जाता है। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।

गुरुद्वारे – Amritsar Gurudwara

अमृतसर का पुराना नाम क्या था? - amrtasar ka puraana naam kya tha?

अमृतसर की दक्षिण दिशा में संतोखसर साहब और बिबेसर साहब गुरूद्वार है। इनमें से संतोखसर गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर से भी बडा है। महाराजा रणजीत सिंह ने रामबाग पार्क में एक समर पैलेस बनवाया था। इसकी अच्छी देखरेख की गई जिससे यह आज भी सही स्थिति में हैं। इस महल की बाहरी दीवारों पर लाल पत्थर लगे हुए हैं। इस महल को अब महाराजा रणजीत सिंह संग्राहलय में बदल दिया गया है। इस संग्राहलय में अनेक चित्रों और फर्नीचर को प्रदर्शित किया गया है। यह एक पार्क के बीच में बना हुआ है। इस पार्क को बहुत सुन्दर बनाया गया है। इस पार्क को लाहौर के शालीमार बाग जैसा बनाया गया है। संग्राहलय में घूमने का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक रखा गया है। यह सोमवार को बंद रहता है।

दुर्ग्याणा मंदिर – Durgiana Temple Amritsar

अमृतसर का पुराना नाम क्या था? - amrtasar ka puraana naam kya tha?

प्राचीन हिन्दू मंदिर हाथी गेट क्षेत्र में स्थित हैं। यहां पर दुर्गीयाना मंदिर है। इस मंदिर को हरमंदिर की तरह बनाया गया है। इस मंदिर के जलाशय के मध्य में सोने की परत चढा गर्भ गृह बना हुआ है। दुर्गीयाना मंदिर के बिल्कुल पीछे हनुमान मंदिर है। दंत कथाओं के अनुसार यही वह स्थान है जहां हनुमान अश्वमेध यज्ञ के घोडे को लव-कुश से वापस लेने आए थे और उन दोनों ने हनुमान को परास्त कर दिया था।

खरउद्दीन मस्जिद – Khairuddin Masjid Amritsar

अमृतसर का पुराना नाम क्या था? - amrtasar ka puraana naam kya tha?

यह मस्जिद गांधी गेट के नजदीक हॉल बाजार में स्थित है। नमाज के समय यहां बहुत भीड़ होती है। इस समय इसका पूरा प्रागंण नमाजियों से भरा होता है। उचित देखभाल के कारण भारी भीड के बावजूद इसकी सुन्दरता में कोई कमी नहीं आई है। यह मस्जिद इस्लामी भवन निर्माण कला की जीती जागती तस्वीर पेश करती है मुख्य रूप से इसकी दीवारों पर लिखी आयतें। यह बात ध्यान देने योग्य है कि जलियांवाला बाग सभा के मुख्य वक्ता डॉ सैफउद्दीन किचलू और डॉ सत्यपाल इसी मस्जिद से ही सभा को संबोधित कर रहे थे।

जलियांवाला बाग – Jallianwala Bagh

अमृतसर का पुराना नाम क्या था? - amrtasar ka puraana naam kya tha?

जालियाँवाला बाग, अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के नजदीक स्थित हैं। यह वह जगह हैं जहां पर इतिहास का सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था। जो ब्रिटिश शासन की क्रूरता का गवाही देता है। कहा जाता है कि करीब 102 साल पहले 1919 में 13 अप्रैल को हुए इस हत्याकांड 1,650 राउंड फायरिंग हुई, जिसमें 379 लोगों की मौत हुई। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं। वैसे ये तो ब्रिटिश सरकार का सरकारी आंकड़ा है, लेकिन कई लोगों को मानना है कि इसमें 1000 से ज्यादा लोगों को जान गई थीं। आप भी इस हत्याकांड के बारे में बहुत कुछ पढ़ चुके होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके बारे में गलत जानकारी भी शेयर की जाती है।

वाघा बॉर्डर – Wagah Border

अमृतसर का पुराना नाम क्या था? - amrtasar ka puraana naam kya tha?

अमृतसर में वाघा बॉर्डर स्वर्ण मंदिर से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर है। भारत और पाकिस्तान के बीच का यह एक मात्र सड़क मार्ग है। रोजाना सूर्यास्त से पहले वाघा बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी होती है। इस सेरेमनी में भारत और पाकिस्तान के जवान शामिल होते हैं। इसको देखने के लिए दोनों के तरफ काफी संख्या में पर्यटक आते हैं।

FAQ –

Q. अमृतसर में क्या मशहूर है?

Ans – अमृतसर तो अपनी खूबसूरती और इतिहास के लिए भी मशहूर है, लेकिन अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर अमृतसर की पहचान है।

Q. अमृतसर की स्थापना कब हुई?

Ans – वैसे तो अमृतसर का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन गुरु रामदास ने 1577 ई. में ‘अमृत सरोवर’ नामक एक नगर की स्थापना की थी, जो आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

अमृतसर शहर का प्राचीन नाम क्या था?

अमृत सरोवर नगर गुरु रामदास ने 1577 ई. में 'अमृत सरोवर' नामक एक नगर की स्थापना की थी, जो आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

स्वर्ण मंदिर का दूसरा नाम क्या है?

अमृतसर के सबसे बड़ो आकर्षणों में से एक है श्री हरमंदिर साहिब, जो स्वर्ण मंदिर के नाम से मशहूर है. अमृतसर एक आध्यात्मिक केंद्र भी है. यह सिख आस्था का सबसे पवित्र गुरुद्वारा है. 10 सिख गुरुओं में से चौथे गुरु रामदास साहिब ने 15वीं सदी में यह गुरुद्वारा और सरोवर बनवाया था, जहां सभी लोग प्रार्थना कर सकें.

अमृतसर में कौन सी नदी बहती है?

यह सरयू नदी (घाघरा नदी) के दाएं तट पर बसा है।

अमृतसर की भाषा क्या है?

अमृतसर.