राजस्थान की मृदा | भूमि की ऊपरी सतह जो चट्टानों के टूटने-फूटने एवं विघटन से उत्पन्न सामग्री तथा उस पर पड़े जलवायु, वनस्पति एवं जैविक प्रभावों से विकसित होती है मृदा अथवा मिट्टी कहलाती है। यह एक अनवरत प्रक्रिया का प्रतिफल होती है। इस प्रक्रिया में अनेक भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन होते हैं तथा उसमें जीव अंश एवं वनस्पति के अंश सम्मिलित होकर उसे एक निश्चित स्वरूप प्रदान करते है जो कृषि विकास के लिये आधार होती है। Show
राजस्थान की मृदा का वर्गीकरण 2 प्रकार से किया जाता है :
मिट्टी के वर्गीकरण की पुरानी सामान्य प्रणालीमृदा वर्गीकरण की पुरानी प्रणाली 1949 में अमेरिकी कृषि विभाग के वैज्ञानिकों (थोर्प और स्मिथ) द्वारा विकसित की गई थी। यह वर्गीकरण जलवायु और खनिज विज्ञान में अंतर पर आधारित है। इस प्रणाली के अनुसार, राजस्थान की मृदा को 8 प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
धूसर / सीरोजम मृदाएँधूसर / सीरोजम मृदा रंग में पिले और भूरे रंग की होती है यह अरावली के पश्चिम में छोटे टीलों वाले क्षेत्रों जैसे पाली, नागौर, अजमेर, जयपुर व दौसा में पायी जाती है।
लाल बलुई मृदाइस प्रकार की मृदा मुख्यतः चुरू, झुंझुनू, जोधपुर, नागौर, पाली, जालौर, बाड़मेर जैसे मरुस्थलीय भागों में पायी जाती है ।
लवणीय मृदालवणीय मृदा मुख्यतः नमकीन झीलों के किनारे पर बाड़मेर, जालौर, कच्छ की खाड़ी के पास के क्षेत्रों में साथ ही श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, भरतपुर व कोटा जैसे सिंचाई वाले भागों में पाई जाती है।
लाल दोमट मृदालाल दुमट मिट्टी राजस्थान के डूँगरपुर, बाँसवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद व चित्तौड़गढ़ जिलों के कुछ भागों में पाई जाती है।
पर्वतीय मृदाइस प्रकार की मृदा मुख्यतः अरावली पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाती है। अरावली पर्वत श्रेणी की तलहटी मे सिरोही, उदयपुर, पाली, अजमेर और अलवर क्षेत्र आते है।
भूरी मृदाभूरी मिट्टी अक्सर आस-पास की नदियों से बह कर आती है इसका जमाव मुख्यतः बनास व उसकी सहायक नदियों के प्रवाह क्षेत्र टोंक, सवाई माधोपुर, बूँदी, भीलवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद व चित्तौड़गढ़ में पाया जाता है।
बलुई मृदा व रेत के टीबेइस तरह की मिट्टी पश्चिमी राजस्थान के मरूस्थली प्रदेश में विस्तृत है। मुख्यत: जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर व चूरू में इसकी उपलब्धता है।
जलोढ़ मृदाजलोढ़ अर्थात् जल द्वारा बहा कर लाई गई मिट्टी। नदी या नालो में बह कर आयी हुई यह जलोढ़ मृदा उत्पादकता की दृष्टि से उत्तम होती है। जलोढ़ मृदा को राजस्थान की सबसे उपजाऊ मृदा माना जाता है|
मिट्टी के वर्गीकरण की नई व्यापक वैज्ञानिक प्रणालीसन् 1956 में मृदाओं के व्यापक अध्यापन हेतु भारत के मृदा सर्वेक्षण विभाग की स्थापना की गई। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) के तत्त्वाधान में राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण ब्यूरो तथा भूमि-उपयोग आयोजन एवं संस्थान ने भारत की मृदाओं पर बहुत-से अध्ययन किए।
एरिडीसोल (Aridisol)
अल्फ़ीसोल्स(Alfisols)
एन्टीसोल (Entisol)
इनसेप्टीसोल (Inceptisol)
वर्टीसोल्स(Vertisols)
राजस्थान की मृदा व भूमि से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु
केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी), जोधपुरःकाजरी भारत सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय (ICAR) के अधीन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, एक स्वायत संगठन्, के अन्तर्गत कार्यरत संस्थान है। यह संस्थान प्रारम्भ में मरू वनीकरण केन्द्र के रूप में 1952 में टीबा स्थरीकरण और छायादार वृक्ष पट्टिका रोपण हेतु स्थापित किया गया, जिसे बाद में मरूवनीकरण और मृदा संरक्षण केन्द्र के रूप में 1957 में पुर्नगठित किया गया। इसे पूर्ण अनुसंधान संस्थान्, केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान का दर्जा 1959 में मिला। यह संस्थान 1966 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के नियन्त्रण में आया। राजस्थान में भूरी मृदा कहाँ पाई जाती है?राजस्थान में भूरी मिट्टीयुक्त क्षेत्र अरावली के पूर्वी भाग में माना जाता है। भूरी मिट्टी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस लवणों का अभाव होता है। भूरी मिट्टी राज्य के टोंक, सवाई माधोपुर, बूँदी, भीलवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद व चित्तौड़गढ़ जिलों में पाई जाती है ।
दोमट मिट्टी कहाँ पाई जाती है?दोमट मिट्टी
यह मिट्टी उदयपुर जिले के मध्यवर्ती व दक्षिणी भागों में और सम्पूर्ण डूंगरपुर जिले पायी जाती है। लौह-कण के सम्मिश्रण के कारण यह लाल दिखाई देती है। इस माटी में पोटाश व चूने का अंश पर्याप्त मात्रा में होता है। इस माटी पर मक्का,चावल की खेती की जाती है।
जयपुर कौन सी मिट्टी है?राजस्थान के नागौर, पाली, अजमेर और जयपुर जिलों में मुख्य रूप से सिरोजैम प्रकार की मिट्टी पाई जाती है।
राजस्थान में काली मिट्टी कौन से जिले में पाई जाती है?सही उत्तर हाड़ौती क्षेत्र है। चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों कालीसिंध, पार्वती और चाकन की उपस्थिति के कारण हाड़ौती पठार काली मिट्टी के साथ उपजाऊ है। हाड़ौती क्षेत्र में बूंदी, बारां, झालावाड़ और कोटा जिले शामिल हैं। राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में काली मिट्टी बहुतायत में पाई जाती है।
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