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पौधों द्वारा अनावश्यक जल को वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। पैड़-पौधे मिट्टी से जिस जल का अवशोषण करते हैं, उसके केवल थोड़े से अंश का ही पादप के शरीर में उपयोग होता है। शेष अधिकांश जल पौधों द्वारा वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकाला जाता है। पौधों में होने वाली यह क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है। वाष्पोत्सर्जन की दर को एक यन्त्र द्वारा मापा जा सकता है। इस यन्त्र को पोटोमीटर कहते हैं। [1] सन्दर्भ[संपादित करें]
इसे पौधों में आवश्यक जल की हानी भी कहा जाता है। उद्देश्यहमारा उद्देश्य पत्ती की ऊपरी और निचले सतहों के बीच वाष्पोत्सर्जन की दर की तुलना करना है। सिद्धांतवाष्पोत्सर्जन क्या है?वाष्पोत्सर्जन पौधे के माध्यम से होने वाले पानी के आवागमन और इसके हवाई भागों से वातावरण में होने वाले वाष्पीकरण की प्रक्रिया है। पत्तियों में और युवा कलियों में एपिडर्मल (बाह्यत्वचा) परत में सूक्ष्म रंध्र की तरह की संरचनाएं होतीं है, इसे स्टोमेटा कहा जाता है। वाष्पोत्सर्जन मुख्य रूप से पत्तियों के स्टोममेटा के माध्यम से होता है। स्टोमेटा मुख्य रूप से प्रकाश संश्लेषण और श्वसन की प्रक्रिया के दौरान गैसों के आदान-प्रदान से संबंधित होता हैं। हरेक स्टोममेटा में दरार जैसे निकासमुख होते हैं । इन्हें स्टोमेटल रंध्र कहा जाता है। यह पहरेदार कोशिकाओं (गार्ड सेल्) नामक दो विशेष कोशिकाओं से घिरा रहता है। ये विशेष कोशिकाएं स्टोमेटा को खोल और बंद करके वाष्पोत्सर्जन की दर को विनियमित करने में मदद करती हैं। वाष्पोत्सर्जन का महत्व
वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारक
अलग-अलग पौधों में स्टोमेटा का वितरण, संख्या, आकार और प्रकार अलग-अलग होता है। यहां तक कि पौधे के अंदर ही पत्ती की ऊपरी और निचली सतहों में अलग-अलग वितरण हो सकता है। कुछ पौधों में पत्ती की ऊपरी सतह की तुलना में निचली सतह पर बड़ी संख्या में स्टोमेटा मौजूद होते हैं। इसलिए, निचली सतह से होनेवाली पानी की हानि ऊपरी सतह से ज्यांदा होती है। हम पत्ती की दो सतहों से होने वाली जलवाष्प की हानि की तुलना करके पत्ती की दो सतहों से होने वाले वाष्पोत्सर्जन की दर का अध्ययन कर सकते हैं। वाष्पोत्सर्जन की दर को आसानी से कोबाल्ट क्लोराइड पेपर परीक्षण के जरिए प्रदर्शित किया जा सकता है। नीले रंग वाला सूखा कोबाल्ट क्लोराइड पेपर जब पानी के संपर्क में आता है तो गुलाबी हो जाता है। कोबाल्ट क्लोराइड पेपर के इस गुणधर्म का उपयोग करके हम वाष्पोत्सर्जन के दौरान होने वाली पानी की हानि का प्रदर्शन कर सकते हैं । हम पेपर का रंग नीले से गुलाबी में बदलने में लगने वाले समय का उपयोग करके वाष्पोत्सर्जन की दर का मापन कर सकते हैं। सीखने के परिणाम● छात्र वाष्पोत्सर्जन की अवधारणा समझते हैं। ● छात्र वाष्पोकत्सर्जन का महत्व समझते हैं। ● छात्र वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले कारकों को समझते हैं। ● एक बार जब छात्र एनीमेशन और सिमुलेशन के माध्यम से चरणों को समझ लेंगें वे वास्तविक प्रयोगशाला में और ज्यादा सही ढंग से प्रयोग करने में सक्षम हो जाएंगे Class 10 ka G. K Solution : पादप में पत्तियों की सतह से तथा प्ररोह के अन्य हिस्सों से वातावरण में जल की जलवाष्प के रूप में हानि को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं। <br> पादपों में वाष्पोत्सर्जन का अत्यधिक महत्व है। इसके प्रमुख लाभ निम्नांकित हैं <br> (a) शीतलन प्रभाव वाष्पन तापमान को कम करता है। इसलिए वाष्पोत्सर्जन कड़ी धूप के दिनों में पादपों के लिए लाभप्रद है। <br> (b) चूषण बल-वाष्पोत्सर्जन पादप के शिखर पर चूषण बल उत्पन्न करके रस से ऊपर चढ़ने में मदद करता है। पत्तियों में वाष्पन कोशिका रस को सान्द्र करता है तथा उनका परासरण दाब बढ़ाता है। यह जल को नीचे स्तर की कोशिकाओं से क्रमबद्ध रूप में ऊपर की ओर खींचता है, अतः अन्त में मृदा से जल के परासरण द्वारा अवशोषण में मदद करता है। <br> (c) जल का वितरण क्योंकि पत्तियाँ शाखाओं के शिखरों पर स्थापित होती हैं, अतः पत्तियों की सतह से वाष्पोत्सर्जन, जल को पत्तियों की ओर खींचता है और इस प्रकार पादप शरीर के सभी हिस्सों में जल का वितरण करता है। <br> (d) आधिक्य जल का निकालना-जड़ें निरन्तर बहुत बड़ी मात्रा में जल का अवशोषण करती हैं। वाष्पोत्सर्जन एक बहुत प्रभावी तरीका है जिसके द्वारा आधिक्य जल निकाला जा सकता है। वाष्पोत्सर्जन क्या है इसका महत्व बताइए?वाष्पोत्सर्जन का महत्व
वाष्पोत्सर्जन मिट्टी से पानी के अवशोषण में मदद करता है। अवशोषित पानी जड़ों से पत्तियों तक जाइलम वाहिकाओं के माध्यम से जाता है। ये बहुत हद तक वाष्पोत्सर्जन खिंचाव से प्रभावित होते हैं। वाष्पीकरण के दौरान वाष्पोत्सर्जन पौधे की सतह ठंडी रखने में मदद करता है।
वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?Solution : वाष्पोत्सर्जन तीन प्रकार के होते हैं - <br> (1) रन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन <br>(2) उपत्वचीय वाष्पोत्सर्जन <br>(3) वातरन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन।
वाष्पोत्सर्जन क्या है वाष्प उत्सर्जन की दर को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख?वाष्पोत्सर्जन की क्रिया अनेक कारकों (factors) से प्रभावित होती है, इन्हें दो शीर्षको में बांटा जा सकता है- वातावरणीय कारक- वायुमंडलीय आर्द्रता, प्रकाश, तापमान, वायु, प्राप्य मृदा जल (soil water), वायुमंडलीय दाब। संरचनात्मक कारक– पत्ती का क्षेत्रफल (leaf area), मूल-प्ररोह अनुपात (hit ratio), पत्ती की संरचना।
वाष्पन उत्सर्जन क्या है?वाष्पन-उत्सर्जन क्या है ? (What is Evapotranspiration)
परिभाषा : वह प्रक्रिया जिसके द्वारा मिट्टी और अन्य सतहों से वाष्पीकरण (Evaporation) करके और पौधों से वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) द्वारा भूमि से वायुमंडल में पानी स्थानांतरित किया जाता है।
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