AP State Syllabus AP Board 9th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 3 बदलें अपनी सोच Textbook Questions and Answers. Show
AP State Syllabus 9th Class Hindi Solutions Chapter 3 बदलें अपनी सोच9th Class Hindi Chapter 3 बदलें अपनी सोच Textbook Questions and AnswersInText Questions (Textbook Page No. 11) प्रश्न 1. चित्र में क्या – क्या दिखाई दे रहे हैं? उत्तर: चित्र में दो पेड, दीवार, घास दिखाई दे रहे हैं। एक छात्रा कुत्ते को प्यार से पकडकर ले जा रही है और उसके पीठ पर एक थैला है। प्रश्न 2. प्रश्न 3. अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया अ) प्रश्नों के उत्तर बताइए। प्रश्न 1. प्रश्न 2. आ) पाठ के आधार पर वाक्यों को सही क्रम पहचानिए। 1. हमें अपनी धरती बचानी होगी। ( )
इ) अनुच्छेद पढिए । इसके आधार पर तीन प्रश्न बनाइए। कहाँ से आता है हमारा पानी और फिर कहाँ चला जाता है हमारा पानी? हमने कभी इसके बारे में कुछ सोचा है? सोचा तो नहीं शायद, पर इस बारे में पढ़ा ज़रूर है । भूगोल की किताब पढ़ते समय जलचक्र जैसी बातें हमें बतायी जाती हैं। बताते समय सूरज, समुद्र, बादल, हवा,
धरती फिर बरसात की बूंदें और लो फिर बहती हुई एक नदी और उसके किनारे बसा तुम्हारा, हमारा घर, गाँव या शहर। चित्र के दूसरे ई) इन प्रश्नों के उत्तर तीन वाक्यों में दीजिए। प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
अभिव्यक्ति- सृजनात्मकता अ) इन प्रश्नों के उत्तर लिरिवए । प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
आ) इस भाषण – लेख का सारांश अपने शब्दों में लिरिवाए। वह अपने भाषण में कहती है कि हिमालय पिघलता जा रहा है। ध्रुवीय भालू मरते जा रहे हैं। हर पाँच में से दो व्यक्तियों को साफ़ पानी पीने नहीं मिल रहा है । आज पेड -पौधे लुप्त होते जा रहे हैं। प्रशांत महासागर के पानी का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। हम अपने भविष्य के पीढ़ी को स्वस्थ ग्रह को ही देना है, प्रदूषित धरती को न देना है । हमें अपनी धरती बचानी होगी । पर्यावरण समस्याओं के प्रति लोगों की सोच बदलना है । बालकों को पर्यावरण की शिक्षा के प्रति जागरूक करना है। उनकी पुस्तकों में पर्यावरण के पाठ अवश्य होना है। हम अपनी जन्म भूमि को बचाना है। अपने घर को बचाना है। अपनी धरती को बचाना है। इ) युगरत्ना की जगह अगर आप होते तो संयुक्त राष्ट्र संघ में क्या भाषण देते? हमारे पूर्वजों ने हमें स्वस्थ और साफ़ पर्यावरण विरासत के रूप में दिया । लेकिन हम अज्ञान से ऐसी अमूल्य पर्यावरण का नाशकर रहे हैं। धरती जो पेड-पौधों और घने जंगलों के कारण अब तक हरी-भरी है । वह प्रदूषित होती जा रही है । हम अपनी आगामी पीढी को निस्सार पर्यावरण सौंपने जा रहे हैं। यह तो किसी भी हालत में समर्थनीय नहीं है । अब भी समय है | आप ध्यान लगाकर सोचिए । आवश्यक कदम उठाने का समय आ गया है । अपने आप आगे आकर मज़बूत इरादें कर लेने की ज़रूरत है । यह काम अब हम नहीं करेंगे तो आगे कोई भी नहीं करेगा। अपनी धरती को बचा लेना है। हम अपनी सोच बदलें । पर्यावरण की सुरक्षा के आवश्यक नये कदम उठायें। हमारे हाथों में सिर्फ वर्तमान और भविष्य हैं। अतः भविष्य का संरक्षण अपने हाथों में है। भाग्यवश धरती के पास भी हमारी आवश्यकताएँ पूरी करने की क्षमता है । अपनी बुद्धि कुशलता का उपयोग कीजिए। परिवर्तन और सुधार लाकर पर्यावरण की रक्षा में सहयोग दें। अपने परिवारवालों को, अपने समाजवालों को, अपनी मातृभूमि को और पर्यावरण को बचा सकें। हमारे मन की आकांक्षा अच्छी हो तो परमात्मा भी कृपा करके हमें शक्ति देगा। हम सफल हो सकेंगे। धन्यवाद। ई) युगरत्ना के भाषण में तुम्हें कौनसी बात सबसे अच्छी लगी और क्यों? भाषा की बात अ) नीचे दिये गये शब्दों के अर्थ बताकर वाक्य प्रयोग कीजिए | 2. ध्रुवीय = ध्रुव संबंधी, syso, polar 3. लुप्त = क्षय, 90dBodye, y-govei,vanished 4. तकनीक = विधान, possy,technique 5. वरदान = वर, नियामत, 360, boon * सही अर्थवाले शब्द से जोडी
बनाइए। उत्तर: सही अर्थ वाले शब्द के नीचे रेखा खींचिए । A) मजबूर = बाध्य खुशी दुख आ) नीचे दिये गये वाक्य पढिए।
रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए। इ) रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित अव्ययों से कीजिए। (वाह !, के नीचे, और) 1) जंगल में साधु जानवर ….. खूखार जानवर रहते हैं। 2) पेड़ …………. उसकी जडें होती हैं । 3) ………. मुझे अच्छे अंक मिले। परियोजना पर्यावरण पर दिये गये किसी भाषण लेख का संकलन कीजिए। इन प्रदूषणों के कारण हमारा पर्यावरण तेज़ी से बिगड़ रहा है। पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है, तो उसका असर हम सब पर पड़ता है। पशु, पक्षी और हम सब मनुष्य हवा में से आक्सीजन लेते हैं और कार्बनडाइ-आक्सइड छोडते हैं। यह कार्बन-डाइ-आक्सइड इसी रूप में पर्यावरण में फैलता है। इससे हमारे आसपास का वातावरण प्रदूषित होता है। पर्यावरण में जो प्रदूषण होता है, वह पेड़-पौधों की सहायता से संतुलित हो जाता है । धूप और पेड़ -पौधों की पत्तियों के हरे पदार्थ द्वारा कार्बन-डाइ-आक्सइड और पानी बड़े कल-कारखाने गहा है, जो नदियों या जवायु और भूमि को दूषित उगलाता है। अशुद्ध पानी से नदी में यदि एक स्थान का रसायन होते हैं, जोजला जलाशयों में प्रवाहित कब के बीच एक रसायनिक प्रक्रिया होती है। इससे स्टार्च, मड आदि का निर्माण होता है। फलस्वरूप पर्यावरण में संतुलन बना रहता है। आजकल हमारे आसपास बड़े-बड़े कल-कारखाने धुंआँ उगलते हैं। उनके कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। इन कारखानों से लगातार कूड़ा-कचरा निकल रहा है, जो नदियों या जलाशयों में प्रवाहित कर दिया जाता है। इस कूड़े-कचरे में कई तरह के ज़हरीले रसायन होते हैं, जो जल, वायु और भूमि को दूषित करते हैं। औद्योगिक कचरे से नदी में यदि एक स्थान का जल दूषित होता है, तो पूरी नदी का पानी ही दूषित हो जाता है। अशुद्ध पानी से कई बीमारियाँ होती हैं। रेल गाड़ियाँ, बसें, जलयान, विमान लगातार धुंआँ उगलते और शोर मचाते हैं। इनसे वायु और ध्वनि प्रदूषण फैलता है। आज अनेक प्रकार के यान अंतरिक्ष में छोड़े जा रहे हैं। ये भी वायु मंडल को प्रदूषित करते हैं। पर्यावरण के असंतुलन से मौसम समय पर नहीं आता और वर्षा नियमित रूप से नहीं होती। वर्षा हुई भी तो कहीं अतिवृष्टि,कहीं अल्पवृष्टि होती है। पेड़-पौधों की पत्तियों में बाटीन रंध्र होते हैं। इन्हीं रंध्रों के द्वारा वातावरण और पौधों में गैसों का विनिमय होता है और जैविक क्रियाएँ संपन्न होती हैं। पर्यावरण के प्रदूषण को रोकने में हम सब सहयोग दे सकते हैं। सबसे पहले तो हम गंदगी न फैलायें और दूसरी यह कि फैली हुई गंदगी को साफ़ करने में सहयोग दें। अपने आसपास की नालियों को साफ़ रखें। कूड़ा-कचरा जहाँ-तहाँ ने फेंकें और न ही नदी-नाले में बहायें | खुले में मलमूत्र विसर्जन न करें। जंगल के वृक्ष न काटें। परंपरागत ईधन का उपयोग कम करें | उसके स्थान पर सूर्य, हवा और पानी से ऊर्जा उत्पन्न कर कल-कारखाने और वाहन चलायें। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि प्रकृति का भंडार सदा भरा रहे। हमारे यहाँ पेड़ लगाना पुण्य कार्य माना गया है। पीपल, बरगद, आम, नीम, बेल, जामुन, आँवला जैसे उपयोगी वृक्षों के रोपण को धार्मिक कृत्य माना गया है | आज भी पानी के स्त्रोतों, देवालयों, मार्गों आदि के निकट पेड़ लगाने और लगे पेड़ों को न काटने की परंपरा है। संस्कारों को बनाये रखने से पर्यावरण के संरक्षण में सहयोग मिलेगा। पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है। हमारे स्वस्थ जीवन का आधार साफ़-सुथरा पर्यावरण है । पर्यावरण की रक्षा का दायित्व हम पर है। आइए हम प्रण करें। बदलें अपनी सोच Summary in EnglishIt happened for the first time in the United Nations organization (UNO). A 13 year-old girl made everybody attended there helpless to think. No one had answers for her questions. The girl was none other than Yugaratna Srivastav who inspired everybody with her thought provoking questions. On September 9, Srivastav made an effective speech in U.N.O. “The Himalayan mountains are melting. Polar bears are dying, Pure drinking water is not available for every two out of five persons. Nowadays we are losing trees and plants. The volume of water in the oceans is increasing. Are these things we are going to provide our coming generations with ? No. Our ancestors provided us with a clean and healthy planet. What are we doing ? We are going to provide our future generations with a polluted and spoiled earth. Is it correct to do ? Think over it. Think over it attentively. Respected invitees ! It’s time we took some initiative and moved some steps further. We have to protect our earth. Not only for our sake, but also for our future. Where does it happen if not here ? When does it happen if not now? Who else will do if not we ? What I want to convey to you is – please listen to my words. Strong determination is necessary for our future. We need a powerful and vigorous leadership. We cannot save our earth by mere constructing hightech societies and depositing crores of rupees in banks. We gathered over here not for mere solving environmental problem. We assembled here to bring change in people’s thinking. We should make every child aware towards the environmental education. Lessons on environmental education should be definitely added. I’m not saying to cease the development. I would like to ask the international leaders two questions – Is recognition concerning ecological problems available either in any geographical, political limits or in aged people’s groups. For this need we have the U.N.O. It should make the people discuss this kind of issues one another. In this case, the views and opinions of the children and the youth should be taken into consideration. While the protection of one’s own country, peace and economic development are necessary for you, why shouldn’t this issue on environmental change be necessary ? I hope that the U.N.O. will think over this on humanitarian grounds. Let’s forget the old things and take new steps. Now, we have only the present and the future in our hands. Now we should work collectively so as to safeguard our future. Respected leaders ! You should now make a political resolve thereby think over the innocent children and the species of animals that will become extinct. Mahatma Gandhi says ‘The earth has the power to fulfil everybody’s needs but not one’s greed’. Birds fly in the air. Fish swim in the water. The cheetah runs fast. But the God gave us power of thinking as a boon. Hence, we can make both change and reforms. Move, let’s go a head. Let’s save our Mother Earth, let’s save our home, let’s save our land. Thanking you for giving me this opportunity ……” बदलें अपनी सोच Summary in Teluguఐక్యరాజ్యసమితిలో మొదటిసారి ఇలా జరిగింది. 13 సంవత్సరాల బాలిక అందరినీ ఆలోచించడానికి నిస్సహాయులను చేసింది. ఎవరి వద్ద కూడా ఆమె ప్రశ్నలకు జవాబులు లేవు. తన ప్రశ్నలతో అందర్నీ ఆలోజింపచేసిన ఆ బాలిక పేరు యుగరత్న శ్రీవాస్తవ్. భారతదేశపు గారాల బిడ్డ పట్ల మనందరికీ గర్వమే. సెప్టెంబర్ 2009, శ్రీవాస్తవ్ ఐక్యరాజ్యసమితిలో ఉపన్యసిస్తూ ఈ విధంగా అన్నది – ” హిమాలయ పర్వతాలు కరిగిపోతూ ఉన్నాయి. ధృవపు ఎలుగుబంట్లు చనిపోతూ ఉన్నాయి. ప్రతి ఐదుగురిలో ఇద్దరు వ్యక్తులకు త్రాగుటకు స్వచ్ఛమైన నీరు లభించుట లేదు. ఈ రోజు మనం చెట్లు – మొక్కలను కోల్పోతూ ఉన్నాం. పసిఫిక్ మహాసముద్రంలో నీరు (సముద్రాల నీరు, సముద్రాల పరిమాణం) పెరిగిపోతోంది. ఏమి, మనం మన భవిష్య తరాలవారికి ఇవేనా ఇచ్చేది ? కాదు. మన పూర్వీకులు మనకు పరిశుభ్రమైన, ఆరోగ్యకరమైన గ్రహం ఇచ్చారు. మరి మనమేమి చేస్తున్నాం? మనం మన భవిష్యతరాల వారికి కలుషితమైన, పాడయిన భూమిని ఇవ్వబోతున్నాం. ఇలా చేయడం సబబా ? ఆలోచించండి. ధ్యాసబెట్టి ఆలోచించండి. ఆదరణీయ సభాసదులారా ! మనం కొన్ని అడుగులు వేయడానికి ఇప్పుడు సమయం వచ్చింది. మనం మన భూమిని రక్షించవలసియున్నది. మన కోసమే కాదు. మన భవిష్యత్ కోసం కూడా. ఈ పని ఇక్కడ జరక్కపోతే ఎక్కడ జరుగుతుంది ? ఇప్పుడు కాకపోతే ఎప్పుడు జరుగుతుంది? మనం చేయకపోతే ఎవరు చేస్తారు? నేను మీతో నివేదించేది ఏమిటంటే – “మీరు నా మాటలు వినండి. భవిష్యత్ కొరకు గట్టి నిర్ణయం అవసరం. దృఢమైన నాయకత్వం అవసరం. హైటెక్ సమాజాన్ని నిర్మించడం లేదా బ్యాంకుల్లో కోట్ల రూపాయలు జమచేయడం వల్ల మనం మన భూమిని రక్షించలేం. ఇక్కడ మనం పర్యావరణ సమస్యను పరిష్కరించడం కొరకు మాత్రమే సమావేశమవ్వలేదు. కానీ ప్రజల ఆలోచనను మార్చడం కోసం సమావేశమయ్యాం. ఇప్పుడు ప్రతి పిల్లవానిని పర్యావరణ విద్య (పరిసరాల విద్య) పట్ల జాగరూకులను చేయాలి. ప్రతి తరగతి పుస్తకాలలో పర్యావరణ విద్య (పరిసరాల విద్య) పాఠాలు తప్పనిసరిగా చేర్చాలి. అభివృద్ధిని ఆపమని నేను చెప్పడం లేదు. నేను ప్రపంచానికి చెందిన నాయకులందర్నీ రెండు ప్రశ్నలు అడగాలని అనుకుంటున్నా – పర్యావరణ సమస్యలకు సంబంధించిన గుర్తింపు ఏదేని భౌగోళిక, రాజనైతిక హద్దుల్లో లేదా వయో సమూహాల్లో లభిస్తుందా ? అందుకే ఐక్యరాజ్యసమితి ఉంది. వారు ఇలాంటి విషయాలపై ఒకరినొకరితో మాట్లాడేలా చేయాలి. ఈ విషయంలో పిల్లలు యువకుల అభిప్రాయాలు కూడా తీసుకోవాలి. దేశ రక్షణ, శాంతి, ఆర్థికాభివృద్ది మీకు తప్పనిసరి అయితే పర్యావరణం మార్పు అనే విషయం ఎందుకు తప్పనిసరి. కాకూడదు ? నేను ఐక్యరాజ్యసమితి మానవీయ దృష్టికోణంతో ఆలోచిస్తుందని ఆశిస్తున్నాను. పాత విషయాలను మరచిపోయి కొత్త అడుగులు వేయాలి. ఇప్పుడు మన చేతిలో కేవలం వర్తమానం మరియు భవిష్యత్తులే ఉన్నాయి. ఇప్పుడు మనం మన భవిష్యత్తును సంరక్షించుకునే విధంగా పనిచేయాలి. ఆదరణీయ నాయకులారా ! ఇప్పుడు మీరు ఏదో ఒక రాజనీతిని నిర్ణయించాలి. తద్వారా అమాయక పిల్లలు మరియు అంతరించిపోతున్న జంతువులను గురించి ఆలోచించాలి. మహాత్మాగాంధీగారన్నారు – “భూమికి అందరి అవసరాలను తీర్చే శక్తి (ఓర్పు) ఉంది. ఎవరి దురాశనూ కాదు.” పక్షులు ఆకాశంలో ఎగురుతాయి. చేపలు నీళ్ళల్లో ఈదుతాయి.
చిరుతపులి వేగంగా పరుగెడుతుంది. ధన్యవాదములు. अर्थवाहयता – प्रतिक्रिया निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए | 1. महात्मा गाँधी ने कहा था – “धरती के पास सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमता है।
किसी के लालच की नहीं।” पक्षी आसमान में उड़ता है, मछली पानी में तैरती है, चीता तेजी से दौडता है, लेकिन ईश्वर ने हमें वरदान के रूप में सोचने के लिए बुद्धि दी है। इससे हम परिवर्तन और सुधार दोनों ला सकते हैं। चलो अब हम आगे बढ़ें। अपनी जन्मभूमि को बचा लें ……. अपने घर को बचा लें ………. अपनी धरती को बचा लें ……. 2. ईश्वर ने हमें
कौन-सा वरदान दिया? 3. बुद्धी के सहारे हम क्या कर सकते हैं? 4. आसमान शब्द का पर्यायवाची शब्द लिखिए। 5. यह गद्यांश किस पाठ से दिया गया है? 2. यहाँ हम पर्यावरण की समस्या सुलझाने के लिए ही एकत्रित नहीं हुए हैं, बल्कि लोगों की सोच बदलने के लिए भी एकत्रित हुए हैं। अब हर बालक को पर्यावरण की शिक्षा के प्रति जागरूक करना होगा। हर कक्षा की किताबों में पर्यावरण के पाठ अवश्य होने चाहिए। विकास को रोकने के लिए मैं नहीं कहती । मैं यह कहना चाहती हूँ –
जैवमित्र तकनीकों में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए जो सस्ती और अच्छी हो। 2. जैवमित्र तकनीक कैसी होनी चाहिए? 3. इस गद्यांश में “मैं” किसके लिए प्रयुक्त है? 4. “सस्ता” इस शब्द का विलोम शब्द क्या है? 5.
यह गद्यांश किस पाठ से दिया गया है? निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर नीचे दिये गये वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। सही विकल्प से संबंधित अक्षर चुनकर कोष्ठक में रखिए। 1. एक दिन की बात है। रामदास अपने कमरे में आराम कर रहा था कि इतने में दो तीन ग्वाले दौडते हुए उसके पास आये और कहा – “टीले की बाई ओर, नाले के पास की झाडियों में बाघ छिपा हुआ है।” रामदास ने तुरंत बंदूक थाम ली और करतूस लेकर टीले की ओर चल पडा। रामदास ने
देखा कि झाडियों में बाघ छिपा हुआ है। तुरंत रामदास ने उस पर गोली चलायी। गोली बाघ के माथे पर जा लगी, वहा चिता गिर पड़ा और उसी समय वह मर गया। 2. अपने कमरे में कौन लेटे आराम कर रहा था? 3. गोली कहाँ जा लगी ? 4. कितने ग्वाले दौडते हुए रामदास के पास आये? 5. उपर्युक्त अनुच्छेद में बाघ को मारनेवाले कौन थे ? 2. हमारे भारतवर्ष में अनेक प्रकार के रसीले, स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक फलों की खूब पैदावर होती है। मौसम में पैदा होनेवाले फल जरूर खाना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार मीठा अनार वात, पित्त और कफ़ दोषों को दूर करता है। पपीता पाचक और खून बढ़ानेवाला होता है। सेब मस्तिष्क एवं नस – नाड़ियों को शक्ति प्रदान करता
है। अमरूद इतनी गुणकारी है कि इसे अमृत फल कहते हैं। 2. सेब खाने से किसे शक्ति मिलती है? 3. अमृत फ़ल किसे कहते हैं? 4. यह फल खाने से खून बढ़ता है। 5. फ़ल शब्द का बहुवचन रूप यह है। अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर छह या आठ पंक्तियों में लिखिए। “पर्यावरण हमारा रक्षा कवच है।” इस कथन की पुष्टि करते हुए पर्यावरण संरक्षण में हम क्या योगदान दे सकते हैं – लिखिए।
निर्देश के अनुसार उत्तर दीजिए। | 1. पर्यावरण के पाठ अवश्य होने चाहिए। (रेखांकित शब्द का संधि विच्छेद पहचानिए।) 2. पक्षी आसमान में उड़ता है। (रेखांकित शब्द का तद्भव शब्द पहचानिए।) 3. आर्थिक विकास की जरूरत है। (रेखांकित शब्द का प्रत्यय शब्द पहचानिए।) 4. चीता तेजी से दौडता है। (वाक्य में संज्ञा शब्द पहचानिए।) 5. हम नादान बच्चे हैं। (वाक्य में
विशेषण शब्द पहचानिए।) 6. अपनी जन्मभूमि ….. बचा लें। (सही कारक चिहन पहचानिए।) 7. सही क्रम वाला वाक्य पहचानिए। 8. हिमालय पिघलता जा रहा है। रेखांकित शब्द का संधि विच्छेद करने पर। 9. शुद्ध रूप पहचानिए| 10. यह महान कार्य यहाँ नहीं होगा तो कहाँ होगा? (सर्वनाम शब्द पहचानिए) 11. मैं नेताओं से दो प्रश्न पूछना चाहती हूँ। (सर्वनाम शब्द पहचानिए।) अर्थग्राह्यता – प्रतिक्रिया पठित – गद्यांश निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए। 1. संयुक्त राष्ट्र संघ में पहली बार ऐसा हुआ। तेरह वर्ष की एक लड़की ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। किसी के पास भी उसके सवालों का जवाब नहीं था। अपने सवालों से सबको सोचने पर | मजबूर करने वाली उस लड़की का नाम युगरत्ना श्रीवास्तव है। भारत की इस लाडली पर सबको गर्व है। 2. पहली बार ऐसा कहाँ हुआ? 3. लडकी का नाम क्या है? 4. सबको किस पर गर्व है? 5. लडकी कितने वर्ष की है? 2. [ सितंबर, 2009 में संयुक्त राष्ट्र संघ में युगरत्ना श्रीवास्तव ने भाषण देते हुए इस तरह कहा – “हिमालय पिघलता जा रहा है। ध्रुवीय भालू मरते जा रहे हैं। हर पाँच में से दो व्यक्तियों को पीने का साफ़ पानी नहीं मिलता। आज हम उन पेड़ – पौधों को खोने की कगार पर हैं, जो लुप्त होते जा रहे हैं। प्रशांत महासागर
के पानी का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। 2. पीने का साफ़ पानी किन्हें नहीं मिलता ? 3. किस सागर के पानी का स्तर बढ़ता ही जा रहा है? 4. क्या पिघलता जा रहा है? 5. युगरत्ना श्रीवास्तव ने कहाँ भाषण दी? 3. महात्मा गाँधी ने कहा था – ‘धरती के पास सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमता है। किसी के लालच की नहीं।” पक्षी आसमान में उड़ता है, मछली
पानी में तैरती है, चीता तेज़ी से दौड़ता है लेकिन ईश्वर ने हमें वरदान के रूप में सोचने के लिए बुद्धि दी है। इससे हम परिवर्तन और सुधार दोनों ला सकते हैं। चलो अब हम आगे |बढ़े। अपनी जन्मभूमि को बचा लें … अपने घर को बचा लें … अपनी धरती को बचा लें ……… 2. मछली कहाँ तैरती है? 3.
ईश्वर ने हमें वरदान के रूप में क्या दी? 4. पक्षी कहाँ उड़ती है? 5. यह उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से दिया गया है? अपठित- गद्यांश नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर चुनकर कोष्ठक में लिखिए। 1. यहाँ तक कि मुंशीजी को न्याय भी अपनी ओर से कुछ
खिंचा हुआ दीख पड़ता था। वह न्याय का दरबार था। परंतु उसके कर्मचारियों पर पक्षपात का नशा छाया हुआ था। किन्तु पक्षपात और न्याय का क्या मेल? जहाँ पक्षपात हो. वहाँ न्याय की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मुकद्यमा शीघ्र ही समाप्त हो गया। डिप्टी मैजिस्ट्रेट ने अपनी तजवीज में लिखा, पंडित अलोपीदीन के विरुद्ध दिये गये प्रमाण निर्मूल और भ्रमात्मक हैं। वह एक बड़े भारी आदमी हैं। यह बात कल्पना से बाहर है कि उन्होंने थोडे – से लाभ के लिए ऐसा दुस्साहस किया हो। यद्यपि नमक के दारोगा मुँशी वंशीधर का अधिक उद्यण्डता और
अविचार के कारण एक भलेमानस को कष्ट झेलना पड़ा। 2. नमक का दारोगा कौन है? 3. न्याय अपनी ओर से कुछ खिंचा हुआ किसे दीख पड़ता था? 4. जहाँ पक्षपात है वहाँ किसकी कल्पना नहीं की जा सकती? 5. पक्षपात का नशा किन पर छाया हुआ था? 2. दक्षिण भारत में एक शक्तिशाली राज्य था। उस राज्य का नाम विजयनगर था। विजयनगर के तेनाली गाँव में एक साधारण – सा व्यक्ति रहता था जिसका नाम राम था। लोग उसे तेनाली राम कहते थे। रोज़गार की तलाश में वह राजधानी आ गया। राजधानी का नाम भी विजयनगर था। उन दिनों विजयनगर के महाराजा कृष्णदेवराय थे। वे बड़े उदार, विद्याप्रेमी और कलाप्रिय राजा थे। तेनाली राम ने महाराज से मुलाकात की। महाराज उसकी बातों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसे तुरंत नौकरी दे दी। 2. दक्षिण भारत में शक्तिशाली राज्य का नाम क्या था? 3. विजयनगर के महाराज कौन थे? 4. कृष्णदेवराय कैसे राजा थे? 5.
राजधानी का नाम क्या था? 3. गाँधीजी को बच्चों के साथ हँसने, खेलने में बड़ा आनंद आता था। एक बार वे एक प्रारंभिक विद्यालय में गये। उन्होंने बालकों से विनोद करना आरंभ किया। दूर बैठा हुआ एक विद्यार्थी बीच में
कुछ बोल उठा। इस पर शिक्षक ने उसे घूरकर देखा, तो बालक सहमकर चुप हो गया। गाँधीजी ये सब देख रहे थे। वे उस बालक के पास जाकर खड़े हो गये। बोले “बेटा, तू मुझसे कुछ कहना चाहता था न? बोल, क्या कहना है? 2. बच्चों के साथ हँसने, खेलने में बड़ा आनंद किसे आता था? 3.
गाँधीजी एक बार कहाँ गये? 4. बीच में कौन कुछ बोल उठा? 5. बालकों इन्होंने ये विनोद करना आरंभ किया 4. समय जाते देर नहीं लगती। पन्द्रह वर्ष बीत चुके, पर जान पड़ता है कि अभी कल की बात है। सन् 1916 में मैं तीसरी बार इन्ट्रेस की परीक्षा देने बैठा था। दो साल में लगातार फेल हो चुका था। और चीज़ों में ज्यों – त्यों पास भी हो जाता, पर गणित का विषय मुझे अन्त में ले डुबाता। छोटे दों में भी इसने मेरे रास्ते में
रोड़े अटकाये, परीक्षाओं में इसने मेरे साथ सदा अडंगा नीति से काम लिया, पर मैं किसी – न – किसी करवट से दर्जा बराबर चढता ही गया। इन्ट्रेन्स में पहुंचना था कि यह मेरे पीछे हाथ धोकर पड़ गया। लोगों का ऐसा खयाल था और अब भी है कि प्रतिभा नाम की चीज़ मेरे बाँटे कभी पड़ी ही नहीं, पर मैं इसे मानने के लिए तैयार नहीं हूँ। 2.
लेखक को कौनसा विषय अंत में ले डुबाता? 3. लेखक कितने साल लगातार फैल हो चुका था? 4. पंद्रह वर्ष बीत चुकने पर भी क्या जान पडता है? 5. छोटे दों में भी किस विषय ने लेखक के रास्ते में रोड़े
अटकाये? 5. पीज़ा सेहत के लिए हानिकारक है। क्योंकि वह मैदे से बनाया जाता है। मैदा सेहत के लिए किसी भी हालत में अच्छा नहीं है। कोला भी हानिहारक है। क्योंकि उसमें रासायनिक तत्व मिले होते हैं। पर चिप्स, कोला, पीज़ा
के विज्ञापन तो बहुत ही आकर्षक होते हैं। क्या, ये सब झूठ हैं? हाँ, | विज्ञापन तो व्यापार बढ़ाने का एक तरीका मात्र है। 2. पीज़ा किससे बनाये जाते हैं? 3. इसमें रसायन’ तत्व मिलते हैं – 4.
व्यापार बढ़ाने का एक तरीका क्या है? 5. इनके विज्ञापन बहुत आकर्षक होते हैं 6 महात्मा जी ने दोनों भाइयों को क्या समझाया?यह सुनकर दोनों भाई शर्मिन्दा हो गये। उन दोनों को शांत देखकर महात्माजी ने उन्हें समझाया कि यह जमीन, जायदाद, धन-दौलत आज तक किसी के नहीं हुए। बड़े-बड़े लोग आए और खाली हाथ चले गए। इसलिए तुम लोग भी जमीन के लिए लड़ने के बजाय अच्छे कर्म करो और ईश्वर का स्मरण करो जिससे तुम्हारा लोकपरलोक सुधर सके।
देवताओं ने अपनी शूज भूत कैसे दिखाई?पंचांग. ग्रह नक्षत्र. धर्म-कर्म. व्रत त्योहार. अध्यात्म. वास्तु-फेंगशुई. दोनों भाई क्रोध से लाल पीले हो रहे थे क्यों?एक कहता यह भूमि मेरी हैं और मैं इसका स्वामी हूँ, जबकि दूसरा उस भूमि को अपना बतला रहा था. उस भूमि पर अपना अपना स्वामित्व जतलाने के लिए दोनों ही क्रोध से लाल पीले हो रहे थे. अपने अपने पक्ष में दलीले दे रहे थे. संत महात्मा तो स्वभाव से ही दयालु एवंम परोपकारी होते हैं.
5 हमारे देश को त्योहारों का देश क्यों कहते हैं?भारत को अकसर त्यौहारों का देश कहकर पुकारा जाता है,क्योंकि यहांँ अलग-अलग सभ्यता, धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते है जो इसे विभिन्न त्यौहारों का गढ़ बनाता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है ,इसी कारण यहांँ वर्ष में विभिन्न तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं। ये त्यौहार भारत की अखंडता, प्रभुत्व और भाईचारे का प्रतीक है।
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