अफगानिस्तान का हिंदू राजा कौन था? - aphagaanistaan ka hindoo raaja kaun tha?

बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, जब अफगानिस्तान में आईएस ने गुरूद्वारे पर हमला कर 27 सिखों की जान ले ली. इस घटना के बाद अफगानिस्तान में जो थोड़े-बहुत हिंदू और सिख परिवार रह गए थे. उन्होंने भी देश छोड़कर भारत में शरण ले ली. दावा है कि उस देश में अब अकेला रह गया है एक हिंदू...

एक इकलौता हिंदू... या यूं कहें अफगानिस्तान का आखिरी हिंदू... राजा राम.  गुरूद्वारे पर हमले के बाद अफगानिस्तान से 250 से ज्यादा हिंदू और सिख परिवारों ने देश को अलविदा कर दिया, लेकिन राजा राम ने अपना घर नहीं छोड़ा. सिर्फ इसलिए ताकि वह वहां बचे अपने पुश्तैनी मंदिर की रक्षा कर सके. 

राजा राम की कहानी बेहद दिलचस्प है. यह किसी विशेष धर्म को ​नीचा नहीं दिखाती, बल्कि साम्प्रदायिकता का चश्मा उतारकर देखेंगे तो यह कहानी एक अकेले इंसान के साहस का बड़ा उदाहरण है, जोकि अपने घर-परिवार के लिए मौत के सामने अपनी सीना ताने खड़ा हुआ है.

अफगानिस्तान का हिंदू राजा कौन था? - aphagaanistaan ka hindoo raaja kaun tha?

  • राजा राम ने परिवार को भेज दिया है भारत
  • जब हुआ हिंदु और बौद्ध धर्म का सफाया
  • बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक तक का सफर

राजा राम ने परिवार को भेज दिया है भारत

अफगानिस्तान का हिंदू राजा कौन था? - aphagaanistaan ka hindoo raaja kaun tha?
representational picture/nyt

राजा राम का जन्म अफगानिस्तान के गजनी में हुआ था. उनके परिवार की कई पुश्तैं यहीं पली बढ़ी और यहीं की माटी में उनका दाह संस्कार हुआ. राम धर्म से हिंदू हैं, पर उनका देश अफगानिस्तान है. बीते एक दशक में अफगानिस्तान में आईएस आतंकवाद ने जिस तेजी से पैर पसारें हैं, उसके कारण सिख और हिंदू परिवारों को देश छोड़कर भारत या दूसरे पश्चिमी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसी क्रम में राज राम का परिवार भी पिछले साल भारत पहुंचा है. ॉ

उनकी पत्नी और चार बच्चे भारत के शरणार्थी कैंप में रह रहे हैं. जबकि, राजा राम अपने पुश्तैनी मंदिर (जो इस वक्त गजनी का इकलौता मंदिर है) की सेवा के लिए वहीं रूके हैं. अफगान सरकार राजा राम को इस सेवा कार्य के लिए $ 100 का भुगतान कर रही है, मगर उन्हें आईएस की धमकियां भी मिल रही हैं. 

राजा राम ने अफगानिस्तान के एक लोकल रेडियो में दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि मेरा परिवार अच्छे भविष्य की उम्मीद लेकर भारत पहुंचा है, पर मैं अपने पुरखों, अपने भगवान को यहां अकेले नहीं छोड़ सकता था. इसलिए यहीं रूक गया. अब राम अपने परिवार से सप्ताह में एक दिन फोन पर बात करते हैं और बाकी समय मंदिर की सेवा. वो कहते हैं यह मेरा घर है और मेरे बच्चों का भी. वो कहते हैं कि यहां अब मुझे डर नहीं है, कई बार कुछ अनजाने लोग धमकाते हैं.. 

घर खाली करने के लिए कहते हैं, पर क्योंकि अब यहां परिवार नहीं है इसलिए मैं किसी से नहीं डरता. खुद अपना खाना बनाता हूं, भगवान का भोग तैयार करता हूं. राजा राम कहते हैं कि सब बुरे नहीं है. ये मेरा देश, मेरा शहर, मेरा मोहल्ला है. यहां रहने वाले भी मेरे जैसे हालातों में ही जी रहे हैं, फिर चाहे वे किसी भी धर्म के क्यों ना हों. दिक्कत आईएस और उसके आतंकवाद से है, जो धर्म को देखकर निशाना नहीं लगाते.. वो बस दहशत कायम रखने की कोशिश में हैं.

जब हुआ हिंदु और बौद्ध धर्म का सफाया

अफगानिस्तान का हिंदू राजा कौन था? - aphagaanistaan ka hindoo raaja kaun tha?
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अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर राम उस देश के आखिर हिंदू कैसे बनें? तो इसके लिए जरा भूतकाल में झांककर देखें. असल में आज हम जिस अफगानिस्तान की सूरत देख रहे हैं, वो एक वक्त पहले हिंदू राष्ट्र था. मुस्लिम इतिहासकारों के अनुसार अफगानिस्तान 7वीं सदी तक भारत का एक हिस्सा था. 

बाद में यह बौद्ध राष्ट्र बना और अब वह एक इस्लामिक देश है. 17वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम का कोई राष्ट्र नहीं था. अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था, जिसमें गांधार, कम्बोज, कुंभा, वर्णु, सुवास्तु जैसे क्षेत्र थे. 

इसका उल्लेख महाभारत और दूसरे पुराणों में भी मिलता है. धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी, महान संस्कृत व्याकरणाचार्य पाणिनी और गुरु गोरखनाथ यहीं के बाशिंदे थे. कपीश शब्द का उल्लेख आचार्य पाणिनी की किताब में आता है. पाणिनी ने अपनी कपीशी शहर का जिक्र किया है, जो कपीश राज्य का हिस्सा थी.

7वीं सदी में यहां पर खलीफा के आदेश पर पहली बार अब्दुर रहमान ने इस इलाके पर चालीस हजार सैनिकों के साथ हमला किया, लेकिन कामयाब नहीं हो पाया. इसके बाद भी समय-समय पर इन इलाकों पर इस्लामिक आक्रमण हुए और धीरे-धीरे कई इलाकों पर कब्जा भी किया. जयपाल देव काबुल का आखिरी बड़ा हिंदू राजा माना जाता है. वो 964 ईस्वी से 1001 ईस्वी तक यहां का राजा था. उसके बाद धीरे-धीरे अगले 200 सालों में यहां से हिंदू शासन का लगभग पूरा अंत हो गया.

अफगानिस्तान में पहले आर्यों के कबीले आबाद थे और वे सभी वैदिक धर्म का पालन करते थे, फिर बौद्ध धर्म के प्रचार के बाद यह स्थान बौद्धों का गढ़ बन गया. इतिहास गवाह है कि अफगान में बौद्ध धर्म का अच्छा खासा प्रसार हुआ था. 

साल 2001 में बामियान में गौतम बुद्ध की दो विशालकाय मूर्तियों को तालिबान ने डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया था. ये मूर्तियां 5वीं सदी में बनाई गई थीं यानी इनका इतिहास करीब 1500 साल पुराना था. इन मूर्तियों को उड़ाने का आदेश तालिबान के नेता मुल्ला उमर ने दिया था.

बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक तक का सफर

अफगानिस्तान का हिंदू राजा कौन था? - aphagaanistaan ka hindoo raaja kaun tha?
ET

राजा राम आज के अफगानिस्तान के आखिरी हिंदू हैं पर यह स्थिति पिछले कुछ दशकों में आई है. 1980 की की शुरुआत में जब तक मुजाहिदिनों ने देश में अपनी जड़ें नहीं जमायी थीं, तब तक अफगानिस्तान में हिंदू और सिखों की संख्या करीब 2 लाख 20 हजार थी. 

1990 के दशक में जब तालिबान ने देश पर कब्जा किया तब तक हिंदुओं की संख्या हजारों में आ चुकी थी. अब यहां गिनती के सिख परिवार बचे हैं, जो हैं वे बस गुरूद्वारों की सेवा के लिए. मंदिर की सेवा के लिए इकलौते राजा राम. लंबे समय की प्रताड़ना झेलकर देश से जान बचाकर भागे हिंदू और सिखों की बेबसी को आप उस घटना से समझ सकते हैं जब साल 2014 में 35 सिख ब्रिटेन के कंटेनर में छिपे मिले.

ये सिख लोग अवैध रूप से ब्रिटेन के भीतर दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे. राजा राम अपने इंटरव्यू में किसी धर्म पर टिप्पणी करती नजर नहीं आते. वो बस इतना कहते हैं कि मेरे बच्चे अपनी वतन लौटने का इंतजार कर रहे हैं. धर्म ने कभी देश नहीं बसाए, देश बसते हैं वहां की आवाम से..और आवाम हमसे है, हम हैं तो धर्म, समाज, त्यौहार और खुशियां हैं. मुझे बस दुख इस बात का है कि मैं बच्चों से कभी ये नहीं कह पाता कि तुम लोगों यहां जल्दी ही वापिस बुला लूंगा.

आतंक का साया अफगानिस्तान में रहने वाले हर शख्स पर मंडरा रहा है.. मारने वाले धर्म नहीं पूछते, वो बस मार देते हैं इसलिए यहां कोई भी धर्म सुरक्षित नहीं है. मैं बस इतना जानता हूं कि यह मंदिर मेरे परिवार का है और इस जमीं पर हमारे होने की आखिरी निशानी, इसलिए जब तक जान है इसकी रक्षा करूंगा…

अफगानिस्तान किसका गुलाम था?

19 अगस्त 1919 यानी आज ही के दिन अफगानिस्तान को ब्रिटेन से आजादी मिली थी. अफगानिस्तान, भारत की तरह अंग्रेजों का गुलाम तो नहीं था, लेकिन 1878 के दूसरे आंग्ल अफगान युद्ध (Anglo Afghan War) में ब्रिटेन ने उसे अपना संरक्षित राज्य (Protectorate State) घोषित कर दिया था.

अफगानिस्तान में कितने हिंदू है?

अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध ते पूर्व अफगानिस्थान में सहस्रों हिंदु रहते थे। परन्तु आज वहाँ केवल 1000 हिन्दू ही रहते हैं।

महाभारत काल में अफगानिस्तान का नाम क्या था?

महाभारत में गांधार के नाम से प्रसिद्ध अफगानिस्तान के इतिहास पर गौर करें तो ईसा के 1800 वर्ष पहले आर्यों का आगमन हुआ। ईसा के 700 वर्ष पहले इसके उत्तरी क्षेत्र मे गांधार महाजनपद था, जिसके बारे में महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है।

क्या Afghanistan पहले भारत का हिस्सा था?

अखंड भारत का हिस्सा था अफगानिस्तान... बाद में यह बौद्ध राष्ट्र बना और अब वह एक इस्लामिक देश है। 17वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम का कोई राष्ट्र नहीं था। - अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था, जिसमें गांधार, कम्बोज, कुंभा, वर्णु, सुवास्तु आदि क्षेत्र थे।