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प्रश्नः लिंग किसे कहते हैं? उत्तर: ‘लिंग‘ शब्द अंग्रेजी के ‘Gender‘ शब्द के लिए प्रयुक्त होता है। लिंग शब्द का अर्थ है चिन्ह या पहचान का साधन। ‘शब्द के जिस रूप से यह पता चले कि वह पुरूष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे व्याकरण में लिंग कहते हैं।‘ हिंदी के दो लिंग हैं- पुंलिग और स्त्रीलिंग। प्रत्येक संज्ञा शब्द या तो पुंलिंगवाची होगा अथवा स्त्रीलिंगवाची, क्योंकि बिना लिंग से जुड़े वह वाक्य में प्रयुक्त नहीं हो सकता। वाक्य में क्रिया का रूप संज्ञा के लिंग (तथा वचन) के अनुसार बदलता है, जैसे-‘घोड़ा दौड़ता है/घोड़ी दौड़ती है।‘ साथ ही अनेक विशेषण शब्द भी संज्ञा के लिंग के अनुसार परिवर्तित होते हैं, जैस- ‘काला घोड़ा/काली घोड़ी‘। उभयलिंगी शब्द- कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जिनका प्रयोग दोनों लिंगों (पुंलिग तथा स्त्रीलिंग) में हो सकता है। इन शब्दों में लिंग परिवर्तन नहीं होता, जैसे- प्रधानमंत्री, मंत्री ,इजीनियर, डॉक्टर, मैनेजर आदि। 1. प्रधानमंत्री पधार रहे हैं। 3. लंका की प्रधानमंत्री कल विदेश जा रही हैं। 1-‘आनी‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ-आनी/आणी)
2. ‘आइन‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ,आ, ई, ऊ, ए-आइन)
3. ‘ई‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ,आ,- ई)
‘आ‘ अंत वाले शब्दों में ‘आ‘ का लोप हो जाता है और उनके स्थान पर - ‘ई‘ प्रत्यय लग जाता है। 4. ‘इया‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (आ-इया)
कुछ ‘अ/आ‘ अन्त वाले शब्दों के ‘अ/आ‘ का लोप हो जाता है तथा उनके स्थान पर- ‘इया‘ प्रत्यय आ जाता है। इसके साथ-साथः - मूल शब्द का पहला स्वर हृस्व हो जाता है। - यदि मूल शब्द में व्यंजन द्वित्व है (कुत्ता) तो एक व्यंजन का लोप हो जाता है। (कुतिया)। 5. इन प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द- मूल शब्द के अंतिम स्वर का लोप हो जाता है और उसके स्थान पर -‘इन‘ प्रत्यय आ जाता है।
6. ‘नी‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ-अनी)
7. ‘इनी‘ प्रत्यय से बनने वाले स्त्रीलिंग शब्द (अ, ई-इनी/इणी): शब्दांत में ‘अ‘ आने वाले शब्दों में -‘नी‘ प्रत्यय, ‘अ‘ के स्थान पर आ जाता है। परन्तु कुछ शब्दों में जिनके अंत में ‘ई‘ स्वर आता है-‘नी‘ प्रत्यय लगने पूर्व ई- ‘इ‘ (हृस्व स्वर) में बदल जाता है। जैसे-
8. इका प्रत्यय जोड़कर (अक-इका)
9. कुछ संज्ञा शब्द जिनके अंत में - ‘वान/मान‘ आते हैं उनके स्थान पर ‘वती/मती‘ स्त्री प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग शब्द बनाए जाते हैं। जैसे-
10. कुछ शब्दों में मूल शब्द स्त्रीलिंगवाची होते हैं और उनमें प्रत्यय जोड़कर पुंलिंग रूप बनाए जाते हैं। जैसे-
हिन्दी में कुछ स्त्री प्रत्यय संस्कृत से आए हैं और उसी के अनुसार हिन्दी में स्त्रीलिंग शब्द बनते हैं। जैसे- 11. ‘आ‘ प्रत्यय जोड़कर (अ-आ)
12. कुछ तत्सम शब्दों में ‘ता‘को ‘त्री‘ करने से (ता-त्री)
13. ‘नित्य‘ पुलिंग तथा ‘नित्य‘ स़्त्रीलिंग शब्दों में मादा या नर शब्द लगाने से-
14. भिन्न रूप से स्त्रीलिंग शब्द- हिन्दी में अनेक संज्ञा शब्द ऐसे भी हैं जिनके पुंलिंग और स्वीलिंग शब्दों में पर्याप्त भिन्नता दिखाई देती हैं।
पुंल्लिग परिभाषा- जिन संज्ञा शब्दों से पुरूष जाति को बोध हो अथवा जो शब्द पुरूष जाति के अन्तर्गत माने जाते हैं, वे पुल्लिंग हैं। जैसे-कुत्ता, लड़का, घर, पेड़, सिंह आदि स्त्रीलिंग परिभाषा - जिन संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति को बोध हो अथवा जो शब्द स्त्री जाति के अन्तर्गत माने जाते हैं, वे स्त्रीलिंग हैं। जैसे- गाय, घड़ी, लड़की, कुर्सी, छड़ी, नारी आदि। पुल्लिंग की पहचान- Puling Ki Pahchan
स्त्रीलिंग की पहचान Striling Ki Pahchan
शब्दों का लिंग-परिवर्तन Shabd Ka ling Parivartna
वचन परिवर्तन Vachan Parivartanहिन्दी में मूल शब्दों के बहुवचन रूप प्रायः शून्य (0), ‘-ए‘ ‘-एँ‘ तथा ‘-आँ‘ प्रत्यय लगाकर बनाए जाते हैं। वचन- परिवर्तन के नियम इन्हीं प्रत्ययों के लगने पर निर्भर करते हैं। जैसे- 1.‘-ए‘ प्रत्यय जोड़कर- आकारान्त शब्दों के अंतिम ‘आ‘ के स्थान पर ‘-ए‘ प्रत्यय लग जाता है।
2. ‘-एँ‘ प्रत्यय जोड़कर - (क) व्यंजनान्त (-अ अन्त वाले) मूल शब्दों में ‘अ‘ स्वर का लोप हो जाता है और उसके स्थान पर ‘-एँ‘ बहुवचन सूचक प्रत्यय लग जाता है। जैसे-
(ख) आकारान्त/ऊकारान्त/औकारांत/आदि शब्दों में अन्तिम स्वर का लोप नहीं होता। अंतिम स्वर के बाद ‘-एँ‘ प्रत्यय जुड़ जाता है। (‘अ‘ को हृस्व कर देते हैं) जैसे-
3 ‘-आँ‘ प्रत्यय जोड़कर - जब ईकारान्त संज्ञा शब्दों में ‘आँ‘ बहुवचन सूचक प्रत्यय लगता है तो अंतिम स्वर ‘ई‘ का परिवर्तन हृस्व ‘इ‘ में हो जाता है तथा ‘इ‘ और ‘आँ‘ के मध्य ‘य‘ व्यंजन का आगम हो जाता है, जैसे- दासी + आँ + य् + आँ = दासियाँ।
4. शून्य (0) प्रत्यय जोड़कर - शून्य प्रत्यय जोड़ने का अर्थ इतना ही है कि कुछ संज्ञा शब्दों के एकवचन और बहुवचन रूप समान रहते हैं। जैसे- पानी, प्रेम, प्यार, भय, क्रोध, दान। 5. हिन्दी में कुछ शब्दों के बहुवचन बनाने के लिए मूल शब्दों के साथ ‘वर्ग‘, ‘वृंद‘ ‘गण‘, ‘लोग‘, ‘जन‘, आदि समूहवाची शब्द जोड़ दिए जाते हैं, जैसे-कर्मचारी वर्ग, पक्षीवृंद, असभ्य लोग, विद्वज्जन, लेखकगण आदि। 6. हिंन्दी में कुछ शब्द हमेशा बहुवचन रूप में ही प्रयुक्त होते हैं. जैसे-आँसू, केश, समाचार, दर्शन, प्राण, हस्ताक्षर, बाल, लोग, प्रजा, रोम, होश आदि।
7. इसी तरह से कुछ ऐसे संज्ञा शब्द भी है जो हमेशा एकवचन में ही आते हैं, जैसे- क्रोध, क्षमा, छाया, जल, जनता, पानी, दूध, वर्षा हवा, आग आदि।
8. सम्मान अथवा आदर दिखाने के लिए भी हिंन्दी में एकवचन संज्ञा शब्दों का प्रयोग बहुवचन के रूप में किया जाता है। जैसे-
कारक Karakपरिभाषा -संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका सीधा संबंध क्रिया के साथ ज्ञात हो, वह ‘कारक‘ कहलाता है।
कारक-चिन्ह स्मरण करने के लिए सूत्र कर्ता ने अरू कर्म को करण रीति से जान। Quick Revision
तपस्विनी का पुल्लिंग शब्द क्या है?Detailed Solution. दिए गए विकल्पों में सही उत्तर 'तपस्विनी' है। 'तपस्वी' शब्द का स्त्रीलिंग शब्द 'तपस्विनी' होगा।
तपस्वी का स्त्रीलिंग शब्द क्या है?तपस्वि ,तपस्विनी,तपस्विनि,तपस्या ।
पुल्लिंग शब्द कैसे पहचाने?(1) पुलिंग :- जिन संज्ञा शब्दों से पुरूष जाति का बोध होता है, उसे पुलिंग कहते है। सजीव- कुत्ता, बालक, खटमल, पिता, राजा, घोड़ा, बन्दर, हंस, बकरा, लड़का इत्यादि। निर्जीव पदार्थ- मकान, फूल, नाटक, लोहा, चश्मा इत्यादि। भाव- दुःख, लगाव, इत्यादि।
इनमें से कौनसा शब्द पुल्लिंग है?जिन शब्दों से पुरुष जाति का बोध होता है उन्हें पुल्लिंग शब्द कहते हैं । जैसे - पिता, भाई, लड़का, पेड़, सिंह शिव, हनुमान, बैल आदि ।
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