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भारत की धार्मिक परंपराओं में तिलक का विशेष महत्व है। केवल भगवान के माथे पर ही नहीं बल्कि भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक पुरुष के माथे पर तिलक और महिलाओं के माथे पर बिंदी होना चाहिए। सभी इष्ट देवताओं के मस्तक पर तिलक होरिजेंटल यानी नीचे से ऊपर की तरफ लगाया जाता है परंतु शिवलिंग पर लगाए जाने वाला तिलक (जिसे त्रिपुंड कहते हैं) वर्टिकल लगाया जाता है। सवाल यह है कि ऐसा क्यों किया जाता है। क्या शिव भक्त खुद को दूसरों से अलग प्रदर्शित करते हैं या फिर इसके पीछे कोई लॉजिक भी है। आइए धार्मिक और विज्ञान की किताबों से पता करते हैं:- त्रिपुण्ड्र शैव परम्परा का तिलक हैभारत की प्राचीन पूजा पद्धतियों में वैष्णव एवं शैव दो परंपराएं हैं। भगवान शिव के मस्तक पर या फिर शिवलिंग पर लगाया जाने वाला त्रिपुंड (आड़ी रेखाएं) शैव परंपरा का तिलक कहा जाता है। भगवान के मस्तक पर सफेद चंदन या भस्म का त्रिपुंड लगाया जाता है जबकि शैव परंपरा के सन्यासी अपने माथे पर खास प्रकार से तैयार की गई भस्म या फिर सामान्य चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं। त्रिपुण्ड्र का वैज्ञानिक महत्व
त्रिपुण्ड्र का आध्यात्मिक महत्व
त्रिपुण्ड्र शरीर पर कहां कहां लगाया जाता हैमुख्यतः त्रिपुंड मस्तक पर लगाया जाता है। इसके साथ शरीर के 32 अंगों पर लगाया जा सकता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है, कि समस्त अंगों में विभिन्न देवी देवताओं का वास होता हैं। घने जंगलों में जहरीले जीव जंतुओं के बीच यदि रहना है तो शरीर के सभी 32 अंगों पर त्रिपुंड धारण करना होता है। त्रिपुण्ड्र की 3 रेखाओं का महत्व✔ प्रथम रेखा :-अकार, गाहॄपतय, रजोगुण, पृथ्वी, धर्म , क्रियाशक्ति, ऋग्वेद, प्रातः कालीन हवन, और महादेव। ✔ द्वितीय रेखा :- ऊँकार , दक्षिणाग्नि, सत्वगुण , आकाश, अंतरात्मा, इच्छाशक्ति, मध्याह्न हवन , और महेश्वर। ✔ तृतीय रेखा :- मकार , आहवनीय अग्नि, तमोगुण, स्वर्गलोक, परमात्मा , ज्ञानशक्ति, सामवेद , तृतीय हवन और शिवजी। त्रिपुण्ड्र बनाने की विधि एवं उसका आकार
सोमवार से रविवार तक, जानें दिन के अनुसार भगवान को लगाएं कौन सा तिलक, होंगे चमत्कारी लाभपूजा के दौरान भगवान को तिलक लगाया जाता है और पूजा समाप्त होने के बाद खुद को तिलक लगाने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तिलक लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद बनाए रखते हैं। इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। हिंदू धर्म में पूजा पाठ और यज्ञ हवन का विशेष महत्व होता है। सनातन धर्म के लोग रोजाना अपने घर में रोज पूजा पाठ करते हैं। पूजा के दौरान भगवान को तिलक लगाया जाता है और पूजा समाप्त होने के बाद खुद को तिलक लगाने का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तिलक लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद बनाए रखते हैं। इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि दिन के अनुसार किस भगवान को कौन सा तिलक लगाना चाहिए - इसे भी पढ़ें: माघ पूर्णिमा पर बन रहा है बेहद शुभ योग, आर्थिक तंगी दूर करने के लिए करें ये सरल उपायसोमवार सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस दिन का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। अगर आप का मन किसी काम में नहीं लगता है तो सोमवार के दिन पूजा करने के बाद भगवान भोलेनाथ का सफेद चंदन से तिलक करें। इसके बाद खुद भी सफेद चंदन का तिलक लगाएं। आप चाहें तो इस दिन भोलेनाथ की विभूति का तिलक भी खुद को लगा सकते हैं। मंगलवार मंगलवार का दिन हनुमान जी को अर्पित होता है। मंगल ग्रह को इस इस दिन का स्वामी ग्रह माना जाता है। इस दिन हनुमान जी को लाल चंदन का तिलक लगाएं और उन्हें लाल रंग का चोला चढ़ाना चाहिए। बुधवार बुधवार को माता दुर्गा और भगवान गणेश का दिन भी माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन का स्वामी ग्रह बुध माना जाता है। इस दिन पूजा करने के बाद मां दुर्गा और गणेश जी को सूखे सिन्दूर का तिलक लगाना चाहिए। गुरुवार गुरुवार का स्वामी ग्रह बृहस्पति को माना जाता है। यह दिन भगवान ब्रह्मा को अर्पित होता है। इस दिन पूजा करने के बाद सफेद चन्दन की लकड़ी को पठार पर रगड़ कर उसमें केसर मिलाकर भगवान को तिलक लगाएं। इसके बाद खुद भी चंदन का तिलक लगाएं। इसे भी पढ़ें: एकादशी के दिन क्यों नहीं खाए जाते हैं चावल? जानिए इसके पीछे की असल वजहशुक्रवार धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी जी को अर्पित होती है। इस दिन का स्वामी ग्रह शुक्र माना गया है। माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद उन्हें लाल चन्दन का तिलक लगाना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। शनिवार शनिवार का दिन भगवान शनि देव, भैरव बाबा और यमराज का दिन माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दिन का स्वामी ग्रह शनि है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजा करने के बाद भगवान को भस्म या लाल चन्दन का तिलक लगाना चाहिए। रविवार धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रविवार का दिन भगवान विष्णु और सूर्यदेव को अर्पित होता है। इस दिन का स्वामी ग्रह सूर्य है। इस दिन लाल चन्दन का तिलक लगाना चाहिए। - प्रिया मिश्रा भगवान शिव को कौन सा तिलक लगाना चाहिए?भोलेनाथ के मस्तक पर या फिर शिवलिंग पर लगाया जाने वाला त्रिपुंड यानी कि आड़ी रेखाएं, इन्हें शैव परंपरा का तिलक कहा जाता है। भगवान के मस्तक पर सफेद चंदन या भस्म का त्रिपुंड लगाया जाता है जबकि शैव परंपरा के संन्यासी अपने माथे पर खास प्रकार से तैयार की गई भस्म या फिर पीले रंग के चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं।
भगवान शिव के तिलक का आकार क्या है?त्रिपुंड तिलक शैव परंपरा से जुड़ा है। ऐसे में इसे लगाते समय अनामिका उंगली, मध्यमा उंगली और अंगूठे का प्रयोग करें। दो उंगली और एक अंगूठे के माध्यम से माथे पर बाईं आंख की तरफ से दाईं आंख की तरफ आड़ी रेखा खींचें। विशेष बात त्रिपुंड का आकार इन दोनों आंखों के बीच में ही सीमित रहना चाहिए।
महादेव का तिलक कैसे लगाएं?जैसे भगवान शिव की मूर्ति, चित्र या फिर शिवलिंग पर हमेशा तन-मन से पवित्र और साफ वस्त्र पहनकर ही तिलक लगाएं. तिलक लगाते समय आपका मुंह हमेशा उत्तर दिशा की ओर रहना चाहिए. शैव परंपरा से जुड़ा त्रिपुंड लगाने के लिए अनामिका, मध्यमा और अंगूठे का प्रयोग करते हुए माथे पर बाईं आंख की तरफ से दाईं आंख की तरफ आड़ी रेखा खींचना चाहिए.
शिवलिंग पर चंदन लगाने से क्या होता है?भगवान शिव की पूजा में सफेद चंदन के प्रयोग का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि सोमवार के दिन शिवलिंग पर सफेद चंदन से त्रिपुंड बनाने और बचे हुए चंदन को अपने माथे पर प्रसाद के रूप में लगाने से शिव साधक का समाज में मान-सम्मान बढ़ता है और उसकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती है.
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