अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ effective method of learning (btc/deled/ bal wikas awam sikhane ki prakriya)BTC/DELED 1st Semester Note Show SUBJECT:-बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया इस पोस्ट अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ effective method of learning (btc/deled/ bal wikas awam sikhane ki prakriya) के माध्यम से अधिगम क्या है ,अधिगम शैली की परिभाषा , अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ जैसे करके सीखना विधि ,अनुकरण द्वारा सीखना विधि,निरिक्षण द्वारा सीखना विधि, परिक्षण करके सीखना विधि, सामूहिक विधि द्वारा सीखना, सम्मलेन व विचार संगोष्ठी विधि, प्रोजेक्ट विधि, सामूहिक अधिगम विधि तथा अधिगम की प्रभावशाली विधियों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर दिये गये है। अगर आप को हमारी पोस्ट पसन्द आये तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करे और अपने सुझाव हमें कमेन्ट बॉक्स में अवश्य दे। प्रमुख बिन्दु अधिगम क्या है ? अधिगम की प्रमुख परिभाषाएँ अधिगम विधि क्या है ? अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ 1. करके सीखना विधि
2.अनुकरण द्वारा सीखना विधि (अनुकरण विधि)
3.निरीक्षण विधि (निरीक्षण द्वारा सीखना विधि)
4.परीक्षण विधि (परिक्षण करके सीखना)
5.सामूहिक विधि (सामूहिक विधि द्वारा सीखना)
6.सम्मलेन व विचार संगोष्ठी विधि
7.प्रोजेक्ट विधि
अधिगम क्या है pdf? अधिगम शब्द अंग्रेजी शब्द Learning का हिन्दी रूपान्तरित है | जिसका अर्थ होता है | 'सीखना' हर एक व्यक्ति बचपन से ही अपने जीवन में कुछ न कुछ सीखता ही रहता है इस सिखने की प्रक्रिया में कुछ चीजों को तो वह अनुकरण द्वारा सीखता है कुछ चीजों को वातावरण के द्वारा तथा कुछ चीजों को वह व्यवहार के द्वारा सीखता है | सीखने की इस सतत प्रक्रिया को ही अधिगम कहते है | अधिगम की परिभाषाएँ अधिगम की प्रमुख परिभाषाएँ निम्न लिखित है वुडवर्थ के अनुसार“नवीन ज्ञान और नवीन प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया सीखने की प्रक्रिया है” मर्फी के अनुसार“अनुभव एवं व्यवहारिक द्रष्टिकोण का परिमार्जन करना अधिगम है “ हिलगार्ड के अनुसार“नवीन परिस्थितियों में अपने आप को ढालना या अनुकूलित करना ही अधिगम है” गिल्फोर्ड के अनुसार“व्यवहार के कारण व्यवहार में होने वाला परिवर्तन अधिगम है” क्रो एण्ड क्रो के अनुसार“सीखना आदतों,ज्ञान और अभिवृत्तियों का अर्जन है” गेट्स व अन्य के अनुसार“अनुभव के आधार पर होने वाले परिवर्तन को अधिगम कहते है” इसे भी पढ़े 👉स्कूल नियोजन में प्रधानाचार्य की भूमका तथा प्रबन्धीय कार्य अधिगम विधि क्या है? वह विधियाँ जिनके माध्यम से व्यक्ति स्वम कार्य को करने का अभ्यास करता है जिसके परिणाम स्वरुप वह उस कार्य को सीख जाता है। इस तरह वह विभिन्न विधियों के माधयम से सीखना ही अधिगम विधि कहलाता है। अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ (effective method of learning in Hindi) सीखना एक ऐसी प्रक्रिया है जो जीवन प्रयत्न निरन्तर चलती रहती है। इस सीखने की प्रक्रिया को बालक के द्वारा विभिन्न विधियों के माध्यम से संपन्न किया जाता है। इन सीखने की प्रक्रियांओं में बालक घर से परिवार के सदस्यों की सहायता से सीखना प्रारम्भ करता है। जिस कारण परिवार को बालक की प्रथम पाठशाला कहा जाता है। बालक को सीखने में विभिन्न प्रभावशाली विधियों में वातावरण,शिक्षक तथा उसके आसपास का प्रवेश की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ निम्न लिखित है। करके सीखना विधि (Learning by doing method) इस विधि के माध्यम से बालक स्वम करके सीखने का प्रयास करता है। उसके द्वारा किया गया प्रयास सार्थक और निरर्थक दोनों रूप में हो सकता है। मनोवैज्ञानिकों का यह मानना है की जो कार्य स्वम करके सीखा जाता है उसका अधिगम स्थायी और लम्बे समय तक चलता है। जैसे- घर पर हमें कोई कार्य करते देखने पर वह उस कार्य को करने का प्रयास करता है। जब बालक उस कार्य को स्वम करके सीखता तो वह करके सीखने की विधि के अन्तर्गत आता है। करके सीखने विधि की प्रभावशीलता
करके सीखने विधि के दोष
महत्वपूर्ण प्रश्न प्रश्न-करके सीखना क्या है? करके सीखना अधिगम की एक प्रभावशाली विधि है। इस विधि के अन्तर्गत छात्र अपनी आवश्यकता के अनुरूप सामग्री का परीक्षण करते हैं तथा ज्ञान प्राप्त करते हैं जैसे - घर पर बालक हमें टीवी के माध्यम से आवाज को कम या ज्यादा करते देख वह स्वम उसको करने का प्रयास करता है। प्रश्न-कौन सी विधि करके सीखने पर आधारित है? फ्रोबेल (यह विधि खेल एवं करके सीखने पर आधारित है) प्रश्न-अधिगम की प्रक्रिया क्या है? अधिगम को सामान्य भाषा में सीखना कहा जाता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो बालक में जीवन प्रयत्न चलती रहती है वह निरन्तर कुछ न कुछ सीखता ही रहता है। अनुकरण द्वारा सीखना विधि (अनुकरण विधि) सिद्धान्त,प्रभावशीलता सम्बन्धी तथ्य, दोष एवं भूमिका अनुकरण का सामान्य शब्दिक अर्थ है- नक़ल करना। जबकि अधिगम के सम्बन्ध में अनुकरण का अर्थ दूसरो को क्रिया करते हुये देख वैसा ही सीख लेना। बालक की अनुकरण करने की क्रिया, बालक की प्रथम पाठशाला कहा जाने वाला उसके घर से शुरू होती है जहां वह परिवार के लोगो की नक़ल करते हुये,चलना, रुक-रुक कर बोलनाऔर विभिन्न क्रियाओं को वह सीखता है। अनुकरण का सिद्धान्त (Imitation method) अनुकरण के सिद्धान्त का प्रतिपादन मनोवैज्ञानिक हैगार्ट ने किया। इनके अनुसार अनुकरण एक सामान्य प्रवृति की क्रिया है। जिसका उपयोग मनुष्य जीवन प्रयत्न समस्याओं को सुलझाने में करता है। अर्थात हम कह सकते है की वह दुसरो की नक़ल करता रहता है। और इस तरह दूसरों की क्रियाओं की नक़ल करते हुये वह सीखता रहता है। अनुकरण द्वारा सीखने की प्रभावशीलता सम्बन्धी तथ्य
अनुकरण द्वारा सिखने की विधि के दोष
अनुकरण द्वारा सीखने की विधि को प्रभावशाली बनाने में परिवार, शिक्षक एवं विद्यालय की भूमिका
अनुकरण विधि के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर प्रश्न-अनुकरण विधि के प्रतिपादक कौन हैं?
अनुकरण विधि के जनक कौन है ? उत्तर-अनुकरण विधि का प्रतिपादक मनोवैज्ञानिक हैगार्ट को माना जाता है। प्रश्न-विधि के नियम सिद्धांत के प्रतिपादक कौन है? उत्तर-रोनॉल्ड ड्वॅर्किन प्रश्न-अनुकरण विधि क्या है? उत्तर-इस विधि में बालक शिक्षक के उच्चारण को सुनकर वाचन करना सीखता है अर्थात अनुकरण करके सीखता है। अर्थात अनुकरण का अर्थ है किसी आदर्श की नक़ल करना है। अनुकरण विधि में बालक अपने शिक्षक का अनुकरण कर लिखना, पढ़ना व नवीन रचना करना सीखता है . प्रश्न-कौन सी विधि करके सीखने का अवसर प्रदान करती है? उत्तर-अनुकरण द्वारा सीखना विधि करके सीखने का अवसर प्रदान करती है। प्रश्न-इकाई विधि के जनक कौन है? उत्तर-एच सी मॉरिसन को इकाई विधि का जनक कहा जाता है। निरीक्षण विधि (निरीक्षण द्वारा सीखना विधि) , प्रभावशाली तथ्य,दोष,विभिन्न भूमिका निरक्षण विधि बालक के निरीक्षण करने के गुण को प्रदर्शित करती है। इस विधि अनुसार बालक में जितनी अधिक गहन एवं व्यापक निरीक्षण की क्षमता होगी बालक उतनी ही तीव्र गति से सीखने का प्रयास करेगा। निरीक्षण विधि के प्रभावशीलता तथ्य
निरीक्षण विधि के दोष
निरीक्षण विधि के द्वारा अधिगम को प्रभावशील बनाने में अध्यापक, विद्यालय एवं परिवार की भूमिका
परीक्षण विधि (परिक्षण करके सीखना) प्रभावशाली तथ्य, दोष,भूमिका (learning by Testing) परीक्षण विधि का आशय उस विधि से है जिसमें विविध प्रयोगों एवं खोजों के माध्यम से किसी नियम या सिद्धान्त की सत्यता का मापन किया जाता है। सामान्य रूप से बालक भी परीक्षण का कार्य अपने प्रारम्भिक जीवन से ही कर देता है।वह अपनी माता के प्रति अधिक विश्वास का प्रदर्शन करता है क्योंकि माता की अनेक गतिविधियाँ बालक की इच्छा को पूर्ण करने वाली होती हैं। प्रभावशीलता सम्बन्धी तथ्य
परीक्षण विधि के दोष
परीक्षण विधि के द्वारा अधिगम को प्रभावशील बनाने में शिक्षक, विद्यालय एवं परिवार की भूमिका
परिक्षण विधि के महत्पूर्ण प्रश्न उत्तर प्रश्न- परीक्षण की क्या परिभाषा है ? उत्तर-"परीक्षण एक व्यक्ति या समूह के कौशल, ज्ञान, क्षमताओं या प्रवृति का मूल्यांकन करने का साधन है" प्रश्न-परीक्षण की परिभाषा दीजिए परीक्षण के क्या उद्देश्य है? उत्तर-परीक्षण की परिभाषा-"परीक्षण एक व्यक्ति या समूह के कौशल, ज्ञान, क्षमताओं या प्रवृति का मूल्यांकन करने का साधन है" परीक्षण के उद्देश्य-किसी भी वस्तु अथवा चीज से होने वाले लाभ अथवा दुष्प्रभाव का पता लगाना ही परीक्षण का उद्देश्य होता है जैसे-किसी को भी यह पहले से पता नहीं होता कि यह इलाज काम करेगा की नहीं, या इससे होनेवाले दुष्प्रभाव क्या होंगे। वास्तव में इन्हीं चीजों का पता करना नैदानिक परीक्षण का उद्देश्य होता है। प्रश्न-परीक्षण कितने प्रकार का होता है? उतर-परीक्षण दो प्रकार का होता है। व्यक्तिक परीक्षण , समूह परीक्षण व्यक्तिक परिक्षण-दिए गए समय के अन्दर किसी एक व्यक्ति पर किया जाने वाला परीक्षण व्यक्तिक परीक्षण कहलाता है। समूह परीक्षण-दिये गये समय अन्दर एक से अधिक व्यक्ति अर्थात्त समूह पर किया जाने वाला परीक्षण समूह परीक्षण कहलाता है। प्रश्न-परीक्षण की क्या आवश्यकता है? उत्तर-परीक्षण के द्वारा किसी क्षेत्र विशेष में छात्रों के ज्ञान के स्तर को मापा जाता है। प्रश्न-परीक्षण शंकर क्या है इसके महत्व को लिखे? उत्तर- जब F1 पीढ़ी या किसी अज्ञात आनुवंशिक व्यक्तिगत का संकरण अप्रभावी जनक के साथ कराया जाता है तब इस संकरण को परीक्षण संकरण कहते हैं। प्रश्न-परीक्षण प्रशासन क्या है ? उत्तर-एक ही परीक्षण में अनेक प्रकार के पदों को रख कर जैसे -छोटे परीक्षणों में दो से तीन प्रकार के पद एवं बड़े परीक्षण में चार से पाँच प्रकार के पद उनका प्रशासन कर देते हैं। प्रशासन में अनेक बातों का ध्यान रखते हैं जैसे-निर्देश स्पष्ट हों, किसी परीक्षार्थी को अन्य की अपेक्षा कोई सुविधा न दी जाये। प्रश्न-उत्तम परीक्षण क्या है? उत्तर-उत्तम परीक्षण वह परीक्षण है जो मानव-व्यवहार का वस्तुनिष्ठ एवं व्यापकता के साथ निरीक्षण करता है तथा समय,धन एवं व्यक्ति के दृष्टिकोण से यह सदैव मितव्ययी तथा प्रशासन,फलांकन एवं विवेचन के दृष्टिकोण से सुगम होता है। प्रश्न-उपलब्धि परीक्षण के निर्माण में कितने सोपान होते हैं? उत्तर- उपलब्धि परीक्षण के निर्माण में चार सोपान है
प्रश्न-मौखिक परीक्षा के कितने भेद हैं? उत्तर-मौखिक परीक्षा के दो भेद है
सामूहिक विधि (सामूहिक विधि द्वारा सीखना) प्रमुख विधियाँ, लाभ एवं दोष सामान्यतः यह देखा बालक किसी भी कार्य को समूह में करना अधिक पसन्द करता है। बालक को उसके साथियों के साथ खेलना अधिक पसन्द होता है। इस प्रकार बालको को उनके साथियों समूह में बैठा कर अधिगम कराना सामूहिक विधि कहलाता है। जैसे-प्राथमिक विद्यालयों में बालको को समूह में बैढा कर गिनती अथवा कविता को सीखना। इस तरह बालको को अधिगम कराने के लिये विभिन्न सामूहिक विधियों का प्रयोग किया जाता है। प्रमुख सामूहिक विधियाँ
सामूहिक विधियों के लाभ समूहिक विधि के निम्नलिखित लाभ है
समूह विधि के दोष
सम्मलेन व विचार संगोष्ठी विधि सम्मलेन व विचार संगोष्ठी विधि एक ऐसी विधि है जिससे चिंतन स्तर के अधिगम के लिये अन्तः प्रक्रिया की परिस्थिति उत्पन्न की जाती है। विचार संगोष्ठी विधि की उपयोगिता
प्रोजेक्ट विधि प्रोजेक्ट विधि की अवधारणा जॉन डीवी के द्वारा की गयी जबकि प्रोजेक्ट विधि का प्रतिपादन किलपैट्रिक ने किया। इस विधि में शिक्षक मार्गदर्शक के रूप में काम करता है।बालक द्वारा ही किसी को प्रोजेक्ट को हल किया जाता है उद्देश्य उद्देश्य पूर्ण होता हैं।इस विधि में पता करके सीखने पर बल दिया जाता है इस विधि में प्राप्त होने वाला ज्ञान स्थाई एवं स्पष्ट होता है। प्रयोजना विधि से बालकों में तारक चिंतन अन्वेषण शक्ति का विकास होता है। आत्मनिर्भर,सामाजिक गुणों से पूर्ण होते हैं। इस विधि में हाथ से कार्य करने पर बल दिया जाता है। शारीरिक व मानसिक परिश्रम करवाया जाता है। परियोजना विधि अधिक खर्चीली तथा अधिक समय लेने वाली होती है। प्रोजेक्ट विधि की परिभाषा बेलार्ड के अनुसार "प्रोजेक्ट यथार्थ जीवन का एक ही भाग है जो विद्यालय में प्रयोग किया जाता है।'' पार्कर के अनुसार "प्रोजेक्ट कार्य की एक इकाई है जिसमे छात्रों को कार्य की योजना और सम्पन्नता के लिये उत्तारदायी बनाया जाता है " स्टीवेन्सन के अनुसार "प्रोजेक्ट एक समस्या मूलक कार्य है,जो स्वाभाविक स्थिति में पूरा किया जाता है" बेलार्ड के अनुसार "प्रोजेक्ट यथार्थ जीवन का एक ही भाग है, जो विद्यालय में प्रयोग किया जाता है" प्रोजेक्ट का अर्थ
प्रोजेक्ट प्रणाली की विशेषताएँ
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शिक्षण अधिगम प्रबंधन के कितने सोपान होते हैं?विस्तृत ज्ञान (Comprehensive knowledge)– (a) विषयवस्तु (Contents) का, (b) विद्यार्थी (Students) का, (c) शिक्षण-विधियाँ (Methods), शिक्षण युक्तियाँ (Devices) तथा शिक्षण तकनीकों (Techniques) का, (d) वातावरण (Environment) का। 4. प्रभावी सम्प्रेषण कौशल (Effective communication skill)।
सूक्ष्म शिक्षण के कितने चरण होते हैं?सामान्य हिंदी सूक्ष्म शिक्षण के प्रमुख चरण
1. विशिष्ट कौशल को परिभाषित करना। 2. कौशल का प्रदर्शन।
सूक्ष्म शिक्षण कितने मिनट का होता है?2- सूक्ष्म शिक्षण (Micro Teaching) एक व्यक्तिगत शिक्षण हैं। 3- सूक्ष्म शिक्षण में एक समय में एक ही कौशल का विकास करने का लक्ष्य रखा जाता हैं। 4- सूक्ष्म शिक्षण के अंतर्गत छात्रों की संख्या में कटौती करके 5-6 तक रखी जाती हैं। 5- सूक्ष्म शिक्षण में समय की अवधि को कम करके 5 से 10 मिनट तक रखा जाता हैं।
सूक्ष्म शिक्षण चक्र क्या है?सूक्ष्म शिक्षण चक्र (Cycle of Micro-Teaching) शिक्षण अनेक कौशलों का योग है और एक साथ छात्राध्यापकों में अनेक कौशलों को उत्पन्न करना एक जटिल कार्य है। सूक्ष्म शिक्षण की सहायता से मनोवैज्ञानिक शिक्षण सूत्रों का अनुकरण करते हुए एक-एक करके वांछित कौशलों को अधिकाधिक रूप से भावी अध्यापकों में विकसित किया जाता है।
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