शिक्षा के दर्शन से आप क्या समझते हैं संक्षेप में इसकी प्रकृति के बारे में वर्णन कीजिए? - shiksha ke darshan se aap kya samajhate hain sankshep mein isakee prakrti ke baare mein varnan keejie?


प्रश्न 4. “शिक्षा व दर्शन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।" इस कथन की विवेचना कीजिए तथा बताएँ कि शिक्षक के लिए शिक्षा दर्शन के अध्ययन की क्या आवश्यकता है?

उत्तर- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव शिक्षा मनुष्य के विकास की आधारशिला है। उचित शिक्षा के अभाव में मनुष्य दर्शन जैसे विषयों का विकास ही नहीं कर सकता। दर्शन के निर्माण एवं विकास दोनों के लिए शिक्षा की आवश्यकता है। प्रसिद्ध शिक्षा दार्शनिक जॉन एडम का विचार है कि-"शिक्षा दर्शन का शक्तिशील पहलू है, यह दार्शनिक विकास का सक्रिय पक्ष है और जीवन के आदर्शों को प्राप्त करने का वास्तविक साधन है।"

   शिक्षा में विद्यमान तथ्यों की छानबीन करना एवं उनके महत्त्व की खोज करना दर्शन का कार्य है। शिक्षा के विभिन्न उद्देश्य को निर्धारित करने में दर्शन की सहायता ली जाती है। दर्शन के द्वारा हमें जीवन के मूल्यों का ज्ञान प्राप्त होता है और शिक्षा के द्वारा ही इन मूल्यों की प्राप्ति सम्भव है।

शिक्षा के विभिन्न उद्देश्य दर्शन के द्वारा निर्धारित किये जाते हैं जिससे कि हमारे द्वारा दिये गये सभी शैक्षिक प्रयास सफल हो सकें। प्राचीन समय में ही दर्शन का प्रयोग शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों को निर्धारित करने में किया जाता है।

भारत में भी शिक्षा के उद्देश्यों (धार्मिक एवं आध्यात्मिक विकास) को प्राचीन दार्शनिक विचारधारा के अनुसार निर्धारित किया जाता था। आधुनिक समय में शिक्षा के उद्देश्य दर्शन की सहायता से निर्धारित किये जा रहे हैं और इन उद्देश्य निर्धारण के ऊपर राजनीति दर्शन का प्रभाव पड़ा है।

जनतन्त्रवादी अमरीका तथा भारत जैसे देशों में शिक्षा का उद्देश्य, व्यक्ति का स्वतन्त्र विकास, श्रेष्ठ नागरिकता का विकास, चारित्रिक और व्यावसायिक विकास आदि से निर्धारित किया गया है।

शिक्षा के दर्शन पर प्रभाव को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है-

1. शिक्षा दर्शन के निर्माण की आधारशिला है क्योंकि किसी दार्शनिक दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए उसका शिक्षित होना जरूरी है और शिक्षित होने के लिए साक्षरता जरूरी है।

2. शिक्षा दर्शन को जीवित रखती है अर्थात् शिक्षा के द्वारा दर्शन में समय परिस्थिति तथा आवश्यकतानुसार नित-नवीनता बनी रहती है तथा प्राचीन दृष्टिकोण का हस्ताक्षरण भी।

3. शिक्षा दार्शनिक सिद्धान्तों को मूर्तरूप देती है क्योंकि शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम दार्शनिक उद्देश्यों को प्राप्त करते हैं।

4. शिक्षा दर्शन को नई समस्याओं से परिचित कराती है। भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मन्त्री अपने शिक्षाशास्त्रियों से यह अपेक्षा रखते थे कि वे राष्ट्र एवं समाज की समस्याओं का दार्शनिक हल ढूँढ़े।

5. शिक्षा दर्शन को गतिशीलता प्रदान करती है शिक्षा के अभाव में दर्शन का विकास सम्भव नहीं है।

शिक्षा-दर्शन शिक्षाशास्त्र की वह शाखा है, जिसमें शिक्षा के सम्प्रत्ययों, उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियों एवं शिक्षा सम्बन्धी अन्य समस्याओं के सन्दर्भ में विभिन्न दार्शनिकों एवं दार्शनिक सम्प्रदायों के विचारों का आलोचनात्मक अध्ययन किया जाता है। शिक्षा-दर्शन, दर्शन का ही एक क्रियात्मक पक्ष है, जिसका विवेचन अलग से न होकर दर्शन के अन्दर ही किया गया है। शिक्षा-दर्शन वास्तव में दर्शन होता है, क्योंकि उसमें भी अन्तिम सत्यों, मूल्यों, आदर्शों, आत्मा-परमात्मा, जीव, मनुष्य, संसार, प्रकृति आदि पर चिन्तन एवं उसके स्वरूप को जानने का प्रयास किया जाता है।

शिक्षा एवं दर्शन के मध्य सम्बन्ध इस बात से भी स्पष्ट होता है कि जितने भी शिक्षाशास्त्री हुए हैं, वे सब महान दार्शनिक रहे हैं। शिक्षा ही वह माध्यम है, जिसके द्वारा दर्शन के सिद्धान्तों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाया जा सकता है। अतः यह सत्य है कि शिक्षा द्वारा ही दर्शन का संरक्षण किया जा सकता है।

विश्वविद्यालयों में, शिक्षा-दर्शन प्रायः पर शिक्षा विभागों या शिक्षा-कॉलेजों का हिस्सा होता है। [1] [2] [3] [4]

शिक्षा का दर्शन[संपादित करें]

प्लेटो[संपादित करें]

शिक्षा के दर्शन से आप क्या समझते हैं संक्षेप में इसकी प्रकृति के बारे में वर्णन कीजिए? - shiksha ke darshan se aap kya samajhate hain sankshep mein isakee prakrti ke baare mein varnan keejie?

प्लेटो का शैक्षिक दर्शन एक आदर्श गणराज्य की दृष्टि पर आधारित था, जिसमें व्यक्ति को अपने पूर्ववर्तियों से हटकर जोर देने के कारण एक न्यायपूर्ण समाज के अधीन होकर सबसे अच्छी सेवा दी जाती थी। मन और शरीर को अलग-अलग इकाई माना जाना था। अपने "मध्य काल" (360 ईसा पूर्व) में लिखे गए फादो के संवादों में प्लेटो ने ज्ञान, वास्तविकता और आत्मा की प्रकृति के बारे में अपने विशिष्ट विचार व्यक्त किए: [5]

जब आत्मा और शरीर एक हो जाते हैं, तब प्रकृति आत्मा को शासन करने और शासन करने और शरीर को आज्ञा मानने और सेवा करने का आदेश देती है। अब इन दोनों में से कौन सा कार्य परमात्मा के समान है? और कौन से नश्वर के लिए? क्या परमात्मा प्रकट नहीं होता ... वह होना जो स्वाभाविक रूप से आदेश और नियम करता है, और नश्वर वह है जो अधीन और दास है? [6] [7]

इस आधार पर, प्लेटो ने बच्चों को उनकी माताओं की देखभाल से हटाने और उन्हें <b>राज्य के वार्ड के</b> रूप में पालने की वकालत की, विभिन्न जातियों के लिए उपयुक्त बच्चों को अलग करने के लिए बहुत सावधानी बरतते हुए, सबसे अधिक शिक्षा प्राप्त करने वाले, ताकि वे अभिभावक के रूप में कार्य कर सकें। शहर की और कम सक्षम लोगों की देखभाल। शिक्षा समग्र होगी, जिसमें तथ्य, कुशलता, शारीरिक अनुशासन और संगीत और कला शामिल है, जिसे उन्होंने प्रयास का उच्चतम रूप माना।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Philosophy and Education". Teachers College - Columbia University (अंग्रेज़ी में). मूल से 2017-05-17 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-04-29.
  2. "Philosophy of Education - Courses - NYU Steinhardt". steinhardt.nyu.edu (अंग्रेज़ी में). मूल से 2017-04-01 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-04-29.
  3. "Doctor of Philosophy in Education". Harvard Graduate School of Education (अंग्रेज़ी में). मूल से 2017-04-20 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-04-29.
  4. Noddings, Nel (1995). Philosophy of Education. Boulder, CO: Westview Press. पृ॰ 1. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-8133-8429-X.
  5. "Plato and Aristotle: An Introduction to Greek Philosophy | The Art of Manliness". The Art of Manliness (अंग्रेज़ी में). 2010-02-04. मूल से 2018-06-27 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-06-27.
  6. "Plato: Phaedo | Internet Encyclopedia of Philosophy". www.iep.utm.edu (अंग्रेज़ी में). मूल से 2017-05-07 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-04-29.
  7. "The Internet Classics Archive | Phaedo by Plato". classics.mit.edu. मूल से 2010-01-23 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-04-29.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • शिक्षा
  • दर्शन

शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं शिक्षा दर्शन की प्रकृति पर प्रकाश डालें?

शिक्षा दर्शन न तो शिक्षाशास्त्र ही है और न ही दर्शन बल्कि यह दोनों के अंग के रूप में और साथ ही स्वतन्त्र रूप में एक ऐसा नवनिर्मित शास्त्र व विज्ञान है जिसके अन्तर्गत विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं, शिक्षाशास्त्रियों एवं दार्शनिकों के विचारों के आधार पर देश एवं काल की परिस्थितियों का तार्किक, व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध अध्ययन ...

शिक्षा के दर्शन से आप क्या समझते हैं?

शिक्षा दर्शन का अर्थ साधारण अर्थ में शिक्षा पद्धति दर्शन की ही एक शाखा होती है जिसमें दार्शनिक सिद्धान्तों का प्रयोग शिक्षा के सम्बंध में होता है। शिक्षा दर्शन शिक्षा से संबंधित विचारों पर विचार करता है और उनके समाधान के लिये दार्शनिक अर्थात् चिन्तनपूर्ण एवं निर्णयात्मक दृष्टि से प्रयत्न करता है।

दर्शन और शिक्षा की प्रकृति क्या है?

शिक्षा दर्शन व्यक्तिपरक है, वस्तुपरक नहीं. शिक्षा दर्शन निर्देशात्मक शास्त्र है. इसका कार्य निर्देशन या दिशा प्रदान करना है. शिक्षा दर्शन की प्रकृति दार्शनिक तथा वैज्ञानिक दोनों ही है, क्योंकि शिक्षा की प्रक्रिया को कला और विज्ञान दोनों माना जाता है.

शिक्षा दर्शन क्या है कैसे शिक्षा दर्शन पर आश्रित है व्याख्या कीजिए?

किन कारणों से शिक्षा दर्शन पर आश्रित है दर्शन जीवन के वास्तविक लक्ष्य को निर्धारित करता है तथा उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शिक्षा का उचित मार्गदर्शन भी करता है। बिना दर्शन की सहयता के शिक्षा की कोई योजना सतय तथा उपयोगी नहीं हो सकती। अत: स्पेंसर के शब्दों में – “ वास्तविक शिक्षा का संचालन वास्तविक दर्शन की कर सकता है।”